31 ઑક્ટો, 2022

HAPPY WORLD HEALTH DAY TO ALL

*HAPPY WORLD HEALTH DAY TO ALL...* 
*_Important numbers to remember :_*
*1. Blood pressure : 120 / 80*
*2. Pulse                   : 70 - 100*
*3. Temperature     : 36.8 - 37*
*4. Respiration        : 12-16*
                        *Males     (13.50-18)*
                        *Females ( 11.50 - 16)* 
*6. Cholesterol        : 130 - 200*
*7. Potassium          : 3.50 - 5*
*8. Sodium                : 135 - 145*
*9. Triglycerides      : 220*
*10. Amount of blood in the body :* 
                            *Pcv 30-40%*
*11. Sugar*             
              *Children     : 70-130*
              *Adults        : 70 - 115*
*12. Iron                    : 8-15 mg*
*13. WBC                   : 4000 - 11000*
*14. Platelets           : 150,000 - 400,000*
*15. RBC                     : 4.50 - 6 million*
*16. Calcium              : 8.6 - 10.3 mg/dL*
*17. Vitamin D3        : 20 - 50 ng/ml*
                                  *(nanograms/ml)*
*18. Vitamin B12       : 200 - 900 pg/ml*

  *_Tips for the 60 plus_*

 *First Tip:*
 Always drink water even if you don't feel thirsty!!
 The biggest health problem  is from the lack of water in the body!
2 litres Minimum per day (24 hours) 

*Second Tip:*
 Play sports even when you are very busy!
The body must be moved, even if only by walking or swimming or any kind of sport!.🚶 
Walking is good for a start!👌

 *Third Tip:*
Reduce food!
Leave excessive food cravings  because it never does good!
Don't deprive yourself  but reduce the quantity!
 Use more of Protein & Carbohydrates based foods. 

 *Fourth Tip*
 As much as possible, do not use the car unless absolutely necessary! Try to reach on foot for what you want (grocery, visiting someone or any goal)!  Climb stairs instead of  using an elevator/ escalator. 

*Fifth Tip*
 Let go of Anger!!
 Let go of worry!!
Try to overlook things...
 
Do not involve yourself in situations of disturbances! They all diminish health and take away the splendor of the soul. Talk to people who are positive and listen 👂 

*Sixth Tip*
 As it is said....'leave your money in the Sun  and sit in the shade'!!
Don't limit yourself and those around you.
Money was made to live by it, not to live for it.

*Seventh Tip*
 Don't make yourself feel sorry for anyone nor on something you could not achieve, 
nor anything that you could not own!
 Ignore it, forget it!🤔

*Eighth Tip*
Humility! Money, Prestige, Power and Influence  are all things that are corrupted by arrogance!
 Humility is what brings people closer to you with love.!☺ 

*Ninth Tip*
If your hair turns grey, this does not mean the end of life! It is a proof that a better life has begun! 🙋
 Be optimistic, travel, enjoy yourself!  Make memories!

*WorldHealthDay*

28 ઑક્ટો, 2022

आज का हिन्दू पंचांग

*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*

*⛅दिनांक - 29 अक्टूबर 2022*
*⛅दिन - शनिवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमंत*
*⛅मास - कार्तिक*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - चतुर्थी सुबह 08:13 तक तत्पश्चात पंचमी*
*⛅नक्षत्र - जेष्ठा सुबह 09:06 तक तत्पश्चात मूल*
*⛅योग - अतिगण्ड रात्रि 10:23 तक तत्पश्चात सुकर्मा*
*⛅राहु काल - सुबह 09:33 से 10:58 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:43*
*⛅सूर्यास्त - 06:04*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:02 से 05:52 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 11:58 से 12:49 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - लाभ पंचमी*
*⛅विशेष - चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है । पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🌹 वास्तविक लाभ पाने का दिन लाभपंचमी : 29 अक्टूबर 2022*

*🌹 कार्तिक शुक्ल पंचमी ‘लाभपंचमी' कहलाती है । इसे ‘सौभाग्य पंचमी' भी कहते हैं । जैन लोग इसको ‘ज्ञान पंचमी' कहते हैं । व्यापारी लोग अपने धंधे का मुहूर्त आदि लाभपंचमी को ही करते हैं । लाभपंचमी के दिन धर्मसम्मत जो भी धंधा शुरू किया जाता है उसमें बहुत-बहुत बरकत आती है । यह सब तो ठीक है लेकिन संतों-महापुरुषों के मार्गदर्शन-अनुसार चलने का निश्चय करके भगवद्भक्ति के प्रभाव से काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार इन पाँचों विकारों के प्रभाव को खत्म करने का दिन है लाभपंचमी ।*

*🔹 लाभपंचमी के पाँच बातें अपने जीवन में लायें*

*१. अपने जीवन में कर्म अच्छे करना ।*

*२. आहार शुद्ध करना ।*

*३. मन को थोड़ा नियंत्रित करना कि इतनी देर जप में, ध्यान में बैठना है तो बैठना है, इतने मिनट मौन रहना है तो रहना है ।*

*४. शत्रु और मित्र के भय का प्रसंग आये तो सतत जागृत रहना । मित्र नाराज न हो जाय, शत्रु ऐसा तो नहीं कर देगा इस भय को तुरंत हटा दो ।*

*५. सत्य और असत्य के बीच के भेद को दृढ़ करो । शरीर मिथ्या है । शरीर सत् भी नहीं, असत् भी नहीं । असत् कभी नहीं होता और सत् कभी नहीं मिटता, मिथ्या हो-होके मिट जाता है । शरीर मिथ्या है, मैं आत्मा सत्य हूँ । सुख-दुःख, मान-अपमान, रोग आरोग्य सब मिथ्या है लेकिन आत्मा परमात्मा सत्य है । लाभपंचमी के दिन इसे समझकर सावधान हो जाना चाहिए ।*

*(४) पाँच कर्मदोषों से बचना चाहिए:*

*१. नासमझीपूर्वक कर्म करने से बचें, ठीक से समझकर फिर काम करें ।*

*२. अभिमानपूर्वक कर्म करने से बचें ।*

*३. रागपूर्वक अपने को कहीं फँसायें नहीं, किसीसे संबंध जोड़ें नहीं ।*

*४. द्वेषपूर्ण बर्ताव करने से बचें ।*

*५. भयभीत होकर कार्य करने से बचें। इन पाँच दोषों से रहित तुम्हारे कर्म भी लाभपंचमी को पंचामृत हो जायेंगे ।*

*🔹पाँच काम करने में कभी देर नहीं करनी चाहिए ।🔹*

*🔹१. धर्म का कार्य करने में कभी देर मत करना ।*

*🔹२. सत्पात्र मिल जाय तो दान-पुण्य करने में देर नहीं करना ।*

*🔹३. सच्चे संत के सत्संग, सेवा आदि में देर मत करना ।*

*🔹४. सत्शास्त्रों का पठन, मनन, चिंतन तथा उसके अनुरूप आचरण करने में देर मत करना ।*

*🔹५. भय हो तो भय को मिटाने में देर मत करना । निर्भय नारायण का चिंतन करना और भय जिस कारण से होता है उस कारण को हटाना । यदि शत्रु सामने आ गया है, मृत्यु का भय है अथवा शत्रु जानलेवा कुछ करता है तो उससे बचने में अथवा उस पर वार करने में भय न करना । यह 'स्कंद पुराण' में लिखा है । तो विकार, चिंता, पाप-विचार ये सब भी शत्रु हैं, इनको किनारे लगाने में देर नहीं करनी चाहिए ।*

*🔹आर्थिक समृद्धि के लिए...🔹*

*🔹रात्रि में दही और सत्तू का सेवन करने से लक्ष्मी का निरादर होता है और बुद्धि भी कमजोर होती है । अतः आर्थिक समृद्धि और अपनी बुद्धि की सुरक्षा चाहनेवालों को इनका सेवन रात्रि में नहीं करना चाहिए ।*



5 ઑક્ટો, 2022

आज का हिन्दू पंचांग

yoyo:
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 06 अक्टूबर 2022*
*⛅दिन - गुरुवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - आश्विन*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - एकादशी सुबह 09:40 तक तत्पश्चात द्वादशी*
*⛅नक्षत्र - धनिष्ठा शाम 07:42 तक तत्पश्चात शतभिषा*
*⛅योग - शूल रात्रि 02:21 तक तत्पश्चात गण्ड*
*⛅राहु काल - दोपहर 01:56 से 03:25 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:33*
*⛅सूर्यास्त - 06:22*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:56 से 05:44 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:03 से 12:52 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - पापांकुशा एकादशी*
*⛅ विशेष - एकादशी को शिम्बी(सेम), द्वादशी को पूतिका(पोई) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)* 
*एकादशी के दिन चावल खाना वर्जित है ।*

*🔹नेत्रज्योति बढ़ाने के लिए🔹* 
*🔹दशहरे से शरद पूनम तक चन्द्रमा की चाँदनी में विशेष हितकारी रस, हितकारी किरणें होती हैं । इन दिनों चन्द्रमा की चाँदनी का लाभ उठाना, जिससे वर्षभर आप स्वस्थ और प्रसन्न रहें । नेत्रज्योति बढ़ाने के लिए दशहरे से शरद पूर्णिमा तक प्रतिदिन रात्रि में 15 से 20 मिनट तक चन्द्रमा के ऊपर त्राटक (पलकें झपकाये बिना एकटक देखना) करें ।* - *🌹🌹*

*🔹पापांकुशा एकादशी - 06 अक्टूबर 2022🔹*
*एकादशी 05 अक्टूबर दोपहर 12:01 से 06 अक्टूबर सुबह 09:40 तक । उपवास 06 अक्टूबर गुरुवार को रखें ।*

*👉 एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है ।*
*👉 जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।*
*👉 जो पुण्य गौ-दान, सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।*
*👉 एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं । इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है ।*
*👉 धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।*
*👉 कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।*
*👉 परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है । पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ । भगवान शिवजी ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है ।*

*🔹एकादशी में क्या करें, क्या न करें ?🔹*

*🌹1. एकादशी को लकड़ी का दातुन तथा पेस्ट का उपयोग न करें । नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और उँगली से कंठ शुद्ध कर लें । वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है, अत: स्वयं गिरे हुए पत्ते का सेवन करें ।*

*🌹2. स्नानादि कर के गीता पाठ करें, श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें ।* 

*🌹हर एकादशी को श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है ।*

*🌹राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।*
*सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ।।*

*एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से श्री विष्णुसहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l*

*🌹3. `ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादश अक्षर मंत्र अथवा गुरुमंत्र का जप करना चाहिए ।*

*🌹4. चोर, पाखण्डी और दुराचारी मनुष्य से बात नहीं करना चाहिए, यथा संभव मौन रहें ।*

*🌹5. एकादशी के दिन भूल कर भी चावल नहीं खाना चाहिए न ही किसी को खिलाना चाहिए । इस दिन फलाहार अथवा घर में निकाला हुआ फल का रस अथवा दूध या जल पर रहना लाभदायक है ।*

*🌹6. व्रत के (दशमी, एकादशी और द्वादशी) - इन तीन दिनों में काँसे के बर्तन, मांस, प्याज, लहसुन, मसूर, उड़द, चने, कोदो (एक प्रकार का धान), शाक, शहद, तेल और अत्यम्बुपान (अधिक जल का सेवन) - इनका सेवन न करें ।*

*🌹7. फलाहारी को गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग इत्यादि सेवन नहीं करना चाहिए । आम, अंगूर, केला, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करना चाहिए ।*

*🌹8. जुआ, निद्रा, पान, परायी निन्दा, चुगली, चोरी, हिंसा, मैथुन, क्रोध तथा झूठ, कपटादि अन्य कुकर्मों से नितान्त दूर रहना चाहिए ।*

*🌹9. भूलवश किसी निन्दक से बात हो जाय तो इस दोष को दूर करने के लिए भगवान सूर्य के दर्शन तथा धूप-दीप से श्रीहरि की पूजा कर क्षमा माँग लेनी चाहिए ।*

*🌹10. एकादशी के दिन घर में झाडू नहीं लगायें । इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है ।*

*🌹10. एकादशी के दिन घर में झाडू नहीं लगायें । इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है ।*

*🌹11. इस दिन बाल नहीं कटायें ।*

*🌹12. इस दिन यथाशक्ति अन्नदान करें किन्तु स्वयं किसीका दिया हुआ अन्न कदापि ग्रहण न करें ।*

*🌹13. एकादशी की रात में भगवान विष्णु के आगे जागरण करना चाहिए (जागरण रात्र 1 बजे तक) ।*

*🌹14. जो श्रीहरि के समीप जागरण करते समय रात में दीपक जलाता है, उसका पुण्य सौ कल्पों में भी नष्ट नहीं होता है ।*

*🔹 इस विधि से व्रत करनेवाला उत्तम फल को प्राप्त करता है ।*

*🌞

4 ઑક્ટો, 2022

श्री दुर्गा माँ के 108 नाम (अर्थ सहित)

श्री दुर्गा माँ के 108 नाम (अर्थ सहित)
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1. सती- अग्नि में जल कर भी जीवित होने वाली
2. साध्वी- आशावादी
3. भवप्रीता- भगवान् शिव पर प्रीति रखने वाली
4. भवानी- ब्रह्मांड की निवास
5. भवमोचनी- संसार बंधनों से मुक्त करने वाली
6. आर्या- देवी
7. दुर्गा- अपराजेय
8. जया- विजयी
9. आद्य- शुरूआत की वास्तविकता
10. त्रिनेत्र- तीन आँखों वाली
11. शूलधारिणी- शूल धारण करने वाली
12. पिनाकधारिणी- शिव का त्रिशूल धारण करने वाली
13. चित्रा- सुरम्य, सुंदर
14. चण्डघण्टा- प्रचण्ड स्वर से घण्टा नाद करने वाली, घंटे की आवाज निकालने वाली
15. महातपा- भारी तपस्या करने वाली
16. मन - मनन- शक्ति
17. बुद्धि- सर्वज्ञाता
18. अहंकारा- अभिमान करने वाली
19. चित्तरूपा- वह जो सोच की अवस्था में है
20. चिता- मृत्युशय्या
21. चिति- चेतना
22. सर्वमन्त्रमयी- सभी मंत्रों का ज्ञान रखने वाली
23. सत्ता- सत्-स्वरूपा, जो सब से ऊपर है
24. सत्यानन्दस्वरूपिणी- अनन्त आनंद का रूप
25. अनन्ता- जिनके स्वरूप का कहीं अन्त नहीं
26. भाविनी- सबको उत्पन्न करने वाली, खूबसूरत औरत
27. भाव्या- भावना एवं ध्यान करने योग्य
28. भव्या- कल्याणरूपा, भव्यता के साथ
29. अभव्या - जिससे बढ़कर भव्य कुछ नहीं
30. सदागति- हमेशा गति में, मोक्ष दान
31. शाम्भवी- शिवप्रिया, शंभू की पत्नी
32. देवमाता- देवगण की माता
33. चिन्ता- चिन्ता
34. रत्नप्रिया- गहने से प्यार
35. सर्वविद्या- ज्ञान का निवास
36. दक्षकन्या- दक्ष की बेटी
37. दक्षयज्ञविनाशिनी- दक्ष के यज्ञ को रोकने वाली
38. अपर्णा- तपस्या के समय पत्ते को भी न खाने वाली
39. अनेकवर्णा- अनेक रंगों वाली
40. पाटला- लाल रंग वाली
41. पाटलावती- गुलाब के फूल या लाल परिधान या फूल धारण करने वाली
42. पट्टाम्बरपरीधाना- रेशमी वस्त्र पहनने वाली
43. कलामंजीरारंजिनी- पायल को धारण करके प्रसन्न रहने वाली
44. अमेय- जिसकी कोई सीमा नहीं
45. विक्रमा- असीम पराक्रमी
46. क्रूरा- दैत्यों के प्रति कठोर
47. सुन्दरी- सुंदर रूप वाली
48. सुरसुन्दरी- अत्यंत सुंदर
49. वनदुर्गा- जंगलों की देवी
50. मातंगी- मतंगा की देवी
51. मातंगमुनिपूजिता- बाबा मतंगा द्वारा पूजनीय
52. ब्राह्मी- भगवान ब्रह्मा की शक्ति
53. माहेश्वरी- प्रभु शिव की शक्ति
54. इंद्री- इन्द्र की शक्ति
55. कौमारी- किशोरी
56. वैष्णवी- अजेय
57. चामुण्डा- चंड और मुंड का नाश करने वाली
58. वाराही- वराह पर सवार होने वाली
59. लक्ष्मी- सौभाग्य की देवी
60. पुरुषाकृति- वह जो पुरुष धारण कर ले
61. विमिलौत्त्कार्शिनी- आनन्द प्रदान करने वाली
62. ज्ञाना- ज्ञान से भरी हुई
63. क्रिया- हर कार्य में होने वाली
64. नित्या- अनन्त
65. बुद्धिदा- ज्ञान देने वाली
66. बहुला- विभिन्न रूपों वाली
67. बहुलप्रेमा- सर्व प्रिय
68. सर्ववाहनवाहना- सभी वाहन पर विराजमान होने वाली
69. निशुम्भशुम्भहननी- शुम्भ, निशुम्भ का वध करने वाली
70. महिषासुरमर्दिनि- महिषासुर का वध करने वाली
71. मधुकैटभहंत्री- मधु व कैटभ का नाश करने वाली
72. चण्डमुण्ड विनाशिनि- चंड और मुंड का नाश करने वाली
73. सर्वासुरविनाशा- सभी राक्षसों का नाश करने वाली
74. सर्वदानवघातिनी- संहार के लिए शक्ति रखने वाली
75. सर्वशास्त्रमयी- सभी सिद्धांतों में निपुण
76. सत्या- सच्चाई
77. सर्वास्त्रधारिणी- सभी हथियारों धारण करने वाली
78. अनेकशस्त्रहस्ता- हाथों में कई हथियार धारण करने वाली
79. अनेकास्त्रधारिणी- अनेक हथियारों को धारण करने वाली
80. कुमारी- सुंदर किशोरी
81. एककन्या- कन्या
82. कैशोरी- जवान लड़की
83. युवती- नारी
84. यति- तपस्वी
85. अप्रौढा- जो कभी पुराना ना हो
86. प्रौढा- जो पुराना है
87. वृद्धमाता- शिथिल
88. बलप्रदा- शक्ति देने वाली
89. महोदरी- ब्रह्मांड को संभालने वाली
90. मुक्तकेशी- खुले बाल वाली
91. घोररूपा- एक भयंकर दृष्टिकोण वाली
92. महाबला- अपार शक्ति वाली
93. अग्निज्वाला- मार्मिक आग की तरह
94. रौद्रमुखी- विध्वंसक रुद्र की तरह भयंकर चेहरा
95. कालरात्रि- काले रंग वाली
96. तपस्विनी- तपस्या में लगे हुए
97. नारायणी- भगवान नारायण की विनाशकारी रूप
98. भद्रकाली- काली का भयंकर रूप
99. विष्णुमाया- भगवान विष्णु का जादू
100. जलोदरी- ब्रह्मांड में निवास करने वाली
101. शिवदूती- भगवान शिव की राजदूत
102. करली - हिंसक
103. अनन्ता- विनाश रहित
104. परमेश्वरी- प्रथम देवी
105. कात्यायनी- ऋषि कात्यायन द्वारा पूजनीय
106. सावित्री- सूर्य की बेटी
107. प्रत्यक्षा- वास्तविक
108. ब्रह्मवादिनी- वर्तमान में हर जगह वास करने वाली।

