28 ઑક્ટો, 2020

सनातन संस्कृति


,एक पंडितजी को नदी में तर्पण करते देख एक फकीर अपनी बाल्टी से पानी गिराकर जाप करने लगा कि..

"मेरी प्यासी गाय को पानी मिले।"

पंडितजी के पूछने पर उस फकीर ने कहा कि... 

जब आपके चढाये जल और भोग आपके पुरखों को मिल जाते हैं तो मेरी गाय को भी मिल जाएगा.

इस पर पंडितजी बहुत लज्जित हुए।"

यह मनगढंत कहानी सुनाकर एक इंजीनियर मित्र जोर से ठठाकर हँसने लगे और मुझसे बोले कि - 

"सब पाखण्ड है जी..!"

शायद मैं कुछ ज्यादा ही सहिष्णु हूँ... 

इसीलिए, लोग मुझसे ऐसी बकवास करने से पहले ज्यादा सोचते नहीं है क्योंकि, पहले मैं सामने वाली की पूरी बात सुन लेता हूँ... उसके जबाब उसे जबाब देता हूँ.

खैर... मैने कुछ कहा नहीं ....

बस, सामने मेज पर से 'कैलकुलेटर' उठाकर एक नंबर डायल किया... 
और, अपने कान से लगा लिया. 

बात न हो सकी... तो, उस इंजीनियर साहब से शिकायत की.

इस पर वे इंजीनियर साहब भड़क गए.

और, बोले- " ये क्या मज़ाक है...??? 'कैलकुलेटर' में मोबाइल का फंक्शन भला कैसे काम करेगा..???"

तब मैंने कहा.... तुमने सही कहा...
वही तो मैं भी कह रहा हूँ कि.... स्थूल शरीर छोड़ चुके लोगों के लिए बनी व्यवस्था जीवित प्राणियों पर कैसे काम करेगी ???

इस पर इंजीनियर साहब अपनी झेंप मिटाते हुए कहने लगे- 
"ये सब पाखण्ड है , अगर ये सच है... तो, इसे सिद्ध करके दिखाइए"

इस पर मैने कहा.... ये सब छोड़िए
और, ये बताइए कि न्युक्लीअर पर न्युट्रान के बम्बारमेण्ट करने से क्या ऊर्जा निकलती है ?

वो बोले - " बिल्कुल ! इट्स कॉल्ड एटॉमिक एनर्जी।"

फिर, मैने उन्हें एक चॉक और पेपरवेट देकर कहा, अब आपके हाथ में बहुत सारे न्युक्लीयर्स भी हैं और न्युट्रांस भी...!

अब आप इसमें से एनर्जी निकाल के दिखाइए...!!

साहब समझ गए और तनिक लजा भी गए एवं बोले-
"जी , एक काम याद आ गया; बाद में बात करते हैं "

कहने का मतलब है कि..... यदि, हम किसी विषय/तथ्य को प्रत्यक्षतः सिद्ध नहीं कर सकते तो इसका अर्थ है कि हमारे पास समुचित ज्ञान, संसाधन वा अनुकूल परिस्थितियाँ नहीं है ,

इसका मतलब ये कतई नहीं कि वह तथ्य ही गलत है.

क्योंकि, सिद्धांत रूप से तो हवा में तो हाइड्रोजन और ऑक्सीजन दोनों मौजूद है..
फिर , हवा से ही पानी क्यों नहीं बना लेते ???

अब आप हवा से पानी नहीं बना रहे हैं तो... इसका मतलब ये थोड़े ना घोषित कर दोगे कि हवा में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन ही नहीं है.

हमारे द्वारा श्रद्धा से किए गए सभी कर्म दान आदि आध्यात्मिक ऊर्जा के रूप में हमारे पितरों तक अवश्य पहुँचते हैं.

इसीलिए, व्यर्थ के कुतर्को मे फँसकर अपने धर्म व संस्कार के प्रति कुण्ठा न पालें...!

और हाँ...

जहाँ तक रह गई वैज्ञानिकता की बात तो....

क्या आपने किसी भी दिन पीपल और बरगद के पौधे लगाए हैं...या, किसी को लगाते हुए देखा है?
क्या फिर पीपल या बरगद के बीज मिलते हैं ?
इसका जवाब है नहीं....

ऐसा इसीलिए है क्योंकि... बरगद या पीपल की कलम जितनी चाहे उतनी रोपने की कोशिश करो परंतु वह नहीं लगेगी.

इसका कारण यह है कि प्रकृति ने यह दोनों उपयोगी वृक्षों को लगाने के लिए अलग ही व्यवस्था कर रखी है.

जब कौए इन दोनों वृक्षों के फल को खाते हैं तो उनके पेट में ही बीज की प्रोसेसिंग होती है और तब जाकर बीज उगने लायक होते हैं.

उसके पश्चात कौवे जहां-जहां बीट करते हैं, वहां वहां पर यह दोनों वृक्ष उगते हैं.

और... किसी को भी बताने की आवश्यकता नहीं है कि पीपल जगत का एकमात्र ऐसा वृक्ष है जो round-the-clock ऑक्सीजन (O2) देता है और वहीं बरगद के औषधि गुण अपरम्पार है.

साथ ही आप में से बहुत लोगों को यह मालूम ही होगा कि मादा कौआ भादो महीने में अंडा देती है और नवजात बच्चा पैदा होता है.

तो, इस नयी पीढ़ी के उपयोगी पक्षी को पौष्टिक और भरपूर आहार मिलना जरूरी है...

शायद, इसलिए ऋषि मुनियों ने कौवों के नवजात बच्चों के लिए हर छत पर श्राघ्द के रूप मे पौष्टिक आहार की व्यवस्था कर दी होगी.

जिससे कि कौवों की नई जनरेशन का पालन पोषण हो जाये......

इसीलिए.... श्राघ्द का तर्पण करना न सिर्फ हमारी आस्था का विषय है बल्कि यह प्रकृति के रक्षण के लिए नितांत आवश्यक है.

साथ ही... जब आप पीपल के पेड़ को देखोगे तो अपने पूर्वज तो याद आएंगे ही क्योंकि उन्होंने श्राद्ध दिया था इसीलिए यह दोनों उपयोगी पेड़ हम देख रहे हैं.

अतः.... सनातन धर्म और उसकी परंपराओं पे उंगली उठाने वालों से इतना ही कहना है कि.... 
जब दुनिया में तुम्हारे ईसा-मूसा-भूसा आदि का नामोनिशान नहीं था...

उस समय भी हमारे ऋषि मुनियों को मालूम था कि धरती गोल है और हमारे सौरमंडल में 9 ग्रह हैं.

साथ ही... हमें ये भी पता था कि किस बीमारी का इलाज क्या है...
कौन सी चीज खाने लायक है और कौन सी नहीं...?

देश की आजादी के बाद 70 वर्षों में इन्हीं बातों को अंधविश्वास और पाखंड साबित करने का काम हुआ है। अब धीरे-धीरे सनातन संस्कृति पुनर्जीवित हो रही है ।

दाने दाने पर लिखा है खाने वाले का नाम


*दाने दाने पर लिखा है खाने वाले का नाम*
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

*'एक' सेठ जी भगवान "कृष्ण" जी के परम भक्त थे। निरंतर उनका जाप और सदैव उनको अपने दिल में बसाए रखते थे।*
🪔
*वो रोज स्वादिष्ट पकवान बना कर कृष्ण जी के मंदिर मे जाते थे अपने कान्हा जी को भोग लगाने। घर से तो सेठ जी निकलते पर रास्तें में ही उन्हें नींद आ जाती और उनके द्वारा बनाए हुए पकवान चोरी हो जाते।*
😳
*सेठ जी बहुत दुखी होते और कान्हा जी से शिकायत करते हुये कहते*
🙏
*हे_राधे हे_ मेरे कृष्ण*

*ऐसा क्यूँ होता हैं,मैं आपको भोग क्यू नही लगा पाता हूँ?*

*कान्हा जी, सेठ जी को कहते हे_वत्स दानें_दानें पे लिखा हैं खाने वाले का नाम, वो मेरे नसीब में नही हैं, इसलिए मुझ तक नही पहुंचता।*
 
*सेठ थोड़ा गुस्सें से कहते हैं ऐसा नही हैं, प्रभु। कल मैं आपको भोग लगाकर ही रहूंगा आप देख लेना, और सेठ चला जाता हैं। कान्हा जी मुस्कुराते हैं और कहते हैं, ठीक है।*

*दूसरे दिन सेठ सुबह_सुबह जल्दी नहा धोकर तैयार हो जाता हैं और अपनी पत्नी से चार डब्बें भर बढिया बढिया स्वादिष्ट पकवान बनाते हैं और उसे लेकर मंदिर के लिए निकल पड़ता हैं।*

*सेठ डिब्बे पकड़ कर चलता है, रास्तें भर सोचता हैं, आज जो भी हो जाए सोऊगा नही कान्हा को भोग लगाकर रहूंगा।*

*मंदिर के रास्तें में ही उसे एक भूखा बच्चा दिखाई देता है और वो सेठ के पास आकर हाथ फैलातें हुये कुछ देने की गुहार लगाता हैं।*

 *सेठ उसे ऊपर से नीचे तक देखता हैं। एक 5-6 साल का बच्चा हड्डियों का ढाँचा उसे उस पर तरस आ जाता हैं और वो एक लड्डू निकाल के उस बच्चें को दे देता हैं।*

*जैसे ही वह उस बच्चें को लड्डू देता हैं, बहुत से बच्चों की भीड़ लग जाती हैं ना जाने कितने दिनो के खाए पीए नही, सेठ को उन पर करूणा आ जाती है।*

*सेठ जी सब को पकवान बाँटने लगते हैं, देखते ही देखते वो सारे पकवान बाँट देते हैं। फिर उसे याद आता हैं,आज तो मैंने राधें जी कान्हा जी को भोग लगाने का वादा किया था।*

*सेठ सोचते हैं कि मंदिर पहुंचने से पहले ही मैंने भोग खत्म कर दिया, अधूरा सा मन लेकर वह मंदिर पहुँच जाते हैं, और कान्हा की मूर्ति के सामने हाथ जोड़े बैठ जाते हैं।*

*"कान्हा प्रकट होते हैं और सेठ को चिढ़ाते हुये कहते हैं, लाओ जल्दी लाओ मेरा भोग मुझे बहुत भूख लगी हैं, मुझे पकवान खिलाओं।*

*सेठ सारी बात कान्हा को बता देते हैं। कान्हा मुस्कुराते हुए कहते हैं, मैंने तुमसे कहा था ना, दानें_दानें पर लिखा हैं खानें वाले का नाम, जिसका नाम था उसने खा लिया तुम क्यू व्यर्थ चिंता करते हो।*
 
