10 નવે, 2020

*अदभुत आश्चर्य!

1. सुनहरे मेंढ़क में इतना ज़हर होता हैं कि, एक बार में 10 से 20 आदमी और 10,000 चूहे मारें जा सके.

2. एक प्लास्टिक की बोतल recycle करने से इतनी ऊर्जा बचाई जा सकती हैं कि एक 60W का बल्ब 6 घंटे तक जल सके.

3. वैज्ञानिको ने पेशाब से मोबाइल चार्जिंग करने का तरीका ढूँढ़ लिया हैं.

4. ये तो हम लोगो की सोच हैं वरना लाल कलर बैलों को गुस्सा नही दिलाता.

5. FIDO, अब्राहिम लिंकन के कुत्ते का भी कत्ल किया गया था.

6. घरों में लड़ाई का बच्चों पर इतना ही असर होता हैं, जितना युद्ध का सैनिकों पर.

7. Isaac Newton कुँवारे मरे थे.

8. बिना हाथ हिलाए चलना, 12% कठिन हो जाता हैं.

9. वर्जीनिया में एक आदमी इसलिए गिरफ्तार किया गया क्योकिं वह घर में नंगा था.

10. मुंबई की हवा में साँस लेना 100 सिगरेट पीने के बराबर हैं.

11. दुनिया की सबसे पुरानी बैंक 1472 ई. में मोहरों की दुकान के तौर पर बनाई गई थी.

12. जनवरी 2013 में, जिम्बाबें सरकार के बैंक में केवल 217$ थे.

13. जब कोई तलाक लेता हैं तो उसकी तैयारी कम से कम पिछले 18 महीनों से चल रही होती हैं.

14. कौए चेहरे याद रखते हैं और दूसरे कौए को भी इसके बारे में बताते रहते हैं.

15. NASA के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा तारा खोज़ा हैं जो छूने पर ठंडा लगता हैं.

16. बूँदो के पानी से जो Smell आती हैं उसका कारण “Actinomycetes” नामक बैक्टीरिया हैं.

17. 12 लाख मच्छर आपका पूरा खून चूस सकते हैं.

18. एक अनार में 200 से 1400 दाने होते हैं.

19. पागलों की तरह चलना, पागलों की तरह ड्राइविंग करने से ज्यादा खतरनाक हैं.

20. Queue शब्द के आखिरी चार letters हटा दिए जाए तो भी इसका उच्चारण ऐसा ही रहेगा.

21. हर दिन, Google पर 16% सर्च ऐसे होते हैं जो उसने पहले कभी नही देखे.

22. Wood Frog नाम का जानवर, स्वस्थ रहने के लिए सर्दी में जम सकता हैं और गर्मी में पिघल सकता हैं.

23. Bob Marley’s के अंतिम शब्द थे “पैसे से जीवन नही खरीद सकते”.

24. गर्भ के दौरान, यदि माँ के जननांग में कोई चोट आ जाए तो गर्भ में पल रहा बच्चा उसे ठीक चरने के लिए स्टेम सेल भेजता हैं.

25. 1 शुक्राणु (Sperm) में 37 MB की DNA सूचना होती हैं. 3 सैकेंड के वीर्यपात में 1597 MB डाटा ट्रांसफर होता हैं.

झाड़ू में धन की देवी महालक्ष्मी का वास

🌹झाड़ू में धन की देवी महालक्ष्मी का वास
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*पौराणिक शास्त्रों में कहा गया है कि जिस घर में झाड़ू का अपमान होता है वहां धन हानि होती है, क्योंकि झाड़ू में धन की देवी महालक्ष्मी का वास माना गया है।*

विद्वानों के अनुसार झाड़ू पर पैर लगने से महालक्ष्मी का अनादर होता है। झाड़ू घर का कचरा बाहर करती है और कचरे को दरिद्रता का प्रतीक माना जाता है। 

जिस घर में पूरी साफ-सफाई रहती है वहां धन, संपत्ति और सुख-शांति रहती है। इसके विपरित जहां गंदगी रहती है वहां दरिद्रता का वास होता है।

 ऐसे घरों में रहने वाले सभी सदस्यों को कई प्रकार की आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसी कारण घर को पूरी तरह साफ रखने पर जोर दिया जाता है ताकि घर की दरिद्रता दूर हो सके और महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त हो सके। घर से दरिद्रता रूपी कचरे को दूर करके झाड़ू यानि महालक्ष्मी हमें धन-धान्य, सुख-संपत्ति प्रदान करती है।

वास्तु विज्ञान के अनुसार झाड़ू सिर्फ घर की गंदगी को दूर नहीं करती है बल्कि दरिद्रता को भी घर से बाहर निकालकर घर में सुख समृद्घि लाती है। 

झाड़ू का महत्व इससे भी समझा जा सकता है कि रोगों को दूर करने वाली शीतला माता अपने एक हाथ में झाड़ू धारण करती हैं।

*🙏यदि भुलवश झाड़ू को पैर लग जाए तो महालक्ष्मी से क्षमा की प्रार्थना कर लेना चाहिए।🅿*

जब घर में झाड़ू का इस्तेमाल न हो, तब उसे नजरों के सामने से हटाकर रखना चाहिए।
ऐसे ही झाड़ू के कुछ सतर्कता के नुस्खे अपनाये गये उनमें से आप सभी मित्रों के समक्ष हैं जैसे :-

 शाम के समय सूर्यास्त के बाद झाड़ू नहीं लगाना चाहिए इससे आर्थिक परेशानी आती है।

 झाड़ू को कभी भी खड़ा नहीं रखना चाहिए, इससे कलह होता है।

 आपके अच्छे दिन कभी भी खत्म न हो, इसके लिए हमें चाहिए कि हम गलती से भी कभी झाड़ू को पैर नहीं लगाए या लात ना लगने दें, अगर ऐसा होता है तो मां लक्ष्मी रुष्ठ होकर हमारे घर से चली जाती है।

 झाड़ू हमेशा साफ रखें ,गिला न छोडे ।

 ज्यादा पुरानी झाड़ू को घर में न रखें।

 झाड़ू को कभी घर के बाहर बिखराकर न फेके और इसको जलाना भी नहीं चाहिए।

 झाड़ू को कभी भी घर से बाहर अथवा छत पर नहीं रखना चाहिए। ऐसा करना अशुभ माना जाता है। कहा जाता है कि ऐसा करने से घर में चोरी की वारदात होने का भय उत्पन्न होता है। झाड़ू को हमेशा छिपाकर रखना चाहिए। ऐसी जगह पर रखना चाहिए जहां से झाड़ू हमें, घर या बाहर के किसी भी सदस्यों को दिखाई नहीं दें।

 गौ माता या अन्य किसी भी जानवर को झाड़ू से मारकर कभी भी नहीं भगाना चाहिए।

* घर-परिवार के सदस्य अगर किसी खास कार्य से घर से बाहर निकले हो तो उनके जाने के उपरांत तुरंत झाड़ू नहीं लगाना चाहिए। यह बहुत बड़ा अपशकुन माना जाता है। ऐसा करने से बाहर गए व्यक्ति को अपने कार्य में असफलता का मुंह देखना पड़ सकता है।

शनिवार को पुरानी झाड़ू बदल देना चाहिए।

सपने मे झाड़ू देखने का मतलब है नुकसान।

 घर के मुख्य दरवाजा के पीछे एक छोटी झाड़ू टांगकर रखना चाहिए। इससे घर में लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।

 पूजा घर के ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्वी कोने में झाडू व कूड़ेदान आदि नहीं रखना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और घर में बरकत नहीं रहती है इसलिए वास्तु के अनुसार अगर संभव हो तो पूजा घर को साफ करने के लिए एक अलग से साफ कपड़े को रखें।

 जो लोग किराये पर रहते हैं वह नया घर किराये पर लेते हैं अथवा अपना घर बनवाकर उसमें गृह प्रवेश करते हैं तब इस बात का ध्यान रखें कि आपका झाड़ू पुराने घर में न रह जाए। मान्यता है कि ऐसा होने पर लक्ष्मी पुराने घर में ही रह जाती है और नए घर में सुख-समृद्घि का विकास रूक जाता है।

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गायत्री गुप्त मन्त्र और सम्पुट

गायत्री गुप्त मन्त्र और सम्पुट 
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गायत्री मन्त्र के साथ कौन सा सम्पुट लगाने पर क्या फल मिलता है!!

ॐ भूर्भुव: स्व : ॐ ह्रीं तत्सवितुर्वरेण्यं ॐ
श्रीं भर्गो देवस्य धीमहि ॐ क्लीं धियो यो न: प्रचोदयात ॐ नम:! ॐ भूर्भुव: स्व : ॐ ह्रीं तत्सवितुर्वरेण्यं ॐ श्रीं भर्गो देवस्य धीमहि ॐ क्लीं धियो यो न: प्रचोदयात ॐ नम:! ॐ भूर्भुव: स्व : ॐ ऐं तत्सवितुर्वरेण्यं ॐ क्लीं भर्गो देवस्य
धीमहि ॐ सौ: धियो यो न: प्रचोदयात
ॐ नम:! ॐ श्रीं ह्रीं ॐ भूर्भुव:
स्व: ॐ ऐं ॐ तत्सवितुर्वरेण्यं ॐ क्लीं ॐ भर्गोदेवस्य धीमहि ॐ सौ: ॐ धियो यो न: प्रचोदयात ॐ ह्रीं श्रीं ॐ!!

गायत्री जपने का अधिकार जिसे नहीं है वे निचे लिखे मन्त्र का जप करें!

ह्रीं यो देव: सविताSस्माकं मन: प्राणेन्द्रियक्रिया:!
प्रचोदयति तदभर्गं वरेण्यं समुपास्महे !!

सम्पुट प्रयोग
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गायत्री मन्त्र के आसपास कुछ बीज मन्त्रों का सम्पुट लगाने का भी विधान है जिनसे विशिष्ट कार्यों की सिद्धि होती है ! बीज मन्त्र इस प्रकार हैं।

१- ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं 👉 का सम्पुट लगाने से
लक्ष्मी की प्राप्ति होती है!

२- ॐ ऐं क्लीं सौ: 👉 का सम्पुट लगाने से
विद्या प्राप्ति होती है!

३-- ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं 👉 का सम्पुट लगाने से संतान प्राप्ति, वशीकरण और मोहन होता है!