🙏🌺"जय माता जी की"🌺🙏
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3 ઑક્ટો, 2022

अर्जुन तो थे , बस उनके हिस्से कृष्ण नहीं आये

वे सारे लड़के, अर्जुन तो थे
बस उनके हिस्से कृष्ण नहीं आये
उनके हिस्से आया
रोज का डेढ़ जीबी इंटरनेट

उन्होंने अपने कृष्ण को खूब तलाशा
कभी किसी youtuber की बातों में
तो कभी सौ रुपये की जिंदगी बदल देने वाली किताबों में

लेकिन, इन installment में मिली गीता ज्ञान ने
उन्हें अध्यात्म कम, capitalism ज्यादा सिखाया

कृष्ण के अभाव में
ये अर्जुन नहीं कर पाये,
सगे दुर्यधनों, दुःशासनों का वद्ध
अपने ही दिमाग में
इन्होंने किया कौरवों का पोषण

किसी द्रोणाचार्य ने नहीं दिया
इन्हें सर्वश्रेष्ठ बनाने का वचन
ये निहारते रहे मछली का जिस्म

द्रौपदियों ने किया, आखिरी वक़्त में इन्हें इंकार
जताया इनके काबिलियत पर संदेह

ये सारे अर्जुन ,अलसाकर अनमने से
फिलहाल निपटा रहे हैं Netflix,hot स्टार
कर रहे हैं , सरकारी वेकैंसी का इंतजार

ये बेचारे हैं confuse

लेकिन, मुझे है यकीन
एक रोज, ये उठेगें अचानक से
इन्हें याद आयेगा, कि ये चला सकते हैं धनुष
रखकर Redmi का फोन, उठा लेंगे गांडीव
तोड़ देंगे चक्रव्यूह और निकल आयेंगे बाहर

क्योंकि, चक्रव्यूह से बाहर निकलना अर्जुन को आता था
ऐसा महाभारत हमें बताती है.

आभार -अभिनव झा

1 ઑક્ટો, 2022

                   રુદ્રાભિષેક સ્તોત્ર 

ૐ નમો ભવાય , શર્વાય રુદ્રાય વરદાય ચ । પશૂનાં પતયે નિત્ય ઉગાય ચ કપર્દિને / ૧ /
 ૐ સંસાર સ્વરૂપ , સર્વ પ્રાણીઓનું કલ્યાણ કરનાર રુદ્ર , વરદાન આપનાર , પ્રાણીઓના સ્વામી , ઉગ્ર , કપર્દિ શિવને નમસ્કાર છે . 
મહાદેવાય ભીમાય ત્ર્યંબકાય શિવાય ચ । ઈશાનાય મખનાય નમસ્તે મખઘાતિને( ૨ )
સૌથી મોટા દેવ , ભયંકર સ્વરૂપવાળા , ત્રણ આંખોવાળા , કલ્યાણ સ્વર , જગતના ઇશ્વર , દક્ષના યજ્ઞનો નાશ કરનાર હે શિવ ! તમને નમસ્કાર છે . ( ૨ ) 
કુમાર ગુરવે નિત્ય નીલગ્રીવાય વેધસે । વિલોહિતાય ધૂત્રાય વ્યાધિનેનપરાજીતે |૩ I 
હંમેશાં કુમારોના ગુરુ , નીલકંઠવાળા , સૃષ્ટિનું સર્જન કરનારા , લાલ રંગવાળા , ધૂમ વર્ણ જેવા દેખાતા , વ્યાધિઓ સામે કદી પરાજય નહિ પામેલા તેવા શિવને નમસ્કાર છે . ( 3 )
 નિત્ય નીલશિખંડાય , શૂલિને દિવ્ય ચક્ષુષે હન્ઝેગોત્રે ત્રિનેત્રાય , વ્યાધાય ચ સુરેતસે ॥ ૪||
 નિત્ય શ્યામ કંઠવાળા ,હાથમાં ત્રિશૂલને ધારણ કરનારા , દિવ્ય આંખોવાળા , દુષ્ટોને હણનારા , ભક્તોનું રક્ષણ કરનારા , ત્રણ નેત્રવાળા , શિકારી સ્વરૂપવાળા , સુંદર વીર્યવાળા શિવને મારા નમસ્કાર છે .(૪) અચિંત્યાયામ્બિકાભર્કો સર્વદેવ સ્તુતાય ચ । વૃષભધ્વજાય મુંડાય જટિને બ્રહ્મચારિણે || ૫ ||
 ચિંતન ન થઇ શકે તેવા , માતા પાર્વતીના પતિ , બધા દેવો વડે જેમની સ્તુતિ કરાય છે તેવા , જેમની ધજામાં પોઠિયાનું ચિહ્ન છે એવા , ખોપરી ધારણ કરેલા , જટાજૂટ જટાવાળા , બ્રહ્મચારી એવા શિવને મારા નમસ્કાર છે .(૫)
તપ્તમાનાય સલિલે બાયા જિતાય ચા વિશાત્મને વિશ્વસૃજે વિષાવૃત્ય તિષ્ઠ  ||૬ ||
જળમાં તપતાં બ્રહ્મણીય , કોઇથી નહી જિતાયેલા , વિશ્વના આત્મા સ્વરૂપ , વિશ્વનું સર્જન કરનારા , વિશ્વને આચ્છાદિત કરીને રહેલા એવા શિવજીને મારા નમસ્કાર છે . ( 6 )
 નમો નમસ્તે સત્યાય ભૂતાનાં પ્રવભે નમઃ । પંચ વાય શર્વાય સંકરાય શિવાય ચ ।। ૭ ||
જે સત્ય સ્વરૂપ છે તેમને નમસ્કાર છે . પ્રાણીઓના પતિને નમસ્કાર છે , પાંચ મુખવાળા શર્વને નમસ્કાર છે , કલ્યાણકારી શિવને મારા નમસ્કાર છે .(૭)
 નમોડસ્તુ વાચસ્પતયે પ્રજાનાં પતયે નમઃ । નમો વિશ્વસ્ય પતયે , મહતા પતયે નમ : II ૮||
વાણીના પતિ શિવને નમસ્કાર છે , પ્રજાઓના પતિને નમસ્કાર છે , વિશ્વના પતિને નમસ્કાર છે , મહાન લોકોના પતિને મારા નમસ્કાર છે .
  નમઃ સહસ્ત્ર શિર્ષાય , સહસ્ત્ર ભુજ અન્યવે સહસ્ત્ર નેત્રે પાદાય , નમઃ સાંખ્યાય કર્મણે ||૯||
 હજાર મસ્તક વાળા , હજાર બાહુઓ તથા ક્રોધ સ્વરૂપ શિવને મારા નમસ્કાર છે . હજાર નેત્રોવાળા અને હજાર પગોવાળા , સાંખ્ય ( જ્ઞાન ) રૂપ અને કર્મરૂપ શિવજીને મારા નમસ્કાર છે . ( ૯ ) 
નમો હિરણ્યવર્ણાય , હિરણ્ય કવચાય ચ । ભકતાનુકંપિને નિત્યં સિધ્યતાં નો વઃ પ્રભો ॥ ૧૦ ॥ સુવર્ણ જેવા વર્ણવાળા સુવર્ણનું કવચ ધારણ કરવાવાળા , હંમેશા ભક્તો ઉપર | કૃપા કરનારા પ્રભુ શિવ ! અમારું વરદાન સિદ્ધ થાઓ . ( 10 )
 એવં સ્તુત્વા મહાદેવ , વાસુદેવાઃ સહાર્જુનઃ । પ્રસાદયામાસ ભવં , તદા શસ્ત્રોપલબ્ધયે ॥ ૧૧||
 આ પ્રમાણે કૃષ્ણ તથા અર્જુને મહાદેવ સદાશિવની સ્તુતિ કરીને તેમને પ્રસન કર્યા અને તેમનાથી શસ્ત્રોની પ્રાપ્તિ કરી . ( ૧૧ ) । 
                 તસ્યદિશિવાર્પણમ્ ।

2 સપ્ટે, 2022

ક્લામ કો સલામ

*ડો. અબ્દુલ કલામ સાહેબ નો એક જાણવા જેવો કિસ્સો... વર્ષ ૨૦૦૭ ના ત્રિચી જિલ્લા પોલીસ અધિક્ષક કલિયા મૂર્તિ પાસે રાષ્ટ્રપતિ કલામ સાહેબ નો ફૉન આવ્યો અને પૂછ્યું કે તમે જાણો છો કે તમારા જિલ્લા મા થુરેયુર નામ નું એક ગામ છે .. પોલીસ અધિક્ષક એ હા પાડી તો કલામ સાહેબ કહ્યું કે ત્યાં સરસ્વતી નામની ૧૭ વર્ષ ની કિશોરી ના લગ્ન જબરદસ્તી થી ૪૩ વર્ષ ના વ્યકિત સાથે કરાવાય રહ્યા છે મને જાણવા મળ્યું કે તે લગ્ન કરવા તૈયાર નથી અને તે ૧૨ મા ધોરણ મા જિલ્લા મા પ્રથમ સ્થાન મેળવ્યા બાદ આગળ ભણવા માગે છે.. શુ તમે મદદ કરી શકો છો ? અને કલામ સાહેબ ના આદેશ થી એક કલાક મા આ ગામ માં DSP ,SP ,DIG સહિત પોલીસ નો મોટો કાફલો લગ્ન સ્થળે પહોંચી ગયો .. તેમના માતાપિતા ને સમજાવી લગ્ન રદ કરવામાં આવ્યા.. અને કારણ જાણવા મળ્યું કે અતિશય ગરીબી અને પૈસા ના અભાવે આ નિર્ણય લીધો હતો.. જિલ્લા પોલીસ વડા એ દીકરી સરસ્વતી ને પૂછ્યું કે તુ આગળ ભણવા માગે છે ? અને કયા ભણવું છે...? તેણે જિલ્લા ની એક પ્રસિદ્ધ કોલેજ નું નામ આપ્યું.. જ્યાં તે કોમ્પુટર સાયન્સ મા પ્રવેશ લેવા માગતી હતી. સ્વાભાવિક છે કે તેને એક ફોન પર જ પ્રવેશ મળી ગયો.. કેમ કે તેમની ભલામણ ખુદ અબ્દુલ કલામ સાહેબ રાષ્ટ્રપતિ એ કરી હતી .. પ્રવેશ પછી પોલીસ વડા એ સરસ્વતી ને પૂછ્યું કે રાષ્ટ્રપતિ ને તારા કેસ ની ખબર કેવી રીતે પડી.. તો સરસ્વતી એ જણાવ્યું કે મે જ તેમને સીધો ફૉન કર્યો હતો.. વાત કેક એમ હતી એક વખત તેમની શાળા ના કાર્યક્રમ મા રાષ્ટ્રપતિ કલામ સાહેબ હાજર રહેવાના હતાં .. ત્યારે સરસ્વતી એ પૂછ્યું કે મારા જેવી છોકરી ઓ નો વિકાસ કેવી રીતે થય શકે ? ડો કલામ સાહેબ કહ્યું કે શિક્ષણ જ આનો જવાબ છે.... ત્યાર બાદ તેઓ મને તેમનું કાર્ડ અને ફોન નંબર આપી ને જતા રહ્યા.. જ્યારે મારી મરજી વિરુદ્ધ લગ્ન કરવા દબાણ કર્યું ત્યારે મે ડો કલામ સાહેબ ને ફૉન પર આપવીતી જણાવી અને મદદ કરવા વિનંતી કરી... અને બાકી નું કામગીરી તેમના આદેશ થી પોલીસ વડા એ પૂર્ણ કરી... આજે આ સરસ્વતી નામની યુવતી હ્યુસ્ટન મા માઈક્રોસોફ્ટ કંપની મા માસિક ૩ લાખ રૂપિયા ના પગાર ધોરણ પર વિદેશ માં નોકરી કરી પરિવાર સાથે સુખી જીવન જીવે છે... નિવૃત્ત જિલ્લા પોલીસ વડા કલીયા મૂર્તિ એ વર્ણવેલ ડો કલામ સાહેબ ની માનવતા ની સત્ય ઘટના....*
*(ક્લામ કો સલામ )*

23 ઑગસ્ટ, 2022

બહુ જ સુંદર લખાણ

બહુ જ *સુંદર લખાણ* છે.
ધીમે ધીમે ધ્યાનથી વાંચજો.
જરૂર ગમશે...

જીંદગી *સીતાફળ* જેવી છે,
હજી માંડ *ક્રીમ* ની મજા લઈએ, 
ત્યાં *ઠળિયો* આવી જાય છે.

વિશ્વાસ *સ્ટીકર* જેવો હોય છે.
*બીજી વખત* પહેલાં જેવો નથી ચોટતો.

*લાગણી* નું તો છે *ઘાસ* જેવું,
ઉગી આવે જ્યાં મળે *ભીનાશ* જેવું..

*વળાંક* આવે તો વળવું પડે
એને *રસ્તો* બદલ્યો ના કહેવાય..

મુઠ્ઠીભરનું *હૈયું*
ને ખોબાભરનું *પેટ*,
મુદ્દા તો બેજ
તોય કેટકેટલી *વેઠ..!!*

કોઈકે પૂછ્યું,
"તમે આટલા બધા *ખુશ*
કેવી રીતે રહી શકો છો?"
મેં કહ્યું,
"કેટલાકનું *સાંભળી લઉ છું*,
કેટલાકને *સંભાળી લઉ છું."*

*કડવું* બોલનારનું *"મધ"* વેચાતું નથી
  ને..
*મીઠું* બોલનારના *"મરચાં"* વેચાઈ જાય છે..

શિયાળામાં *લોહી* વહેતું રાખે એ માટે એક *તાપણું* જોઈએ,
અને
*લાગણી* વહેતી રાખે એ માટે એક *આપણું* જોઈએ.

જેને *ગમ્યો* એમણે *ધૂપ* કહી દીધો મને,
*ના ગમ્યો* જેને *ધુમાડો* કહી ગયા મને!