*सेठ कहता हैं, प्रभु मैंने बड़े अंहकार से कहा था, आज आपको भोग लगाऊंगा पर मुझे उन बच्चों की करूणा देखी नही गयी, और मैं सब भूल गया।*

*कान्हा फिर मुस्कुराते और कहते हैं, चलो आओ मेरे साथ, और सेठ को उन बच्चों के पास ले जाते हैं जहाँ सेठ ने उन्हें खाना खिलाया था और सेठ से कहते हैं जरा देखो, कुछ नजर आ रहा हैं।*

*"सेठ" की ऑखों से ऑसूओं का सैलाब बहने लगता हैं, स्वंय बाँके बिहारी लाल, उन भूखे बच्चों के बीच में खाना के लिए लड़ते नजर आते हैं।*

*कान्हा जी कहते हैं वही वो पहला बच्चा हैं जिसकी तुमने भूख मिटाई, मैं हर जीव में हूँ, अलग अलग भेष में, अलग अलग कलाकारी में, अगर तुम्हें लगें मैं ये काम इसके लिए कर रहा था, पर वो दूसरे के लिए हो जाए, तो उसे मेरी ही इच्छा समझना, क्यूकि मैं तो हर कही हूँ।*

 *बस दानें नसीब की जगह से खाता हूँ, जिस जिस जगह नसीब का दाना हो वहाँ पहुँच जाता हूँ। फिर इसको तुम क्या कोई भी नही रोक सकता। क्यूकि नसीब का दाना, नसीब वाले तक कैसे भी पहुँच जाता हैं, चाहें तुम उसे देना चाहों या ना देना चाहों अगर उसके नसीब का हैं, तो उसे प्राप्त जरूर होगा।*

*"सेठ" कान्हा के चरणों में गिर जाते हैं,*

*और कहते हैं आपकी माया, आप ही जानें, प्रभु मुस्कुराते हैं और कहते हैं कल मेरा भोग मुझे ही देना दूसरों को नही, प्रभु और भक्त हंसने लगते हैं!!*

*"आप लोगो के भी साथ ऐसा कई बार हुआ होगा मित्रों, किसी और का खाना, या कोई और चीज किसी और को मिल गयी, पर आप कभी इस पर गुस्सा ना करें, ये सब प्रभु की माया हैं, उसकी हर इच्छा में उनका धन्यवाद करे।।*
🌹🌹* श्री राधे राधे *🌹🌹

9. પાદર

      


     પાદર

                 લેખક: ડૉ. કિશોરસિંહ સોલંકી
અભ્યાસ

નીચેના પ્રશ્નોના ઉત્તર આપો ?

(1) ગામના ગોંદરે શું - શું આવેલું છે ? ગામને ગોંદરે વિશાળ બે વડ, પીપળો અને લીમડાના વૃક્ષો આવેલા છે. ગોંદરાની પાસે એક કૂવો અને એક હવાડો આવેલો છે. ગોંદરાની વચ્ચે ઝીણી ઝીણી રેતી છે.

(2) સાહેબને આવતા જોઈ છોક્સ શું જતાં? 
જ.સાહેબને આવતા જોઈને યુદ્ધભૂમિના સૈનિકોની જેમ વડની વડવાઈઓ કે ખોદેલા ખાડાઓમાં છોકરાં લપાઈ જતાં. સાહેબની જબરી ધાક હતી. તે જોઈ જાય તો છોકરાનું આવી જ બને. 


(3) ગોદરું ગામનું નાક કેમ કહેવાય છે ? જ.કોઈ પણ ગામ કેવું છે એ એના ગોંદરા પરથી જ પરખાઈ જાય. ગોદરામાં તો આખા ગામનાં માણસો, ઢોર, કુતરા અને પશુ-પંખીઓના પગલાં જોવા મળે. સારા માઠા પ્રસંગે ગોંદરે આખું ગામ ભેગું થાય, પાણિયારીઓ ગોંદરે ઊભી રહી વાતો કરે, યુવાનો જતાં આવતાં મૂછ મરડતા જાય, આમ, ગોંદરું ગામનું નાક કહેવાતું. -

 (4) ઉનાળાના બપોરે ગોદરું કઈ રીતે ઉપયોગી બને છે ? 
જ.ઉનાળામાં, બળબળતા બપોરની ગરમીમાં ગોંદરું સૌને (પશુ પંખી અને માણસોને) ઉપયોગી બનતું. એના શીતળ છાંયે સૌ કોઈને ઠંડક મળતી, બપોરે તેમજ રાત્રે પણ સૌ ગોંદરે ભેગા થતા. ચાંદનીમાં ચળકતી રેતને માણવાનો આનંદ અનેરો રહેતો. ગોદરુ ગ્રામજનો માટે એરકન્ડિશન -ની ગરજ સારતું.

 (5) ચોમાસાની ઋતુ સમયના ગોંદરાનું વર્ણન કરો. 
જ.વર્ષારાણી તો ગામડાંનો પ્રાણ છે. વરસાદ આવતાંની સાથે જ આખા ગામને નવડાવતાં-ધોતાં નેવાંનાં પાણી ગોંદરે ભેગાં થઈ જાય. ત્યાંથી સીધા જ તળાવમાં જય, ખળખળ જતા પાણીને જોવાનો લ્હાવો હતો. ગોંદરાના વૃક્ષોને અથડાઈને પાણી પાછું પડતું, આજુબાજુની વાડ સાથે અથડાતું, ગામના કચરાને ઢસડી જતું કે વડવાઇઓમાં અટવાઈ જતું પાણી જોવાનો સૌને આનંદ આવતો.

સ્વાધ્યાય

1. નીચેના પ્રશ્નોનાં ઉત્તર આપો !

(1) લેખકે ગામના પાદરમાં ઉજવાતા કયા ક્યા પ્રસંગોની વાત કરી છે ?

જ.ગામનો મેળો પાદરમાં ભરાય છે. સારા-માઠા પ્રસંગે આખું ગામ ગામના પાદરે ભેગું થાય છે. આસો સુદ પાંચમની રાતથી ભવાઈના શ્રીગણેશ થાય. કેટલીક જ્ઞાતિઓની પંચાત પણ પાદરે ભરાતી. આ ગામના પાદરે લગ્ન પ્રસંગો પણ ઊજવાતા.

(2) લેખકે ગામના પાદરમાં રમાતી કઈ કઈ રમતોની વાત કરી છે ? 
જ.લેખકે ગામના પાદરમાં હુતુતુતુ કે આટાપાટાની રમત, આંબલી-પીપળીની રમત, કુસ્તી, ભૂસકા મારવા, વડની વડવાઈઓનાં હીંચકા બનાવીને હીંચવાની રમત વગેરે રમતોની વાત કરી છે. '
 (૩) લેખક વરસાદનો આનંદ કઈ રીતે માણે છે ? 
જ.વરસાદ આવતાંની સાથે ખળખળ જતાં પાણીમાં લેખક રમવાનો, ભૂસકાં મારવાનો આનંદ માણtતાં, તેનો મિત્રો સાથે વરસાદમાં ખૂબ પલળતાં. પલળવાનો રોમાંચ માણતા, વરસાદના પાણીને જોવાનો પણ આનંદ ઉઠાવતા.

(4) ગામનું પાદર કઈ કઈ બાબતોનું સાક્ષી છે ? 
જ.ગામના પાદરે ધીંગાણા મંડાણા છે. લાકડીઓ, ધારિયાં અને તલવારો ઊછળી છે. ઢોલ ધ વે ધ્રબૂક્યા છે. સરકારી લફરાં થયા છે. પેઢીઓની પેઢીઓ ગોંદરેથી પસાર થઈ ગઈ છે. ગોંદરે ઘણી તડકી છાંયડી જોઈ છે. ગોદરુ ગામની જહોજલાલી અને એની ચડતી-પડતીનું સાક્ષી છે.

(5) ગામના પાદરમાં આવેલા પરિસ્વર્તનથી લેખક શી લાગણી અનુભવે છે ?
જ. ગામને પાદર ગઈકાલ જેવું સુંદર અને હર્યુંભર્યું આજે લેખકને લાગતું નથી. ગામના પાદરને કાળોતરો ડંખી ગયો હોય અને પાદરને માથે કાળાં કાળાં શીંગડાં ઊગી ગયા હોય તેવું લેખકને લાગે છે. આજે લેખક વતનમાં જાય છે. ત્યારે લેખક તેના બાળપણના સમયના પાદરને શોધે છે પણ કહેવાની જરૂર નથી કે લેખકને નિરાશા સાંપડે છે. ગામમાં આવેલા પરિવર્તનથી લેખકે દુઃખની લાગણી અનુભવે છે.

 નીચેના પ્રશ્નોના ઉત્તર આપો:

(1) તમારા ગામના પાદરમાં કે મહોલ્લામાં ક્યા પ્રસંગોની ઉપથી થાય છે ?
જ. અમારા ગામના પાદરમાં નવરાત્રિ-દશેરા જેવા તહેવારોની, ભવાઈ-નાટક જેવા સાંસ્કૃતિક કાર્યક્રમોની, રામાયણ, ભગવર્કથા જેવાં ધાર્મિક કાર્યક્રમોની, જુદા-જુદા મેળાઓ તથા લગ્નપ્રસંગની ઉજવણી થાય છે.

(2) તમારા ગામના પાદરમાં કે મહોલ્લામાં તમે કઈ કઈ મતો રમો છે ? 
જ.ગામના પાદરે અમે કબરી, ખો-ખો, ગિલ્લીદંડા, ક્રિકેટ, પકડદાવ, આમલી-પીપળી, સંતાકૂકડી, સાતોડીયું વગેરે રમતો રમીએ છીએ.