४-- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं 👉 का सम्पुट के
प्रयोग से शत्रु उपद्रव, समस्त विघ्न बाधाएं और संकट दूर होकर भाग्योदय होता है!

५-- ॐ ह्रीं 👉 इस सम्पुट के प्रयोग से रोग नाश होकर सब प्रकार के ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है!

६-- ॐ आँ ह्रीं क्लीं 👉 इस सम्पुट
के प्रयोग से पास के द्रव्य की रक्षा होकर
उसकी वृद्धि होती है तथा इच्छित वस्तु
की प्राप्ति होती है! इसी प्रकार किसी भी मन्त्र की सिद्धि और विशिष्ट कार्य की शीघ्र सिद्धि के लिए भी दुर्गा सप्तशती के मन्त्रों के साथ सम्पुट देने का भी विधान है! गायत्री मन्त्र समस्त मन्त्रों का मूल है तथा यह आध्यात्मिक शान्ति देने वाले हैं!!

गायत्री शताक्षरी मन्त्र
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" ॐ भूर्भुव: स्व : तत्सवितुर्वरेण्यं, भर्गो देवस्य धीमहि! धियो यो न: प्रचोदयात! ॐ जातवेदसे सुनवाम सोममराती यतो निदहाति वेद:! स न: पर्षदतिदुर्गाणि विश्वानावेव सिंधु दुरितात्यग्नि:!
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धि पुष्टिवर्धनम! उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात !!" 

शास्त्र में कहा गया है कि गायत्री मन्त्र जपने से पहले गायत्री शताक्षरी मन्त्र की एक माला अवश्य कर लेनी चाहीये! माला करने पर मन्त्र में चेतना आ जाती है!!

विभिन्न तेल शनिवार और शनिदेव



तेल शनि से संबंधित पदार्थ है। तेल का हमारे जीवन में बहुत बड़ा योगदान है। तेल के कई फायदे भी हैं और नुकसान भी।

चमेली का तेल:
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को हर मंगलवार या शनिवार को सिन्दूर और चमेली का तेल अर्पित करना चाहिए। नियमित रूप से हनुमानजी को धूप-अगरबत्ती लगाना चाहिए। हार-फूल अर्पित करना चाहिए। हनुमानजी को चमेली के तेल का दीपक नहीं लगाया जाता बल्कि तेल उनके शरीर पर लगाया जाता है। ऐसा करने पर सभी तरह की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।

सरसों का तेल:
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एक कटोरी में सरसों का तेल लेकर उसमें अपनी छाया देखकर उसे शनिवार के दिन शाम को शनिदेव के मंदिर में रख आएं। इसके अलावा आप अलग से शनिदेव को तेल चढ़ा भी सकते हैं। इस उपाय से आपके ऊपर शनिदेव की कृपा बनी रहेगी।

तिल का तेल:
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तिल के तेल का दीपक 41 दिन लगातार पीपल के नीचे प्रज्वलित करने से असाध्य रोगों में अभूतपूर्व लाभ मिलता है और रोगी स्वस्थ हो जाता है। भिन्न-भिन्न साधनाओं व सिद्धियों को प्राप्त करने के लिए भी पीपल के नीचे दीपक प्रज्वलित किए जाने का विधान है।

शारीरिक कष्ट दूर करने के लिए:
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शनिवार को सवा किलो आलू व बैंगन की सब्जी सरसों के तेल में बनाएं। उतनी ही पूरियां सरसों के तेल में बनाकर अंधे, लंगड़े व गरीब लोगों को यह भोजन खिलाएं। ऐसा कम से कम 3 शनिवार करेंगे तो शारीरिक कष्‍ट दूर हो जाएगा।

दुर्भाग्य से पीछा छुड़ाने का टोटका:
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सरसों के तेल में सिंके गेहूं के आटे व पुराने गुड़ से तैयार सात पूए, सात मदार (आक) के फूल, सिन्दूर, आटे से तैयार सरसों के तेल का दीपक, पत्तल या अरंडी के पत्ते पर रखकर शनिवार की रात में किसी चौराहे पर रखकर कहें- ‘हे मेरे दुर्भाग्य, तुझे यहीं छोड़े जा रहा हूं, कृपा करके मेरा पीछा ना करना।’ सामान रखकर पीछे मुड़कर न देखें।

धन-समृद्धि हेतु:
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कच्ची घानी के तेल के दीपक में लौंग डालकर हनुमानजी की आरती करें। अनिष्ट दूर होगा और धन भी प्राप्त होगा।

सुख-शां‍ति हेतु:
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खुशहाल पारिवारिक जीवन के लिए किसी भी आश्रम में कुछ आटा और सरसों का तेल दान करें।

नया घर चाहिए तो करें ये उपाय:
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शमी के पौधे के पास लोहे के दीये में तिल के तेल में सरसों का तेल मिलाकर काले धागे की बत्ती जलाएं। दीये का मुख 4 दिशाओं और 4 कोणों सहित आठों दिशाओं में करें। फिर दीये को जल में प्रवाहित कर दें। यह कार्य 27 शनिवार तक करेंगे तो निश्चित ही आप नए घर में प्रवेश कर जाएंगे।

शराब छुड़वाने का टोटका:
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एक शराब की बोतल किसी शनिवार को शराब पीने वाले के सो जाने के बाद उसके ऊपर से 21 बार वार लें। फिर उस बोतल के साथ किसी अन्य बोतल में 800 ग्राम सरसों का तेल लेकर आपस में मिला लें और किसी बहते हुए पानी के किनारे में उल्टा गाड़ दें जिससे बोतलों के ऊपर से जल बहता रहे। यह उपाय किसी लाल किताब के विशेषज्ञ से पूछकर ही करें।

मंदी से छुटकारा पाने के लिए:
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अगर आपके व्यापार या नौकरी में मंदी का दौर चल रहा है तो आप किसी साफ शीशी में सरसों का तेल भरकर उस शीशी को किसी तालाब या बहती नदी के जल में डाल दें। शीघ्र ही मंदी का असर जाता रहेगा। व्यापार या नौकरी में उन्नति होती रहेगी।

रोग के कारण किसी के मरने की आशंका हो तो:
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गुड़ को तेल में मिश्रित करके जिस व्यक्ति के मरने की आशंका हो, उसके सिर पर से 7 बार उतारकर मंगलवार या शनिवार को भैंस को खिला दें। ऐसा कम से कम 5 मंगलवार या शनिवार को करें। यह उपाय भी किसी लाल किताब के विशेषज्ञ से पूछकर ही करें।

मनोकामना तुरंत पूर्ण होती:
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पीपल के नीचे सरसों तेल का दीपक लगातार 41 दिन तक प्रज्वलित करने से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है।


ગિરનાર રોપવે

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*ગિરનાર સીધા રોપ વે થી ચડી જવાથી આપણે શું ગુમાવીશું ? – 

ગિરનાર સીધા રોપ વે થી ચડી જવાથી આપણે શું ગુમાવીશું ?

(૧) ગિરનારની એક એક શીલા જાગૃત છે એટલે કે જીવંત જોગી સ્વરૂપ છે. અહીં દરેક શીલાઓ પર ગિરનારી સિધ્ધોનાં તપ પડયાં છે.જેનાં દર્શન માત્ર થી ઉર્જાનો અનુભવ થાય છે. ૨૪૫૦ પગથિયે હાથી પથ્થર અને ૨૬૦૦ પગથિયે રાણકદેવીની શીલા અતિ વિખ્યાત છે.આસપાસ ફેલાયેલી અઢારે ભારની દુર્લભ વનસ્પતિઓનાં દર્શન થાય છે. જેમકે, કેટલાંક યાત્રિકો કાંટાસૂરિયાના પીળાં ફૂલો ચૂંટી લઈને દત્ત મહારાજની ચરણ પાદુકાએ ચડાવતાં હોય છે.

(૨) યાત્રિકો જ્યારે સીડીથી ગિરનાર ચડે છે ત્યારે પ્રથમ પ્રાચીન ચડાવવાવ હનુમાનજીના દર્શન કરતાં હોય છે. ૨૫- ૩૦ પગથિયે ત્રિગુણેશ્વર મહાદેવ અને તેના મહાન સંતોની સમાધિઓ આવે છે અને ૮૫ પગથિયે પાંચ પાંડવની જગ્યા આવે છે. અહીં ભૈરવદાદાનું સ્થાનક, લક્ષ્મણભારથી બાપુની સમાધિ અને ધૂણો આવેલાં છે.

(૩) ૨૦૦ પગથિયે જૂનું તપસી પરબ કે ચૂના દેરી છે. અહીં ઉર્ધ્વબાહુ પરમહંસ બાપુની ફૂલ સમાધિ છે. બાપુ સમર્થ સંત હતા અને શિહોરના ગૌતમેશ્વરની ગુફામાં રહેતા. હમણાં સાવજે ફાડી ખાધાં તે સીતારામ બાપુ અહીં બેઠાં રહેતાં.

(૪) જુદાં જુદાં પગથિયે જે પાણીના પરબ છે તે હકીકતે અલગ અલગ ઍન્ગલથી પ્રકૃતિનો વૈભવ માણવાના પોઈન્ટ છે.
જેમ કે, ૫૦૦ પગથિયે છોડિયા પરબ, ૧૫૦૦ પગથિયે ધોળી દહેરી, ૧૯૫૦ પગથિયે કાળી દહેરી. જો કે હાલ અહીં પરબ નથી પણ વનખાતાની વિશ્રામ કુટિરો છે.

(૫) જૂની કઠિયારાઓની કેડીઓ વનમાં સરી જતી જોવી એ પણ એક લ્હાવો છે. જેમકે,૧૨૦૦ પગથિયેથી ચોરઘોડી થઈને ખોડિયાર માતાજી અને બોરદેવી. ૧૫૦૦ પગથિયેથી પાંચવીરડાના ખોડિયાર અને ૨૦૦૦ પગથિયેથી વેલનાથ બાપુની સમાધિ તરફ જતી કેડી. અહીં વાઘનાથબાપુની ગુફા અને આરાધના ગુફા પણ છે. અહીંથી એક કેડી શેષાવન તરફ જાય છે. જોકે હાલ અભયારણ્ય હોવાથી જંગલનો આ પ્રતિબંધિત વિસ્તાર છે.