*પ્રભુને* મળવા ગયો, ને
*રસ્તો* ભૂલી ગયો, *માણસ* તો બનવા ગયો, પણ *પ્રેમ* ભૂલી ગયો,
*પરિવાર* ને પામવા ગયો ત્યાં
*ખુદ* ને ભૂલી ગયો, *પૈસા* ને પામવા ગયો, તો *પરિવાર* ને ભૂલી ગયો.
જિંદગીની દોડમાં હું *ઉંમર* ભૂલી ગયો,
અને ઉંમર યાદ આવી ત્યારે,
હું *જીવન* ભૂલી ગયો..
 
કોઇકની *ખામી* શોધવા વાળા *માખી* જેવા હોય છે, સાહેબ..
જે આખું *સુંદર* શરીર છોડીને *ઘાવ* ઉપર બેસતા હોય છે..

મારી સાથે બેસીને...
*સમય* પણ *રડ્યો* એક દિવસ
બોલ્યો, તું *મસ્ત* વ્યક્તિ છે..
હું જ *ખરાબ* ચાલી રહ્યો છુ..

*શું* વેંચીને તને *ખરીદું,*
" જિંદગી"
મારું તો બધુંજ *ગીરવી* પડ્યું છે, 
*જવાબદારી* ના બજારમાં..

રોજ સાંજે... સુરજ નહિ..
પણ..
આ અણમોલ જિંદગી . .
ઢળતી જાય છે..

*આંસુ* ને ક્યાં હોય છે કોઈ *વાણી..*
સમજો તો *મોતી,* ન સમજો તો *પાણી..*

*સહન* કરવાની આવડત હોય તો મુસીબતમાંય *રાહત* છે,
*હ્રદય* જો ભોગવી જાણે, તો *દુઃખ* માં પણ એક *મજા* છે..

*આંખો* માં વસનારા જ *રડાવી* જાય છે...
*દસ્તુર* તો જુઓ આ દુનિયાનો, *પોતાના,*
મોં ચડાવી બેઠા ને *પારકા હસાવી* જાય છે..

*ફિક્કા* ચેહરાઓની,
ડોક્ટરે *લોહી* ની તપાસ કરાવી ..
રિપોર્ટમાં આવ્યું,
*સંબંધો* ની *ઉણપ છે ..*

*મગજ* કયારેય *સીધું* ચાલતું નથી
અને *હ્રદય* ને *આડું* ચાલતાં આવડતું નથી,
સરવાળે,,,,,
*મગજ વાળા*, *હ્રદય વાળા* ની ભરપૂર મઝા લે છે.

❛જે *માંગો* એ મળી જાય એ શક્ય નથી,
*જિંદગી* છે આ, *બાપા* નું *ઘર નથી..*

*જીંદગી* ના છેલ્લા દિવસે પણ મોજ થઈ શકે,
પણ ખબર ના પડવી જોઈએ કે *આજ છેલ્લો દિવસ છે...*

*ખબર* છે કે *મારૂં* કશું પણ નથી,
છતાં છોડવાનું *ગજું* પણ નથી!

🦚🌷🙏🏻🌹🙏🏻🌷🦚.

8 ઑગસ્ટ, 2022

જનોઈ બદલવાની સંક્ષિપ્ત વિધિ

- - - - - જનોઈ બદલવાની સંક્ષિપ્ત વિધિ - - - - - 

તારીખ :  ૧૧-૮-૨૦૨૨  ગુરૂવાર 
શ્રાવણ સુદ ૧૪ સવારે ૭:૦૦ પછી શ્રવણ નક્ષત્ર છે તો... 
જનોઈ બદલવાનો સમય : 
સવારે ૭:૦૦ થી બપોરે ૧૨:૦૦ સુધી  

-  સ્નાન કરી, ધોતી પહેરી, ખુલ્લા શરીરે પૂર્વ દિશામાં મુખ રહે એમ બેસવું 
અને નીચે બતાવ્યા પ્રમાણે જમણા હાથમાં જળ રાખીને સંકલ્પ કરવો 

[ ૧ ] 
સંકલ્પ : જમણા હાથમાં જળ રાખવું અને નીચેનો સંકલ્પ બોલવો 

ૐ ર્વિષ્ણુ ર્વિષ્ણુ ર્વિષ્ણુ ... 
વિક્રમ સંવંત ૨૦૭૮ શિવ પ્રિય શ્રાવણ માસે શુકલ પક્ષે 
પૂર્ણિમા તિથૌ બૃહસ્પતિવાસરે પ્રાતઃકાલે . . . 
મનમાં પોતાના ગોત્રનું ઉચ્ચાર કરો 
[ અમુક ગોત્ર ઉતપન્નસ્ય ] 
અહમ શ્રોત સ્માર્ત કર્માનુષ્ટાન સિધ્યર્થ 
નુત્તન યજ્ઞૉપવિત ધારણમ અહમ કરીષ્યે ..... 

આમ સંકલ્પ કરી જળ નીચે તરભાણામાં મૂકો.... 

[ ૨ ] 
ત્યારબાદ ડાબા હાથમાં જનોઈ રાખી – 
જમણા હાથના આંગળા વડે 
એના પર જળ છંટકાવ કરો 
અને નીચેનો મંત્ર બોલો 

ૐ અપવિત્ર પવિત્રો વા સર્વાવસ્થામ ગતોપિ વા । 
યઃ સ્મરેતપુંડરીકાક્ષમ સ બાહયાભ્યંતરઃ શુચિ : ॥ 

[ ૩] 
ત્યારબાદ એના પર જમણા હાથની હથેળી ઢાંકી 
– ૧૦ ગાયત્રી મંત્ર બોલો

[ ૪ ] 
ત્યારબાદ જમણો હાથ લઈ લ્યો અને 
ડાબા હાથમાં જે જનોઇ રહેલી છે 
એના પર જમણા હાથ વડે 
થોડા થોડા ચોખા દાણા 
- - આવહયામી સ્થાપયામી – 
એ શબ્દો બોલાય ત્યારે મૂકતાં જાવ અને 
નીચેના મંત્રો બોલતા જાવ 

ૐ પ્રથમ તંતો ઓમકારાય નમઃ ઓમકારમ આવહયામી સ્થાપયામી 
ૐ દ્વિતીય તંતો અગ્નયે નમઃ અગ્નિમ આવહયામી સ્થાપયામી 
ૐ તૃતીય તંતો નાગેભ્યો નમઃ નાગમ આવહયામી સ્થાપયામી
ૐ ચતુર્થ તંતો સોમાય નમઃ સોમમ આવહયામી સ્થાપયામી 
ૐ પંચમ તંતો પિતૃભ્યો નમઃ પિતૃન આવહયામી સ્થાપયામી 
ૐ ષષ્ઠમ તંતો પ્રજાપતયે નમઃ પ્રજાપતિમ આવહયામી સ્થાપયામી 
ૐ સપ્તમ તંતો અનિલાય નમઃ અનિલમ આવહયામી સ્થાપયામી 
ૐ અષ્ટમ તંતો યમાય નમઃ યમામ આવહયામી સ્થાપયામી 
ૐ નવમ તંતો વિશ્વેભ્યો દેવેભ્યો નમઃ વિશ્વાન દેવાન આવહયામી સ્થાપયામી 

ગ્રંથિ મધ્યે બ્રહ્મા વિષ્ણુ રૂદ્રેભ્યો નમઃ બ્રહ્મવિષ્ણુરુદ્રાન આવહયામી સ્થાપયામી 

[ ૫ ] 
ત્યારબાદ થોડાક ચંદન ચોખા ફૂલ 
જનોઈ પર પધરાવી નીચેનો મંત્ર બોલો 

આવાહિત યજ્ઞૉપવિત દેવતાભ્યો નમઃ 
ગંધ અક્ષત પુષ્પાણી સમર્પયામિ .... 

[ ૬ ] 
ત્યારબાદ જનોઈને બે હાથના આંગળમાં ભરાવી 
હાથ ઊંચા કરી સૂર્યને બતાવો અને 
નીચેનો મંત્ર બોલી ગળામાં માળાની 
જેમ જનોઈ પહેરો અને 
પછી જમણો હાથ જનોઈમાથી 
બહાર કાઢી ડાબા ખભા પર રહે 
એમ જનોઈ ધારણ કરી લ્યો 

ૐ યજ્ઞૉપવિતમ પરમં પવિત્રમ પ્રજાપતેર્યત્સહજં પુરસ્તાત ।
આયુષ્યમગયમ પ્રતિમુંચ શુભ્રમ યજ્ઞૉપવિતમ બલમસ્તુ તેજ ॥

 [ ૭ ] 
નવી જનોઈ ધારણ થઈ જાય પછી 
સૂર્ય ને ત્રણ અર્ધ્ય આપવા 

ૐ સૂર્યાય નમઃ 
ૐ રવિયે નમઃ 
ૐ ભાસ્કરાય નમઃ 

[ ૮ ] 
ત્યારબાદ નીચેનો મંત્ર બોલી જૂની જનોઈ નો ત્યાગ કરવો 

એતાવાદીનપર્યંતમ બ્રહ્મત્વંધારીતંમયા । 
જીર્ણત્વાત્વત્પરીત્યાગો ગચ્છ સૂત્ર યથા સુખમ ॥ 

જૂની જનોઈને નીચે મૂકી 
એના પર ફૂલ ચોખા મૂકવા 
પછી એ જનોઈ વહેતા જળમાં પધરાવી દેવી 

[ ૯ ] 
ત્યારબાદ જમણા હાથમાં 
જળની ચમચી ભરી રાખો 
અને નીચેનો સંકલ્પ કરવો 

નુત્તન યજ્ઞૉપવિત ધારણ નિમિતાંગ 
અમુક નામ જાપ સંખ્યાનામ 
ગાયત્રી મંત્ર અહમ કરીષ્યે 

[ નુત્તન જનોઈ ધારણ કર્યા નિમિત્તે 
યથા શક્તિ ગાયત્રી મંત્ર માળા કરવી ] 

અસતૂ પરિપૂર્ણ અસતૂ

રક્ષાબંધનની હાર્દિક શુભેચ્છા સહ પ્રણામ 
🙏ૐ નમઃ શિવાય 🙏

15 જુલાઈ, 2022

અર્વાચીન શિલ્પ

ઇલોરાની ગુફામાં એક જ વિશાળ પથ્થરને કોતરીને બનાવાયેલા દૈવી કૈલાસ મંદિર સાથે સંકળાયેલાં રહસ્યો

- અગોચર વિશ્વ-દેવેશ મહેતા

- રાણીએ રાજાને કહીને મંદિર બનાવડાવવાની તૈયારી શરૂ કરાવી. પરંતુ નિર્માણ કરનારાએ કહ્યું કે આમાં તો વર્ષોના વર્ષો નીકળી જશે એવું શિખર બને ત્યાં સુધી તો તમારી જિંદગી પણ પૂરી થઇ જશે

મા નવોએ બનાવેલા અનેક શિવમંદિરો છે. પણ આ એક એવું શિવ મંદિર છે જે દેવોએ નિર્મિત કરેલું છે એવું માનવામાં આવે છે. આ ઇલોરાનું કૈલાસનાથ (કૈલાસ) મંદિર છે જે ઔરંગાબાદની ગુફાઓમાં આવેલું છે. ઇલોરામાં ૩૪ ગુફાઓ છે જે ઉર્ધ્વોધર ઉભી ચરણાદ્રિ પર્વતના ફલક રૂપ છે. આમાં હિંદુ, બૌદ્ધ અને જૈન ગુફા મંદિર બનેલા છે. એમાં એકથી બાર સુધીની બૌદ્ધિ ગુફાઓ, તેરથી ઓગનત્રીસ હિંદુ ગુફાઓ અને ત્રીસથી ચોત્રીસ સુધીની જૈન ગુફાઓ છે. ઇલોરાની સોળમી ગુફામાં આવેલું શિવમંદિર અનોખી રીતે નિર્મિત થયેલું છે. ઘણા લોકો માને છે કે કૈલાસનાથ મંદિર પરગ્રહવાસીઓની શક્તિની મદદથી બનાવાયું હતું. 

આ મંદિર વિશ્વનું એક માત્ર એવું મંદિર છે જેને પથ્થરના કાપેલા એક જ ટુકડામાંથી બાંધવામાં આવ્યું હતું. બિલ્ડિંગ બનાવવાની આ ટેકનિકને કટ ઇન ટેકનિક (cut in technique) કહેવામાં આવે છે. આ પ્રવિધિથી આખા એક જ વિશાળ પથ્થરને ઉપરથી નીચે કોતરીને બનાવવામાં આવ્યું હતું. જેમ નેતરણીકારો એક શિલ્પ કે મૂર્તિને પથ્થરમાંથી કોતરીને તૈયાર કરે તેમ આ પથ્થરમાંથી કોતરણી કરીને સુંદર સ્તંભો, દરવાજાઓ, ગુફાઓ અને અસંખ્ય શિલ્પાકૃતિઓ નિર્મિત કરવામાં આવી હતી જે શિલ્પકળાના અજોડ નમૂના રૂપ છે !

અર્વાચીન શિલ્પકારો જણાવે છે કે આવું મંદિર આજના સમયમાં નિર્મિત કરવું હોય તો લગભગ ચાર લાખ ટન જેટલા પથ્થર કાપવા પડે અને આટલા મોટા પ્રમાણમાં પથ્થર કાપવામાં અને ત્યાંથી કપાયેલા પથ્થર બહાર કાઢવામાં ઘણા દાયકાઓનો સમય લાગે. પરંતુ ઇતિહાસ ગવાહ છે કે આ મંદિર માત્ર ૧૮ વર્ષના ટુંકા ગાળામાં જ તૈયાર કરાઇ દેવાયું હતું. આ મંદિરમાં વરસાદી પાણીનો સંગ્રહ કરવા માટે વોટર ડ્રેનેજ સીસ્ટમ અને કૈલાસ મંદિરને બીજા મંદિરો સાથે જોડવા માટે એક બ્રિજ પણ બનાવવામાં આવ્યો હતો જે સ્પષ્ટ પણે દર્શાવે છે કે પથ્થર કાપવાનું શરૂ કરતાં પહેલાં ખૂબ જ મોટું આયોજન કરવામાં આવ્યું હતું.

અંકગણિત અને એન્જિનિયરિંગના અતિ અલ્પ સાધનો હોવા છતાં આઠમી સદીમાં આટલું મોટું મંદિર કેવી રીતે બનાવ્યું હશે તે ભારે અચરજ ઉપજાવે એવી બાબત છે. સંશોધનકારો કહે છે કે જો સાત હજાર મજૂરો ૧૫૦ વર્ષ સુધી સતત કામ કરે તો આનું નિર્માણ થાય. તે કેવળ ૧૮ વર્ષ જેટલા ટૂંકા સમયમાં કેવી રીતે થઇ ગયું હશે ? તે સમયે મોટી ક્રેન, કાપવાના ઓજારો એવું કંઇ નહોતું. એટલે કેટલાક સંશોધકો માને છે કે કોઇ પરગ્રહી ટેકનોલોજી (Alien Technology) કે દેવી સહાયથી આનું નિર્માણ કરાયું હોય તો જ આ શક્ય બને !

મહારાષ્ટ્રના ઔરંગાબાદ જીલ્લામાં આવેલી ઇલોરાની સોળમી ગુફામાં આવેલું આ અલૌક્કિ શિવ મંદિર જેને કૈલાસનાથ મંદિર કે કૈલાસ મંદિર તરીકે ઓળખાવામાં આવે છે તે હિમાલયની કંદરાઓમાં આવેલા કૈલાસ પર્વત જેવા આકાર-પ્રકારથી બનાવવામાં આવ્યું છે. ઇલોરાની ગુફાઓનું નિર્માણ રાષ્ટ્રકુટોએ કરેલું હોવાનું મનાય છે. આ કૈલાસ મંદિરને રાષ્ટ્રકુટ રાજા કૃષ્ણ પ્રથમે બનાવ્યું હોવાનું કહેવાય છે. રાજા કૃષ્ણ પ્રથમે ઇ.સ. ૭૫૩ થી ૭૬૦ના સમયગાળા દરમિયાન તેને બંધાવવાની શરૂઆત કરી હશે એવું ઘણા સંશોધકો માને છે. એવું કહેવાય છે કે એકવાર રાજા કૃષ્ણ પ્રથમ ગંભીર બિમારીનો ભોગ બન્યો. રાજવૈદ્યોએ એની બીમારી દૂર કરવા અથાગ પ્રયત્નો કર્યા પણ તેમને તેમાં સફળતા ના મળી. અંતે રાણીએ મૃત્યુંજય મહાદેવ ભગવાન શિવની આરાધના કરી અને તેમને પ્રાર્થના કરી કે તે તેના પતિનો રોગ દૂર કરી તેમને સ્વસ્થ્ય કરી દે. તે સ્વસ્થ થઇ જાય એટલે તરત એક ભવ્ય શિવ મંદિર બનાવડાવશે અને મંદિરનું શિખર બની જાય ત્યાં સુધી વ્રત અને ઉપવાસ કરશે. શિવજીની કૃપાથી રાજા કૃષ્ણ પ્રથમની બિમારી ચમત્કારિક રીતે દૂર થઇ ગઇ.