        *******************

25 ઑક્ટો, 2020

एक अचूक मंत्र- गांधीजी

मैं आपको एक मन्त्र देता हुं । जब कभी आप दुविद्या में हों या आपको अपना स्वार्थ प्रबल होता दिखाई दे तो यह नुस्खा आजमाकर देखिएगा। 
आपके मन की आंखो के सामने कीसी एक गरीब. और असहाय व्यकित का चहेरा लाईए जीसे आप जानते हो और अपने आपसे पुछीए की आपकी करनी उसके कीस काम आयेगी ? कया उसे कुछ लाभ होगा ? कया उस काम से अपना जीवन और भविष्य बनाने में कुछ मदद मिलेगी दुसरे मानो में कया आपकी करनी हमारे देश के लाखो , करो भूखे नंगे लोगो को स्वराज की राह दिखायेगी?
 बस ईतना सोचते ही आपकी सारी दुविद्या दुर हो जायेगी और स्वार्थ पीगलकर बह जायेगा ।
                                     - मो. क. गांधी

23 ઑક્ટો, 2020

GK ક્વિઝ

🌟ગુજરાતના કયા પર્વતની આકા૨ સુતેલા શિવના મુક જેવો છે? 
ગિરનાર

🌟વડનગરનું કીર્તિ તોરણ બીજા કયા નામે ઓળખાય છે? 
નરસિંહ મહેતાની ચોરી

🌟ગુજરાતના ગામોમાં મોવીસ કલાક વીજળી કઈ યોજના હમ આપવામાં આવે છે? 
જ્યોતિગ્રામ યોજના

🌟ગુજરાતનું સૌથી મોટું ખનીજ ક્ષેત્ર માં આવેલું છે?
અંકલેશ્વર

🌟ગુજરાતમાં સૂર્ય ઊર્જા થી રાત્રિ પ્રકાશ મેળવતું ગામ કયું છે?
મેથાણ

🌟ગુજરાતનું રાજયપણી ક્યું છે?
 સુરખાબ (ફલેમિંગો)

🌟ગુજરાતનો સૌથી નાનો જિલ્લો કયો છે?ગાંધીનગર


🌟ગુજરાતમાં તાત્કાલિક સારવાર મળી રહે તે માટે કઇ સરકારી વાહન સેવા કાર્યરત છે ?
108


🌟ગુજરાતમાં તમાકુનો સૌથી વધુ પાક ક્યા વિસ્તારમાં લેવાય છે? 
ચરોતર

🌟વિશ્વભરની કલાત્મક કોતરણીમાં સ્થાન પામેલી સીદી સૈયદની જળી ગુજરાતના ક્યા શહેરમાં આવેલી છે? 
અમદાવાદ

🌟નરસિહ મહેતાનું જન્મસ્થળ ક્યું? 
તળાજા (જૂનાગઢ)

🌟દુનિયાની સૌથી મોટી રિફાઇનરી ગુજરાતમાં ક્યાં આવેલી છે? 
જામનગર

🌟પવિત્ર નારાયણ સરોવર ક્યાં આવેલું છે? કચ્છ

🌟ઈરાનથી આવીને પારસીઓએ ગુજરાત ના ક્યા શહેરમાં વસવાટ કર્યો? વલસાડ (ઉદવાડા)


🌟કન્યાકેળવણીને પ્રોત્સાહન આપવા માટે ગુજરાતમાં કઈ યોજના કાર્યરત છે? 
વિદ્યાલક્ષ્મી બોન્ડ

22 ઑક્ટો, 2020

બોધ કથા:-સંયમ ની કિંમત

તુર્કસ્તાનમાં જાકીર નામનો એક ફકીર થઈ ગયો. તે નદીના કિનારે ઝૂંપડી બનાવટ રહેતો હતો. 
એક દિવસ નદીમાંએક સફરજન તણાઈને આવી રહ્યું હતું. જાકીરે તેને લઇ લીધું. તે એને ખાવા જતો હતો એટલામાં જ તેના અંતઃકરણમાંથી અવાજ આવ્યો કે ફકીર, શું આ સફરજન તારી માલિકીનું છે ? શું તે મહેનત કરીને તેને પકવ્યું છે? જો મહેનત કરી હોય તો એ ખાવાનો તને અધિકાર નથી. તેણે સફરજનતેની ઝોળીમાં નાંખી દીધું અને તેના માલિકની શોધમાં નદીની ઉપરવાસ તરફ ચાલી નીકળ્યો. તે થોડા આગળ ગયો ત્યાં સફરજનનો એક બગીચો હતો. સફરજનનાં કેટલાંક વૃક્ષોની ડાળીઓ નદીના પાણી પર ઝૂકી ગઇ હતી. ફકીરને લાગ્યું કે આ સફરજન અહીંથ
 જ તૂટીને પડ્યું હશે.
 તેણે બાગના માળીને કહ્યું કે લો, આ તમારું સફરજન. તે નદીના પાણીમાં વહી ગયું હતું. તે માળીએ કહ્યું કે હું તો આ બગીચાનો માત્ર રખેવાળ છું. તેનો માલિક તો બુખારાની રાજકુમારી છે. ફકીર ત્યાંથી બુખારા જવા રવાના થયો. કેટલાય દિવસનો પગપા‌‌ળા પ્રવાસ કર્યા પછી તે બુખારા પહોંચ્યો અને રાજકુમારીને તે સફરજન આપવા લાગ્યો. રાજકુમારી એ  હસીને કહ્યું કે અરે! તમારે ત્યાંજ ખાઈ જવું હતું કે, અહીં સુધી લાવવા શી જરૂર ? ફકીરે કહ્યું કે રાજકુમારીજી ! તમારા માટે એક સફરજનની કોઈ કિંમત નથી, પરંતુ જો મે તે તેના માલિકને પાછું ન આપ્યું હોત અને હું ખાઈ ગયો હોત તો માત્ર સંયમ નષ્ટ થઈ ગયો હોત.
         ****************



બીરબલ ની યુક્તિ


અભ્યાસ

નીચેના પ્રશ્નોના ઉત્તર આપો :

(1) રાજ્ય પર ક્યા રાજાએ ચડાઈ કરી ?

જ.રાજ્ય પર બુંદેલખંડના રાજાએ ચડાઈ કરી. 
(2) બુંદેલખંડનો રાજા પરત કેમ ફર્યો ?

જ.બાદશાહ જાતે જ લશ્કર ને લઈ રણમેદાન તરફ આવે છે, એવા સમાચાર મળતાં બુંદેલખંડનો રાજા અધે રસ્તેથી જ પરત ફર્યો.
(3) બેગમ બાદશાહને શુ સમાચાર આપ્યા ?
જ.બાદશાહ ભૂખ લાગી હતી. બાદશાહ પાટલા પર જમવા બેઠા ત્યાં બેગમાં પોતાના ભાઈ ને સાપ કરડી ગયો છે તે સમાચાર આપ્યાં.
( 4 ) ઝાડુવાળાએ પોતાને થયેલી સજા બાબતે રાજાને શું કહ્યું ? 
જ. પોતાને થયેલી સજા બાબતે રાજાને કહ્યું કે , “ આપે કરેલી સજા માટે તો મારે કશું જ કહેવાનું નથી . પણ ગઈકાલે સવારે જેમ આપે મારું મોઢું જોયું હતું તેમ મેં આપનું મોઢું જોયું હતું . તેથી મારે તો કેદખાને પડવાનું થયું અને આજે ફાંસીએ ચડવાનું થયું . તો આપ જ ન્યાય કરો કે આપણા બેમાં વધારે અપશુકનિયાળ કોણ? અને જો ન્યાયાધીશ મને ફાંસીની સજા કરશે તો આપને એ કઈ સજા કરશે ? ”

         સ્વાધ્યાય  
નીચેના પ્રશ્નોના ઉત્તર આપો : 
( 1 ) બાદશાહને પોતાનો દહાડો બગડશે એવું કેમ લાગ્યું ?
જ. એક દિવસ બાદશાહે સવારમાં ઊઠી મહેલના ઝરૂખાની નીચે નજર કરી જોયું તો એક નોકર ઝાડુથી ચોગાન વાળી રહ્યો હતો. નોકરે પોતાનું મોં છુપાવવાની કોશિશ કરી એમ છતાં બાદશાહની નજર એના પર પડી ગઈ . તેથી બાદશાહને થયું કે સવારના પહોરમાં આ માણસનું મોં જોયું તેથી અપશુકન થયા , આજનો દિવસ ચોક્કસ બગડવાનો . 
( 2 ) શિરામણ સમયે સેનાપતિએ શા સમાચાર આપ્યા
જ.દાતણપાણી કરી બાદશાહ શિરામણમાં કોળિયો હાથમાં લે છે ત્યાં તો સેનાપતિએ આવીને સમાચાર આપ્યા , પાસેના બુંદેલખંડનો રાજ લશ્કર લઈ ચડી આવ્યો છે . 
( ) સાંજે જમતી વખતે રાજા કેમ ગુસ્સે થયા ?
જ. સાંજે જમતી વખતે , બાદશાહ જેવો કોળિયો ભરવા જાય છે , તેવામાં જ એક ગરોળી ટપ કરતી એમની થાળીમાં પડી . આજે સવારથી જમતી વખતે આવું જ કંઈ ને કંઈ બન્યા કર્યું હોવાથી બાદશાહ ગુસ્સે થયા .
 ( 4 ) રાજાના દર્શન કરતી વખતે ઝાડુવાળાએ શું કહ્યું ?
જ. રાજાના દર્શન કરતી વખતે ઝાડુવાળાએ કહ્યું : “ આપે કરેલી સજા માટે તો મારે કશું જ કહેવાનું નથી . પણ ગઈ કાલે સવારે જેમ આપે મારું મોઢું જોયું હતું તેમ મેં આપનું મોઢું જોયું હતું . તેથી મારે તો કેદખાને પડવાનું થયું અને આજે ફાંસીએ ચડવાનું થયું . તો આપ જ ન્યાય કરો કે આપણા બેમાં વધારે અપશુકનિયાળ કોણ ? અને જો ન્યાયાધીશ મને ફાંસીની સજા કરશે તો આપને એ કઈ સજા કરશે ?
 ( 5 ) અંતે રાજાએ પોતાનો ખોટો વહેમ શું કહી ને દૂર ક્યો
જ.અંતે રાજાએ કહ્યું : “ એની વાત સાચી છે . શુકન - અપશુકનનો ખોટો વહેમ રાખીને એ બિચારાને હું અન્યાય કરી બેસત . જે થયું તે સારું થયું . એને છોડી દો અને સરપાવ આપી માનભેર ઘેર પહોંચાડી દો . ” આમ કહી રાજાએ પોતાનો ખોટો વહેમ દૂર કર્યો .