(૬) ૨૨૦૦ પગથીયે ભરથરીની ગુફા અને ધૂણો છે. તેની પાછળ અન્ય એક ગુફા બ્રહ્માનંદજીની છે.

(૭) ૩૨૦૦ પગથિયે વિશાળ શીલાના ભેખડામાં કબૂતરખાનાની સુંદર કુદરતી રચના છે.

(૮) ૩૫૦૦ પગથિયે પંચેશ્વર મહાદેવ, પાણીનું ઝરણ, દત્ત ગુફા વગેરે આવે છે.

(૮) માલી પરબમાં પુરાતન રામ મંદિર છે. અહીં સંવત ૧૨૨૨નો શીલાલેખ છે.

(૯) જૈન દેરાસરોની બાજુમાં પાણીના કુંડ અને વાવો છે.જેમકે, ભીમકુંડ, ડોકટર કુંડ, ગિરધર કુંડ, જ્ઞાનવાવ, દેડકીવાવ વગેરે.

(૯) અંબાજી ચડી ગયા પછી ગૌમુખી ગંગા, પથ્થર ચટ્ટી, સેવાદાસબાપુની જગ્યા, આનંદ ગુફા, મહાકાલબાપુની ગુફા, નાગી માતાની દહેરી વગેરાનાં દર્શન કરવા માટે નીચે ઉતરવું પડે.

(૧૦) ગિરનારની શીલાઓમાં કરોડો વર્ષ જૂનાં વનસ્પતિઓનાં અશ્મિ કે ફોસિલ્સ છે. તે સીડી રસ્તેથી જ જોવા મળે.

(૧૧) સિધ્ધ મહાત્માઓ, ભક્તો કે યાત્રિકો સામા મળતાં જાય અને ‘જય ગિરનારી’ કરતાં જાય એ પણ જીવનનું સદ્ભાગ્ય છે. ક્યારે કોણ ક્યા વેષમાં આવે તે અહીં નક્કી નથી.

(૧૨) શેષાવનની સીડીએથી જતાં ૪૫૦ પગથિયેથી જટાશંકરની કેડી આવે .અહીં સિધ્ધ મહાત્મા ભગવાનદાસ બાપુનો ધૂણો છે. અહીં જ શાન્તાનંદ બ્રહ્મચારીએ કમળપૂજા કરી હતી.

(૧૩) શેષાવનની સીડીએથી જ જતાં ૧૨૦૦ પગથિયે મુનિ મહારાજ ખડેશ્વરી દ્વારા સ્થાપિત હનુમાનજી આવે છે.

આમ, જે પગથિયાં ચડીને જવામાં જે ગિરનારી મોજ છે તે રોપ – વેમાં ન હોય તે સ્વાભાવિક છે. અહીં હજારો વર્ષોથી યાત્રિકો, ભાવિકો, પરિવ્રાજકો પસાર થયા છે. તેની ચરણધૂલિનો સ્પર્શ પણ અહોભાગ્ય પ્રેરક છે...🙏

3 નવે, 2020

સ્પર્ધાત્મક પરીક્ષા અને ડિપ્રેશન થી બચાવ

સ્પર્ધાત્મક પરીક્ષાઓમાં સ્ટ્રેસ મેનેજ કરી ડિપ્રેશનથી કેવી રીતે બચવું?




સ્પ ર્ધાત્મક પરીક્ષાના વિદ્યાર્થીઓ ખુબજ મોટા પાયે આવી સમસ્યાઓનો સામનો કરતાં જોવા મળ્યા છે. જ્યારે જૂજ બેઠકો માટે લાખો ઉમેદવારોની સ્પર્ધા હોય છે ત્યારે ખુબજ માનસિક દબાણ હેઠળ કામ કરવાનું થાય છે. ક્યારેક ધારી સફળતા મળતી ન હોય કે કુટુંબનું માનસિક દબાણ હોય તો 'ડિપ્રેશન' જેવી સમસ્યાઓનો શિકાર બની શકાય છે. આવા સમયને કેવી રીતે સાચવી લેવો અને તેમાથી બહાર નીકળી ફરી 'નોર્મલ' જીવનની શરૂઆત કરવી તેની ચર્ચા આપણે કરીશું.

 ડિપ્રેશન એક એવી પરિસ્થિતી છે કે જેમાથી અનેક લોકો પસાર થાય છે ૯૦% લોકો તેમાથી રિકવર થઈને સાધારણ જીવન ટૂંકમાં શરૂ કરી શકે છે. પણ કેટલાક લોકો આ સમસ્યામાથી સહેલાઇથી નીકળી શકતા નથી અને આલ્કોહોલ, વ્યસનો, ડ્રગ્સ જેવા રવાડે ચડી જાય છે. 'ડિપ્રેશનનું મુખ્ય લક્ષણ 'નિષ્ક્રિયતા' છે. કોઈ પણ કામમાં રસ ન પડે. અરુચિ કે અભાવ આવી જાય અને નિષ્ક્રિય બેસી રહેવાય. આ પરિસ્થિતી એક ચક્રીય સ્થિતિનું નિર્માણ કરે છે. ડિપ્રેશન નિષ્ક્રિયતા પ્રેરે છે અને નિષ્ક્રિયતા વધુ ડિપ્રેશન લાવે છે. આ પરિસ્થિતી નિવારવા સૌપ્રથમ એકલતામાથી બહાર આવો. એકલા મનુષ્યને અનેક નકારાત્મક વિચારો આવે છે અને તે વધુ નિરાશ થાય છે. આથી તમારા પરિવારના લોકોને મળો. જો હોસ્ટેલમાં કે દૂર રહેતા હોવ તો ફોન પર વાત કરો. મિત્રો સાથે વાત કરો. નકારાત્મક વિચારોમાંથી બહાર આવો. 

ડિપ્રેશનમાથી બહાર આવવાનો બીજો સરળ અને શ્રે ઉપાય છે સૂર્યપ્રકાશ મેળવવો. અભ્યાસથી એવું પુરવાર થયું છે કે સૂર્યપ્રકાશ ડિપ્રેશન દૂર કરવાની ક્ષમતા ધરાવે છે. જે દેશોમાં સૂર્યપ્રકાશ ઓછો મળે છે તેમાં ડિપ્રેશન વધુ આવે છે. તમે તમારી જાતને દિલ પર હાથ મૂકી એક સવાલ પૂછો કે છેલ્લે સૂર્યોદય કે સૂર્યાસ્ત ક્યારે જોયો હતો. આપણે મોટા ભાગે આપના પોતાનામાં એટલા ઉલઝયેલા હોઈએ છે કે વર્ષમાં ક્યારેક એકવાર પણ સૂર્યોદય કે સૂર્યાસ્ત જોયો હોતો નથી. 

ત્રીજો સરળ ઉપાય છે કે તમારી ગમતી પ્રવૃત્તિમાં મન પરોવો. મૂવી જોવું, મ્યુઝિક સાંભળવું, ડાયરી લખવી, ચિત્ર દોરવું વગેરે. ચાલવું એ પણ ડિપ્રેશન નિવારવાનો સારો વિકલ્પ માનવામાં આવે છે. અભ્યાસથી એવું પુરવાર થયેલ છે કે ચાલવાથી ડિપ્રેશનમાથી આપોઆપ બહાર આવી શકાય છે અને નકારાત્મક વિચારો દૂર કરી શકાય છે. 

ડિપ્રેશનથી બચવા અરોગ્યનું ધ્યાન રાખો. મોટાભાગના ડિપ્રેશનથી પીડાતા લોકોની ઊંઘ પૂરી હોતી નથી. સમયસર સુવા ન મળે,અનિંદ્રાથી પીડાતા લોકો ડિપ્રેશનનો શિકાર બને છે. જો ૮ કલાક જેટલી નિયમિત ઊંઘ લેવામાં આવે તો ડિપ્રેશનથી બચી શકાય છે. ખોરાકમાં જંકફૂડ એવોઈડ કરવું જોઇયે. ડિપ્રેશનના સમયમાં વધુ ગળી- ખાંડવાળી વસ્તુઓ ખાવાથી સુગરકીક મળે છે અને સારું લાગે છે ઃ કોક પીવી, કેડબરી કે ચોકલેટ ખાવી. જે લોકો આહારમાં માંસાહાર કરે છે તેમણે માછલીને ભોજનમાં લેવી જોઇયે. તેમાં ઓમેગા-૩ ફેટીએસિડ હોય છે જે ડિપ્રેશન સામે રક્ષણ આપે છે.તેનાથી ઘણું સારું ફિલ થાય છે. વિટામિન બી ૧૨ની ઉણપથી પણ ડિપ્રેશન આવે છે. આથી બી-૧૨ વાળો ખોરાક ખાવો જોઇયે. 

નેગેટિવ વિચારો છોડી પોઝિટિવ એપ્રોચ વિકસાવો. તમને જ્યારે અંદરથી ખુબજ નેગેટિવ વિચારો આવે ત્યારે તેને સ્થાને તમે જે કઈ સારું કામ કર્યું છે તેને યાદ કરો. તમને સારું લાગશે. મારાથી પાસ નહીં થવાય તેવું ન વિચારો. બહુ બધી તૈયારી બાકી છે, હું તો આ કામ ક્યારેય ન કરી શકું એવું ન વિચારો. તેને સ્થાને નાની નાની તૈયારીથી શરૂઆત કરો. નાના નાના કામ કરો તે પૂરા કરવાનો આનંદ અને સંતોષ થશે. જે વિષય ટફ લાગે છે તે પૂરો કરતાં તો ૬ માહિનામાં પણ નહીં થાય એવું ન વિચારો. આજે શું થઈ શકે તે વિચારો. જેમકે આજના દિવસમાં પ્રથમ કામ એ વિષયનું એક પુસ્તક તો ખરીદી શકાય ! આમ કરવાથી ઘણું સારું લાગશે. નિષ્ક્રિયતામાથી બહાર આવશો અને ડિપ્રેશનમાથી રિકવર થઈ શકશો! 