પોતાના સંકલ્પ અનુસાર રાણીએ રાજાને કહીને મંદિર બનાવડાવવાની તૈયારી શરૂ કરાવી. પરંતુ નિર્માણ કરનારાએ કહ્યું કે આમાં તો વર્ષોના વર્ષો નીકળી જશે એવું શિખર બને ત્યાં સુધી તો તમારી જિંદગી પણ પૂરી થઇ જશે. આખી જિંદગી વ્રત અને ઉપવાસ કરવા મુશ્કેલ બનશે. તેથી રાણીએ ફરી ભગવાન શિવજીને આરાધનાથી પ્રસન્ન કર્યા અને તેમની સહાય માંગી. ભગવાન શિવજીએ તેમની પ્રાર્થનાનો સ્વીકાર કરી તેમને દર્શન આપ્યા અને તેને એક દિવ્ય અસ્ત્ર આપ્યું જે પળભરમાં ગમે તેવા મજબૂત શિલાને કાપી શકે, તોડી શકે, ઓગાળી શકે અને ઉઠાવી શકે તેવી ક્ષમતાવાળું હતું. તે મંદિરના નિર્માણ માટે દેવલોકના કુશળ શિલ્પીઓ પણ મોકલ્યા. નીચેથી ઉપર સુધી બનાવતા પણ થોડા વર્ષો તો લાગે એટલે શિખર બનવામાં વર્ષો નીકળી જાય તેથી દેવ શિલ્પીઓએ ઉપરથી નીચે નિર્માણ કરવાનું શરૂ કર્યું. આ રીતે મંદિરનું શિખર પહેલાં બની ગયું અને રાણીની પ્રતિજ્ઞાા પૂર્ણ થતાં તેને વર્ષો સુધી વ્રત અને ઉપવાસ કરવાની જરૂર ના રહી. એવું માનવામાં આવે છે કે ભગવાન શિવજીએ આપેલા દિવ્ય, અલૌક્કિ અસ્ત્રથી જ એ મંદિરનું નિર્માણ થયું અને દેવ શિલ્પીઓએ નિર્માણ પુરું થયું પછી તે અસ્ત્ર એની એક ગુફામાં જ છુપાવી દીધું હતું. જે હજુ પણ ત્યાં છે. આ શિવમંદિરની ઉંચાઇ ૯૦ ફુટ છે તે ૨૭૬ ફુટ લાંબુ અને ૧૫૪ ફૂટ પહોળું છે. એમાં એવી રહસ્યમય ગુફાઓ છે જેનો બીજો છેડો ક્યાં ખુલશે તે કોઇને ખબર પડતી નથી.

કૈલાસ મંદિરમાં નીચે અનેક હાથીઓનું નિર્માણ કરાયું છે. એવું મનાય છે કે એમના ઉપર જ આખું મંદિર ટકેલું છે. મંદિરમાં સૌથી વધારે પેનલ છે તેમના ઉપર ભગવાન વિષ્ણુના અનેક સ્વરૂપો અને મહાભારતની કથાના દ્રશ્યો અંકિત કરાયેલ છે. એની દિવાલો પર અલગ પ્રકારની લિપિઓથી આલેખો લખાયેલા છે જેની ભાષા કોઇ ઉકેલી શક્યું નથી. અંગ્રેજોના શાસનકાળ દરમિયાન અંગ્રેજોએ મંદિરની નીચેની ગુફાઓમાં શોધ-સંશોધન કરાવવાનું શરૂ કર્યું હતું. અમુક ગુફાઓમાં હાઇ રેડિયો એક્ટિવિટી જોવામાં આવી હતી અને તપાસ કરવા ગયેલા વિજ્ઞાાનીઓ અને સંશોધકો ગુફામાંથી એકાએક ગુમ થઇ ગયા હતા પછી તે જીવતા કે મરેલા ક્યાંયથી ક્યારેય મળી આવ્યા નહોતા ! કેટલા પુરાતત્વશાસ્ત્રી માને છે કે આ ગુફાઓમાંથી કોઇ બીજી દુનિયામાં જઇ શકાતું હશે. દેવલોકના શિલ્પીઓએ એમના લોકમાં પાછા જવા માટે તે ગુફાઓમાં કોઇ દૈવી પ્રવેશ દ્વાર જે નિકાલ દ્વાર બનાવ્યા હશે. એટલામાં જ શિવજીનું દૈવી અસ્ત્ર રાખવામાં આવ્યું હશે. એટલે જ ત્યાંથી ભારે રેડિયો એક્ટિવ કિરણો આવે છે. ગુફાઓમાં જોવા મળેલા પારલૌક્કિ પ્રણભાવને કારણે અંગ્રેજોએ એ ગુફાઓ કાયમ માટે બંધ કરી દીધી હતી. જે અત્યારે પણ બંધ છે. ઔરંગઝેબે કૈલાસ મંદિરનો પૂરેપૂરો નાશ કરી નાખવા એક હજાર સૈનિકોને કામગીરી સોંપી હતી. ત્રણ વર્ષ સુધી સતત પ્રયાસ કરવા છતાં તે આ મંદિરને નુકસાન પહોંચાડી શક્યા નહોતા. પછી ઔરંગઝેબે તે પ્રયાસ છોડી દીધો હતો.


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  સૌજન્ય સહ :ગુજરાત સમાચાર  
 

17 જૂન, 2022

1. गणेशजी को तुलसी का पत्र छोड़कर सब पत्र प्रिय हैं | भैरव की पूजा में तुलसी का ग्रहण नही है|
2. कुंद का पुष्प शिव को माघ महीने को छोडकर निषेध है |
3. बिना स्नान किये जो तुलसी पत्र जो तोड़ता है उसे देवता स्वीकार नही करते |
4. रविवार को दूर्वा नही तोडनी चाहिए |
5. केतकी पुष्प शिव को नही चढ़ाना चाहिए |
6. केतकी पुष्प से कार्तिक माह में विष्णु की पूजा अवश्य करें |
7. देवताओं के सामने प्रज्जवलित दीप को बुझाना नही चाहिए |
8. शालिग्राम का आवाह्न तथा विसर्जन नही होता |
9. जो मूर्ति स्थापित हो उसमे आवाहन और विसर्जन नही होता |
10. तुलसीपत्र को मध्याहोंन्त्तर ग्रहण न करें |
11. पूजा करते समय यदि गुरुदेव ,ज्येष्ठ व्यक्ति या पूज्य व्यक्ति आ जाए तो उनको उठ कर प्रणाम कर उनकी आज्ञा से शेष कर्म को समाप्त करें |
12. मिट्टी की मूर्ति का आवाहन और विसर्जन होता है और अंत में शास्त्रीयविधि से गंगा प्रवाह भी किया जाता है |
13. कमल को पांच रात ,बिल्वपत्र को दस रात और तुलसी को ग्यारह रात बाद शुद्ध करके पूजन के कार्य में लिया जा सकता है |
14. पंचामृत में यदि सब वस्तु प्राप्त न हो सके तो केवल दुग्ध से स्नान कराने मात्र से पंचामृतजन्य फल जाता है |
15. शालिग्राम पर अक्षत नही चढ़ता | लाल रंग मिश्रित चावल चढ़ाया जा सकता है |
16. हाथ में धारण किये पुष्प , तांबे के पात्र में चन्दन और चर्म पात्र में गंगाजल अपवित्र हो जाते हैं |
17. पिघला हुआ घृत और पतला चन्दन नही चढ़ाना चाहिए |
18. दीपक से दीपक को जलाने से प्राणी दरिद्र और रोगी होता है | दक्षिणाभिमुख दीपक को न रखे | देवी के बाएं और दाहिने दीपक रखें | दीपक से अगरबत्ती जलाना भी दरिद्रता का कारक होता है |
19. द्वादशी , संक्रांति , रविवार , पक्षान्त और संध्याकाळ में तुलसीपत्र न तोड़ें |
20. प्रतिदिन की पूजा में सफलता के लिए दक्षिणा अवश्य चढाएं |
21. आसन , शयन , दान , भोजन , वस्त्र संग्रह , ,विवाद और विवाह के समयों पर छींक शुभ मानी गयी है |
22. जो मलिन वस्त्र पहनकर , मूषक आदि के काटे वस्त्र , केशादि बाल कर्तन युक्त और मुख दुर्गन्ध युक्त हो, जप आदि करता है उसे देवता नाश कर देते हैं |
23. मिट्टी , गोबर को निशा में और प्रदोषकाल में गोमूत्र को ग्रहण न करें |
24. मूर्ती स्नान में मूर्ती को अंगूठे से न रगड़े ।
25. पीपल को नित्य नमस्कार पूर्वाह्न के पश्चात् दोपहर में ही करना चाहिए | इसके बाद न करें |
26. जहाँ अपूज्यों की पूजा होती है और विद्वानों का अनादर होता है , उस स्थान पर दुर्भिक्ष , मरण , और भय उत्पन्न होता है |
27. पौष मास की शुक्ल दशमी तिथि , चैत्र की शुक्ल पंचमी और श्रावण की पूर्णिमा तिथि को लक्ष्मी प्राप्ति के लिए लक्ष्मी का पूजन करें |
28. कृष्णपक्ष में , रिक्तिका तिथि में , श्रवणादी नक्षत्र में लक्ष्मी की पूजा न करें |
29. अपराह्नकाल में , रात्रि में , कृष्ण पक्ष में , द्वादशी तिथि में और अष्टमी को लक्ष्मी का पूजन प्रारम्भ न करें |
30. मंडप के नव भाग होते हैं , वे सब बराबर-बराबर के होते हैं अर्थात् मंडप सब तरफ से चतुरासन होता है | अर्थात् टेढ़ा नही होता |
31. जिस कुंड की श्रृंगार द्वारा रचना नही होती वह यजमान का नाश करता है |

14 જૂન, 2022

જેકસન બ્રાઉન ની 55 સુંદર વાતાે

*જેકસન બ્રાઉન ની 55 સુંદર વાતાે* 

1. "કેમછો” કહેવાની પહેલ દર વખતેઆપણે જ કરવી જોઇએ.

2.શ્રેષ્ઠ પુસ્તકો ખરીદવાની ટેવ રાખો, પછી ભલે તે વંચાય કે ન વંચાય.

3. કોઇએ લંબાવેલો(દોસ્તીનો) હાથ ક્યારેય તરછોડવો નહીં.

4. બહાદુર બનો અથવા તેવો દેખાવ કરો.

5. આનંદમાં આવો ત્યારે વ્હીસલ વગાડતાં શીખો.

6. કોઇને પણ આપણી અંગત વાત કહેતા પહેલાં બે વખત વિચાર કરો.

7. કોઈને મહેણું ક્યારેય ન મારો.

8. એક વિદેશી ભાષા શીખી લેવી સારી.

9. કોઇપણ આશાવાદીની વાતને તોડી પાડશોનહીં, શક્ય છે કે એની પાસે માત્ર એક જ આશા હોય.

10. ક્રેડિટ કાર્ડ સગવડ સાચવવા માટે છે, ઉધારી કરવા માટે નહીં.

11. રાત્રે જમતી વખતે ટી.વી બંધ રાખો.

12. નકારાત્મક પ્રક્રૃતિના માણસોને મળવાનું ટાળો.

13. દરેક રાજકારણીને શંકાની નજરે જુઓ.

14. દરેક વ્યકિતને બીજી તક આપો, ત્રીજી નહીં.

15. ટુથપેસ્ટ વાપર્યા પછી ઢાંકણુ અવશ્ય બંધ કરો.

16. સંતાનો નાના હોય ત્યારેથી જ તેમને પૈસાની કિંમત અને બચતનું મહત્વ સમજાવી દેવું.

17. જે ગાંઠ છોડી શકાય એવી હોય તેને કાપશો નહીં.

18. જેને તમે ખુબ જ ચાહતા હો તેની સતત કાળજી લેતા રહો.

19. તમને ન પોષાય તો પણ વારંવાર કુટુંબના સભ્યો સાથે પિકનિક પર જવાનું ગોઠવો.

20. કોઇપણ કોર્ટ કેસથી હજારો જોજન દૂર રહો.

21.ગોસિપ, નિંદા, જુગાર અને કોઇના પગારની ચર્ચાથી દૂર રહો.

22. જિંદગીમાં તમોને હંમેશા ન્યાય મળશે જ એવું માનીને ચાલવું નહીં.

23. રવિવારે પણ થોડું કામ કરવાનું રાખો.

24. પત્તા રમીને સમય વેડફો નહીં. નહિતર સમય તમને વેડફી નાખશે.

25. રસોડામાં ધોયા વિનાના વાસણો મૂકીને રાત્રે ઊંધી જવું નહીં.

26. લોકોને તમારી સમસ્યાઓમાં રસ નથી હોતો એટલું યાદ રાખો.

27. અફસોસ કર્યા વિનાનું જીવન જીવો.

28. ક્યારેક હારવાની પણ તૈયારી રાખો પણ જીતવા માટે હમેશા પ્રયાસ કરો.

29. મા-બાપ, પતિ-પત્ની કે સંતાનોની ટીકા કરવાનું મન થાય ત્યારે જીભ પર કાબૂ રાખો.

30. ફોનની ધંટડી વાગે ત્યારે રિસિવર ઉપાડીને સ્ફૂર્તિ ભર્યા અવાજે વાત કરો.

31. વાતચિતમાં શબ્દો વાપરતી વખતે કાળજી રાખો.

32. બાળકોના સ્કૂલના કાર્યક્ર્મમા અવશ્ય હાજરી આપો.

33. બીજાની બુધ્ધિનો યશ તમે લઇ લેશો નહીં.

34. દિવસની શરુઆત કરો ત્યારે હમેશા નીચેના ૫ વાક્યો બોલો
1. *I am the BEST*
2. *I can do it*
3. *GOD is always with me*
4. *I am a WINNER*
5. *Today is my DAY*

35. ધરડાં માણસો સાથે ખૂબ સૌર્જન્યતાથી અને ધીરજથી વર્તન કરો.

36. તમારી ઓફિસે કે ઘરે કોઇ આવે તો એને ઊભા થઇ આવકારો.

37. મોટી સમસ્યાઓથી દૂર ભાગો નહીં, મોટી તક એમાં જ હોઇ શકે છે.

38. ગંભીર બિમારીમાં ઓછામાંઓછા ત્રણ મોટા ડોકટરોનો અભિપ્રાય લો.

39. શારીરિક ચુસ્તી કોઇપણ હિસાબે જાળવો.

40. બચત કરવાની શિસ્ત પાળો.

41. જે માણસ પગાર ચૂકવે છે તેની ક્યારેય ટીકા ના કરો.

42. ઉત્સાહી અને વિધેયાત્મકવિચારો ધરાવતી વ્યકિત બનાવાનો પ્રયત્નકરો.

43. સંતાનોને કડક શિસ્ત પાઠ ભણાવ્યા પછી તેેને ઉષ્મા પૂર્ણ ભેટવાનું ભૂલશો નહીં.

44. કોઇને બોલાવવા ચપટી વગાડવી નહીં..

45. ઊંચી કિંમતવાળી વસ્તુઓની ગુણવત્તા પણ ઊંચી જ હશે એમ માની લેવું નહીં.

46. ધરમાં એક સારો જોડણીકોશ વસાવો.

47. વરસાદ પડતો હોય ત્યારે ગાડીની હેડલાઇટ ચાલુ રાખો.

48. ઘર પોષાય એટલી કિંમતનું જ લેવું.

49. બૂટ હંમેશા પોલિશ્ડ રાખવા.

50. પાણી નો બગાડ કરવો નહીં. જલ એજ જીવન છે

51. ભાષણ આપતાં પહેલાં ભોજનકરવું નહીં.

52. મત તો આપવો જ.

53. સંગીતનું એકાદ વાજિંત્ર વગાડતા આવડવું જ જોઇએ(વાજિંત્રમા વ્હીસલનો સમાવેશ થતો નથી).

54. જમ્યા પછી ઇશ્વરનો આભાર અવશ્ય માનવો.

55. જિંદગી ખુશી ખુશી થી જીવો, પ્રેમથી જીવો, ગરીબ ની સેવા કરો ઈશ્વર રાજી થશે....

29 મે, 2022

भोजन की थाली

भोजन की थाली कैसे परोसनी चाहिए ?
१. भोजन में सीमित पदार्थ हों, तो थाली कैसे परोसनी चाहिए ?

