8 જાન્યુ, 2020

मौत का टापू कहा जाता है ये आईलैंड, यहां जो कोई भी गया वह फिर कभी वापस लौटकर नहीं आया



मौत का टापू कहा जाता है ये आईलैंड, यहां जो कोई भी गया वह फिर कभी वापस लौटकर नहीं आया

आज हम आपको एक ऐसे टापू के बारे में बताने जा रहे है जिसके बारे में ये कहा जाता है कि इस पुरे टापू अगर किसी एक चीज़ का वास है तो वो है आत्माएं।
जी हां, इसे आत्माओं का टापू भी कहा जाता जा। इस टापू से जुडी अनेक कहानियां है और वो भी बुरी आत्माओं के बारे में।
मौत का टापू : रहस्यमयी आत्माओं का घर
बता दें कि इस टापू पर इतनी ज्यादा मात्रा में आत्माएं हैं कि इसे आइलैंड ऑफ़ डेथ यानी की मौत का टापू कहा जाता है।
दरअसल इटली में वेनिस और लिडो के बीच वेनेशियन खाडी में स्थित इस टापू का नाम पोवेग्लिया है। जाहिर है कि इस पर जाना कोई पसन्द नहीं करता है। लोगों का ये मानना है जो यहां गया है वो कभी जिन्दा वापस नहीं आया।
वैसे शुरू से ये टापू ऐसा नहीं था। जी हां, कहा जाता है कभी ये मौत का टापू अपनी सुन्दरता के लिए मशहूर था।
दरअसल काफी सालों पहले इटली में प्लेग की बिमारी ने महा विनाश मचाया था। जब ये बिमारी सरकार के काबू में नहीं रही तो करीब 1 लाख 60 हजार मरीजों को इस टापू पर लाकर जिन्दा आग के हवाले कर दिया गया।
इस भयानक बिमारी के बाद इटली में काला बुखार नामक एक और भयावह बिमारी फैली उस बिमारी के भी लाइलाज होने से जो मौतें हुई उन लाशों को भी इस मौत का टापू पर लाकर दफ़न कर दिया गया।
इन घटनाओं के बाद इस टापू के आसपास के लोगों को इस टापू पर अजीबोगरीब आवाजों और आत्माओं के होने का आभास हुआ और फिर लोगो ने इस टापू पर जाना बंद कर दिया।हालांकि सरकार ने इस टापू पर एक मेंटल हॉस्पिटल बनाकर फिर से ज़िन्दगी बसाने को कोशिश की लेकिन इस अस्पताल में नौकरी करने वाले डॉक्टर्स और नर्सो को आत्माओं का आभास होने लगा। फिर इस हॉस्पिटल को बंद कर दिया गया।सरकार ने लगाई पाबंदी
अब इटली की सरकार ने अब इस टापू पर जाने की पाबन्दी लगा दी है। सरकार का कहना है कि प्रतिबंधित होने के बाद भी अगर कोई शख्स वहां जाता है तो वह उसकी खुद की जिम्मेदारी होगी।