સૌજન્ય સહ:
ગુજરાત સમાચાર
(અધ્યયન- હિરેન દવે )

2 નવે, 2020

*हिन्दी की गिनती :૧ થી ૫૦ (હિન્દી- ગુજરાતી અંક સામે શબ્દ માં લખો)

✍️हिन्दी की गिनती 

💐હિન્દી- ગુજરાતી અંક સામે શબ્દ માં લખો:💐

1 १ एक -એક 
2 २ दो - બે
3 ३ तीन - ત્રણ
4 ४ चार- ચાર 
5 ५ पांच - પાંચ
6 ६ छः -છ
7 ७ सात -સાત
8 ८ आठ - આઠ
9 ९ नौ- નવ
10 १० दस -દસ
11 ११ ग्यारह -અગિયાર
12 १२ बारह- બાર
13 १३ तेरह -તેર
14 १४ चौदह -ચૌદ
15 १५ पंद्रह -પંદર
16 १६ सोलह -સોળ
17 १७ सत्रह -સત્તર
18 १८ अठारह -અઢાર
19 १९ उन्नीस- ઓગણીસ
20 २० बीस -વીસ
21 २१ इक्कीस -એકવીસ
22 २२ बाइस-બાવીશ 
23 २३ तइस-ત્રેવીસ
24 २४ चौबीस-ચોવીશ 
25 २५ पच्चीस -પચીસ
26 २६ छब्बीस -છવ્વીસ
27 २७ सत्ताईस -સત્તાવીસ
28 २८ अट्ठाइस -અઠ્ઠાવીસ
29 २९ उन्तीस -ઓગણત્રીસ
30 ३० तीस-ત્રીસ
31 ३१ इकत्तीस- એકત્રીસ 
32 ३२ बत्तीस -બત્રીસ
33 ३३ तैंतिस-તેત્રીસ
34 ३४ चौंतीस-ચોત્રીસ
35 ३५ पैंतीस -- પાંત્રીસ
36 ३६ छत्तीस -છત્રીસ
37 ३७ सैंतीस -સાડત્રીસ
38 ३८ अड़तीस -આડત્રીસ
39 ३९ उनतालीस- ઓગણચાલીશ
40 ४० चालीस -ચાલીસ
41 ४१ इकतालीस-એકતાલીસ
42 ४२ बयालीस -બેતાલીસ
43 ४३ तैंतालीस / तियालीस - તેતાલીસ
44 ४४ चौवालीस - ચુંમાલીસ
45 ४५ पैंतालीस -પિસ્તાલીસ
46 ४६ छियालीस-છેતાલીશ
47 ४७ सैंतालीस-સુડતાલીશ
48 ४८ अड़तीस -અડતાલીસ
49 ४९ उनचास- ઓગણપચાસ
50 ५० पचास -પચાસ

દિવાળી મુહર્ત ( વિ. સંવત:2076-77)



દિવાળી મુહર્ત( વિ. સંવત:2076-77)
ઈ.સ.2020

ઢસરડા ઓછા કરો અને વિચારો...

*ઢસરડા ઓછા કરો અને વિચારો...*

એક ગાડીમાં ડિઝલ ખુટી ગયું એટલે ત્રણ કી.મી. ધક્કા મારી મારીને બધાં પેટ્રોલ પંપ પહોંચ્યાં...

વડીલ : સાંભળ, ટાંકી ફુલ કરાવી લેજે અને ડેકીમાં એક કેન પડ્યો હશે એ પણ ભરાવી જ લેજે...

યુવાન : પણ એ કેન તો ફુલ ભરેલો છે...

વડીલ : તો ધક્કા કેમ મરાવ્યા...???_ 
એને વાપરી નંખાય ને...!!_

યુવાન : અરે, એ તો ઇમરજન્સી માટે રાખ્યો છે ને...!!!

મિત્રો...

રોજિંદા જીવન દરમ્યાન આપણે પણ આવું જ કરીએ છીએ...!!!

કમાવા પાછળની દોટ...

ભેગું કરવાનો શોખ અથવા ઘેલછા...

ખરાબ સમયે કામ આવશે એવી ધારણાઓ માટે...

એટલાં બધા ઢસેડા કરીએ છીએ કે...

જીવનની સાચી રાઇડ માણી જ શકતાં નથી...

માટે જ મિત્રો...

આનંદથી જીવી લો...

મોજ કરો...

જીવન જીવી જાણો...

ફરી પાછો મહામુલો મનુષ્ય અવતાર...

મળે કે ન પણ મળે... !!_

*નિરાતે વિચારી જોજો....
જીવનની જીવવાની જડીબુટી*
  
👉 શું આપણે બિલ્ડરો અને ઇન્ટિરિયર ડિઝાઇનર્સ, કેટરર્સ અને ડેકોરેટર્સને પૈસા ચૂકવવા માટે જ કમાઇ રહ્યા છીએ?
👉 આપણા અતિ મોંઘા ઘર, સારું ફર્નિચર અને ખર્ચાળ લગ્નોથી આપણે કોને પ્રભાવિત કરવા માગીએ છીએ?

👉 શા માટે આપણે આપણા જીવનના અતિ મહત્વના વર્ષોમાં કૂતરાની જેમ કામ કરીએ છીએ?

👉 આપણે કેટલી પેઢીઓને ખવડાવવા માંગીએ છીએ?

👉 આપણામાંના દરેકને બે બાળકો છે. ઘણાને એક જ બાળક હોય છે.

👉 "જરૂરિયાત" કેટલી છે અને આપણને ખરેખર "જોઈએ" છે કેટલું ? એના વિશે વિચારો.

👉 શું આપણી આવનારી પેઢી કમાવવા માટે અસમર્થ હશે, જેથી આપણે તેમના માટે ખૂબ બચત કરીશું ?

👉 શું આપણે મિત્રો, કુટુંબ અને સ્વયં માટે અઠવાડિયામાં એક દિવસ કાઢી શકતા નથી ??

👉 શું તમે તમારી માસિક આવકનો માત્ર 5% હિસ્સો પણ તમારા આત્માના આનંદ માટે ખર્ચ કરો છો?
સામાન્ય રીતે ... ના.

👉 આપણે કમાવા સાથે આનંદ કેમ કરી શકતા નથી?

👉 તમારા હૃદયમાં કોલેસ્ટરોલ બ્લોક્સ કે મણકાની ગાદી ખસી જાય તે પહેલાં આનંદ કરવા માટે સમય ફાળવો.

👉 આપણી પાસે સંપત્તિ નથી, અમારી પાસે દસ્તાવેજો પર માત્ર ટેમ્પરરી નામ છે.
ભગવાન કટાક્ષરૂપે હસે છે, જ્યારે કોઈ કહે છે,
"હું આ જમીનનો માલિક છું" !!

👉 શ્રીમંત બનવું ખરાબ નથી, પરંતુ માત્ર ખૂબ ધનવાન હોવું જ અયોગ્ય છે.

👉 ચાલો, જીવી લઈયે, જીવન પૂરું થાય એ પહેલા...

👉 એક દિવસ, આપણે બધા એકબીજાથી અલગ થઈશું; દિવસો, મહિનાઓ, વર્ષો વીતી જશે, એક દિવસ આપણા બાળકો આપણા ચિત્રો જોશે અને પૂછશે 'આ લોકો કોણ છે?' અને અમે અદ્રશ્ય આંસુઓથી હસીશું કારણ કે હૃદયને જોરદાર શબ્દથી સ્પર્શ કરવામાં આવે છે અને તમે કહો છો: 'તે મારા જીવન સાથેનો શ્રેષ્ઠ દિવસો હતા’

*આ તમારા બધા મિત્રોને મોકલો જે તમે ક્યારેય ભૂલશો નહી*

આને તે લોકોને મોકલો જેમણે તમને કોઈપણ રીતે સ્મિત આપ્યું છે.

*મારા જીવનમાં થોડો સમય મને સ્મિત સાથે ફાળવવા બદલ..Thanks

🙏🙏

28 ઑક્ટો, 2020

सनातन संस्कृति


,एक पंडितजी को नदी में तर्पण करते देख एक फकीर अपनी बाल्टी से पानी गिराकर जाप करने लगा कि..

"मेरी प्यासी गाय को पानी मिले।"

पंडितजी के पूछने पर उस फकीर ने कहा कि... 

जब आपके चढाये जल और भोग आपके पुरखों को मिल जाते हैं तो मेरी गाय को भी मिल जाएगा.

इस पर पंडितजी बहुत लज्जित हुए।"

यह मनगढंत कहानी सुनाकर एक इंजीनियर मित्र जोर से ठठाकर हँसने लगे और मुझसे बोले कि - 

"सब पाखण्ड है जी..!"

शायद मैं कुछ ज्यादा ही सहिष्णु हूँ... 

इसीलिए, लोग मुझसे ऐसी बकवास करने से पहले ज्यादा सोचते नहीं है क्योंकि, पहले मैं सामने वाली की पूरी बात सुन लेता हूँ... उसके जबाब उसे जबाब देता हूँ.

खैर... मैने कुछ कहा नहीं ....

बस, सामने मेज पर से 'कैलकुलेटर' उठाकर एक नंबर डायल किया... 
और, अपने कान से लगा लिया. 

बात न हो सकी... तो, उस इंजीनियर साहब से शिकायत की.

इस पर वे इंजीनियर साहब भड़क गए.

और, बोले- " ये क्या मज़ाक है...??? 'कैलकुलेटर' में मोबाइल का फंक्शन भला कैसे काम करेगा..???"

तब मैंने कहा.... तुमने सही कहा...
वही तो मैं भी कह रहा हूँ कि.... स्थूल शरीर छोड़ चुके लोगों के लिए बनी व्यवस्था जीवित प्राणियों पर कैसे काम करेगी ???

इस पर इंजीनियर साहब अपनी झेंप मिटाते हुए कहने लगे- 
"ये सब पाखण्ड है , अगर ये सच है... तो, इसे सिद्ध करके दिखाइए"

इस पर मैने कहा.... ये सब छोड़िए
और, ये बताइए कि न्युक्लीअर पर न्युट्रान के बम्बारमेण्ट करने से क्या ऊर्जा निकलती है ?

वो बोले - " बिल्कुल ! इट्स कॉल्ड एटॉमिक एनर्जी।"

फिर, मैने उन्हें एक चॉक और पेपरवेट देकर कहा, अब आपके हाथ में बहुत सारे न्युक्लीयर्स भी हैं और न्युट्रांस भी...!

अब आप इसमें से एनर्जी निकाल के दिखाइए...!!