       ***********************

 નીચેના શબ્દસમૂહો માટે એ એક શબ્દ આપોઃ 
( 1 ) નાતનો માણસ- નાતીલો
( 2 ) રાતનું ભોજન-વાળું
 ( 3 ) જેના શુકન ખરાબ ગણાતા હોય તેવું -અપશુકનિયાળ
( 4 ) બારી બહાર કાઢેલ ઝૂકતું બાંધકામ –   ઝરૂખો , છજું

 ( 5 ) સવારનો નાસ્તો - શિરામણ
 ( 6) ઝટપટ ન ઊકલી શકે તેવો પ્રશ્ન -કોયડો
( 7) કાળના જેવા મોં વાળું - કાળમુખું 
( 8 ) મુસ્લિમ ધર્મ મુજબ ખાટમાં શબ ગોઠવેલું હોય તે -મૈયત
 ( 9) શાબાશી બદલ અપાતો પોશાક -
સરપાવ 

          ***************
 
 નીચેના શબ્દોના સમાનાર્થી શબ્દો લખો: 
*ચતુરાઈ - ચાલાકી
*હાંફળેફાંફળું - બેબાકળું , ગભરાયેલું
 *ઇચ્છા - મરજી 
*રણમેદાન- રણભૂમિ , યુદ્ધભૂમિ 
*દિવસ- દિન , દહાડો 
*ઝરૂખો - છજું 
*કમનસીબ – કમભાગ્ય
 *કેદખાનું - જેલ
 *છેલ્લી -અંતિમ 
*સરપાવે -ઈનામ 
*વાળુ -રાત્રિભોજન 
*ઓસડ -ઔષધ 
    
       ************
  નીચેના શબ્દોના વિરુદ્ધાર્થી શબ્દો લખો
*જવાબ X સવાલ 
*ન્યાય Xઅન્યાય 
 *હલકો X ભારે 
*શુકન X અપશુકન 
*કમનસીબ X સદનશીબ
 *રાજા X રંક



19 ઑક્ટો, 2020

ફ્રાન્સના ઉત્તર પશ્ચિમી કાંઠે આવેલા મોન્ટ-સેટ-માઈકલ દ્વીપ

ફ્રાન્સના ઉત્તર પશ્ચિમી કાંઠે આવેલા મોન્ટ-સેટ-માઈકલ દ્વીપનું ઐતિહાસિક અને ભૌગોલિક મહત્વ છે. કાંઠાના વિસ્તારથી દરિયાઈ વિસ્તારમાં એક કિલોમીટર અંદરની તરફ આવેલા માઉન્ટ-સેન્ટ-માઈકલ દ્વિપનો જોડતો માર્ગ ભરતીના સમયે જળસમાધિ લઈ લે છે. કુદરતી પ્રક્રિયા અને કાળની થપાટો છતાં અડીખમ ઉભેલા મોન્ટ-સેટ-માઈકલ દ્વિપ કા વેસન નદીના મુખ પ્રદેશમાં સ્થિત છે, જે આગળ જતાં ઈગ્લિશ ચેનલની સાથે એકરૂપ બને છે. આ દ્વિપને યુનેસ્કોની વર્લ્ડ હેરિટેજ સાઈટમાં સ્થાન મળ્યું છે. ઐતિહાસિક મહત્વ ધરાવતા આ ક્રિપ વિસ્તારની મુલાકાતે મોટી સંખ્યામાં પ્રવાસીઓ આવતા હોય છે. તેમાં ય તેને સમુદ્રથી ઘેરાયેલી જોવાનો લહાવો જ કંઈક ઔર છે.

16 ઑક્ટો, 2020

हमारा राष्ट्रीय ध्वज- तिरंगा

हमारा राष्ट्रीय ध्वज- तिरंगा

हमारे देश का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा 
कहेलाता है ।
 इसमें तीन रंग होते हैं। केसरिया , सफेद और हरा ।
केसरिया रंग वीरता का प्रतीक होता है। सफेद रंग शांति का प्रतीक होता है।
हरा रंग खुशहाली का प्रतीक होता है । इसके बीच में नीले रंग का एक चक्र बना होता है। 
इसे अशोक चक्र कहते हैं इसमें 24 तीलियाँ होती हैं ।
यह चक्र में निरंतर आगे बढने की सीख देता है ।
 हमें तिरंगे का आदर करना चाहिए।

मूर्ति का मूल्य

प्राचीन समय कि बात है......
एक राजा कि नगरी में एक ज्ञानी मूर्तिकार आया ।
जिसके पास तीन एक हि नैन नक्श व आकार कि मूर्तियां थी ।
जब तीनों मूर्तियां दरबार में पेश कि गई तो राजा ने मूर्तिकार से
तीनो का मूल्य जानना चाहा ।
मूर्तिकार ने मूल्य कुछ इस प्रकार बताया........
१....कोई किमत नही मुफ्त में भी कोई ले सकता है
२... मात्र १ रुपया
३... अनमोल (कोई जितना भी दें कम हि है )
अब मूर्तिकार से मूल्य सुनकर राजा और सभी मंत्रिगण व
अनेकों सभागण चकित हो गये.....आखिर ऐसा क्यों
जबकि सभी वही मिट्टी वही मेहनत से बनी है ।
राजा ने मूर्तिकार से ऐसे मूल्यों का कारण पूछा
मूर्तिकार ने सहज भाव से कहा...
महाराज दिखने में एक जैसी इन मूर्तियों के भीतर
गुण तीनों के बहुत हि अलग-थलग है जो कि मैं इस
सभा में प्रत्यक्ष स्पष्ट करना चाहता हूँ आप आज्ञा दें
राजा ने जिज्ञासु होकर कहा..
अवश्य आप प्रमाणित करें ।
मूर्तिकार ने जल मंगवाया और पहली मूर्ति के कान
में जल डाला ।
जो कि दुसरे कान से बाहर निकल गया ।
मूर्तिकार ने कहा .... राजन ये मूर्ति किसी प्रकार से
मूल्यवान नही है ये सिर्फ मिट्टी का पूतला भर है
अब दुसरी मूर्ति के कान में जल डाला जो कि मुख से निकला
मूर्तिकार ने कहा...महाराज ये मूर्ति एक रूपये कि है
फिर तीसरी मूर्ति के कान में जल डाला जो कि उसके पेट
में चला गया ।
इस मूर्ति मेसे जल बाहर निकला हि नही मूर्तिकार ने कहा..
राजन ये मूर्ति अमूल्य है जिसका कोई भी कितना भी मोल
लगाया जाय या दिया जाय कम हि है ।
राजा ने कहा... आप कृपया अपनी बात स्पष्ट करें।
मूर्तिकार ने कहा....
महाराज ये मूर्तियां चरित्र दर्शाती है
जैसे...
कोई इंसान ज्ञान और शिक्षा को अपने एक कान से सुनकर
दुसरे कान से निकाल दे ,यानी अनसुना कर दे वो किसी
पशु के समान होता है उसका कोई मूल्य नही हो सकता ।
और जो इंसान ज्ञान शिक्षा को सुन कर खुद ग्रहण भले नही
करें , किसी और को बतादे तो वो प्रशंसा का पात्र है क्यों किसी
और तक ज्ञान पहुंचने का वो माध्यम जरुर बना और दुसरो को
लाभान्वित किया।
महाराज ..अब बारी आती है तीसरी मूर्ति कि जिसके जल कान से
निकला और ना हि मुह से जल इसके भीतर समा गया है
अर्थात...जो व्यक्ति ज्ञान शिक्षा को
अपने ह्रदय में ग्रहण करले वो देवतुल्य है और वो अपने इसी गुण
से अनमोल हो जाता है

15 ઑક્ટો, 2020

સૂકા કચ્છ માં ગાઢ જંગલ!

 ‘મિયાવાકી’ જંગલ એટલે શું?

 અકિરા મિયાવાકી નામના જાપાનના વનસ્પતિશાસ્ત્રી ઓછી જગ્યામાં વધુ વૃક્ષો લગાવી જંગલ ઉછેરવાની પદ્ધતિ વિકસાવી છે, સામાન્ય રીતે વૃક્ષો વાવતા વખતે બે વૃક્ષોની વચ્ચે તે સરખી રીતે વૃદ્ધિ પામી શકે તે માટે સારું એવું અંતર રાખવું પડતું હોય છે, પરંતુ ' મિયાવાકી' પદ્ધતિ માં માત્ર દોઢ કે બે ફૂટના અંતરે જ, નજીક-નજીક ઝાડ વાવવાના હોય છે. અહીં જે-તે સ્થાનિક, દેશી નસલના વૃક્ષો જ જવાતું હોય છે. તેથી તે સારી રીતે ઉછેરી શકે છે. સો ચો.મીટરમાં ૩૦૦થી ૫૦૦ જેટલાં નાનાં-મોટાં વૃક્ષો વાવી શકાય છે. જ્યારે સામાન્ય પદ્ધતિથી વાવેતર કરાય તો આટલી જ જગ્યામાં માત્ર ૧૦થી ૧૫ વૃક્ષોને વાવી શકાય છે. ‘મિયાવાકી’ જંગલ માં અલગ-અલગ જાતના, ઉંચાઈના વૃક્ષો એક સાથે વવાતા હોય છે. તેથી મલ્ટિ લેયર્ડ ફોરેસ્ટ બને છે. ઊંચા, સીધા, મધ્યમ અને નાના છોડ એમ અલગ-અલગ પ્રકારનાં વૃક્ષોનું વાવેતર કરાય છે. મોટા ની પાસે મધ્યમ, તેની પાસે નાનું એમ અલગ સાઇઝનાં વૃક્ષો એકબીજાની પાસે વાવવાના હોય છે. જ્યારે છોડ વાવતા હોઈએ ત્યારે રોપા લગભગ સરખા કદના હોવાથી શરૂઆતના તબક્કામાં તેમને વધવામાં કોઈ મુશ્કેલી પડતી નથી. વધુ સૂર્યપ્રકાશ મેળવવા ની હરીફાઈમાં તેની વૃદ્ધિ અન્ય પદ્ધતિ કરતાં વધુ ઝડપથી થાય છે, બે-ત્રણ વર્ષમાં તો મોટા ભાગનાં વૃક્ષ તેની પૂર્ણ ક્ષમતાએ વિકસી જાય છે. જંગલ ખૂબ ગીચ બને છે. સૂર્યકિરણ પણ તેમાં અંદર પહોંચી શકતા નથી. આથી જમીનમાં ભેજ જળવાઈ રહે છે,
 ઘાસ જેવા અન્ય નિંદામણ થતું નથી. વૃક્ષોનાં ખરતા પાન નું ખાતર ઝડપી બને છે. આ પ્રકારના વૃક્ષો સહેલાઈથી ઉછળી જય છે. જોકે વાવેતર પહેલાં થોડું ધ્યાન રાખવું પડે છે. જે જગ્યામાં વાવેતર કરવાનું હોય તે જગ્યાએ એક મીટર ખોદીને તેના માટી બહાર કાઢો અને તેનું ટેસ્ટિંગ કરીને માટીમાં ખૂટતાં તત્વો તેમાં ઉમેરવા પડે છે. જીવામૃત, ડાંગરનો પોપડા, ઘઉંના પૂળિયા, ડાંગરનો ભૂસું, કમ્પોસ્ટ, ગોબર, બાયોમાસ વગેરે માટીમાં મેળવી છે. પછી માટી પછી તેની જગ્યાએ નંખાય છે. પછી દોઢ-બે ફૂટના અંતરે નાના નાના ખાવા બનાવે છે, તેમાં કોકોપીટ પણ નંખાય છે. તેના છોડ વવાય છે. જરૂર પડે ત્યારે ટેકો આપવા પડે છે. તેને ખાતર કે જંતુનાશક દવાઓ પણ આપવી પડતી નથી. સંપૂર્ણ ઓર્ગેનિક એવું આ જંગલ દિવસ-રાત કાર્બન ડાયોક્સાઇડ શોષી ઓક્સિજન આપે છે. તે પક્ષીઓ, મધમાખી, પતંગિયા જેવા જીવો માટે તો અભયારણ્ય બની જાય છે. જૈવવિવિધતા વિકસી શકે. શરૂઆતમાં જે ખર્ચ થાય તે જ ત્યાર પછી આ જંગલ સંપૂર્ણપણે આત્મનિર્ભર બની જાય છે. આ પદ્ધતિમાં વૃા ક્ષોની લાંબો સમય દેખરેખ રાખવી પડતી નથી. તેને બે કે ત્રણ વર્ષ જ પાણી આપવું પડે છે, જેમાં નિંદામણ પણ કરવું પડતું નથી. આ પ્રકારના જંગલનાં વૃક્ષના મૂળિયાં ના કારણે માટી વહી જતી નથી તેમ જ જમીનમાં વરસાદી પાણી ઊંડે સુધી ઊતરી જાય છે, જેના કારણે જમીનમાં ભૂગર્ભ પાણીના સ્તર ઊંચે આવે છે.