पात्राधो मंडलं कृत्वा पात्रमध्ये अन्नं वामे भक्ष्यभोज्यं दक्षिणे घृतपायसं पुरतः
शाकादीन् (परिवेषयेत्) । – ऋग्वेदीय ब्रह्मकर्मसमुच्चय, अन्नसमर्पणविधि

अर्थ : भूमिपर जल से मंडल बनाकर उसपर थाली रखें । उस थाली के मध्यभाग में चावल परोसें । भोजन करनेवाले के बार्इं ओर चबाकर ग्रहण करनेयोग्य पदार्थ परोसें । दाहिनी ओर घी युक्त पायस (खीर) परोसें । थाली में सामने तरकारी, शकलाद (सलाद) आदि पदार्थ होने चाहिए ।
२. भोजन में अनेक पदार्थ हों, तो थाली कैसे परोसनी चाहिए ?

अ. थाली में ऊपर की ओर मध्यभाग में लवण (नमक) परोसें ।

आ. भोजन करनेवाले के बार्इं ओर (लवण के निकट ऊपर से नीचे की ओर) क्रमशः नींबू, अचार, नारियल अथवा अन्य चटनी, रायता / शकलाद (सलाद), पापड, पकोडे एवं चपाती परोसें । चपाती पर घी परोसें ।

इ. भोजन करनेवाले के दाहिनी ओर (लवण के निकट ऊपर से नीचे की ओर) क्रमशः छाछ की कटोरी, खीर एवं पकवान, दाल एवं तरकारी परोसें ।

ई. थालीके मध्यभाग पर नीचे से ऊपर सीधी रेखा में क्रमशः दाल-चावल, पुलाव, मीठे चावल एवं अंत में दही-चावल परोसें । दाल-चावल, पुलाव एवं मीठे चावल पर घी परोसें ।
३. थाली में विशिष्ट पदार्थ विशिष्ट स्थान पर ही परोसने का महत्त्व

थाली में विशिष्ट स्थान पर विशिष्ट पदार्थ परोसने पर अन्न से प्रक्षेपित तरंगों में उचित संतुलन बनता है । इसका भोजनकर्ता को स्थूल एवं सूक्ष्म दोनों स्तरों पर अधिक लाभ होता है । थाली के पदार्थों का उचित संतुलन, अन्न के माध्यम से होनेवाली अनिष्ट शक्तियों की पीडा अल्प करने में भी सहायक है । पदार्थों के त्रिगुणों की मात्रा के अनुसार भोजन करते समय थाली में विशिष्ट पदार्थ विशिष्ट स्थान पर ही परोसें ।

अ. सामान्यतः रज-सत्त्वगुणी पदार्थ भोजनकर्ताके दाएं हाथ की ओर परोसते हैं ।

आ. सत्त्व-रजोगुणी पदार्थ भोजनकर्ता के बाएं हाथ की ओर परोसे जाते हैं । इससे अन्न से प्रक्षेपित तरंगों से शरीर की सूर्यनाडी एवं चंद्रनाडी के कार्य में संतुलन बनता है तथा स्थूल स्तर पर अन्न का पाचन भलीभांति होता है ।

इ. लवण में (नमक में) त्रिगुणों की मात्रा लगभग समान होती है । अतः उसे थाली के छोर पर सामने एवं मध्य में परोसते हैं । अधिकतर अन्न-पदार्थ बनाते समय लवण का उपयोग किया ही जाता है; क्योंकि लवण स्थूल एवं सूक्ष्म दोनों दृष्टि से अन्न में विद्यमान तरंगों में संतुलन बनाए रखने का कार्य करता है ।’
४. थाली में चार प्रकार के भात परोसने का क्रम एवं उसकी अध्यात्मशास्त्रीय कारणमीमांसा

अ. थाली में प्रथम सादी दाल एवं भात परोसते हैं, तदुपरांत पुलाव (मसाला- भात), तत्पश्चात मीठा-भात एवं अंत में दही-भात, यह क्रम होता है । थाली का मध्यभाग सुषुम्ना नाडी का दर्शक है ।

आ. श्वेत रंग से (भात के रंग से) उत्पत्ति होना एवं श्वेत रंग में ही लय, ऐसा समीकरण यहां है; अर्थात निर्गुण से उत्पत्ति एवं निर्गुण में ही लय, यह सुषुम्ना नाडी के कार्य की विशेषता है ।

इ. भोजन में प्रथम सत्त्वगुणी सादी दाल एवं भात ग्रहण करने के पश्चात प्रायः तमोगुणी पुलाव (मसालेयुक्त भात) ग्रहण करने को प्रधानता दी जाती है । ऐसा करने से पुलाव के तमोगुण का विलय सादी दाल एवं भात के सत्त्वगुणी मिश्रण में होने में सहायता मिलती है । इससे देह पर पुलाव के मसालों का विपरीत परिणाम नहीं होता ।

ई. तत्पश्चात मीठा-भात ग्रहण किया जाता है । इससे देह में मधुर रस जागृत होने में सहायता मिलती है ।

उ. भोजन के अंत में दही-भात सेवन को प्रधानता दी जाती है । इससे देह के सर्व रसों का शमन होकर अन्न की आगे की पाचन-संबंधी प्रक्रिया प्रारंभ होती है ।

ऊ. दही में विद्यमान रजो गुण पाचक रसों की क्रियाशक्ति बढाता है । इससे अन्न का पाचन उचित प्रकार से होने में सहायता मिलती है ।
५. भोजन की एवं नैवेद्य की थाली परोसने की पद्धति में अंतर

भोजन की एवं नैवेद्य की थाली परोसने की पद्धति में विशेष अंतर नहीं है । भोजन की थाली में पदार्थ परोसते समय प्रथम लवण परोसा जाता है, जबकि नैवेद्य की थाली में लवण नहीं परोसा जाता ।

🌹भोजन विधि 🌹- 1️⃣ 

🌹अधिकांश लोग भोजन की सही विधि नहीं जानते। गलत विधि से गलत मात्रा में अर्थात् आवश्यकता से अधिक या बहुत कम भोजन करने से या अहितकर भोजन करने से जठराग्नि मंद पड़ जाती है, जिससे कब्ज रहने लगता है। तब आँतों में रूका हुआ मल सड़कर दूषित रस बनाने लगता है। यह दूषित रस ही सारे शरीर में फैलकर विविध प्रकार के रोग उत्पन्न करता है। उपनिषदों में भी कहा गया हैः आहारशुद्धौ सत्त्वशुद्धिः। शुद्ध आहार से मन शुद्ध रहता है। साधारणतः सभी व्यक्तियों के लिए आहार के कुछ नियमों को जानना अत्यंत आवश्यक है। जैसे-

🌹आलस तथा बेचैनी न रहें, मल, मूत्र तथा वायु का निकास य़ोग्य ढंग से होता रहे, शरीर में उत्साह उत्पन्न हो एवं हलकापन महसूस हो, भोजन के प्रति रूचि हो तब समझना चाहिए की भोजन पच गया है। बिना भूख के खाना रोगों को आमंत्रित करता है। कोई कितना भी आग्रह करे या आतिथ्यवश खिलाना चाहे पर आप सावधान रहें।

🌹सही भूख को पहचानने वाले मानव बहुत कम हैं। इससे भूख न लगी हो फिर भी भोजन करने से रोगों की संख्या बढ़ती जाती है। एक बार किया हुआ भोजन जब तक पूरी तरह पच न जाय एवं खुलकर भूख न लगे तब तक दुबारा भोजन नहीं करना चाहिए। अतः एक बार आहार ग्रहण करने के बाद दूसरी बार आहार ग्रहण करने के बीच कम-से-कम छः घंटों का अंतर अवश्य रखना चाहिए क्योंकि इस छः घंटों की अवधि में आहार की पाचन-क्रिया सम्पन्न होती है। यदि दूसरा आहार इसी बीच ग्रहण करें तो पूर्वकृत आहार का कच्चा रस(आम) इसके साथ मिलकर दोष उत्पन्न कर देगा। दोनों समय के भोजनों के बीच में बार-बार चाय पीने, नाश्ता, तामस पदार्थों का सेवन आदि करने से पाचनशक्ति कमजोर हो जाती है, ऐसा व्यवहार में मालूम पड़ता है।

🌹रात्रि में आहार के पाचन के समय अधिक लगता है इसीलिए रात्रि के समय प्रथम पहर में ही भोजन कर लेना चाहिए। शीत ऋतु में रातें लम्बी होने के कारण सुबह जल्दी भोजन कर लेना चाहिए और गर्मियों में दिन लम्बे होने के कारण सायंकाल का भोजन जल्दी कर लेना उचित है।

🌹अपनी प्रकृति के अनुसार उचित मात्रा में भोजन करना चाहिए। आहार की मात्रा व्यक्ति की पाचकाग्नि और शारीरिक बल के अनुसार निर्धारित होती है। स्वभाव से हलके पदार्थ जैसे कि चचावल, मूँग, दूध अधिक मात्रा में ग्रहण करने सम्भव हैं परन्तु उड़द, चना तथा पिट्ठी से बने पदार्थ स्वभावतः भारी होते हैं, जिन्हें कम मात्रा में लेना ही उपयुक्त रहता है।

🌹भोजन के पहले अदरक और सेंधा नमक का सेवन सदा हितकारी होता है। यह जठराग्नि को प्रदीप्त करता है, भोजन के प्रति रूचि पैदा करता है तथा जीभ एवं कण्ठ की शुद्धि भी करता है।

🌹भोजन गरम और स्निग्ध होना चाहिए। गरम भोजन स्वादिष्ट लगता है, पाचकाग्नि को तेज करता है और शीघ्र पच जाता है। ऐसा भोजन अतिरिक्त वायु और कफ को निकाल देता है। ठंडा या सूखा भोजन देर से पचता है। अत्यंत गरम अन्न बल का ह्रास करता है। स्निग्ध भोजन शरीर को मजबूत बनाता है, उसका बल बढ़ाता है और वर्ण में भी निखार लाता है।

🌹चलते हुए, बोलते हुए अथवा हँसते हुए भोजन नहीं करना चाहिए।

🌹दूध के झाग बहुत लाभदायक होते हैं। इसलिए दूध खूब उलट-पुलटकर, बिलोकर, झाग पैदा करके ही पियें। झागों का स्वाद लेकर चूसें। दूध में जितने ज्यादा झाग होंगे, उतना ही वह लाभदायक होगा।

🌹चाय या कॉफी प्रातः खाली पेट कभी न पियें, दुश्मन को भी न पिलायें।

🌹एक सप्ताह से अधिक पुराने आटे का उपयोग स्वास्थ्य के लिए लाभदायक नहीं है।

🌹भोजन कम से कम 20-25 मिनट तक खूब चबा-चबाकर एवं उत्तर या पूर्व की ओर मुख करके करें। अच्छी तरह चबाये बिना जल्दी-जल्दी भोजन करने वाले चिड़चिड़े व क्रोधी स्वभाव के हो जाते हैं। भोजन अत्यन्त धीमी गति से भी नहीं करना चाहिए।

🌹भोजन सात्त्विक हो और पकने के बाद 3-4 घंटे के अंदर ही कर लेना चाहिए।

🌹स्वादिष्ट अन्न मन को प्रसन्न करता है, बल व उत्साह बढ़ाता है तथा आयुष्य की वृद्धि करता है, जबकि स्वादहीन अन्न इसके विपरीत असर करता है।

🌹सुबह-सुबह भरपेट भोजन न करके हलका-फुलका नाश्ता ही करें।

🌹भोजन करते समय भोजन पर माता, पिता, मित्र, वैद्य, रसोइये, हंस, मोर, सारस या चकोर पक्षी की दृष्टि पड़ना उत्तम माना जाता है। किंतु भूखे, पापी, पाखंडी या रोगी मनुष्य, मुर्गे और कुत्ते की नज़र पड़ना अच्छा नहीं माना जाता।

🌹भोजन करते समय चित्त को एकाग्र रखकर सबसे पहले मधुर, बीच में खट्टे और नमकीन तथा अंत में तीखे, कड़वे और कसैले पदार्थ खाने चाहिए। अनार आदि फल तथा गन्ना भी पहले लेना चाहिए। भोजन के बाद आटे के भारी पदार्थ, नये चावल या चिवड़ा नहीं खाना चाहिए।

🌹पहले घी के साथ कठिन पदार्थ, फिर कोमल व्यंजन और अंत में प्रवाही पदार्थ खाने चाहिए।

🌹माप से अधिक खाने से पेट फूलता है और पेट में से आवाज आती है। आलस आता है, शरीर भारी होता है। माप से कम अन्न खाने से शरीर दुबला होता है और शक्ति का क्षय होता है।

🌹बिना के भोजन करने से शक्ति का क्षय होता है, शरीर अशक्त बनता है। सिरदर्द और अजीर्ण के भिन्न-भिन्न रोग होते हैं। समय बीत जाने पर भोजन करने से वायु से अग्नि कमजोर हो जाती है। जिससे खाया हुआ अन्न शायद ही पचता है और दुबारा भोजन करने की इच्छा नहीं होती।

🌹जितनी भूख हो उससे आधा भाग अन्न से, पाव भाग जल से भरना चाहिए और पाव भाग वायु के आने जाने के लिए खाली रखना चाहिए। भोजन से पूर्व पानी पीने से पाचनशक्ति कमजोर होती है, शरीर दुर्बल होता है। भोजन के बाद तुरंत पानी पीने से आलस्य बढ़ता है और भोजन नहीं पचता। बीच में थोड़ा-थोड़ा पानी पीना हितकर है। भोजन के बाद छाछ पीना आरोग्यदायी है। इससे मनुष्य कभी बलहीन और रोगी नहीं होता।

🌹प्यासे व्यक्ति को भोजन नहीं करना चाहिए। प्यासा व्यक्ति अगर भोजन करता है तो उसे आँतों के भिन्न-भिन्न रोग होते हैं। भूखे व्यक्ति को पानी नहीं पीना चाहिए। अन्नसेवन से ही भूख को शांत करना चाहिए।

🌹भोजन के बाद गीले हाथों से आँखों का स्पर्श करना चाहिए। हथेली में पानी भरकर बारी-बारी से दोनों आँखों को उसमें डुबोने से आँखों की शक्ति बढ़ती है।

🌹भोजन के बाद पेशाब करने से आयुष्य की वृद्धि होती है। खाया हुआ पचाने के लिए भोजन के बाद पद्धतिपूर्वक वज्रासन करना तथा 10-15 मिनट बायीं करवट लेटना चाहिए(सोयें नहीं), क्योंकि जीवों की नाभि के ऊपर बायीं ओर अग्नितत्त्व रहता है।

🌹भोजन के बाद बैठे रहने वाले के शरीर में आलस्य भर जाता है। बायीं करवट लेकर लेटने से शरीर पुष्ट होता है। सौ कदम चलने वाले की उम्र बढ़ती है तथा दौड़ने वाले की मृत्यु उसके पीछे ही दौड़ती है।

🌹रात्रि को भोजन के तुरंत बाद शयन न करें, 2 घंटे के बाद ही शयन करें।

🌹किसी भी प्रकार के रोग में मौन रहना लाभदायक है। इससे स्वास्थ्य के सुधार में मदद मिलती है। औषधि सेवन के साथ मौन का अवलम्बन हितकारी है।

🌹भोजन विधि - 2️⃣ 🌹

(कुछ उपयोगी बातें )

🌹घी, दूध, मूँग, गेहूँ, लाल साठी चावल, आँवले, हरड़े, शुद्ध शहद, अनार, अंगूर, परवल – ये सभी के लिए हितकर हैं।

🌹अजीर्ण एवं बुखार में उपवास हितकर है।

🌹दही, पनीर, खटाई, अचार, कटहल, कुन्द, मावे की मिठाइयाँ – से सभी के लिए हानिकारक हैं।

🌹अजीर्ण में भोजन एवं नये बुखार में दूध विषतुल्य है। उत्तर भारत में अदरक के साथ गुड़ खाना अच्छा है।

🌹मालवा प्रदेश में सूरन(जमिकंद) को उबालकर काली मिर्च के साथ खाना लाभदायक है।

🌹अत्यंत सूखे प्रदेश जैसे की कच्छ, सौराष्ट्र आदि में भोजन के बाद पतली छाछ पीना हितकर है।

🌹मुंबई, गुजरात में अदरक, नींबू एवं सेंधा नमक का सेवन हितकर है।

🌹दक्षिण गुजरात वाले पुनर्नवा(विषखपरा) की सब्जी का सेवन करें अथवा उसका रस पियें तो अच्छा है।

🌹दही की लस्सी पूर्णतया हानिकारक है। दहीं एवं मावे की मिठाई खाने की आदतवाले पुनर्नवा का सेवन करें एवं नमक की जगह सेंधा नमक का उपयोग करें तो लाभप्रद हैं।

