28 ઑક્ટો, 2022

आज का हिन्दू पंचांग

*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*

*⛅दिनांक - 29 अक्टूबर 2022*
*⛅दिन - शनिवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमंत*
*⛅मास - कार्तिक*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - चतुर्थी सुबह 08:13 तक तत्पश्चात पंचमी*
*⛅नक्षत्र - जेष्ठा सुबह 09:06 तक तत्पश्चात मूल*
*⛅योग - अतिगण्ड रात्रि 10:23 तक तत्पश्चात सुकर्मा*
*⛅राहु काल - सुबह 09:33 से 10:58 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:43*
*⛅सूर्यास्त - 06:04*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:02 से 05:52 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 11:58 से 12:49 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - लाभ पंचमी*
*⛅विशेष - चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है । पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🌹 वास्तविक लाभ पाने का दिन लाभपंचमी : 29 अक्टूबर 2022*

*🌹 कार्तिक शुक्ल पंचमी ‘लाभपंचमी' कहलाती है । इसे ‘सौभाग्य पंचमी' भी कहते हैं । जैन लोग इसको ‘ज्ञान पंचमी' कहते हैं । व्यापारी लोग अपने धंधे का मुहूर्त आदि लाभपंचमी को ही करते हैं । लाभपंचमी के दिन धर्मसम्मत जो भी धंधा शुरू किया जाता है उसमें बहुत-बहुत बरकत आती है । यह सब तो ठीक है लेकिन संतों-महापुरुषों के मार्गदर्शन-अनुसार चलने का निश्चय करके भगवद्भक्ति के प्रभाव से काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार इन पाँचों विकारों के प्रभाव को खत्म करने का दिन है लाभपंचमी ।*

*🔹 लाभपंचमी के पाँच बातें अपने जीवन में लायें*

*१. अपने जीवन में कर्म अच्छे करना ।*

*२. आहार शुद्ध करना ।*

*३. मन को थोड़ा नियंत्रित करना कि इतनी देर जप में, ध्यान में बैठना है तो बैठना है, इतने मिनट मौन रहना है तो रहना है ।*

*४. शत्रु और मित्र के भय का प्रसंग आये तो सतत जागृत रहना । मित्र नाराज न हो जाय, शत्रु ऐसा तो नहीं कर देगा इस भय को तुरंत हटा दो ।*

*५. सत्य और असत्य के बीच के भेद को दृढ़ करो । शरीर मिथ्या है । शरीर सत् भी नहीं, असत् भी नहीं । असत् कभी नहीं होता और सत् कभी नहीं मिटता, मिथ्या हो-होके मिट जाता है । शरीर मिथ्या है, मैं आत्मा सत्य हूँ । सुख-दुःख, मान-अपमान, रोग आरोग्य सब मिथ्या है लेकिन आत्मा परमात्मा सत्य है । लाभपंचमी के दिन इसे समझकर सावधान हो जाना चाहिए ।*

*(४) पाँच कर्मदोषों से बचना चाहिए:*

*१. नासमझीपूर्वक कर्म करने से बचें, ठीक से समझकर फिर काम करें ।*

*२. अभिमानपूर्वक कर्म करने से बचें ।*

*३. रागपूर्वक अपने को कहीं फँसायें नहीं, किसीसे संबंध जोड़ें नहीं ।*

*४. द्वेषपूर्ण बर्ताव करने से बचें ।*

*५. भयभीत होकर कार्य करने से बचें। इन पाँच दोषों से रहित तुम्हारे कर्म भी लाभपंचमी को पंचामृत हो जायेंगे ।*

*🔹पाँच काम करने में कभी देर नहीं करनी चाहिए ।🔹*

*🔹१. धर्म का कार्य करने में कभी देर मत करना ।*

*🔹२. सत्पात्र मिल जाय तो दान-पुण्य करने में देर नहीं करना ।*

*🔹३. सच्चे संत के सत्संग, सेवा आदि में देर मत करना ।*

*🔹४. सत्शास्त्रों का पठन, मनन, चिंतन तथा उसके अनुरूप आचरण करने में देर मत करना ।*

*🔹५. भय हो तो भय को मिटाने में देर मत करना । निर्भय नारायण का चिंतन करना और भय जिस कारण से होता है उस कारण को हटाना । यदि शत्रु सामने आ गया है, मृत्यु का भय है अथवा शत्रु जानलेवा कुछ करता है तो उससे बचने में अथवा उस पर वार करने में भय न करना । यह 'स्कंद पुराण' में लिखा है । तो विकार, चिंता, पाप-विचार ये सब भी शत्रु हैं, इनको किनारे लगाने में देर नहीं करनी चाहिए ।*

*🔹आर्थिक समृद्धि के लिए...🔹*

*🔹रात्रि में दही और सत्तू का सेवन करने से लक्ष्मी का निरादर होता है और बुद्धि भी कमजोर होती है । अतः आर्थिक समृद्धि और अपनी बुद्धि की सुरक्षा चाहनेवालों को इनका सेवन रात्रि में नहीं करना चाहिए ।*



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