 

13 ઑક્ટો, 2020

ચાનું તબીબી વિજ્ઞાન

ચાનું તબીબી વિજ્ઞાન

 ડૉ. લોકોનું કહેવું છે કે દારૂના વ્યસન કરતાં પણ ચા-કોફી વધારે નુકસાન કરે છે. ચા ધીમું ઝેર છે. ડૉ. વિલિયમ ટિમ્બ કહે છે કે અપચો, હૃદય દાહ, ચહેરો કરમાઈ જવી, ગભરાટ, વિષય સ્પંદનો, શિરશૂળ, અનિદ્રા વગેરે પણ ચા ને કારણે જ થાય છે. ચા ઉકાળવાથી તેમાંથી કેફીન અને ટેનિન છૂટા પડે છે. પ્રથમ કેફિન છૂટી પડે છે. અને વધુ સમય ઉકાળવામાં આવે તો ટેનિન છૂટું પડે છે. ટેનીન તત્વ જઠરની દીવાલ પર બાઝી જાય છે. અને જઠરમાંથી પાચક રસ ઝરતાં અટકાવે. નથી જેમ વધુ કડક ચા પીવા તેમ ભૂખ ઓછી લાગે.

* ઇન્ડસ્ટ્રીયલ ટાવીસ ફોલોજીકલ રિસર્ચ સેન્ટર ઇટોના ચા બનાવવાની રીત પર એક સંશોધન દરમિયાન નીચે મુજબનાં તારણો નીકળ્યાં :

 (૧) ચા વધુ સમય સુધી ઉકાળવાથી તેનાં પાંદડાંમાંથી સીસું બહાર આવવા માંડે છે જે શરીર માટે ઝેરી અને નુકસાનકર્તા છે. (૨) ઘણી વાર લકવાની અસર પણ થાય છે.

 (૩) ચામાં દૂધ જેટલું વધારે તેટલું નુકસાન ઓછું. જે ચાની પત્તી એસિડિટીને ઓછી કરે છે.
(૪) ચા બહુ ન ઉકાળવી.
 (૫) ચાની પત્તી વધુ વખત પાણીમાં રાખી મૂકવી ન જોઈએ.
 (૬) વધુ કડક ચા પીવાનો આગ્રહ ન રાખવો જોઈએ.
 વધુ ચા પીનારા બંધાણીઓ ધીમે ધીમે તેનું પ્રમાણ ઘટાડી, સંયમ રાખી ચાનું વ્યસન છોડી શકે છે. બાકી ચાનું વધુ પડતું સેવન સ્વાસ્થ માટે હાનિકારક છે. એવું લખાણ ચાના પેકેટ પર લખવાનો સમય પાકી ગયો છે.
          *****************

11 ઑક્ટો, 2020

ડીપ્રેશનની દવાઓ માટે પણ ઉંદર પર પરીક્ષણ


- પ્રયોગો માટે 50,000 પશુઓ દર વર્ષે હૈદ્રાબાદ મોકલાય છે
- ડીપ્રેશનની દવાઓ માટે પણ ઉંદર પર પરીક્ષણ
- કેટલાંક ઉંદરોની ચામડી ઉતરડી લેવામાં આવે છે અને પછી તેના શરીર પર પ્રયોગો થાય છે

- પ્રયોગ કરનારા ઘણાં ભારત આવીને પ્રયોગ કરે છે કેમકે તેમના દેશમાં પ્રાણીઓ પરના પ્રયોગો પર પ્રતિબંધ હોય છે

લેબોરેટરીઓમાં ઉંદરો કેવી યાતનામાંથી પસાર થાય છે એ મેં ગયા લેખમાં લખ્યું છે. મેટલના પાંજરામાં પુરીને તેમને અંધારીયા એનીમલ રૃમમાં લઈ જવામાં આવે છે. પ્રયોગ કરતી વખતે તેમને પ્રકાશમાં લવાય છે. આખી સિસ્ટમ ગુપ્ત રખાય છે. વિજ્ઞાાનીઓ એવી દલીલ કરે છે કે અમે ઉંદરોને યાતનામાંથી પસાર એટલા માટે કરીએ છીએ કે તેના પરના પ્રયોગોથી માનવજાતને લાભ થાય છે. આ દલીલના કારણે કોઈ ઉંદરો પરની યાતનાનો વિરોધ નથી કરતું, જો તે માનવ-વિરોધી કોઈ વાત હોય તો તેનો વિરોધ કરાત!! જોકે ડીજીસીઆઈએ ઉંદરો પરનાં બીનજરૃરી અને ઘાતકી પ્રયોગો સામે વિરોધ દર્શાવ્યો છે. અહીં કેટલાક ઉદાહરણો આપ્યા છે.

૧૯૮૯માં કાર્સીનોજીની સીટી ઓફ ફ્લોરાઈડના વપરાશ પર અભ્યાસ થયો હતો. બે વર્ષના સમયગાળામાં ૫૨૦ ઉંદરો ફ્લોરાઈડનો ડેલી ડોઝ આપવામાં આવ્યો હતો. ફ્લોરાઈડની ઉંધી અસર એકપણ ઉંદર પર થઈ નહોતી, પરંતુ ઉંદરોને મોઢા કે હાડકાનું કેન્સર થયાનું જોવા મળ્યું હતું. આ પ્રયોગથી જાણવા મળ્યું હતું કે એક જ જાતના બે પ્રાણીઓ પર ચોક્કસ અસર વર્તાતી નથી.

થાલીડોમાઈડ, ઝોમેક્સ અને ડીઈએસ એમ દરેકનો ટેસ્ટ પ્રાણીઓ પર કરવામાં આવ્યો હતો. આ પ્રયોગ સલામત રહ્યો હતો. પરંતુ જે માણસો પ્રાણીઓ પર આ પ્રયોગો કરતા હતા તેમના પર ગંભીર અસરો થઈ હતી.
૧૯૭૬ અને ૧૯૮૫ દરમ્યાન ફૂડ એન્ડ ડ્રગ્સ એડ્મીનીસ્ટ્રેશને એપ્રુવ કરેલી ડ્રગ્સની અડધા ઉપરાંતની પ્રિસ્ક્રાઈબ થતી દવાઓને માર્કેટમાંથી પાછી ખેંચી લેવાઈ હતી અથવા તો તેનું લેબલ બદલાયું હતું.

આ દવાઓ પાછી એટલા માટે ખેંચાઈ હતી કે માનવ પર તે આડઅસરો ઉપજાવતી હતી. આ દવાઓ પ્રાણીઓ પર ટેસ્ટ કરાઈ હતી. કુદરતી રીતે શરીરમાં મોલીક્યુલ્સ ઉત્પન્ન થાય છે. પ્રોક્ટર એન્ડ ગેમ્બલ નામની કંપનીએ તેના પાર્ટીકલ શોધી કાઢ્યા હતા. તે સ્કીન અને વાળને અસર કરી શકે એવા હતા એવી અસર કુદરતી મોલીક્યુલ કરી શકતા નથી. ઉંદરો પરના આવા ટેસ્ટ બંધીયાર વાતાવરણમાં કરાતા હતા. આ ટેસ્ટથી અસરકારક હેર-સ્પ્રે, હેન્ડ લોશન, મેકઅપ વગેરે બનાવી શકાતા હતા.

ુજુવાન ઉંદરોને પરેશાન કરવા, તંગ સ્થિતિમાં રાખવા અને તેમને ઉશ્કેરાટની સ્થિતિમાં રાખવાના પ્રયોગ થાય છે. તેમનું સ્ટ્રેસ-લેવલ નક્કી થાય છે. તેમનું એડ્રીનલીન લેવલ વધે છે. કેટલાક પ્રયોગ એવા છે કે જે માણસો જાણતા પણ નથી. જેમકે પ્રાણીઓને સતત છ કલાક માટે સિગારેટ પીવડાવાય છે. આમ ત્રણ વર્ષ સુધી થાય છે. ઉંદરોને ટચુકડાં ડબ્બામાં પરાણે પુરી રખાય છે.

સિગારેટનો ધૂમાડો તેમના નાકમાં ઘૂસાડવામાં આવે છે. અન્ય એક પ્રયોગમાં સિગારેટની રાખ ઉંદરોની સ્કીન પર લગાડવામાં આવે છે જેના કારણે સ્કીન પર ગાંઠો ઉભી થાય છે. પ્રયોગ દરમ્યાન કેટલાંક ઉંદર મૃત્યુ પામે છે. કેટલાંક ઉંદરોની ચામડી ઉતરડી લેવામાં આવે છે અને પછી તેના શરીર પર પ્રયોગો થાય છે. આવા ઊંદરડા ક્યાં તો મરી જાય છે અથવા તો તરછોડી દેવામાં આવે છે.