🌹शराब पीने की आदवाले अंगूर एवं अनार खायें तो हितकर है।

🌹आँव होने पर सोंठ का सेवन, लंघन (उपवास) अथवा पतली खिचड़ी और पतली छाछ का सेवन लाभप्रद है।

🌹अत्यंत पतले दस्त में सोंठ एवं अनार का रस लाभदायक है।

🌹आँख के रोगी के लिए घी, दूध, मूँग एवं अंगूर का आहार लाभकारी है।

🌹व्यायाम तथा अति परिश्रम करने वाले के लिए घी और इलायची के साथ केला खाना अच्छा है।

🌹सूजन के रोगी के लिए नमक, खटाई, दही, फल, गरिष्ठ आहार, मिठाई अहितकर है।

🌹यकृत (लीवर) के रोगी के लिए दूध अमृत के समान है एवं नमक, खटाई, दही एवं गरिष्ठ आहार विष के समान हैं।

🌹वात के रोगी के लिए गरम जल, अदरक का रस, लहसुन का सेवन हितकर है। लेकिन आलू, मूँग के सिवाय की दालें एवं वरिष्ठ आहार विषवत् हैं।

🌹कफ के रोगी के लिए सोंठ एवं गुड़ हितकर हैं परंतु दही, फल, मिठाई विषवत् हैं।

🌹पित्त के रोगी के लिए दूध, घी, मिश्री हितकर हैं परंतु मिर्च-मसालेवाले तथा तले हुए पदार्थ एवं खटाई विषवत् हैं।

🌹अन्न, जल और हवा से हमारा शरीर जीवनशक्ति बनाता है। स्वादिष्ट अन्न व स्वादिष्ट व्यंजनों की अपेक्षा साधारण भोजन स्वास्थ्यप्रद होता है। खूब चबा-चबाकर खाने से यह अधिक पुष्टि देता है, व्यक्ति निरोगी व दीर्घजीवी होता है। वैज्ञानिक बताते हैं कि प्राकृतिक पानी में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के सिवाय जीवनशक्ति भी है। एक प्रयोग के अनुसार हाइड्रोजन व ऑक्सीजन से कृत्रिम पानी बनाया गया जिसमें खास स्वाद न था तथा मछली व जलीय प्राणी उसमें जीवित न रह सके।

🌹बोतलों में रखे हुए पानी की जीवनशक्ति क्षीण हो जाती है। अगर उसे उपयोग में लाना हो तो 8-10 बार एक बर्तन से दूसरे बर्तन में उड़ेलना (फेटना) चाहिए। इससे उसमें स्वाद और जीवनशक्ति दोनों आ जाते हैं। बोतलों में या फ्रिज में रखा हुआ पानी स्वास्थ्य का शत्रु है। पानी जल्दी-जल्दी नहीं पीना चाहिए। चुसकी लेते हुए एक-एक घूँट करके पीना चाहिए जिससे पोषक तत्त्व मिलें।

🌹वायु में भी जीवनशक्ति है। रोज सुबह-शाम खाली पेट, शुद्ध हवा में खड़े होकर या बैठकर लम्बे श्वास लेने चाहिए। श्वास को करीब आधा मिनट रोकें, फिर धीरे-धीरे छोड़ें। कुछ देर बाहर रोकें, फिर लें। इस प्रकार तीन प्राणायाम से शुरुआत करके धीरे-धीरे पंद्रह तक पहुँचे। इससे जीवनशक्ति बढ़ेगी, स्वास्थ्य-लाभ होगा, प्रसन्नता बढ़ेगी।

🌹पूज्य बापू जी सार बात बताते हैं, विस्तार नहीं करते। 93 वर्ष तक स्वस्थ जीवन जीने वाले स्वयं उनके गुरुदेव तथा ऋषि-मुनियों के अनुभवसिद्ध ये प्रयोग अवश्य करने चाहिए।

🔷स्वास्थ्य और शुद्धिः🔷

🌹उदय, अस्त, ग्रहण और मध्याह्न के समय सूर्य की ओर कभी न देखें, जल में भी उसकी परछाई न देखें।

🌹दृष्टि की शुद्धि के लिए सूर्य का दर्शन करें।

🌹उदय और अस्त होते चन्द्र की ओर न देखें।

🌹संध्या के समय जप, ध्यान, प्राणायाम के सिवाय कुछ भी न करें।

🌹साधारण शुद्धि के लिए जल से तीन आचमन करें।

🌹अपवित्र अवस्था में और जूठे मुँह स्वाध्याय, जप न करें।

🌹सूर्य, चन्द्र की ओर मुख करके कुल्ला, पेशाब आदि न करें।

🌹मनुष्य जब तक मल-मूत्र के वेगों को रोक कर रखता है तब तक अशुद्ध रहता है।

🌹सिर पर तेल लगाने के बाद हाथ धो लें।

🌹रजस्वला स्त्री के सामने न देखें।

🌹ध्यानयोगी ठंडे जल से स्नान न करे।

🔷भोजन-पात्र🔷

🌹भोजन को शुद्ध, पौष्टिक, हितकर व सात्त्विक बनाने के लिए हम जितना ध्यान देते हैं उतना ही ध्यान हमें भोजन बनाने के बर्तनों पर देना भी आवश्यक है। भोजन जिन बर्तनों में पकाया जाता है उन बर्तनों के गुण अथवा दोष भी उसमें समाविष्ट हो जाते हैं। अतः भोजन किस प्रकार के बर्तनों में बनाना चाहिए अथवा किस प्रकार के बर्तनों में भोजन करना चाहिए, इसके लिए भी शास्त्रों ने निर्देश दिये हैं।

🌹भोजन करने का पात्र सुवर्ण का हो तो आयुष्य को टिकाये रखता है, आँखों का तेज बढ़ता है। चाँदी के बर्तन में भोजन करने से आँखों की शक्ति बढ़ती है, पित्त, वायु तथा कफ नियंत्रित रहते हैं। काँसे के बर्तन में भोजन करने से बुद्धि बढ़ती है, रक्त शुद्ध होता है। पत्थर या मिट्टी के बर्तनों में भोजन करने से लक्ष्मी का क्षय होता है। लकड़ी के बर्तन में भोजन करने से भोजन के प्रति रूचि बढ़ती है तथा कफ का नाश होता है। पत्तों से बनी पत्तल में किया हुआ भोजन, भोजन में रूचि उत्पन्न करता है, जठराग्नि को प्रज्जवलित करता है, जहर तथा पाप का नाश करता है। पानी पीने के लिए ताम्र पात्र उत्तम है। यह उपलब्ध न हों तो मिट्टी का पात्र भी हितकारी है। पेय पदार्थ चाँदी के बर्तन में लेना हितकारी है लेकिन लस्सी आदि खट्टे पदार्थ न लें।

🌹लोहे के बर्तन में भोजन पकाने से शरीर में सूजन तथा पीलापन नहीं रहता, शक्ति बढ़ती है और पीलिया के रोग में फायदा होता है। लोहे की कढ़ाई में सब्जी बनाना तथा लोहे के तवे पर रोटी सेंकना हितकारी है परंतु लोहे के बर्तन में भोजन नहीं करना चाहिए इससे बुद्धि का नाश होता है। स्टेनलेस स्टील के बर्तन में बुद्धिनाश का दोष नहीं माना जाता है। सुवर्ण, काँसा, कलई किया हुआ पीतल का बर्तन हितकारी है। एल्यूमीनियम के बर्तनों का उपयोग कदापि  न करें।

🌹केला, पलाश, तथा बड़ के पत्र रूचि उद्दीपक, विषदोषनाशक तथा अग्निप्रदीपक होते हैं। अतः इनका उपयोग भी हितावह है।

पानी पीने के पात्र के विषय में 'भावप्रकाश ग्रंथ' में लिखा है।

जलपात्रं तु ताम्रस्य तदभावे मृदो हितम्।

पवित्रं शीतलं पात्रं रचितं स्फटिकेन यत्।

काचेन रचितं तद्वत् वैङूर्यसम्भवम्।

(भावप्रकाश, पूर्वखंडः4)

🌹अर्थात् पानी पीने के लिए ताँबा, स्फटिक अथवा काँच-पात्र का उपयोग करना चाहिए। सम्भव हो तो वैङूर्यरत्नजड़ित पात्र का उपयोग करें। इनके अभाव में मिट्टी के जलपात्र पवित्र व शीतल होते हैं। टूटे-फूटे बर्तन से अथवा अंजलि से पानी नहीं पीना चाहिए।

🙏ह्रीं अन्नपूर्णायै नम: 🙏

हमारे *शास्त्रों* में, सिर्फ भोजन पकाने की ही बात नहीं है...

भोजन कैसे *परोसा जाए* वो बात भी लिखी है..!

💐

16 મે, 2022

हिन्दुओं, एक हो जाओ

27 फरवरी 1915 मे एक दल बना- हिन्दू महासभा!

इनका नारा था- "हिन्दुओं, एक हो जाओ!"

1915 से 2014 तक 99 वर्षों में इनसे हिन्दू एक नहीं हुए!

29 आगस्त 1964 में एक दल बना- विश्व हिन्दू परिषद!

इनका नारा था- "हिन्दुओं, एक हो जाओ!"

1964 से 2014 तक 50 वर्षों में इनसे हिन्दू एक नहीं हुए!

19 जून 1966 में फिर एक दल बना- शिवसेना!

इनका नारा था- "हिन्दुओं, एक हो जाओ!"

1966 से 2014 तक 48 वर्षो में इनसे हिन्दू एक नहीं हुए, क्योंकि वे स्वयं कभी महारास्ट्र से बाहर नहीं निकले!

1 अक्टूम्बर 1984 में फिर एक दल बना- बजरंग दल!

इनका नारा था- "हिन्दुओं, एक हो जाओ!"

1984 से 2014 तक 30 वर्षों में इनसे हिन्दू एक नहीं हुए!

और भी बहुत से छोटे-छोटे हिन्दू दल बने - हिन्दू वाहनी, हिन्दू रक्षा दल, हिन्दू सेना, हिन्दू युवा दल!

इन सब दलों से आज तक देश के हिन्दू एक नहीं हुए! बल्कि इन अलग-अलग दलों के कारण ही हिन्दू और ज्यादा बंटते गए!

अगर ये हिन्दुओं को एक करना ही चाहते थे, तो सब दल पहले आपस मे एक होते, तो संभव है कि हिन्दू एक हो जाते!

अब आते हैं मुद्दे की मूल बात पर!

इन दलो में बहुत से कांग्रेस के एजेंट भी हैं, जिनके कारण हिन्दुओं को कभी एक नहीं होने दिया! और 60 वर्षों तक कॉंग्रेस ने सत्ता की मलाई खाई और देश को लूटा!

*2014 में एक नायक आया - "नरेंद्र दामोदरदास मोदी"!*

इन्होंने हमें आतंकवादियों के जनाजे की भीड़ दिखाई - "उससे हिन्दू जागे"!

इन्होंने हमें आतंकवादियों के लिए रात के 2 बजे सुप्रीम कोर्ट खुलवाने वालों की पहचान कारवाई - "उससे हिन्दू जागे"!

इन्होंने हमें पाकिस्तानियों की भाषा बोलने वाले नेताओ को दिखाया - "उससे हिन्दू जागे"!

इन्होंने हमें देशविरोधी पत्रकारों की नौटंकी दिखाई - "उससे हिन्दू जागे"!

इन्होंने हमें चुनावों मे जालीदार टोपी पहनने वाले नेताओं की जमात दिखाई - "उससे हिन्दू जागे"!

इन्होंने हमें तिरंगा जलाने वाले, और देश विरोधी नारे लगाने वालों की पहचान करवाई - "उससे हिन्द जागे"!

2014 से 2018 तक पूरे देश मे हिन्दू जागने लगे और एक होने लगे!

अब जब हिन्दू एक हो गए, तो कॉंग्रेस और दूसरी सेकुलर पार्टिया सत्ता मे कैसे वापस आएगी ???

इसलिए हिन्दुओं को तोड़ना जरूरी है!

फिर राजस्थान में हुआ गुर्ज्जर आंदोलन! हिन्दुओं को जातिवाद में बांटा!
 
फिर हरियाणा में हुआ जाट आंदोलन! हिन्दुओं को जातिवाद में बांटा!

फिर गुजरात में हुआ पटेल आंदोलन! हिन्दूओं को जातिवाद में बांटा!

फिर महाराष्ट्र में हुआ दलित हिन्दू आंदोलन! हिन्दूओं को जातिवाद मे बांटा!

पैसों से किसी की भी प्रामाणिकता खरीदी जा सकती है! कॉंग्रेस के लिए ये सहज और मामूली बात है!

अब 2019 के आम चुनाव कॉंग्रेस को जीतने थे, तो उसे कुछ न कुछ तो करना ही था हिन्दुओं को तोड़ने के लिए!

इसलिए, पहले जिग्नेश मेवानी, उमर खालिद, कन्हैया कुमार तैयार किये गये! मीडिया ने प्रकाशित किया, पर सफल नहीं हुए!

फिर करणी सेना ने कॉंग्रेस को समर्थन देने की बात कही! सारे हिन्दू करणी सेना छोड़ कर चले गए!

फिर आरंभ हुआ प्रवीण तागोड़िया जी का खेल! इनसे भी हिन्दूओं को तोड़ने के प्रयास किए गये! क्योंकि ये पहले से ही मोदी के विरोधी रहे थे और कॉंग्रेस को इनसे बहुत लाभ भी हुआ! रात भर बेहोशी में ही घोषणा कर दी, कि 11 बजे प्रेस कांफ्रेंस होगी, और कह दिया मोदी हिन्दुओं को दबा रहा है!

बस, ये सुन कर इस्लाम कबूल करने वाला हार्दिक पटेल पहुँच गया, अर्जुन मोढ़वाडिया पहुँच गया, प्रमोद तिवारी जो दिनरात हिन्दुओं के लिए अपशब्द निकालता है, इन जैसे सब पहुँच गए। लेकिन समझदार नागरिक समझ गए कि ये सब कॉंग्रेस का खेल है, "हिन्दुओं को तोड़ो, फिर राज लाओ"!

अब हमें आप मोदी के चमचे कहो, या अंधभक्त, हमें कुछ फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि हमें मोदी जी पर गर्व है, जो आज हम हिन्दू उनके कारण एक हैं!

ध्यान देने वाली बात - इस पोस्ट का विरोध करने वाले कोई गाली गलोज नहीं करें! अगर विरोध करना है, तो हमारे इन प्रश्नों के उत्तर दें पहले :

1- प्रवीण तागोड़िया 3 वर्षों से विश्व हिन्दू परिषद के अध्यक्ष थे! इन 3 वर्षों मे हिन्दुओं के लिए एक भी कोई काम किया हो, तो बतायें!

2- जब साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और कर्नल पुरोहित जेल में थे, तो इनको छुड़ाने के लिए ना तो कोई जन आंदोलन किया, ना कभी इनसे मिलने गए! ऐसा क्यों?

3- आज तक सोनिया, राहुल के विरुद्ध एक भी शब्द नहीं बोले! ऐसा क्यों?

4- कॉंग्रेस हिन्दुओं को आतंकवादी कहती थी, तब ये कहाँ सोये हुए थे?

5- बंगाल, केरल, कर्नाटक में हिन्दुओं के कत्ल-ए-आम हुए, तब इनका हिन्दू ह्रदय पिंघला क्यों नहीं?

6- विश्व हिन्दू परिषद के अध्यक्ष थे! विश्व की छोड़ो, भारत के कश्मीरी पंडितों के लिए कुछ नहीं किया! ऐसा क्यों?

हां, तो अब ये पोस्ट पढ़कर जिसकी आंखें खोलनी हों, खोल दो!

जिसको अंधे बने रहना है, उसमे हमारा कोई दोष नहीं!

आप हमे भक्त या अंधभक्त, जो भी समझो.....

धर्मों रक्षति रक्षितः💪💪

🚩🚩 जय जय श्री राम!🚩🚩

14 મે, 2022

आठ योगी महापुरुष जो आज भी जीवित और अमर माने जाते हैं..

ये हैं वो आठ योगी महापुरुष जो आज भी जीवित और अमर माने जाते हैं..

1. महावीर हनुमान – अंजनी पुत्र हनुमान जी को अजर और अमर रहने के वरदान मिला है तथा इन की मौजूदगी रामायण और महाभारत दोनों जगह पर पाई गई है.रामायण में हनुमान जी ने प्रभु राम की सीता माता को रावण के कैद से छुड़वाने में मदद की थी और महाभारत में उन्होंने भीम के घमंड को तोडा था. सीता माता ने हनुमान को अशोक वाटिका में राम का संदेश सुनाने पर वरदान दिया था की वे सदेव अजर-अमर रहेंगे. अजर-अमर का अर्थ है की उनकी कभी मृत्यु नही होगी और नही वे कभी बूढ़े होंगे. माना जाता है की हनुमान जी इस धरती पर आज भी विचरण करते है.