5 જાન્યુ, 2020

चूना अमृत है

चूना अमृत है क्योंकि यह 70 बीमारियों को ठीक करता है :
• चूना एक टुकडा छोटे से मिट्टी के बर्तन मे डालकर पानी से भर दे , चूना गलकर नीचे और पानी ऊपर होगा ! वही एक चम्मच पानी किसी भी खाने की वस्तु के साथ लेना है ! 50 के उम्र के बाद कोई कैल्शियम की दवा शरीर मे जल्दी नही घुलती चूना तुरन्त घुल व पच जाता है .
• जैसे किसी को पीलिया हो जाये माने जॉन्डिस उसकी सबसे अच्छी दवा है चूना ;गेहूँ के दाने के बराबर चूना गन्ने के रस में मिलाकर पिलाने से बहुत जल्दी पीलिया ठीक कर देता है ।
• ये ही चूना नपुंसकता की सबसे अच्छी दवा है -अगर किसी के शुक्राणु नही बनता उसको अगर गन्ने के रस के साथ चूना पिलाया जाये तो साल डेढ़ साल में भरपूर शुक्राणु बनने लगेंगे; और जिन माताओं के शरीर में अन्डे नही बनते उनकी बहुत अच्छी दवा है ये चूना ।
• विद्यार्थियो के लिए चूना बहुत अच्छा है जो लम्बाई बढाता है।
• गेहूँ के दाने के बराबर चूना रोज दही में मिला के खाना चाहिए, दही नही है तो दाल में मिला के खाओ, दाल नही है तो पानी में मिला के पियो - इससे लम्बाई बढने के साथ स्मरण शक्ति भी बहुत अच्छा होता है ।
• जिन बच्चों की बुद्धि कम काम करती है मतिमंद बच्चे उनकी सबसे अच्छी दवा है चूना ..जो बच्चे बुद्धि से कम है, दिमाग देर में काम करते है, देर में सोचते है हर चीज उनकी स्लो है उन सभी बच्चे को चूना खिलाने से अच्छे हो जायेंगे ।
• बहनों को अपने मासिक धर्म के समय अगर कुछ भी तकलीफ होती हो तो उसका सबसे अच्छी दवा है चूना । हमारे घर में जो माताएं है जिनकी उम्र पचास वर्ष हो गयी और उनका मासिक धर्म बंध हुआ उनकी सबसे अच्छी दवा है चूना..
• गेहूँ के दाने के बराबर चूना हर दिन खाना दाल में, लस्सी में, नही तो पानी में घोल के पीना । जब कोई माँ गर्भावस्था में है तो चूना रोज खाना चाहिए क्योंकि गर्भवती माँ को सबसे ज्यादा केल्शियम की जरुरत होती है और चूना केल्शियम का सबसे बड़ा भंडार है । गर्भवती माँ को चूना खिलाना चाहिए।
• अनार के रस में - अनार का रस एक कप और चूना गेहूँ के दाने के बराबर ये मिलाके रोज पिलाइए नौ महीने तक लगातार दीजिये तो चार लाभ होंगे :
★ पहला लाभ :
माँ को बच्चे के जनम के समय कोई तकलीफ नही होगी और नॉर्मल डीलिवरी होगा
★ दूसरा लाभ :
बच्चा जो पैदा होगा वो बहुत हृष्ट पुष्ट और तंदुरुस्त होगा
★ तीसरा लाभ :
बच्चा जिन्दगी में जल्दी बीमार नही पड़ता जिसकी माँ ने चूना खाया
★ चौथा सबसे बड़ा लाभ :
• चूना घुटने का दर्द ठीक करता है , कमर का दर्द ठीक करता है ,कंधे का दर्द ठीक करता है,
• एक खतरनाक बीमारी है Spondylitis वो चूने से ठीक होता है ।
• कई बार हमारे रीढ़की हड्डी में जो मनके होते है उसमे दुरी बढ़ जाती है Gap आ जाता है ये चूना ही ठीक करता है उसको रीड़ की हड्डी की सब बीमारिया चूने से ठीक होता है । अगर आपकी हड्डी टूट जाये तो टूटी हुई हड्डी को जोड़ने की ताकत सबसे ज्यादा चूने में है । चूना खाइए सुबह को खाली पेट ।
• मुंह में ठंडा गरम पानी लगता है तो चूना खाओ बिलकुल ठीक हो जाता है ,
• मुंह में अगर छाले हो गए है तो चूने का पानी पियो तुरन्त ठीक हो जाता है ।
• शरीर में जब खून कम हो जाये तो चूना जरुर लेना चाहिए , एनीमिया है खून की कमी है उसकी सबसे अच्छी दवा है ये चूना , चूना पीते रहो गन्ने के रस में , या संतरे के रस में नही तो सबसे अच्छा है अनार के रस में - अनार के रस में चूना पिए खून बहुत बढता है , बहुत जल्दी खून बनता है - एक कप अनार का रस गेहूँ के दाने के बराबर चूना सुबह खाली पेट ।
• घुटने में घिसाव आ गया और डॉक्टर कहे के घुटना बदल दो तो भी जरुरत नही चूना खाते रहिये और हरसिंगार के पत्ते का काढ़ा खाइए घुटने बहुत अच्छे काम करेंगे ।

ક્યારેય સાંભળી છે ગઝલોની અંતાક્ષરી?

મારા કવિ મિત્ર અને છંદશાસ્ત્રનાં નિષ્ણાત એવાં વડોદરા નિવાસી શકીલ કાદરીએ શનિવારે એક પોસ્ટ શેર કરી. આ પોસ્ટમાં તેમણે ગઝલ અંતાક્ષરી વિશે મસ્ત મજાનો વીડિયો પણ અપલોડ કર્યો. ગઝલ અંતાક્ષરી રજૂ કરવાની લાલચ રોકી શક્યો નહી. શકીલ કાદરીની પોસ્ટ પરથી ટપકાવેલા ગઝલ અંતાક્ષરીનાં કેટલાક શેર રજૂ કરવામાં આવ્યા છે. આ અંતાક્ષરીના દરેક શેર અફલાતૂન છે. ગીતોની અંતાક્ષરી બહુ માણી હશે. કદી નહી સાંભળી હોય કે વાંચી ન હોય તેવી અંતાક્ષરી અહીં પ્રસ્તુત છે.

મખ્તાર સિદ્દીકીનાં શેર સાથે આ મુકાબલો શરૂ કરવામાં આવ્યો હતો.