જ્યારે જ્યારે કોઈ સિગારેટ કંપની તેની અંદરના પદાર્થોમાં મધ, સુગર, મોલાસીસ, કોર્ન સિરપ, લાઈમ ઓઈલ, ચોકલેટ, કોકા કે કોફીનું એક્સટ્રેક્ટ વગેરે ઉમેરવા માગતા હોય તો તેનો પ્રયોગ પ્રથમ ઉંદરો પર થાય છે. ત્યારે સતત ૯૦ દિવસ સુધી રોજના ત્રણ કલાક નાકમાં ધૂમાડા ઘૂસાડાય છે. જેના કારણે તે મોતને ભેટે છે. આવા પ્રયોગને કારણે તેમના શરીર ખલાસ થઈ ગયા છે અને છેલ્લે શરીર મોતને ભેટે છે. આવા પ્રયોગ માણસના ફેફસા પર શું અસર થશે તે જોવા માટે થાય છે. તેમના શરીરમાં ઘૂસાડાતા ધૂમાડાના કારણે તે મોતને ભેટે છે. તેમના ફેફસા તો ધૂમાડાના કારણે જ ખતમ થઈ ગયા હોય છે.

લેબોરેટરીમાંના વીડીયો ફૂટેજ પરથી જાણવા મળ્યું છે કે ઓપરેશન દરમ્યાન ઉંદર જીવતા હોય છે. બાયોપ્સી માટે તેમના કાનની ચામડી ઉતરડી નાખવામાં આવેેે છે. શરીર પરથી કરચલીઓનો નાશ કરતી ટ્રીટમેન્ટના પ્રયોગમાં ઉંદરના શરીરમાં ઝેરી તત્ત્વ ઈન્જેક્ટ કરાય છે. જે ડોઝ નક્કી કરવા ઈન્જેક્ટ થાય છે. જો કે ૫૦ ટકા ઉંદરડા આ પ્રયોગના કારણે મૃત્યુ પામે છે.

એક અભ્યાસ માટે ઉંદરોને સ્વીમીંગ પુલમાં મુકવામાં આવે છે. તેમને ના ખબર પડે એ રીતે તેમના શરીર પર તારની નેટ બાંધી દેવાય છે. પાણીની અંદર આવતા આઘાતનું તેના પર પરિક્ષણ કરવાનું હોયછે.
અન્ય એક પ્રયોગમાં મેલ-ઉંદરડાના પેનીસ (પ્રજનન અવયવ)ને ફીમેલના શરીરમાં માઉન્ટ કરવામાં આવે છે. સેક્સ પ્લેઝર કેટલા પ્રમાણમાં છે તે નોંધવામાં આવે છે. તેના માથામાં ટયુબ ઈમ્પ્લાન્ટ કરીને તેમાં કેમીકલ પમ્પ કરવામાં આવે છે અને એન્જૉયની માત્રા જોવામાં આવે છે. આ પ્રયોગ સાતથી અઠયાવીસ દિવસ ચાલે છે. પ્રયોગ બાદ તમામ પ્રાણીઓને મારી નાખવામાં આવે છે.

પ્રયોગ કરનારા ઘણાં ભારત આવીને પ્રયોગ કરે છે કેમકે તેમના દેશમાં પ્રાણીઓ પરના પ્રયોગો પર પ્રતિબંધ હોય છે. ભારતમાં એનીમલ રીસર્ચ સેન્ટરોમાં પટેલ ચેસ્ટ ઈન્સ્ટીટયુટ, નેશનલ ઈન્સ્ટીટયુટ ઓફ ન્યુટ્રીશન અને ઓલ ઈન્ડિયા ઈન્સ્ટીટયુટ ઓફ મેડીકલ સાયન્સ વગેરેમાં કરોડો રૃપિયા ખર્ચીને બીનજરૃરી પ્રયોગો થાય છે.
પ્રયોગો દરમ્યાન તેમને યાતના અપાય છે અને પછી મરવા માટે છોડી દેવામાં આવે છે.

હૈદરાબાદ ખાતેની નેશનલ સેન્ટર ફોર લેબોરેટરી એનિમલ સાયન્સ ખાતે દર વર્ષે ૫૦,૦૦૦ પ્રાણીઓ સપ્લાય કરાય છે. તેમજ ભારતની ફાર્માસ્યુટીકલ કંપનીઓ અને શિક્ષણ સંસ્થાઓમાં આ રીતે પ્રાણીઓ સપ્લાય કરાય છે.

ઉંદરો પરનો ક્રૂર પ્રયોગ ટ્રાન્સજેનેસીક લેબમાં થાય છે. જેમાં ફીમેલ ઉંદરમાં જીનેટીક મટીરીયલ ઈમ્પ્લાન્ટ કરાય છે. જ્યારે તે બચ્ચાં મુકે છે ત્યારે બચ્ચાં યોગ્ય પ્રકારના જીન્સવાળા છે કે કેમ તેની ચકાસણી થાય છે. બ્રીડીંગ ક્ષેત્રે બીજા સંશોધનો થાય છે.

૨૦૦૯માં જર્મનના સંશોધકોએ જાહેરાત કરી હતી કે ઉંદરમાં માનવના જીન્સ દાખલ કરાયા હતા. જેની અસર જોવા ફાર્માસ્યુટીકલ કંપનીઓને જણાવાયું હતું. ડ્રગ્સની અસર કેવી થાય છે તે ચકાસવામાં આવ્યું હતું.
ઉંદરો પર ડાયાબીટીસનો ટેસ્ટ પણ થાય છે. ઉંદરમાંથી જીન્સ કાઢીને ચકાસણી કરાઈ હતી. ઉંદરને વધુ ચરબીવાળો ખોરાક ખવડાવાય તો તેનામાં ડાયાબીટીસ ડેવલોપ થઈ શકે છે.

ડીપ્રેશનની દવા માટે પણ ઉંદરો પર પરીક્ષણ થાય છે. કેટલાક ઉંદરો પર ડ્રગ એડીક્શનની અસર થતી નથી. ઉંદરોના શરીરમાં વિવિધ કલરના ન્યુરોન હોય છે. ઉંદરો પર કોઈએ પ્રયોગ ના કરવા જોઈએ. માણસ પર પડનારી યાતના નીવારવા ઉંદરોને નિશાન ના બનાવવા જોઈએ. પ્રયોગો કરવા હોય તો માણસો પર કરવા જોઈએ. શા માટે આપણે ઉંદરો પર પ્રયોગ કરીએ છીએ? આ અંગે કોઈ આઈડિયા નથી. પરંપરા હોઈ શકે...
આપણે ભયાનક સ્થિતિ તરફ આગળ વધી રહ્યા છીએ. હું ઈચ્છું છું કે મારો પુર્નજન્મ થાય તો કોઈ બીજા પ્લેનેટ પર થાય!!

સૌજન્ય સહ:
ManekaGandhi
Samvedna( ગુજરાત સમાચાર)

   

10 ઑક્ટો, 2020

पेड़ों के मज़ेदार तथ्य

पेड़ों के मज़ेदार तथ्य



1. एक पूरी तरह से उगा हुआ वृक्ष एक नए लगाएँ गए पौधे से 70 गुना ज्यादा पर्यावरण(वातावरण) को साफ रखता है।

2. दुनिया के 80 प्रतीशत जंगल काट दिए गए है। अंग्रेजों के आने से पहले उत्तर भारत भी ज्यादातर जंगलो से घिरा हुआ था।

3. एक पूरी तरह से ऊगे गुए पेड़ की कीमत लगभग 5000 तक होती है।

4. एक साधारण पेड़ प्रतिदिन पाँच मनुष्यों के सांस लेने जितनी ऑक्सीजन की पूरती करता है।

5. एक पेड़ एक साल में जितनी कार्बन सोखता है उतनी कार्बन एक कार 41,600 किलोमीटर चलने के बाद पैदा करती है।

6. एक पेड़ अपने पूरे जीवन काल के दौरान लगभग 1000 किलो कार्बनडाईआक्साइड सोखता है।

7. भारत के वैज्ञानिक श्री जगदीस चंदर बोस जी ने सबसे पहले एक ऐसा यंत्र बनाया था जो कि पेड़ों का बढ़ना माप सकता है। यह उपकरण उन्होंने मात्र 300 रूपए के साज-समान से बनाया था जिसे कि क्रैसकोग्राफ नाम दिया गया। इसके लिए उन्हें नोबेल पुरूषकार भी मिला था। वह एशिया के सर्वप्रथम वैज्ञानिक थे जिन्हें कि नोबेल पुरूषकार मिला था।

8. अध्ययनों से पता चला है कि पौधे सेहत में सुधार के निए बहुत ही महत्वपूर्ण भुमिका निभाते है। एक मरीज जो कि अस्पताल के कमरे से हरे-भरे पेड़ों को देखता है उसकी तबीयत में जन्दी-जल्दी सुधार होता है।

9. क्या आप जानते है कि पेड़ कभी भी बड़ी उम्र की वजह से नही मरते हैं। वह हमेशा बिमारी, कीड़ो जा फिर मनुष्य की वजह से ही मरते है। अन्यथा यह कभी भी नही मरते। कलकत्ते में एक वृक्ष है जिसकी आयु 2000 साल से ज्यादा है। अमृतसर के श्री हरिमंदिर साहिब में भी एक पवित्र वृक्ष है जिसकी आयु भी कुछ सौ वर्ष है।

10. एक पेड़ सालाना 2000 लीटर पानी धरती में से चूस लेते है।

11. एक बड़े समाचार पत्र के रोजाना संस्करण 500 पेड़ों से बने होते है। हर एक किताब जो आप ने कभी पढ़ी थी किसी समय वह एक पेड़ थी।

12. पेड़ अपनी 10 प्रतीशत खुराक मिट्टी से जबकि 90 प्रतीशत हवा से लेते है।

13. विक्ष्व भर में पेड़ो की 20,000 प्रजातीया पाई जाती है। भारत में सबसे ज्यादा प्रजातीयां पाई जाती है। अमरीका दूसरे स्थान पर है।

14. अमेजन बेसिन सबसे बड़ा क्षेत्र है जो कि वनों के अधीन है। यह लगभग 3,30,075 वर्ग किलोमीटर है जो कि महाराष्ट्र (3,07,713) से थोड़ा ज्यादा है।

15. बाँस तेज़ी से बढ़ता है और इसकी कुछ प्रजातियों की बढ़वार साल के कुछ दिनों में 1 मीटर प्रति घंटा तक पहुँच जाती है।

16. केले के पेड़ लगभग 20 फुट तक बढ़ जाते हैं।

17. चीन के लगभग 20 प्रतीशत पेड़ दवाई बनाने के लिए प्रयोग किए जाते हैं।

18. एक पूरा उगा सनौबर का पेड़(Birch) एक साल में 10 लाख बीज पैदा करता है।

19. एक ऐकड़ पेड़ों को बचाने के लिए आपको 1 टन कागज का पुर्नउत्पादन(recycle) करना पड़ेगा।