2. अश्वत्थामा – अश्वत्थामा गुरु द्रोणाचर्य के पुत्र है तथा उनके मष्तक में अमरमणि विध्यमान है. अश्वत्थामा ने सोते हुए पांडवो के पुत्रो की हत्या करी थी जिस कारण भगवान कृष्ण ने उन्हें कालांतर तक अपने पापो के प्रायश्चित के लिए इस धरती में ही भटकने का श्राप दिया था. हरियाणा के करुक्षेत्र और अन्य तीर्थ में उनके दिखाई दिए जाने के दावे किये जाते है तथा मध्यप्रदेश के बुराहनपुर में उनके दिखाई दिए जाने की घटना प्रचलित है.

3. ऋषि मार्कण्डेय – ऋषि मार्कण्डेय भगवान शिव के परम भक्त है. उन्होंने भगवान शिव की कठोर तपश्या द्वारा महामृत्युंजय तप को सिद्ध कर मृत्यु पर विजयी पा ली और चिरंजीवी हो गए.

4. भगवान परशुराम -परशुराम भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं। परशुराम के पिता ऋषि जमदग्नि और माता का नाम रेणुका था. परशुराम का पहले नाम राम था परन्तु इस शिव के परम भक्त थे. उनकी कठोर तपश्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें एक फरसा दिया जिस कारण उनका नाम परशुराम पड़ा.

5. कृपाचार्य -कृपाचार्य शरद्वान गौतम के पुत्र हैं। वन में शिकार खेलते हुए शांतनु को दो शिशु मिले जिनका नाम उन्होंने कृपि और कृप रखा तथा उनका पालन पोषण किया. कृपाचार्य कौरवो के कुलगुरु तथा अश्वत्थामा के मामा हैं, उन्होंने महाभारत के युद्ध में कौरवो को साथ दिया.

6. विभीषण – विभीषण ने भगवान राम की महिमा जान कर युद्ध में अपने भाई रावण का साथ छोड़ प्रभु राम का साथ दिया. राम ने विभीषण को अजर-अमर रहने का वरदान दिया था.

7. वेद व्यास – ऋषि व्यास ने महाभारत जैसे प्रसिद्ध काव्य की रचना की है. उनके द्वारा समस्त वेदो एवं पुराणो की रचना हुई. वेद व्यास, ऋषि पाराशर और सत्यवती के पुत्र है. ऋषि वेदव्यास भी अष्टचिरंजीवियो में सम्लित है.

8. राजा बलि – राजा बलि को महादानी के रूप में जाना जाता है. उन्होंने भगवान विष्णु के वामन अवतार को अपना सब कुछ दान कर दिया अतः भगवान विष्णु ने उन्हें पाताल का राजा बनाया और अमरता का वरदान दिया. राजा बलि प्रह्लाद के वंशज है

28 એપ્રિલ, 2022

પૂજ્ય શ્રી જલારામ બાપાના અસલી ફોટા વિષેની માહિતી

પૂજ્ય શ્રી જલારામ બાપાના અસલી ફોટા વિષેની માહિતી:

                  ગોંડલ નાં દિવાન પ્રાણશંકર જોષી સાહેબ ઇ.સ ૧૯૫૨ માં લગભગ ૮૫ વર્ષના હતા. પ્રખર વિદ્વાન અને ચારિત્ર્યશીલ એમનું વ્યક્તિત્વ. એ અને મહાત્મા ગાંધી શામળદાસ કોલેજ માં સાથે ભણતા. એ સમયે એમણે એક મુલાકાત માં બાપાના આ ફોટા વિશે અધિકૃત વાત કરેલી છે. જે રોમાંચક છે. 

પૂજ્ય જલારામ બાપા નો સમયકાળ ..
તા. ૪ /૧૧/૧૭૯૯ થી તા. ૨૩/૨/૧૮૮૧ સુધી..
કારતક સુદ સાતમ, સોમવાર વિક્રમ સંવત ૧૮૫૬ થી મહા વદ દસમ, બુધવાર વિક્રમ સંવત ૧૯૩૭.
જલારામ બાપા ને દિવાન શ્રી પ્રાણશંકર જોષી સાહેબે નાનકડી ઉંમરે જોયેલા. 
ભકતમંડળી સાથે કિર્તન કરતા. 
એ વખતે ગોંડલ સ્ટેટની જાહોજલાલી ઉચ્ચસ્થાને હતી. ગોંડલ નરેશ જલાભગત ને અહોભાવથી માન આપતા, સદાવ્રત માટે મદદ કરતા. 

              પ્રાણશંકર જોષી સાહેબ ના મામા કલ્યાણજીભાઇ એ જમાનામાં નવી નવી ગણાતી ફોટોગ્રાફી ના શોખીન હતા. એમનો એક મિત્ર નામે Anson જે ડેન્માર્કનો વતની હતો અને ફોટોગ્રાફી માં નિષ્ણાત હતો. આ બંને જણાએ ભેગા મળી રાજકોટમાં એ વખતે Anson & Kalyanji એ નામે સ્ટુડીયો શરૂ કરેલો. એમાં મુહૂર્ત માં કોઇ પવિત્ર માણસ નો ફોટો લેવો એવું નકકી કરેલ અને એ વખતે કાઠિયાવાડ માં જલાભગત એક પવિત્ર સંત તરીકે લોકોમાં ખુબ જ જાણીતા હતા આથી આ બંને મિત્રો સામગ્રી સાથે વિરપુર પહોંચ્યા. એ વખતે વિશાળ કેમેરા અને બેકગ્રાઉન્ડ ગોઠવવામાં દિવસો લાગતા.

                બાપા એ વખતે વયોવૃદ્ધ હતા. વિરપુર નું સદાવ્રત ધમધમતું હતું. એની ખીચડીનો સ્વાદ આજની માફક જ એ વખતે પણ સ્વર્ગીય હતો. બંને મિત્રોએ જલાભગતને ફોટો પડાવવા વિનંતી કરી. બાપા એ નમ્રપણે ઇન્કાર કર્યો અને કહ્યું "મારા તે વળી ફોટા હોય ? તમારે ફોટો લેવો હોય તો મહારાજ સાહેબ છે. આ બાજુમાં ઉભી છે એ ગાય માતાનો લ્યો. કોઇ પારેવાનો ફોટો લો..સાધુઓ પણ છે...હું તો એક પામર વ્યકિત છું.. " 
પણ આ બંને દોસ્તો આજીજી કરી બાપાના ચરણોમાં પડયા. એમને દુ:ખી થતા જોઇ બાપાનું ભકત હદય પીગળી ગયું અને આ 'ઐતિહાસિક કલીક' આપણને મળી. બંને મિત્રો બાપાને વંદન કરી, પ્રસાદ લઇ રાજકોટ ના રસ્તે પડયા. 

                એ વખતે ફોટા ધોવા માટે પણ જટિલ અને લાંબી પ્રક્રિયા હતી. Vet Process થી એ કામ થતું. મોટી સ્લાઇડોને પાણીથી ધોવામાં આવતી. એ વખતે એટલું બધું પાણી ઢોળાતું કે શેરીઓ માં જોવા મળતું. રાજકોટ ની ખીજડા શેરીમાં આવેલા એ સ્ટુડીયો માં જલાભગતનો આ ફોટો આ રીતે જ તસવીર સ્વરૂપ પામ્યો. શરૂઆત માં એ ગોંડલ નરેશ અને દિવાનસાહેબ ની અંગત લાયબ્રેરી માં જ પડેલો હતો. પરંતું બાપાના ભકતોની લાગણી જોઇ એ પ્રજા સમક્ષ "વાઇરલ" પણ થઇ જ ગયો. 

બાપાની હયાતી નો એકમાત્ર આ ડોકયુમેન્ટ આપણી મોંઘી વિરાસત છે. એમાં બાપાની ડાબી આંખ સ્હેજ બીડાયેલી છે. કદાચ મોતિયો પણ હોઇ શકે. એ જમાનાની કાઠિયાવાડી પાઘડી અને અંગરખું અને ચહેરા ઉપરની અદભુત આભા આબેહૂબ એક ડેનિશ કલાકારે કંડાર્યાં છે. 
આજે આ ફોટો કરોડો લોકોની આસ્થાનું કેન્દ્રબિંદુ છે....
               🙏🦚🙏
  જય જોગી જલિયાણ ✨🦚
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16 એપ્રિલ, 2022

વૃદ્ધાવસ્થાને રોકી અથવા ઘટાડી શકે

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Let us not give up walking daily.



સારકોપેનિયા શું છે*

 સરકોપેનિયા. વૃદ્ધાવસ્થાના પરિણામે હાડપિંજરના સ્નાયુ સમૂહ અને શક્તિની ખોટ છે. તે એક ભયંકર સ્થિતિ છે.

ચાલો સરકોપેનિયાનું અન્વેષણ કરીએ!

શીર્ષક: "ધીમે ધીમે તમારા કાર્યાત્મક સ્નાયુઓનો ઉપયોગ કરો"

1. ઊભા રહેવાની આદત કેળવવા માટે... માત્ર બેસો નહીં! ... અને જો તમે બેસી શકો તો સૂશો નહીં!

2. 50-60 વર્ષની ઉંમર પછી, વજન ઓછું કરવું શક્ય નથી, ખાસ કરીને જો તમે કસરત ન કરો અને વજન ઘટાડવા માટે ઓછું ખાવા પર આધાર રાખો!
કારણ કે જો બધા સ્નાયુઓ ખોવાઈ જાય, તો તે ખૂબ જોખમી બની શકે છે!

3. શું દોડવાથી, સાયકલ ચલાવવાથી કે ચઢવાથી ઘૂંટણને નુકસાન થાય છે?
જો તમે પહેલાં ક્યારેય કસરત ન કરી હોય તો તમે તમારા મગજમાં દોડવા, બાઇક ચલાવવા અથવા ચડતા જ જઈ શકો છો કારણ કે તે તમારા ઘૂંટણને ખૂબ નુકસાન પહોંચાડશે!
પરંતુ જો તમારી પાસે પૂરતી સ્નાયુ શક્તિ હોય અને ધીમે ધીમે દોડવાની, સાયકલ ચલાવવાની અને ચઢવાની આદત કેળવવી હોય, તો તે એક સારી કસરત બની શકે છે અને તમારા ઘૂંટણને નુકસાન પહોંચાડશે નહીં! તમે તમારા ઘૂંટણને નુકસાન પહોંચાડો છો કે નહીં તે તમારા સ્નાયુઓની શક્તિ પર આધારિત છે!

4. જો કોઈ વૃદ્ધ વ્યક્તિ બીમાર હોય અને હોસ્પિટલમાં દાખલ હોય, તો તેને વધુ આરામ કરવાનું કહો નહીં ... અથવા સૂઈ જાઓ અને આરામ કરો અને પથારીમાંથી બહાર ન નીકળો!
એક અઠવાડિયા સુધી સૂવાથી ઓછામાં ઓછા 5% સ્નાયુ સમૂહ ગુમાવે છે!
અને વૃદ્ધ માણસ તેના સ્નાયુઓ પાછા મેળવી શકતો નથી!

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સામાન્ય રીતે, ઘણા વૃદ્ધ લોકો કે જેઓ મદદનીશો રાખે છે તેઓ ઝડપથી સ્નાયુ ગુમાવે છે!

6. જ્યારે તમે પાર્કમાં જાઓ ત્યારે દરરોજ માત્ર એક જ પ્રવૃત્તિ ન કરો.
જ્યારે તમે તમારા પગ પણ હલાવી શકો ત્યારે ફક્ત તમારા હાથને હલાવો નહીં. તમારે આડી પટ્ટી પણ ખેંચવી પડશે અથવા દરેક રમતગમતના સાધનોને ખસેડવા પડશે!
કારણ કે જ્યાં સુધી વ્યક્તિ હલનચલન કરશે ત્યાં સુધી આખા શરીરના તમામ સ્નાયુઓ સામેલ થશે!
અપૂરતી કસરતને કારણે ઘણા વૃદ્ધોને ગળવામાં પણ તકલીફ પડે છે!
અંતે, તેઓ ગળફામાં એક મોં પણ ઉધરસ ન કરી શક્યા અને આ કારણે મૃત્યુ પામ્યા!

7. ઓસ્ટીયોપોરોસીસ કરતાં સરકોપેનિયા વધુ ભયાનક છે!
ઓસ્ટીયોપોરોસીસ સાથે તમારે માત્ર સાવધાની રાખવાની જરૂર છે કે તે પડી ન જાય, જ્યારે સરકોપેનિયા માત્ર જીવનની ગુણવત્તાને અસર કરતું નથી પણ અપૂરતા સ્નાયુ સમૂહને કારણે હાઈ બ્લડ સુગરનું કારણ પણ બને છે!

8. સાર્કોપેનિયાનું સૌથી ઝડપી નુકશાન પગના સ્નાયુમાં થાય છે!
કારણ કે જ્યારે વ્યક્તિ બેસે છે અથવા સૂવે છે, ત્યારે પગ હલતા નથી અને પગના સ્નાયુઓની શક્તિને અસર થાય છે... આ ખાસ કરીને મહત્વનું છે!
કાળા પગ ન બનો!

તેથી દિવસમાં ઓછામાં ઓછા 20 થી 30 વખત સ્ક્વોટ કરો.
સ્ક્વોટ એ નીચે બેસવાનું નથી પણ ટોઇલેટ સીટ પર બેસવા જેવું છે... તમે ખુરશીનો ઉપયોગ કરી શકો છો અને જ્યારે તમારો બટ સીટને સ્પર્શે ત્યારે ઊભા થઈ શકો છો!

તમારે સાર્કોપેનિયા પર ધ્યાન આપવું જોઈએ!

સીડી ઉપર અને નીચે જાઓ... દોડવું, સાયકલ ચલાવવું અને ચડવું એ બધી મહાન કસરતો છે અને સ્નાયુ સમૂહમાં વધારો કરી શકે છે!

વૃદ્ધાવસ્થામાં દરેક વ્યક્તિ માટે જીવનની સારી ગુણવત્તા માટે...

ચાલ... તમારા સ્નાયુને બગાડો નહીં!!

*વૃદ્ધત્વ પગથી ઉપરની તરફ શરૂ થાય છે!*
       
તમારા પગને સક્રિય અને મજબૂત રાખો !!

▪️જેમ જેમ આપણે વર્ષો લગાવીએ છીએ અને રોજેરોજ વૃદ્ધ થતા જઈએ છીએ તેમ, આપણા પગ હંમેશા સક્રિય અને મજબૂત હોવા જોઈએ.
જેમ જેમ આપણે સતત વૃદ્ધ થઈએ છીએ / વૃદ્ધ થઈએ છીએ, આપણે આપણા વાળ ભૂખરા થવાથી ડરવું જોઈએ નહીં (અથવા) ત્વચા ઝૂલતી (અથવા) ચહેરા પર કરચલીઓ.

▪️ *દીર્ધાયુષ્ય*, લાંબા ફિટ જીવનના ચિહ્નો પૈકી લોકપ્રિય યુએસ મેગેઝિન "પ્રિવેન્શન" દ્વારા સારાંશ આપવામાં આવે છે, પગના મજબૂત સ્નાયુઓ *સૌથી મહત્વપૂર્ણ અને આવશ્યક* તરીકે ટોચ પર સૂચિબદ્ધ છે.
કૃપા કરીને દરરોજ ચાલો.

▪️જો તમે ફક્ત બે અઠવાડિયા માટે તમારા પગને હલાવો નહીં, તો તમારા પગની વાસ્તવિક શક્તિ 10 વર્ષ સુધી ઘટી જશે.
*બસ ચાલો*

▪️ડેનમાર્કની યુનિવર્સિટી ઓફ કોપનહેગનના અભ્યાસમાં જાણવા મળ્યું છે કે વૃદ્ધ અને યુવાન બંને, *નિષ્ક્રિયતા* ના બે અઠવાડિયા દરમિયાન, પગના સ્નાયુઓની શક્તિ *તૃતીયાંશ* નબળી પડી શકે છે* જે 20-30 વર્ષની વયની સમકક્ષ છે !!
*તો બસ ચાલો*

▪️આપણા પગના સ્નાયુઓ નબળા પડતાં, તેને સાજા થવામાં લાંબો સમય લાગશે, પછી ભલે આપણે પુનર્વસન અને કસરતો કરીએ.
વોક.

▪️તેથી, *ચાલવા જેવી નિયમિત કસરત ખૂબ જ મહત્વપૂર્ણ છે*.

▪️આખા શરીરનું વજન/ભાર રહે અને પગ પર આરામ કરો.