साहब समझ गए और तनिक लजा भी गए एवं बोले-
"जी , एक काम याद आ गया; बाद में बात करते हैं "

कहने का मतलब है कि..... यदि, हम किसी विषय/तथ्य को प्रत्यक्षतः सिद्ध नहीं कर सकते तो इसका अर्थ है कि हमारे पास समुचित ज्ञान, संसाधन वा अनुकूल परिस्थितियाँ नहीं है ,

इसका मतलब ये कतई नहीं कि वह तथ्य ही गलत है.

क्योंकि, सिद्धांत रूप से तो हवा में तो हाइड्रोजन और ऑक्सीजन दोनों मौजूद है..
फिर , हवा से ही पानी क्यों नहीं बना लेते ???

अब आप हवा से पानी नहीं बना रहे हैं तो... इसका मतलब ये थोड़े ना घोषित कर दोगे कि हवा में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन ही नहीं है.

हमारे द्वारा श्रद्धा से किए गए सभी कर्म दान आदि आध्यात्मिक ऊर्जा के रूप में हमारे पितरों तक अवश्य पहुँचते हैं.

इसीलिए, व्यर्थ के कुतर्को मे फँसकर अपने धर्म व संस्कार के प्रति कुण्ठा न पालें...!

और हाँ...

जहाँ तक रह गई वैज्ञानिकता की बात तो....

क्या आपने किसी भी दिन पीपल और बरगद के पौधे लगाए हैं...या, किसी को लगाते हुए देखा है?
क्या फिर पीपल या बरगद के बीज मिलते हैं ?
इसका जवाब है नहीं....

ऐसा इसीलिए है क्योंकि... बरगद या पीपल की कलम जितनी चाहे उतनी रोपने की कोशिश करो परंतु वह नहीं लगेगी.

इसका कारण यह है कि प्रकृति ने यह दोनों उपयोगी वृक्षों को लगाने के लिए अलग ही व्यवस्था कर रखी है.

जब कौए इन दोनों वृक्षों के फल को खाते हैं तो उनके पेट में ही बीज की प्रोसेसिंग होती है और तब जाकर बीज उगने लायक होते हैं.

उसके पश्चात कौवे जहां-जहां बीट करते हैं, वहां वहां पर यह दोनों वृक्ष उगते हैं.

और... किसी को भी बताने की आवश्यकता नहीं है कि पीपल जगत का एकमात्र ऐसा वृक्ष है जो round-the-clock ऑक्सीजन (O2) देता है और वहीं बरगद के औषधि गुण अपरम्पार है.

साथ ही आप में से बहुत लोगों को यह मालूम ही होगा कि मादा कौआ भादो महीने में अंडा देती है और नवजात बच्चा पैदा होता है.

तो, इस नयी पीढ़ी के उपयोगी पक्षी को पौष्टिक और भरपूर आहार मिलना जरूरी है...

शायद, इसलिए ऋषि मुनियों ने कौवों के नवजात बच्चों के लिए हर छत पर श्राघ्द के रूप मे पौष्टिक आहार की व्यवस्था कर दी होगी.

जिससे कि कौवों की नई जनरेशन का पालन पोषण हो जाये......

इसीलिए.... श्राघ्द का तर्पण करना न सिर्फ हमारी आस्था का विषय है बल्कि यह प्रकृति के रक्षण के लिए नितांत आवश्यक है.

साथ ही... जब आप पीपल के पेड़ को देखोगे तो अपने पूर्वज तो याद आएंगे ही क्योंकि उन्होंने श्राद्ध दिया था इसीलिए यह दोनों उपयोगी पेड़ हम देख रहे हैं.

अतः.... सनातन धर्म और उसकी परंपराओं पे उंगली उठाने वालों से इतना ही कहना है कि.... 
जब दुनिया में तुम्हारे ईसा-मूसा-भूसा आदि का नामोनिशान नहीं था...

उस समय भी हमारे ऋषि मुनियों को मालूम था कि धरती गोल है और हमारे सौरमंडल में 9 ग्रह हैं.

साथ ही... हमें ये भी पता था कि किस बीमारी का इलाज क्या है...
कौन सी चीज खाने लायक है और कौन सी नहीं...?

देश की आजादी के बाद 70 वर्षों में इन्हीं बातों को अंधविश्वास और पाखंड साबित करने का काम हुआ है। अब धीरे-धीरे सनातन संस्कृति पुनर्जीवित हो रही है ।

दाने दाने पर लिखा है खाने वाले का नाम


*दाने दाने पर लिखा है खाने वाले का नाम*
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

*'एक' सेठ जी भगवान "कृष्ण" जी के परम भक्त थे। निरंतर उनका जाप और सदैव उनको अपने दिल में बसाए रखते थे।*
🪔
*वो रोज स्वादिष्ट पकवान बना कर कृष्ण जी के मंदिर मे जाते थे अपने कान्हा जी को भोग लगाने। घर से तो सेठ जी निकलते पर रास्तें में ही उन्हें नींद आ जाती और उनके द्वारा बनाए हुए पकवान चोरी हो जाते।*
😳
*सेठ जी बहुत दुखी होते और कान्हा जी से शिकायत करते हुये कहते*
🙏
*हे_राधे हे_ मेरे कृष्ण*

*ऐसा क्यूँ होता हैं,मैं आपको भोग क्यू नही लगा पाता हूँ?*

*कान्हा जी, सेठ जी को कहते हे_वत्स दानें_दानें पे लिखा हैं खाने वाले का नाम, वो मेरे नसीब में नही हैं, इसलिए मुझ तक नही पहुंचता।*
 
*सेठ थोड़ा गुस्सें से कहते हैं ऐसा नही हैं, प्रभु। कल मैं आपको भोग लगाकर ही रहूंगा आप देख लेना, और सेठ चला जाता हैं। कान्हा जी मुस्कुराते हैं और कहते हैं, ठीक है।*

*दूसरे दिन सेठ सुबह_सुबह जल्दी नहा धोकर तैयार हो जाता हैं और अपनी पत्नी से चार डब्बें भर बढिया बढिया स्वादिष्ट पकवान बनाते हैं और उसे लेकर मंदिर के लिए निकल पड़ता हैं।*

*सेठ डिब्बे पकड़ कर चलता है, रास्तें भर सोचता हैं, आज जो भी हो जाए सोऊगा नही कान्हा को भोग लगाकर रहूंगा।*

*मंदिर के रास्तें में ही उसे एक भूखा बच्चा दिखाई देता है और वो सेठ के पास आकर हाथ फैलातें हुये कुछ देने की गुहार लगाता हैं।*

 *सेठ उसे ऊपर से नीचे तक देखता हैं। एक 5-6 साल का बच्चा हड्डियों का ढाँचा उसे उस पर तरस आ जाता हैं और वो एक लड्डू निकाल के उस बच्चें को दे देता हैं।*

*जैसे ही वह उस बच्चें को लड्डू देता हैं, बहुत से बच्चों की भीड़ लग जाती हैं ना जाने कितने दिनो के खाए पीए नही, सेठ को उन पर करूणा आ जाती है।*

*सेठ जी सब को पकवान बाँटने लगते हैं, देखते ही देखते वो सारे पकवान बाँट देते हैं। फिर उसे याद आता हैं,आज तो मैंने राधें जी कान्हा जी को भोग लगाने का वादा किया था।*

*सेठ सोचते हैं कि मंदिर पहुंचने से पहले ही मैंने भोग खत्म कर दिया, अधूरा सा मन लेकर वह मंदिर पहुँच जाते हैं, और कान्हा की मूर्ति के सामने हाथ जोड़े बैठ जाते हैं।*

*"कान्हा प्रकट होते हैं और सेठ को चिढ़ाते हुये कहते हैं, लाओ जल्दी लाओ मेरा भोग मुझे बहुत भूख लगी हैं, मुझे पकवान खिलाओं।*

*सेठ सारी बात कान्हा को बता देते हैं। कान्हा मुस्कुराते हुए कहते हैं, मैंने तुमसे कहा था ना, दानें_दानें पर लिखा हैं खानें वाले का नाम, जिसका नाम था उसने खा लिया तुम क्यू व्यर्थ चिंता करते हो।*
 
*सेठ कहता हैं, प्रभु मैंने बड़े अंहकार से कहा था, आज आपको भोग लगाऊंगा पर मुझे उन बच्चों की करूणा देखी नही गयी, और मैं सब भूल गया।*

*कान्हा फिर मुस्कुराते और कहते हैं, चलो आओ मेरे साथ, और सेठ को उन बच्चों के पास ले जाते हैं जहाँ सेठ ने उन्हें खाना खिलाया था और सेठ से कहते हैं जरा देखो, कुछ नजर आ रहा हैं।*

*"सेठ" की ऑखों से ऑसूओं का सैलाब बहने लगता हैं, स्वंय बाँके बिहारी लाल, उन भूखे बच्चों के बीच में खाना के लिए लड़ते नजर आते हैं।*

*कान्हा जी कहते हैं वही वो पहला बच्चा हैं जिसकी तुमने भूख मिटाई, मैं हर जीव में हूँ, अलग अलग भेष में, अलग अलग कलाकारी में, अगर तुम्हें लगें मैं ये काम इसके लिए कर रहा था, पर वो दूसरे के लिए हो जाए, तो उसे मेरी ही इच्छा समझना, क्यूकि मैं तो हर कही हूँ।*

 *बस दानें नसीब की जगह से खाता हूँ, जिस जिस जगह नसीब का दाना हो वहाँ पहुँच जाता हूँ। फिर इसको तुम क्या कोई भी नही रोक सकता। क्यूकि नसीब का दाना, नसीब वाले तक कैसे भी पहुँच जाता हैं, चाहें तुम उसे देना चाहों या ना देना चाहों अगर उसके नसीब का हैं, तो उसे प्राप्त जरूर होगा।*

*"सेठ" कान्हा के चरणों में गिर जाते हैं,*

*और कहते हैं आपकी माया, आप ही जानें, प्रभु मुस्कुराते हैं और कहते हैं कल मेरा भोग मुझे ही देना दूसरों को नही, प्रभु और भक्त हंसने लगते हैं!!*

*"आप लोगो के भी साथ ऐसा कई बार हुआ होगा मित्रों, किसी और का खाना, या कोई और चीज किसी और को मिल गयी, पर आप कभी इस पर गुस्सा ना करें, ये सब प्रभु की माया हैं, उसकी हर इच्छा में उनका धन्यवाद करे।।*
🌹🌹* श्री राधे राधे *🌹🌹

9. પાદર

      


     પાદર

                 લેખક: ડૉ. કિશોરસિંહ સોલંકી
અભ્યાસ

નીચેના પ્રશ્નોના ઉત્તર આપો ?