20. एक ऐकड़ में उगे पेड़ों के पत्ते और शाखाएँ जितनी गिरती है उसका भार एक टन होता है जो प्राक्रितक खाद्य के लिए काफी है।




कम्प्यूटर के बारे में रोचक तथ्य

कम्प्यूटर के बारे में रोचक तथ्य



1. Computer शब्द की उत्पति अंग्रेज़ी भाषा के शब्द ‘Compute’ से हुई है जिसका अर्थ है- गणना करना।

2. दुनिया के पहले Computer का नाम था – ENIAC (एनीयक – Electronic Numerical Integrator And Computer). ENIAC 15 फरवरी 1946 को दुनिया के सामने आया था।

3. ENIAC (एनीयक) 167 वर्ग मीटर की जगह में आता था और उसका वज़न 27 टन यानि कि 27000 किलो ग्राम था।

4. कम्प्यूटर का पितामह चार्ल्स बेबेज को कहा जाता है।

5. दुनिया का सिर्फ 10 प्रतीशत पैसा ही भौतिक रूप में है जबकि बाकी के धन का रख रखाव Computers द्वारा किया जाता है।

6. भारत में निर्मित पहला कंप्यूटर “सिद्धार्थ” है।

7. Doug Engelbart (डग एंजेलबर्ट) ने 1964 में पहला Computer Mouse बनाया था जो कि लकड़ी का बना हुआ था।

8. अगर कम्प्यूटर की शक्ति हमारे दिमाग जितनी हो जाए तो वह एक सैकेंड में 1 हज़ार लाख करोड़ निर्देशों पर काम कर सकता है। इससे पता चलता है कि ईश्वर ने हमारे दिमाग को कितना शक्तिशाली बनाया है।

9. एक औसत इंसान एक मिनट में 12 बार पलक झपकता है, पर यदि वह Computer पर काम कर रहा हो तो एक मिनट में सिर्फ 6 बार पलकें झपकेगा।

10. वैज्ञानिकों के अनुसार भारतीय भाषा “संस्कृत” कंप्यूटरकृत करने के लिए सबसे आसान है.

11. सबसे पहली Hard Disk 1979 में बनाई गई थी जो कि सिर्फ 5 MB डाटा ही Hold कर सकती थी।

12. पहली 1 GB की Hard Disk 1980 में आई थी जिसका वज़न 250 किलो और कीमत 25 लाख थी।




हिरोशिमा और नागासाकी पर गिरे परमाणु बंबो से जुड़े तथ्य

हिरोशिमा और नागासाकी पर गिरे परमाणु बंबो से जुड़े तथ्य



1. पहला परमाणु बंब 6 अगस्त 1945 को सुबह सवा आठ बज़े हिरोशिमा पर और दूसरा इसके सिर्फ तीन दिन बाद, यानि कि 9 अगस्त को नागासाकी पर गिराया गया था।

2. हिरोशिमा पर जो परमाणु बंब गिराया गया था उसका नाम ‘Little Boy‘ और नागासाकी पर गिराए गए परमाणु बंब का नाम ‘Fat Man‘ था।

3. पहला बंब हिरोशिमा पर गिराए जाने का फैसला बंब गिराने से सिर्फ एक घंटे पहले लिया गया था क्योंकि हिरोशिमा का मौसम साफ था और प्लेन को आसानी से उड़ाया जा सकता था.

4. नागासाकी पर जो बंब गिराया गया था उसे पहले जापान के कोकुरा शहर पर गिराया जाना था, पर कोकुरा शहर का मौसम उस समय साफ़ नही था इसलिए अमेरिकी सेना ने बंब को नागासाकी पर ही गिरा दिया।

5. हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए दोनो बंब एक दूसरे से बिलकुल अलग थे। 6 अगस्त को हिरोशिमा पर गिराया गया ‘लिटल ब्वॉय’ युरेनियम पर आधारित था और उसका वज़न 4000 किलो और लंबाई 10 फुट थी। नागासाकी पर गिराया गया ‘फैटमैन’ प्लुटोनियम पर आधारित था और उसकी वज़न 4500 किलो और लंबाई 11.5 फुट थी।

6. सुतोमो यामागुच्ची (Tsutomu Yamaguchi) हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए जाने वाले दोनों बंबो से पीड़ित व्यक्ति हैं। हिरोशिमा पर बंब गिरने के दिन वो वहीं ते और बंब फटने के बाद उनके शरीर का कुछ हिस्सा बुरी तरह से झुलस गया और वो इलाज़ के लिए नागासाकी आ गए, जब वो हिरोशिमा बंब धमाके का हाल अपने एक करीबी को बता ही रहे थे तब अचानक नागासाकी वाले बंब के धमाके की आवाज़ भी उन्हें सुनाई थी। पर इस बार उन्हें कोई खा़स चोट नही आई थी क्योंकि वो बंब के प्रभाव क्षेत्र से थोड़ी दूर थे। सुतोमो यामागुच्ची का निधन 2010 में पेट के कैंसर की वजह से हो गया था।

7. हिरोशिमा और नागासाकी आज रेडियोएक्टिव फ्री शहर है क्योंकि दोनो बंब जमीन से कुछ सौ फुट की ऊँचाई पर हवा में फटे थे।

8. दोनो परमाणु बंबों के फटने से कुछ समय इनके आसपास के 4-5 किलोमीटर के दायरे का तापमान 6 हज़ार डिग्री सेल्सीयस तक पहुँच गया था।

9. परमाणु बंबों के कारण हिरोशिमा और नागासाकी के लगभग तीन लाख लोग मारे गए थे। लगभग एक लाख लोग तो बंब गिरते ही मारे गए थे और बाकी के दो लाख अगले कुछ सालों में कैंसर जैसी गंभीर बिमारियों से लड़ते हुए तिल – तिल कर मर गए।

10. अमेरिका ने कभी इन परमाणु बंबों से हुए जानी नुकसान की माफी नही मांगी। हाल ही में बराक ओबामा हिरोशिमा धमाके की बर्सी पर शोक प्रगट करने जापान जरूर गए थे, पर माफ़ी मांगने से इंकार कर दिया था।

11. सीटी स्कैन कराने से शरीर में उतनी ही रेडियशन की मात्रा पहुँचती है जितनी हिरोशिमा धमाके के प्रभाव क्षेत्र से दो किलोमीटर दूर स्तिथ व्यक्तिों में पहुँची।

12. हिरोशिमा बंब धमाके में लगभग 15 अमेरिकी भी मारे गए थे, इस बात का पता अमेरिका को 1970 में लगा।




टॉयलेट से जुड़े तथ्य

टॉयलेट से जुड़े तथ्य



1. ताइवान में एक ऐसा होटल है जहां टायलेट सीट जैसे बर्तनों में खाना परोसा जाता है।

2. हम अपनी जिंदगी के 4 से 6 महीने शौच करने में बिता देते हैं।

3. Computer Keyboard पर बैक्टीरीया की मात्रा एक टॉयलेट सीट से 200 गुणा ज्यादा होती है।

4. इंग्लिस स्टाइल टॉयलेट को एक बार flush करने से 6 लीटर पानी की खप्त होती है।

5. आपके मोबाइल फोन पर टॉयलेट सीट से 18 गुणा ज्यादा बैक्टीरीया होते है।

6. आपको जानकर हैरानी होगी कि एक औसत टेबल डेस्क पर टॉयलेट सीट से 400 गुणा ज्यादा बैक्टीरीया होते है।

7. चीन में कुत्तों के लिए भी पबलिक टॉयलेटस की व्यवस्था है।

8. प्राचीन रोम में कोई चीज़ों के लिए अलग-अलग देवता होते थे। यहा तक कि गंदे नाले, टॉयलेट और मलमूत्र के लिए भी एक अलग-अलग देवता जा देवी थी।

9. अगर आप टॉयलेट में अपना मोबाइल फोन ले जाते है, तो आप टॉयलेट में ज्यादा समय बिताएंगे।

10. दुनिया के सबसे पुराने टॉयलेट स्कॉटलैंड में मिले थे जो कि तकरीबन 5000 साल पुराने हैं।

11. दुनिया के करीब 250 करोड़ लोग खुले में शौच जाने को मज़बूर है। यह दुनिया की कुल आबादी का 36 प्रतीशत हिस्सा है।

12. खुले में टॉयलेट जाने के मामले में भारत दुनिया का नंबर वन देश है, भारत के लगभग 64 करोड़ लोग रोज़ाना खुले में शौच जाने पर मज़बूर है जो देश की कुल आबादी का 53 प्रतीशत हिस्सा है।

13. भारत के 53 प्रतीशत के मुकाबले पाकिस्तान के 24 प्रतीशत और चीन के सिर्फ 4 प्रतीशत लोगों के पास शौचालय की सुविधा नही है।

14. भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में 70 फीसदी घरों के पास टायलेट की सुविधा नही है, शहरी क्षेत्रों में यह आंकड़ा 20 फीसदी है।

15. हमारे लिए यह दुख की बात है कि भारत की 30 करोड़ महिलाएं रोज़ाना खुले में शौच जाने के लिए मज़बूर हैं।

16. आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया में लोगों के पास शौचालयों से ज्यादा मोबाइल फोन हैं। यहां तक जिन लोगों के पास शौचालय की सुविधा नही है, उनमें से भी 35 प्रतीशत लोगों के पास मोबाइल फोन है।

17. शौचालयों की कमी के कारण पैदा होने वाली गंदगी, बिमारियों और मौतों के कारण भारत को हर साल 24,000 हज़ार करोड़ रूपए का नुकसान होता है।

18. दुनिया के 40 प्रतीशत बिमार लोग, खुले में शौच जाने की वजह से गंभीर बिमारियों का शिकार होते हैं।

19. शौचालयों की कमी के कारण होने वाली बिमारियों से दुनिया में हर साल 8 लाख बच्चों की मौत हो जाती है, यानि कि हर दिन 2200 बच्चों की मौत।

20. दुनिया में शौचालयों की कमी के प्रति जागरूक करने के लिए वर्ष 2001 में United Nations ने यह ऐलान किया था कि हर साल 19 नवंबर का दिन ‘विश्व शौचाल्य दिवस‘ के रूप में मनाया जाएगा।