▪️ *પગ એ એક પ્રકારનો થાંભલો છે*, જે માનવ શરીરનું સમગ્ર વજન વહન કરે છે.
*રોજ ચાલો.*

▪️રસપ્રદ વાત એ છે કે વ્યક્તિના 50% હાડકાં અને 50% સ્નાયુઓ બે પગમાં હોય છે.
*ચાલવું*

▪️માનવ શરીરના સૌથી મોટા અને મજબૂત સાંધા અને હાડકા પણ પગમાં હોય છે.
*10K પગલાં/દિવસ*

▪️મજબૂત હાડકાં, મજબૂત સ્નાયુઓ અને લવચીક સાંધાઓ *લોહ ત્રિકોણ* બનાવે છે જે સૌથી મહત્વપૂર્ણ ભાર એટલે કે *માનવ શરીરને વહન કરે છે."*

▪️ 70% માનવ પ્રવૃત્તિ અને વ્યક્તિના જીવનમાં ઊર્જાનું દહન બે પગ દ્વારા થાય છે.

▪️શું તમે આ જાણો છો? જ્યારે કોઈ વ્યક્તિ યુવાન હોય છે, ત્યારે તેની જાંઘમાં 800 કિલોની નાની કાર ઉપાડવા માટે પૂરતી તાકાત હોય છે!*

▪️ *પગ એ શરીરની ગતિનું કેન્દ્ર છે*.

▪️બંને પગ એકસાથે માનવ શરીરની 50% ચેતા ધરાવે છે, 50% રક્તવાહિનીઓ અને 50% રક્ત તેમાંથી વહે છે.

▪️ તે સૌથી મોટું રુધિરાભિસરણ નેટવર્ક છે જે શરીરને જોડે છે.
*તો રોજ ચાલો.*


▪️જ્યારે પગ સ્વસ્થ હોય ત્યારે જ લોહીનો પ્રવાહ સરળતાથી વહે છે, તેથી જે લોકોના પગના સ્નાયુઓ મજબૂત હોય છે તેઓનું હૃદય ચોક્કસપણે મજબૂત હોય છે.* ચાલો.

▪️ વૃદ્ધત્વ પગથી ઉપરની તરફ શરૂ થાય છે

▪️જેમ જેમ વ્યક્તિ મોટી થાય છે તેમ, મગજ અને પગ વચ્ચે સૂચનાઓના પ્રસારણની ચોકસાઈ અને ઝડપ ઘટતી જાય છે, જ્યારે વ્યક્તિ યુવાન હોય ત્યારે તેનાથી વિપરીત. *કૃપા કરીને ચાલો*

▪️આ ઉપરાંત, કહેવાતા બોન ફર્ટિલાઇઝર કેલ્શિયમ સમયની સાથે વહેલા કે પછી ખોવાઈ જશે, જે વૃદ્ધોને હાડકાના ફ્રેક્ચરની સંભાવના વધારે છે. *ચાલવું.*

▪️વૃદ્ધોમાં હાડકાંના ફ્રેક્ચર સરળતાથી શ્રેણીબદ્ધ ગૂંચવણો પેદા કરી શકે છે, ખાસ કરીને મગજના થ્રોમ્બોસિસ જેવા જીવલેણ રોગો.

▪️શું તમે જાણો છો કે સામાન્ય રીતે 15% વૃદ્ધ દર્દીઓ મહત્તમ મૃત્યુ પામે છે. જાંઘના હાડકાના ફ્રેક્ચરના એક વર્ષની અંદર !! *રોજ નિષ્કાળજી વગર ચાલો*

▪️ *પગની કસરત, 60 વર્ષની ઉંમર પછી પણ ક્યારેય મોડું થતું નથી.*

▪️આપણા પગ/પગ ધીમે ધીમે સમય સાથે વૃદ્ધ થતા જશે, તેમ છતાં આપણા પગ/પગની કસરત કરવી એ જીવનભરનું કાર્ય છે.
*10,000 ડગલાં ચાલો*

▪️માત્ર નિયમિતપણે પગને મજબૂત કરીને, વ્યક્તિ વધુ વૃદ્ધાવસ્થાને રોકી અથવા ઘટાડી શકે છે. *365 દિવસ ચાલો*

▪️ તમારા પગને પૂરતી કસરત મળી રહે અને તમારા પગના સ્નાયુઓ સ્વસ્થ રહે તેની ખાતરી કરવા કૃપા કરીને દરરોજ ઓછામાં ઓછા 30-40 મિનિટ ચાલો.

*તમારે આ મહત્વપૂર્ણ માહિતી તમારા બધા 40+ વર્ષ" મિત્રો અને પરિવારના સભ્યો સાથે શેર કરવી જોઈએ, કારણ કે દરેક વ્યક્તિ દૈનિક ધોરણે વૃદ્ધ થઈ રહ્યો છે.

25 માર્ચ, 2022

AC વપરાશની પ્રજાલોજી

"AC વપરાશની પ્રજાલોજી"
ઉનાળા ની શરુઆત થઇ ગઇ છે. 
દરેક ઘર મા જે લોકો AC નો ખોટી રીતે વપરાશ કરીને શરીર ને રોગ મય બનાવે છે તે સૌથી પહેલા તો સવારે વહેલા ઊઠી યોગ અને પ્રાણાયામ કરે અને ત્યાર પછી AC ની હવા ખાવી જ હોય તો મહેરબાની કરીને નીચે નાં મુદ્દા ધ્યાન માં લે .
🙏🏻👇
એસીને 26+ ડિગ્રી પર મૂકો 
અને ફેનને 2 પર મૂકો.
 કૃપા કરીને આને સંપૂર્ણ વાંચો.  
ફક્ત 2 મિનિટ લેશે અને અને કમસેકમ ચાર મહિના મા એક AC દીઠ ₹ 2000/- ની બચત કરાવશે.
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આપના શુભેચ્છક એવા "પ્રજા" તરફથી ખૂબ ઉપયોગી માહિતી:
 AC નો સાચો ઉપયોગ:
જેમ કે ગરમ ઉનાળો શરૂ થયો છે અને અમે નિયમિત રીતે એર કન્ડિશનર્સનો ઉપયોગ કરીએ છીએ, ચાલો આપણે યોગ્ય પદ્ધતિને અનુસરીએ.

મોટાભાગના લોકોને 20-22 ડિગ્રી પર એસી ચલાવવાની ટેવ હોય છે અને જ્યારે તેમને ઠંડી લાગે છે, ત્યારે તેઓ તેમના શરીરને ધાબળાથી cover ઢાંકી દે છે. તેનાથી ડબલ નુકસાન થાય છે.
કેવી રીતે ???
શું તમે જાણો છો કે આપણા શરીરનું તાપમાન 35 ડિગ્રી સેલ્સિયસ છે?  
શરીર 23 ડિગ્રીથી 39 ડિગ્રી સુધીનું તાપમાન સરળતાથી સહન કરી શકે છે. તેને માનવ શરીરનું તાપમાન સહનશીલતા કહેવામાં આવે છે.
જ્યારે ઓરડાના તાપમાને નીચું અથવા higher ઉચું તાપમાન હોય ત્યારે, શરીર છીંક આવે છે, કંપાય છે, વગેરે દ્વારા પ્રતિક્રિયા આપે છે.

જ્યારે તમે એસીને 19-20-21 ડિગ્રી પર ચલાવો છો, ત્યારે ઓરડાના તાપમાન શરીરના સામાન્ય તાપમાનની તુલનામાં ઘણી ઓછી માત્રા હોય છે અને તે શરીરમાં "હાયપોથર્મિયા" નામની પ્રક્રિયા શરૂ કરે છે, જે રક્ત પરિભ્રમણને અસર કરે છે, જેના દ્વારા શરીરના કેટલાક ભાગોમાં લોહીની પ્રર્યાપ્ત સપ્લાય થતી નથી. લાંબા ગાળે ઘણા ગેરફાયદા છે જેમ કે સંધિવા વગેરે.
મોટેભાગે એસી ચાલુ હોય ત્યારે પરસેવો આવતો નથી, તેથી શરીરના ઝેર બહાર ન આવી શકે અને લાંબા ગાળે ત્વચાની એલર્જી અથવા ખંજવાળ, હાઈ બ્લડ પ્રેશર વગેરે જેવી અનેક બીમારીઓ થવાનું જોખમ રહે છે.
જ્યારે તમે આવા નીચા તાપમાને એસી ચલાવો છો, ત્યારે તે કમ્પ્રેસર સતત energy ઉર્જા પર સતત કામ કરે છે, ભલે તે 5 STAR હોય કે 3 સ્ટાર, અતિશય શક્તિનો વપરાશ થાય છે અને તે તમારા ખિસ્સામાંથી પૈસા ઉડાવે છે.

એસી ચલાવવાની શ્રેષ્ઠ રીત કઈ છે ?? 26 ડિગ્રી અથવા વધુ માટે તાપમાન સેટ કરો.
તમને પહેલા એસીનું તાપમાન 20 થી 21 સેટ કરીને કોઈ ફાયદો થતો નથી અને પછી તમારી આસપાસ ચાદર/ પાતળી રજાઇ લપેટી પડે છે.
 26+ ડિગ્રી પર એસી ચલાવવું એ હંમેશાં વધુ સારું છે. 28+ ડિગ્રી વધુ સારી છે.

આનાથી ઓછી વીજળી ખર્ચ થશે અને તમારા શરીરનું તાપમાન પણ રેન્જમાં રહેશે અને તમારા સ્વાસ્થ્ય પર કોઈ ખરાબ અસર નહીં પડે.
આનો બીજો ફાયદો એ છે કે એસી ઓછી વીજળીનો વપરાશ કરશે, મગજ પરનું બ્લડ પ્રેશર પણ ઘટશે અને પાવર ની બચત થશે.
અને તે રીતે ગ્લોબલ વોર્મિંગની અસરો ઘટાડવામાં મદદ કરશે.  

માની લો કે તમે 26+ ડિગ્રી પર એસી ચલાવીને રાત્રે એક એસી દીઠ આશરે 5 યુનિટ્સ બચાવી શકો છો અને અન્ય 10 લાખ ઘરો પણ તમારા જેવુ કરે છે, પછી અમે દરરોજ 5 મિલિયન યુનિટ વીજળી બચાવીએ છીએ.
પ્રાદેશિક સ્તરે આ બચત દરરોજ કરોડો યુનિટ હોઈ શકે છે.
કૃપા કરીને ઉપરોક્તને ધ્યાનમાં લો અને તમારા એસીને 26 ડિગ્રીથી નીચે ચલાવો નહીં. તમારા શરીર અને વાતાવરણને સ્વસ્થ રાખો.
જાહેર હિતમાં 
 "AC વપરાશની પ્રજાલોજી"

રામચરિત માનસની કેટલીક રસપ્રદ હકીકતો

રામચરિત માનસની કેટલીક રસપ્રદ હકીકતો

 1: ~ રામજી લંકામાં 111 દિવસ રહ્યા.
 2: ~ સીતાજી લંકામાં રહ્યા હતા = 435 દિવસ.
 3: માનસમાં શ્લોક સંખ્યા = 27 છે.
 4: માનસમાં ચોપાઇ સંખ્યા = 4608.
 5: માનસમાં દોહા સંખ્યા = 1074.
 6: ~ માનસમાં સોરઠા સંખ્યા = 207.
 7: માનસમાં શ્લોક સંખ્યા = 86 છે.

 8: ~ સુગ્રીવ પાસે તાકાત હતી =
     10000 હાથી ની..
 9: ~ સીતા રાણી બની = 33 વર્ષની ઉંમરે.
 10: માનસની રચના સમયે તુલસીદાસની ઉંમર = 77 વર્ષ હતી.
 11: પુષ્પક વિમાનની ઝડપ = 400 માઇલ / કલાક હતી.
 12: રામદલ અને રાવણની ટીમ વચ્ચે યુદ્ધ = 87 દિવસ.
 13: ~ રામ રાવણ યુદ્ધ = 32 દિવસ ચાલ્યું.
 14: ~ પુલ બાંધકામ = 5 દિવસમાં પૂર્ણ.

 15: ~ નલનીલના પિતા = વિશ્વકર્મા જી.
 16: ~ ત્રિજટા ના પિતા = વિભીષણ.

 17: ~ વિશ્વામિત્ર રામને લઈગયા= 10 દિવસ માટે..
 18: ~ રામ એ પ્રથમ રાવણનો વધ કર્યો હતો = 6 વર્ષની ઉંમરે.
 19: ~ રાવણ પુનર્જીવિત થયો = સુષેન વૈદે નાભિમાં અમૃત રાખ્યું.

 શ્રી રામના પરદાદાનું નામ શું હતું?
 નહિંતર જાણો-
 1 - હું બ્રહ્માજીથી મરીચ થયા,
 2 - મરીચીનો પુત્ર કશ્યપ બન્યો,
 3 - કશ્યપનો પુત્ર વિવસ્વાન હતો,
 4 - વિવસ્વાન ના વૈવસ્વત મનુ બન્યા.વૈવસ્વત મનુ સમયે પ્રલય થયો,
 5 - વૈવસ્વત્ મનુના દસ પુત્રોમાંથી એકનું નામ ઇક્ષ્વાકુ હતું, ઇક્ષ્વાકુએ અયોધ્યાને પોતાની રાજધાની બનાવી અને આ રીતે ઇક્ષ્વાકુ કુલની સ્થાપના કરી.
 6 - ઇક્ષ્વાકુનો પુત્ર કુક્ષી બન્યો,
 7 - કુક્ષીના પુત્રનું નામ વિકુક્ષી હતું,
 8 - વિકુક્ષીના પુત્રો બાણ બન્યા,
 9 - બાણના પુત્રો અનરણ્ય બન્યા,
 10- તે અરણ્યથી પૃથ્વીરાજ થયા,
 11- પૃથુ થી ત્રિશંકુનો જન્મ થયો,
 12- ત્રિશંકુનો પુત્ર ધુંધુમાર બન્યો,
 13- ધંધુમારના પુત્રનું નામ યુવનાશ્વ હતું,
 14- યુવનાશ્વના પુત્ર માંધાતા બન્યા,
 15- સુસંધીનો જન્મ માંધાતામાંથી થયો હતો,
 16- સુસંધિને બે પુત્રો હતા- ધ્રુવસંધિ અને પ્રસેનજિત,
 17- ધ્રુવસંધિનો પુત્ર ભરત બન્યો,
 18- ભરતનો પુત્ર અસિત બન્યો,
 19- અસિતનો પુત્ર સગર બન્યો,
 20- સગરાના પુત્રનું નામ અસમંજ હતું,
 21- અસમંજનો પુત્ર અંશુમન બન્યો,
 22- અંશુમનનો પુત્ર દિલીપ હતો,
 23- દિલીપનો પુત્ર ભગીરથ બન્યો, ભગીરથ ગંગાને ધરતી પર ઉતાર્યા હતા.. ભગીરથનો પુત્ર કકુત્સ્થ હતો.
 24- કકુત્સ્થનો પુત્ર રઘુ બન્યો, રઘુ ખૂબ જ તેજસ્વી અને શકિતશાળી રાજા હોવાને કારણે, આ રાજવંશનું નામ રઘુવંશ તેના પરથી પડ્યું, ત્યારથી શ્રી રામના પરિવારને રઘુ કુળ પણ કહેવામાં આવે છે.
 25- રઘુના પુત્રો પ્રવૃદ્ધ થયા,
 26- પ્રવૃદ્ધનો પુત્ર શંખણ હતો,
 27- શંખણનો પુત્ર સુદર્શન હતો.
 28- સુદર્શનના પુત્રનું નામ અગ્નિવર્ણા હતું,
 29- અગ્નિવર્ણાના પુત્રોનો શિઘ્રજ થયો,
 30- શિઘ્રજના પુત્ર મરુ
 31- મરુનો પુત્ર પ્રસુશ્રુકા હતો,
 32- પ્રસૂશ્રુકનો પુત્ર અંબરીશ હતો,
 33- અંબરીશના પુત્રનું નામ નહુષ હતું,
 34- નહુષનો પુત્ર યયાતી હતો,
 35- યયાતિના પુત્રો નાભાગ થયા,
 36- નાભાગના પુત્રનું નામ અજ હતું,
 37- અજના પુત્ર દશરથ બન્યા,
 38- દશરથને ચાર પુત્રો રામ, ભરત, લક્ષ્મણ અને શત્રુઘ્ન હતા.
 આમ શ્રી રામનો જન્મ બ્રહ્માની ઓગણચાલીસમી (39) પેઢી માં થયો હતો. શેર કરો જેથી દરેક હિન્દુને આ માહિતી મળે ...

 આ માહિતી તમને મહિનાઓની મહેનત બાદ રજૂ કરવામાં આવી છે.
દરેક હિન્દુ ને મોકલીને ધર્મનો લાભ મેળવો.
 રામચરિતમાનસ. જય શ્રી રામ રાજા રામ. 🚩