(1) ગામના ગોંદરે શું - શું આવેલું છે ? ગામને ગોંદરે વિશાળ બે વડ, પીપળો અને લીમડાના વૃક્ષો આવેલા છે. ગોંદરાની પાસે એક કૂવો અને એક હવાડો આવેલો છે. ગોંદરાની વચ્ચે ઝીણી ઝીણી રેતી છે.

(2) સાહેબને આવતા જોઈ છોક્સ શું જતાં? 
જ.સાહેબને આવતા જોઈને યુદ્ધભૂમિના સૈનિકોની જેમ વડની વડવાઈઓ કે ખોદેલા ખાડાઓમાં છોકરાં લપાઈ જતાં. સાહેબની જબરી ધાક હતી. તે જોઈ જાય તો છોકરાનું આવી જ બને. 


(3) ગોદરું ગામનું નાક કેમ કહેવાય છે ? જ.કોઈ પણ ગામ કેવું છે એ એના ગોંદરા પરથી જ પરખાઈ જાય. ગોદરામાં તો આખા ગામનાં માણસો, ઢોર, કુતરા અને પશુ-પંખીઓના પગલાં જોવા મળે. સારા માઠા પ્રસંગે ગોંદરે આખું ગામ ભેગું થાય, પાણિયારીઓ ગોંદરે ઊભી રહી વાતો કરે, યુવાનો જતાં આવતાં મૂછ મરડતા જાય, આમ, ગોંદરું ગામનું નાક કહેવાતું. -

 (4) ઉનાળાના બપોરે ગોદરું કઈ રીતે ઉપયોગી બને છે ? 
જ.ઉનાળામાં, બળબળતા બપોરની ગરમીમાં ગોંદરું સૌને (પશુ પંખી અને માણસોને) ઉપયોગી બનતું. એના શીતળ છાંયે સૌ કોઈને ઠંડક મળતી, બપોરે તેમજ રાત્રે પણ સૌ ગોંદરે ભેગા થતા. ચાંદનીમાં ચળકતી રેતને માણવાનો આનંદ અનેરો રહેતો. ગોદરુ ગ્રામજનો માટે એરકન્ડિશન -ની ગરજ સારતું.

 (5) ચોમાસાની ઋતુ સમયના ગોંદરાનું વર્ણન કરો. 
જ.વર્ષારાણી તો ગામડાંનો પ્રાણ છે. વરસાદ આવતાંની સાથે જ આખા ગામને નવડાવતાં-ધોતાં નેવાંનાં પાણી ગોંદરે ભેગાં થઈ જાય. ત્યાંથી સીધા જ તળાવમાં જય, ખળખળ જતા પાણીને જોવાનો લ્હાવો હતો. ગોંદરાના વૃક્ષોને અથડાઈને પાણી પાછું પડતું, આજુબાજુની વાડ સાથે અથડાતું, ગામના કચરાને ઢસડી જતું કે વડવાઇઓમાં અટવાઈ જતું પાણી જોવાનો સૌને આનંદ આવતો.

સ્વાધ્યાય

1. નીચેના પ્રશ્નોનાં ઉત્તર આપો !

(1) લેખકે ગામના પાદરમાં ઉજવાતા કયા ક્યા પ્રસંગોની વાત કરી છે ?

જ.ગામનો મેળો પાદરમાં ભરાય છે. સારા-માઠા પ્રસંગે આખું ગામ ગામના પાદરે ભેગું થાય છે. આસો સુદ પાંચમની રાતથી ભવાઈના શ્રીગણેશ થાય. કેટલીક જ્ઞાતિઓની પંચાત પણ પાદરે ભરાતી. આ ગામના પાદરે લગ્ન પ્રસંગો પણ ઊજવાતા.

(2) લેખકે ગામના પાદરમાં રમાતી કઈ કઈ રમતોની વાત કરી છે ? 
જ.લેખકે ગામના પાદરમાં હુતુતુતુ કે આટાપાટાની રમત, આંબલી-પીપળીની રમત, કુસ્તી, ભૂસકા મારવા, વડની વડવાઈઓનાં હીંચકા બનાવીને હીંચવાની રમત વગેરે રમતોની વાત કરી છે. '
 (૩) લેખક વરસાદનો આનંદ કઈ રીતે માણે છે ? 
જ.વરસાદ આવતાંની સાથે ખળખળ જતાં પાણીમાં લેખક રમવાનો, ભૂસકાં મારવાનો આનંદ માણtતાં, તેનો મિત્રો સાથે વરસાદમાં ખૂબ પલળતાં. પલળવાનો રોમાંચ માણતા, વરસાદના પાણીને જોવાનો પણ આનંદ ઉઠાવતા.

(4) ગામનું પાદર કઈ કઈ બાબતોનું સાક્ષી છે ? 
જ.ગામના પાદરે ધીંગાણા મંડાણા છે. લાકડીઓ, ધારિયાં અને તલવારો ઊછળી છે. ઢોલ ધ વે ધ્રબૂક્યા છે. સરકારી લફરાં થયા છે. પેઢીઓની પેઢીઓ ગોંદરેથી પસાર થઈ ગઈ છે. ગોંદરે ઘણી તડકી છાંયડી જોઈ છે. ગોદરુ ગામની જહોજલાલી અને એની ચડતી-પડતીનું સાક્ષી છે.

(5) ગામના પાદરમાં આવેલા પરિસ્વર્તનથી લેખક શી લાગણી અનુભવે છે ?
જ. ગામને પાદર ગઈકાલ જેવું સુંદર અને હર્યુંભર્યું આજે લેખકને લાગતું નથી. ગામના પાદરને કાળોતરો ડંખી ગયો હોય અને પાદરને માથે કાળાં કાળાં શીંગડાં ઊગી ગયા હોય તેવું લેખકને લાગે છે. આજે લેખક વતનમાં જાય છે. ત્યારે લેખક તેના બાળપણના સમયના પાદરને શોધે છે પણ કહેવાની જરૂર નથી કે લેખકને નિરાશા સાંપડે છે. ગામમાં આવેલા પરિવર્તનથી લેખકે દુઃખની લાગણી અનુભવે છે.

 નીચેના પ્રશ્નોના ઉત્તર આપો:

(1) તમારા ગામના પાદરમાં કે મહોલ્લામાં ક્યા પ્રસંગોની ઉપથી થાય છે ?
જ. અમારા ગામના પાદરમાં નવરાત્રિ-દશેરા જેવા તહેવારોની, ભવાઈ-નાટક જેવા સાંસ્કૃતિક કાર્યક્રમોની, રામાયણ, ભગવર્કથા જેવાં ધાર્મિક કાર્યક્રમોની, જુદા-જુદા મેળાઓ તથા લગ્નપ્રસંગની ઉજવણી થાય છે.

(2) તમારા ગામના પાદરમાં કે મહોલ્લામાં તમે કઈ કઈ મતો રમો છે ? 
જ.ગામના પાદરે અમે કબરી, ખો-ખો, ગિલ્લીદંડા, ક્રિકેટ, પકડદાવ, આમલી-પીપળી, સંતાકૂકડી, સાતોડીયું વગેરે રમતો રમીએ છીએ.

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25 ઑક્ટો, 2020

एक अचूक मंत्र- गांधीजी

मैं आपको एक मन्त्र देता हुं । जब कभी आप दुविद्या में हों या आपको अपना स्वार्थ प्रबल होता दिखाई दे तो यह नुस्खा आजमाकर देखिएगा। 
आपके मन की आंखो के सामने कीसी एक गरीब. और असहाय व्यकित का चहेरा लाईए जीसे आप जानते हो और अपने आपसे पुछीए की आपकी करनी उसके कीस काम आयेगी ? कया उसे कुछ लाभ होगा ? कया उस काम से अपना जीवन और भविष्य बनाने में कुछ मदद मिलेगी दुसरे मानो में कया आपकी करनी हमारे देश के लाखो , करो भूखे नंगे लोगो को स्वराज की राह दिखायेगी?
 बस ईतना सोचते ही आपकी सारी दुविद्या दुर हो जायेगी और स्वार्थ पीगलकर बह जायेगा ।
                                     - मो. क. गांधी

23 ઑક્ટો, 2020

GK ક્વિઝ

🌟ગુજરાતના કયા પર્વતની આકા૨ સુતેલા શિવના મુક જેવો છે? 
ગિરનાર

🌟વડનગરનું કીર્તિ તોરણ બીજા કયા નામે ઓળખાય છે? 
નરસિંહ મહેતાની ચોરી

🌟ગુજરાતના ગામોમાં મોવીસ કલાક વીજળી કઈ યોજના હમ આપવામાં આવે છે? 
જ્યોતિગ્રામ યોજના

🌟ગુજરાતનું સૌથી મોટું ખનીજ ક્ષેત્ર માં આવેલું છે?
અંકલેશ્વર

🌟ગુજરાતમાં સૂર્ય ઊર્જા થી રાત્રિ પ્રકાશ મેળવતું ગામ કયું છે?
મેથાણ

🌟ગુજરાતનું રાજયપણી ક્યું છે?
 સુરખાબ (ફલેમિંગો)

🌟ગુજરાતનો સૌથી નાનો જિલ્લો કયો છે?ગાંધીનગર


🌟ગુજરાતમાં તાત્કાલિક સારવાર મળી રહે તે માટે કઇ સરકારી વાહન સેવા કાર્યરત છે ?
108


🌟ગુજરાતમાં તમાકુનો સૌથી વધુ પાક ક્યા વિસ્તારમાં લેવાય છે? 
ચરોતર

🌟વિશ્વભરની કલાત્મક કોતરણીમાં સ્થાન પામેલી સીદી સૈયદની જળી ગુજરાતના ક્યા શહેરમાં આવેલી છે? 
અમદાવાદ

🌟નરસિહ મહેતાનું જન્મસ્થળ ક્યું? 
તળાજા (જૂનાગઢ)

🌟દુનિયાની સૌથી મોટી રિફાઇનરી ગુજરાતમાં ક્યાં આવેલી છે? 
જામનગર

🌟પવિત્ર નારાયણ સરોવર ક્યાં આવેલું છે? કચ્છ

🌟ઈરાનથી આવીને પારસીઓએ ગુજરાત ના ક્યા શહેરમાં વસવાટ કર્યો? વલસાડ (ઉદવાડા)