संस्कृत से जुड़े रोचक तथ्य

संस्कृत से जुड़े रोचक तथ्य



1. 1987 में अमरीका की फोब्र्स पत्रिका के अनुसार संस्कृत कंप्युटर प्रोग्रामिंग के लिए सबसे अच्छी भाषा है। क्योंकि इसकी व्याकरण प्रोग्रामिंग भाषा से मिलती जुलती है।

2. जर्मन स्टेट युनिवर्सिटी के अनुसार हिंदु कैलेंडर वर्तमान समय में इस्तेमाल किया जाने वाला सबसे अच्छा कैलेंडर है। क्योंकि इस कैंलेडर में नया साल सौर प्रणाली के भूवैज्ञानिक परिवर्तन के साथ शुरू होता है।

3. अमेरिकन हिंदु युनिवर्सिटी के अनुसार संस्कृत में बात करने वाला मनुष्य बीपी, मधुमैह, कोलेस्ट्रॉल आदि रोग से मुक्त हो जाएगा। संस्कृत में बात करने से मानव शरीर का तंत्रिका तंत्र सक्रिय रहता है जिससे कि व्यकति का शरीर सकारात्मक आवेश के साथ सक्रिय हो जाता है।

4. संस्कृत साहित्य का अधिकतर साहित्य पद्य में रचा गया है, जब कि अन्य भाषाओं का ज़्यादातर साहित्य गद्य में पाया जाता है।

5. दुनिया के 17 देशों में एक या अधिक संस्कृत विक्ष्वविद्यालय संस्कृत के बारे में अध्ययन और नई प्रौद्योगिकी प्राप्त करने के लिए हैं, पर संस्कृत को समर्पित उसके वास्तविक अध्ययन के लिए एक भी संस्कृत विक्ष्वविद्यालय भारत में नही है।

6. दुनिया की 97 प्रतीशत भाषाएँ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इसी भाषा से प्रभावित हैं। हिन्दी, उर्दु, कश्मीरी, उड़िया, बांग्ला, मराठी, सिन्धी और पंजाबी भाषा की उत्पती संस्कृत से ही हुई है।

7. अमेरिका, रूस, स्वीडन,जर्मनी, इंग्लैंड, फ्रांस, जापान और ऑस्ट्रेलीया वर्तमान में भरत नाट्यम और नटराज के महत्व के बारे में शोध कर रहै हैं। (नटराज शिव जी कै कॉस्मिक नृत्य है। जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के सामने शिव या नटराज की एक मुर्ति है।)

8. विक्ष्व की सभी भाषाओं में एक शब्द का एक या कुछ ही रूप होते हैं, जबकि संस्कृत में प्रत्येक शब्द के 25 रूप होते हैं।

9. शोध से पाया गया है कि संस्कृत पढ़ने से स्मरण शक्ति(यादआशत) बढ़ती है।

10. इंग्लैंड़ वर्तमान में हमारे श्री-चक्र पर आधारित एक रक्षा प्रणाली पर शोध कर रहा है।

11. संस्कृत वाक्यों में शब्दों की किसी भी क्रम में रखा जा सकता है। इससे अर्थ का अनर्थ होने की बहुत कम या कोई भी सम्भावना नही होती। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि सभी शब्द विभक्ति और वचन के अनुसार होते हैं। जैसै- अहं गृहं गच्छामि या गच्छामि गृहं अहं दोनो ही ठीक हैं।

14. नासा के वैज्ञानिकों के अनुसार जब वो अंतरिक्ष ट्रैवलर्स को मैसेज भेजते थे तो उनके वाक्य उलट हो जाते थे। इस वजह से मैसेज का अर्थ ही बदल जाता था। उन्होंले कई भाषाओं का प्रयोग किया लेकिन हर बार यही समस्या आई। आखिर में उन्होंने संस्कृत में मैसेज भेजा क्योंकि संस्कृत के वाक्य उलटे हो जाने पर भी अपना अर्थ नही बदलते हैं।




बाइबल से जुड़े हैरान कर देने वाले fact

बाइबल से जुड़े हैरान कर देने वाले तथ्य



1. बाइबल ईसाई धर्म की सबसे प्रमुख पुस्तक है। इस पुस्तक को ईसा मसीह के बाद उनके शिष्यों द्वारा लिखा गया था।

2. बाइबल में ईसा मसीह की जीवनी, उनके उपदेश और उनके शिष्यों के किए गए काम लिखे गए हैं। इसमें कई मिथक कथाओं का भी वर्णन है।

3. माना जाता है कि बाइबल इतिहास से लेकर वर्तमान तक, सबसे ज्यादा बिकने वाली पुस्तक है, एक अनुमान के अनुसार इसकी करीब 500 करोड़ Copies की बिक्री हो चुकी है।

4. वर्तमान समय में बाइबल 2400 से ज्यादा भाषाओं में उपलब्ध है।

5. China में बाइबल की सबसे ज्यादा Copies त्यार की जाती हैं।

6. बाइबल में बाइबल की कस्म खाने की मनाही की गई है। इसी वजह से भारतीय अदालतों में किसी ईसाई को गवाही देने से पहले बाइबल की कस्म नही दिलाई जाती।

7. उत्तर कोरिया में अगर किसी के पास से बाइबल बरामद हो जाए तो उसे मौत की सजा दी जा सकती है।

8. बाइबल में ईसा मसीह की शारीरिक बनावट और रंग-रूप का कोई वर्णन नही मिलता है।

9. Dominican Republic (डोमिनिकन रिपब्लिक) एकलौता देश है, जिसके झंडे में बाइबल अंकित है।

10. बाइबल की एक कहानी के अनुसार भगवान ने 2 भालुओं को 42 बच्चों को सिर्फ इसलिए मारने के लिए भेजा था क्योंकि वो एक आदमी का गंजे होने के कारण मज़ाक उड़ा रहे थे।

11. इस्लाम के अनुसार बाइबल एक मार्ग भटकाने वाली पुस्तक है और कुरान इसकी गलतियों को सही करती है।

12. 17वीं सदी के युरोप में डायनासोरों के कंकालों को लेकर यह बात मानी जाती थी कि यह उन्हीं राक्षशों के अवशेष है जिनका वर्णन बाइबल में किया गया है।

13. बाइबल के अनुसार सारी पृथ्वी और इस पर जीने वाले सारे प्राणियों की रचना ईश्वर ने 6 हज़ार साल पहले की थी।




तंबाकू के बारे में रोचक तथ्य

तंबाकू के बारे में रोचक तथ्य



1. तबाकू कानूनी तौर पर बिकने वाला एक मात्र ऐसा पदार्थ है जिसका निर्देशों के अनुसार सेवन करने से भी दूनिया में हर 6 सैकेंड में एक व्यक्ति की मौत हो जाती है।

2. भारत की 35 प्रतीशत आबादी किसी ना किसी रूप में तबाकू का सेवन करती है।

3. WHO की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत के 48 प्रतीशत पुरूष और 20 प्रतीशत महिलाएँ तंबाकू का सेवन करती हैं।

4. भारत में तंबाकू का सेवन करने वाले 60 प्रतीशत लोग सुबह ऊठने के आधे घंटे के भीतर ही तंबाकू का सेवन करते हैं।

5. भारत में लोग औसतन 17 साल की उम्र में ही तंबाकू का सेवन करना शुरू कर देते है जबकि 28 प्रतीशत महिलाएँ 15 साल की उम्र में ही तंबाकू का सेवन शुरू कर देती हैं।

6. भारत में 16 करोड़ लोग धुआं रहित तंबाकू का सेवन करते हैं और इनमें से ज्यादातर लोग तंबाकू को चबाते हैं जैसे कि गुटखा, जर्दा, खैनी आदि।

7. भारत में हर रोज़ 6000 बच्चे तंबाकू सेवन की शुरूआत करते हैं।

8. दूनिया में हर साल तंबाकू का सेवन करने से 60 लाख लोग मरते हैं और इन 60 लाख लोगों में से 10 लाख लोग भारत के होते हैं। इसका मतलब है कि हर दिन भारत में 3500 मौतें तंबाकू का सेवन करने से होती हैं।

9. भारत में 40 प्रतीशत कैंसर के मामले तंबाकू का सेवन करने के कारण होते हैं।

10. भारत में 50 प्रतीशत लोग Second Hand Smoking करने को मज़बूर हो। जब तंबाकू सेवन करने वाले लोगों की वजह से उत्पन्न हुआ धुआं दूसरे लोगों के शरीर में जाए तो इसे Second Hand Smoking कहते हैं।

11. Second Hand Smoking के कारण हर साल 6 लाख लोग मारे जाते हैं।

12. सिगरेट – बीड़ी पीना छोड़ के आप हार्ट अटैक के खतरे को 50 प्रतीशत तक कम कर सकते हैं।

13. एक सिगरेट पीने से हमारी जिंदगी के 11 मिनट कम हो जाते हैं। इसका मतलब है कि अगर आप दिन में 20 सिगरेट पीते है तो आपकी जिंदगी के 220 मिनट जा 3 घंटे 40 मिनट कम हो जाते हैं।

14. अगर आप साल भर प्रति दिन 20 सिगरेट पीते हैं तो आपकी जिंदगी के 55 दिन जा 1320 घंटे कम हो जाते हैं। मतलब कि 10 साल सिगरेट पीने वाला व्यक्ति अपनी जिंदगी के 550 दिन कम कर लेता है।

15. धूम्रपान करने वाले व्यक्ति की उम्र , धूम्रपान ना करने वाले व्यक्ति की तुलना में 22 से 26 प्रतीशत तक कम हो जाती है।

16. भारत तंबाकू उत्पादन के मामले में चीन की बाद दूसरे स्थान पर आता है। भारत में हर साल 80 करोड़ किलो तंबाकू का उत्पादन होता है।

17. भारत के तंबाकू उद्योग से 4 करोड़ 50 लाख लोग जुड़े हुए हैं।

18. एक अनुमान के अनुसार 2018 तक भारत में तंबाकू का कारोबार 2 लाख 35 हज़ार करोड़ रूपए का होगा।

19. 2015 में तंबाकू पर लगाए जाने वाले टैक्स से भारत सरकार को 21,463 करोड़ की आमदनी हुई थी।

20. भारत में सिगरेट कई देशों के मुकाबले 175 फीसदी सस्ती पड़ती है।

21. सिगरेट – बीड़ी छोड़ने के 8 घंटे बाद शरीर से कार्बन मोनोऑक्साइड बाहर निकल जाती है। 5 दिनों बाद शरीर में मौजूद सारी निकोटीन बाहर निकल जाती है। 1 हफ्ते बाद खाने – पीने की चीज़ों में स्वाद आने लगता है। 3 हफ्ते बाद फेफड़े 30 प्रतीशत बेहतर काम करने लगते हैं।