🌟કન્યાકેળવણીને પ્રોત્સાહન આપવા માટે ગુજરાતમાં કઈ યોજના કાર્યરત છે? 
વિદ્યાલક્ષ્મી બોન્ડ

22 ઑક્ટો, 2020

બોધ કથા:-સંયમ ની કિંમત

તુર્કસ્તાનમાં જાકીર નામનો એક ફકીર થઈ ગયો. તે નદીના કિનારે ઝૂંપડી બનાવટ રહેતો હતો. 
એક દિવસ નદીમાંએક સફરજન તણાઈને આવી રહ્યું હતું. જાકીરે તેને લઇ લીધું. તે એને ખાવા જતો હતો એટલામાં જ તેના અંતઃકરણમાંથી અવાજ આવ્યો કે ફકીર, શું આ સફરજન તારી માલિકીનું છે ? શું તે મહેનત કરીને તેને પકવ્યું છે? જો મહેનત કરી હોય તો એ ખાવાનો તને અધિકાર નથી. તેણે સફરજનતેની ઝોળીમાં નાંખી દીધું અને તેના માલિકની શોધમાં નદીની ઉપરવાસ તરફ ચાલી નીકળ્યો. તે થોડા આગળ ગયો ત્યાં સફરજનનો એક બગીચો હતો. સફરજનનાં કેટલાંક વૃક્ષોની ડાળીઓ નદીના પાણી પર ઝૂકી ગઇ હતી. ફકીરને લાગ્યું કે આ સફરજન અહીંથ
 જ તૂટીને પડ્યું હશે.
 તેણે બાગના માળીને કહ્યું કે લો, આ તમારું સફરજન. તે નદીના પાણીમાં વહી ગયું હતું. તે માળીએ કહ્યું કે હું તો આ બગીચાનો માત્ર રખેવાળ છું. તેનો માલિક તો બુખારાની રાજકુમારી છે. ફકીર ત્યાંથી બુખારા જવા રવાના થયો. કેટલાય દિવસનો પગપા‌‌ળા પ્રવાસ કર્યા પછી તે બુખારા પહોંચ્યો અને રાજકુમારીને તે સફરજન આપવા લાગ્યો. રાજકુમારી એ  હસીને કહ્યું કે અરે! તમારે ત્યાંજ ખાઈ જવું હતું કે, અહીં સુધી લાવવા શી જરૂર ? ફકીરે કહ્યું કે રાજકુમારીજી ! તમારા માટે એક સફરજનની કોઈ કિંમત નથી, પરંતુ જો મે તે તેના માલિકને પાછું ન આપ્યું હોત અને હું ખાઈ ગયો હોત તો માત્ર સંયમ નષ્ટ થઈ ગયો હોત.
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બીરબલ ની યુક્તિ


અભ્યાસ

નીચેના પ્રશ્નોના ઉત્તર આપો :

(1) રાજ્ય પર ક્યા રાજાએ ચડાઈ કરી ?

જ.રાજ્ય પર બુંદેલખંડના રાજાએ ચડાઈ કરી. 
(2) બુંદેલખંડનો રાજા પરત કેમ ફર્યો ?

જ.બાદશાહ જાતે જ લશ્કર ને લઈ રણમેદાન તરફ આવે છે, એવા સમાચાર મળતાં બુંદેલખંડનો રાજા અધે રસ્તેથી જ પરત ફર્યો.
(3) બેગમ બાદશાહને શુ સમાચાર આપ્યા ?
જ.બાદશાહ ભૂખ લાગી હતી. બાદશાહ પાટલા પર જમવા બેઠા ત્યાં બેગમાં પોતાના ભાઈ ને સાપ કરડી ગયો છે તે સમાચાર આપ્યાં.
( 4 ) ઝાડુવાળાએ પોતાને થયેલી સજા બાબતે રાજાને શું કહ્યું ? 
જ. પોતાને થયેલી સજા બાબતે રાજાને કહ્યું કે , “ આપે કરેલી સજા માટે તો મારે કશું જ કહેવાનું નથી . પણ ગઈકાલે સવારે જેમ આપે મારું મોઢું જોયું હતું તેમ મેં આપનું મોઢું જોયું હતું . તેથી મારે તો કેદખાને પડવાનું થયું અને આજે ફાંસીએ ચડવાનું થયું . તો આપ જ ન્યાય કરો કે આપણા બેમાં વધારે અપશુકનિયાળ કોણ? અને જો ન્યાયાધીશ મને ફાંસીની સજા કરશે તો આપને એ કઈ સજા કરશે ? ”

         સ્વાધ્યાય  
નીચેના પ્રશ્નોના ઉત્તર આપો : 
( 1 ) બાદશાહને પોતાનો દહાડો બગડશે એવું કેમ લાગ્યું ?
જ. એક દિવસ બાદશાહે સવારમાં ઊઠી મહેલના ઝરૂખાની નીચે નજર કરી જોયું તો એક નોકર ઝાડુથી ચોગાન વાળી રહ્યો હતો. નોકરે પોતાનું મોં છુપાવવાની કોશિશ કરી એમ છતાં બાદશાહની નજર એના પર પડી ગઈ . તેથી બાદશાહને થયું કે સવારના પહોરમાં આ માણસનું મોં જોયું તેથી અપશુકન થયા , આજનો દિવસ ચોક્કસ બગડવાનો . 
( 2 ) શિરામણ સમયે સેનાપતિએ શા સમાચાર આપ્યા
જ.દાતણપાણી કરી બાદશાહ શિરામણમાં કોળિયો હાથમાં લે છે ત્યાં તો સેનાપતિએ આવીને સમાચાર આપ્યા , પાસેના બુંદેલખંડનો રાજ લશ્કર લઈ ચડી આવ્યો છે . 
( ) સાંજે જમતી વખતે રાજા કેમ ગુસ્સે થયા ?
જ. સાંજે જમતી વખતે , બાદશાહ જેવો કોળિયો ભરવા જાય છે , તેવામાં જ એક ગરોળી ટપ કરતી એમની થાળીમાં પડી . આજે સવારથી જમતી વખતે આવું જ કંઈ ને કંઈ બન્યા કર્યું હોવાથી બાદશાહ ગુસ્સે થયા .
 ( 4 ) રાજાના દર્શન કરતી વખતે ઝાડુવાળાએ શું કહ્યું ?
જ. રાજાના દર્શન કરતી વખતે ઝાડુવાળાએ કહ્યું : “ આપે કરેલી સજા માટે તો મારે કશું જ કહેવાનું નથી . પણ ગઈ કાલે સવારે જેમ આપે મારું મોઢું જોયું હતું તેમ મેં આપનું મોઢું જોયું હતું . તેથી મારે તો કેદખાને પડવાનું થયું અને આજે ફાંસીએ ચડવાનું થયું . તો આપ જ ન્યાય કરો કે આપણા બેમાં વધારે અપશુકનિયાળ કોણ ? અને જો ન્યાયાધીશ મને ફાંસીની સજા કરશે તો આપને એ કઈ સજા કરશે ?
 ( 5 ) અંતે રાજાએ પોતાનો ખોટો વહેમ શું કહી ને દૂર ક્યો
જ.અંતે રાજાએ કહ્યું : “ એની વાત સાચી છે . શુકન - અપશુકનનો ખોટો વહેમ રાખીને એ બિચારાને હું અન્યાય કરી બેસત . જે થયું તે સારું થયું . એને છોડી દો અને સરપાવ આપી માનભેર ઘેર પહોંચાડી દો . ” આમ કહી રાજાએ પોતાનો ખોટો વહેમ દૂર કર્યો .

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 નીચેના શબ્દસમૂહો માટે એ એક શબ્દ આપોઃ 
( 1 ) નાતનો માણસ- નાતીલો
( 2 ) રાતનું ભોજન-વાળું
 ( 3 ) જેના શુકન ખરાબ ગણાતા હોય તેવું -અપશુકનિયાળ
( 4 ) બારી બહાર કાઢેલ ઝૂકતું બાંધકામ –   ઝરૂખો , છજું

 ( 5 ) સવારનો નાસ્તો - શિરામણ
 ( 6) ઝટપટ ન ઊકલી શકે તેવો પ્રશ્ન -કોયડો
( 7) કાળના જેવા મોં વાળું - કાળમુખું 
( 8 ) મુસ્લિમ ધર્મ મુજબ ખાટમાં શબ ગોઠવેલું હોય તે -મૈયત
 ( 9) શાબાશી બદલ અપાતો પોશાક -
સરપાવ 

          ***************
 
 નીચેના શબ્દોના સમાનાર્થી શબ્દો લખો: 
*ચતુરાઈ - ચાલાકી
*હાંફળેફાંફળું - બેબાકળું , ગભરાયેલું
 *ઇચ્છા - મરજી 
*રણમેદાન- રણભૂમિ , યુદ્ધભૂમિ 
*દિવસ- દિન , દહાડો 
*ઝરૂખો - છજું 
*કમનસીબ – કમભાગ્ય
 *કેદખાનું - જેલ
 *છેલ્લી -અંતિમ 
*સરપાવે -ઈનામ 
*વાળુ -રાત્રિભોજન 
*ઓસડ -ઔષધ 
    
       ************
  નીચેના શબ્દોના વિરુદ્ધાર્થી શબ્દો લખો
*જવાબ X સવાલ 
*ન્યાય Xઅન્યાય 
 *હલકો X ભારે 
*શુકન X અપશુકન 
*કમનસીબ X સદનશીબ
 *રાજા X રંક



19 ઑક્ટો, 2020

ફ્રાન્સના ઉત્તર પશ્ચિમી કાંઠે આવેલા મોન્ટ-સેટ-માઈકલ દ્વીપ

ફ્રાન્સના ઉત્તર પશ્ચિમી કાંઠે આવેલા મોન્ટ-સેટ-માઈકલ દ્વીપનું ઐતિહાસિક અને ભૌગોલિક મહત્વ છે. કાંઠાના વિસ્તારથી દરિયાઈ વિસ્તારમાં એક કિલોમીટર અંદરની તરફ આવેલા માઉન્ટ-સેન્ટ-માઈકલ દ્વિપનો જોડતો માર્ગ ભરતીના સમયે જળસમાધિ લઈ લે છે. કુદરતી પ્રક્રિયા અને કાળની થપાટો છતાં અડીખમ ઉભેલા મોન્ટ-સેટ-માઈકલ દ્વિપ કા વેસન નદીના મુખ પ્રદેશમાં સ્થિત છે, જે આગળ જતાં ઈગ્લિશ ચેનલની સાથે એકરૂપ બને છે. આ દ્વિપને યુનેસ્કોની વર્લ્ડ હેરિટેજ સાઈટમાં સ્થાન મળ્યું છે. ઐતિહાસિક મહત્વ ધરાવતા આ ક્રિપ વિસ્તારની મુલાકાતે મોટી સંખ્યામાં પ્રવાસીઓ આવતા હોય છે. તેમાં ય તેને સમુદ્રથી ઘેરાયેલી જોવાનો લહાવો જ કંઈક ઔર છે.

16 ઑક્ટો, 2020

हमारा राष्ट्रीय ध्वज- तिरंगा

हमारा राष्ट्रीय ध्वज- तिरंगा

हमारे देश का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा 
कहेलाता है ।
 इसमें तीन रंग होते हैं। केसरिया , सफेद और हरा ।
केसरिया रंग वीरता का प्रतीक होता है। सफेद रंग शांति का प्रतीक होता है।
हरा रंग खुशहाली का प्रतीक होता है । इसके बीच में नीले रंग का एक चक्र बना होता है। 
इसे अशोक चक्र कहते हैं इसमें 24 तीलियाँ होती हैं ।
यह चक्र में निरंतर आगे बढने की सीख देता है ।
 हमें तिरंगे का आदर करना चाहिए।

मूर्ति का मूल्य

प्राचीन समय कि बात है......
एक राजा कि नगरी में एक ज्ञानी मूर्तिकार आया ।
जिसके पास तीन एक हि नैन नक्श व आकार कि मूर्तियां थी ।
जब तीनों मूर्तियां दरबार में पेश कि गई तो राजा ने मूर्तिकार से
तीनो का मूल्य जानना चाहा ।
मूर्तिकार ने मूल्य कुछ इस प्रकार बताया........
१....कोई किमत नही मुफ्त में भी कोई ले सकता है
२... मात्र १ रुपया
३... अनमोल (कोई जितना भी दें कम हि है )
अब मूर्तिकार से मूल्य सुनकर राजा और सभी मंत्रिगण व
अनेकों सभागण चकित हो गये.....आखिर ऐसा क्यों
जबकि सभी वही मिट्टी वही मेहनत से बनी है ।
राजा ने मूर्तिकार से ऐसे मूल्यों का कारण पूछा
मूर्तिकार ने सहज भाव से कहा...
महाराज दिखने में एक जैसी इन मूर्तियों के भीतर
गुण तीनों के बहुत हि अलग-थलग है जो कि मैं इस
सभा में प्रत्यक्ष स्पष्ट करना चाहता हूँ आप आज्ञा दें
राजा ने जिज्ञासु होकर कहा..
अवश्य आप प्रमाणित करें ।
मूर्तिकार ने जल मंगवाया और पहली मूर्ति के कान
में जल डाला ।
जो कि दुसरे कान से बाहर निकल गया ।
मूर्तिकार ने कहा .... राजन ये मूर्ति किसी प्रकार से
मूल्यवान नही है ये सिर्फ मिट्टी का पूतला भर है
अब दुसरी मूर्ति के कान में जल डाला जो कि मुख से निकला
मूर्तिकार ने कहा...महाराज ये मूर्ति एक रूपये कि है
फिर तीसरी मूर्ति के कान में जल डाला जो कि उसके पेट
में चला गया ।
इस मूर्ति मेसे जल बाहर निकला हि नही मूर्तिकार ने कहा..
राजन ये मूर्ति अमूल्य है जिसका कोई भी कितना भी मोल
लगाया जाय या दिया जाय कम हि है ।
राजा ने कहा... आप कृपया अपनी बात स्पष्ट करें।
मूर्तिकार ने कहा....
महाराज ये मूर्तियां चरित्र दर्शाती है
जैसे...
कोई इंसान ज्ञान और शिक्षा को अपने एक कान से सुनकर
दुसरे कान से निकाल दे ,यानी अनसुना कर दे वो किसी
पशु के समान होता है उसका कोई मूल्य नही हो सकता ।
और जो इंसान ज्ञान शिक्षा को सुन कर खुद ग्रहण भले नही
करें , किसी और को बतादे तो वो प्रशंसा का पात्र है क्यों किसी
और तक ज्ञान पहुंचने का वो माध्यम जरुर बना और दुसरो को
लाभान्वित किया।
महाराज ..अब बारी आती है तीसरी मूर्ति कि जिसके जल कान से
निकला और ना हि मुह से जल इसके भीतर समा गया है
अर्थात...जो व्यक्ति ज्ञान शिक्षा को
अपने ह्रदय में ग्रहण करले वो देवतुल्य है और वो अपने इसी गुण
से अनमोल हो जाता है

15 ઑક્ટો, 2020

સૂકા કચ્છ માં ગાઢ જંગલ!

 ‘મિયાવાકી’ જંગલ એટલે શું?

 અકિરા મિયાવાકી નામના જાપાનના વનસ્પતિશાસ્ત્રી ઓછી જગ્યામાં વધુ વૃક્ષો લગાવી જંગલ ઉછેરવાની પદ્ધતિ વિકસાવી છે, સામાન્ય રીતે વૃક્ષો વાવતા વખતે બે વૃક્ષોની વચ્ચે તે સરખી રીતે વૃદ્ધિ પામી શકે તે માટે સારું એવું અંતર રાખવું પડતું હોય છે, પરંતુ ' મિયાવાકી' પદ્ધતિ માં માત્ર દોઢ કે બે ફૂટના અંતરે જ, નજીક-નજીક ઝાડ વાવવાના હોય છે. અહીં જે-તે સ્થાનિક, દેશી નસલના વૃક્ષો જ જવાતું હોય છે. તેથી તે સારી રીતે ઉછેરી શકે છે. સો ચો.મીટરમાં ૩૦૦થી ૫૦૦ જેટલાં નાનાં-મોટાં વૃક્ષો વાવી શકાય છે. જ્યારે સામાન્ય પદ્ધતિથી વાવેતર કરાય તો આટલી જ જગ્યામાં માત્ર ૧૦થી ૧૫ વૃક્ષોને વાવી શકાય છે. ‘મિયાવાકી’ જંગલ માં અલગ-અલગ જાતના, ઉંચાઈના વૃક્ષો એક સાથે વવાતા હોય છે. તેથી મલ્ટિ લેયર્ડ ફોરેસ્ટ બને છે. ઊંચા, સીધા, મધ્યમ અને નાના છોડ એમ અલગ-અલગ પ્રકારનાં વૃક્ષોનું વાવેતર કરાય છે. મોટા ની પાસે મધ્યમ, તેની પાસે નાનું એમ અલગ સાઇઝનાં વૃક્ષો એકબીજાની પાસે વાવવાના હોય છે. જ્યારે છોડ વાવતા હોઈએ ત્યારે રોપા લગભગ સરખા કદના હોવાથી શરૂઆતના તબક્કામાં તેમને વધવામાં કોઈ મુશ્કેલી પડતી નથી. વધુ સૂર્યપ્રકાશ મેળવવા ની હરીફાઈમાં તેની વૃદ્ધિ અન્ય પદ્ધતિ કરતાં વધુ ઝડપથી થાય છે, બે-ત્રણ વર્ષમાં તો મોટા ભાગનાં વૃક્ષ તેની પૂર્ણ ક્ષમતાએ વિકસી જાય છે. જંગલ ખૂબ ગીચ બને છે. સૂર્યકિરણ પણ તેમાં અંદર પહોંચી શકતા નથી. આથી જમીનમાં ભેજ જળવાઈ રહે છે,
 ઘાસ જેવા અન્ય નિંદામણ થતું નથી. વૃક્ષોનાં ખરતા પાન નું ખાતર ઝડપી બને છે. આ પ્રકારના વૃક્ષો સહેલાઈથી ઉછળી જય છે. જોકે વાવેતર પહેલાં થોડું ધ્યાન રાખવું પડે છે. જે જગ્યામાં વાવેતર કરવાનું હોય તે જગ્યાએ એક મીટર ખોદીને તેના માટી બહાર કાઢો અને તેનું ટેસ્ટિંગ કરીને માટીમાં ખૂટતાં તત્વો તેમાં ઉમેરવા પડે છે. જીવામૃત, ડાંગરનો પોપડા, ઘઉંના પૂળિયા, ડાંગરનો ભૂસું, કમ્પોસ્ટ, ગોબર, બાયોમાસ વગેરે માટીમાં મેળવી છે. પછી માટી પછી તેની જગ્યાએ નંખાય છે. પછી દોઢ-બે ફૂટના અંતરે નાના નાના ખાવા બનાવે છે, તેમાં કોકોપીટ પણ નંખાય છે. તેના છોડ વવાય છે. જરૂર પડે ત્યારે ટેકો આપવા પડે છે. તેને ખાતર કે જંતુનાશક દવાઓ પણ આપવી પડતી નથી. સંપૂર્ણ ઓર્ગેનિક એવું આ જંગલ દિવસ-રાત કાર્બન ડાયોક્સાઇડ શોષી ઓક્સિજન આપે છે. તે પક્ષીઓ, મધમાખી, પતંગિયા જેવા જીવો માટે તો અભયારણ્ય બની જાય છે. જૈવવિવિધતા વિકસી શકે. શરૂઆતમાં જે ખર્ચ થાય તે જ ત્યાર પછી આ જંગલ સંપૂર્ણપણે આત્મનિર્ભર બની જાય છે. આ પદ્ધતિમાં વૃા ક્ષોની લાંબો સમય દેખરેખ રાખવી પડતી નથી. તેને બે કે ત્રણ વર્ષ જ પાણી આપવું પડે છે, જેમાં નિંદામણ પણ કરવું પડતું નથી. આ પ્રકારના જંગલનાં વૃક્ષના મૂળિયાં ના કારણે માટી વહી જતી નથી તેમ જ જમીનમાં વરસાદી પાણી ઊંડે સુધી ઊતરી જાય છે, જેના કારણે જમીનમાં ભૂગર્ભ પાણીના સ્તર ઊંચે આવે છે.