નુક્તાવરોંને હમકો સુઝાયા, ખાસ બનો ઔર આમ રહો

મહેફીલ મહેફીલ સોહબત રખ્ખો દુનિયામે ગૂમનામ રહો

અહીંયા ઉર્દુ પ્રમાણે વાવ શબ્દ આખરી આવે છે..વાવ એટલે વ થી શરૂ થતો શેર...( નુક્તવર એટલે કે વિવેચનકર્તા, સોહબત-સંગત, સાથ)

વો તેરે પાસ સે ચૂપચાપ ગુઝર કૈસે ગયા

દિલે બેતાબ ક્યામત ન ઉઠા દી તૂને

આ શેરમાં ઉર્દુ પ્રમાણે યે શબ્દ આખરીમાં આવે છે એટલે યે એટલે ય થી શરૂ થતો શેર...

યહી વફા કા સિલા હૈ તો કોઈ બાત નહી

યે દર્દ તુમસે મીલા હૈ તો કોઈ બાત નહી

અહીં નહી શબ્દ આખરી છે. નહી સંયુક્ત રીતે હોય છે એટલે સીધા આખા શબ્દથી બીજો શેર શરૂ થાય છે.

નહી બેહિજાબ વો ચાંદસાર કી નઝર કા કોઈ અસર ન હો

ઉસે ઈતની ગરમીએ શૌક સે બડી દેર તક ન તકા કરો

આ શેરમાં વાવ આખરી શબ્દ છે. વ એટલે વ થી શરૂ થતો શેર...

વો થા ફાસલા દુઆ ઔર મુસ્તજાબી મેં

ધુપ માંગને જાતે તો અબર આ જાતા 

વો મુઝે છોડકે જીસ શખ્સ કે પાસ ગયા

બરાબરી કા ભી હોતા તો સબર આ જાતા

આ શેરમાં ઉર્દુ પ્રમાણે અલીફ શબ્દ આખરીમાં આવે છે. અલીફથી શરૂ થતો શેર જૂઓ...

ઈકરાર કર ગયા કભી ઈન્કાર કર ગયા

હર બાર ઈક અઝાબ સે દો-ચાર કર ગયા

રસ્તા બદલ ભી કે દેખા મગર વો શખ્સ

દિલ મેં ઉતર કે સારી હદેં પાર કર ગયા

આ શેરમાં પણ અલીફ આખરી શબ્દ છે. અલીફથી શરૂ થતો શેર જોઈએ...

અપના હી સમઝતે હૈં દિલેજાના તુમ્હે હમ

દુશ્મન તો કભી દિલ મે બસાયે નહી જાતે

યે ચાંદ સિતારે મુઝે કરતે હૈં નસીહત

રાતોં કો ફિરા કરતે હો સો ક્યૂં નહી જાતે

આ શેરમાં યે અંતિમ શબ્દ છે. યે થી શરૂ થતો શેર....

યે આજ કૌન મેરી નિગાહ કે હિસાર મે હૈ

મુઝે યૂં લગા ઝમીં મેરે ઈખ્ત્યાર મેં હૈ

આ શેરમાં પણ યે અંતિમ શબ્દ છે. યે થી શરૂ થતો શેર...

યહાં કે લોગ અપને ખ્વાબ દિલ મે રખતે હૈં

તેરે શહેર કી યે અદા અચ્છી લગી હમ કો

અંતિમ શબ્દ વાવ છે. વાવ થી શરૂ થતો શેર...

વો ગૂફતગૂ તો સલીકે સે કર રહા થા હીના

મગર યે ઔર બાત કે લહેજે મે એક ચૂભન લેકર

રે અંતિમ શબ્દ છે. રે એટલે ર થી શરૂ થતો શેર જોઈએ.

રસ્મે ઉલ્ફત હૈ કે મિલતે હૈ બિછડને કે લિયે

ઐસે મત ચાહો કે જુદાઈ કી રવાયત ન રહે

યે આખરી શબ્દ છે. યે થી શરૂ થતો શેર જોઈએ.

યા રબ વો ન સમઝે હૈં ન સમઝેંગેં મેરી બાત

દે ઔર દિલ ઉનકો જો ન દેં મુઝકો ઝૂબાં ઔર

રે અંતિમ શબ્દ છે. રે થી શરૂ થતો શબ્દ જોઈએ.

રિવાયતોં કો નિભાને કા થા સલીકા ઉસકો

વો બેવફાઈ ભી કરતા રહા વફા કી તરાહ

હ અંતિમ શબ્દ છે. હ થી શરૂ થતો શબ્દ જોઈએ.

હદેં ઈશ્ક કી વો કર રહે હૈં કાયમ

કભી પાસ આકર કભી દુર જાકર

રે અંતિમ શબ્દ છે. રે થી શરૂ થતો શેર જોઈએ.

રુક જાયેં જો કુછ દેર તો હમ બૈઠ કે દમ લેં

બદલે હી ચલે જાતે હૈં હાલાત મુસલસલ

લામ અંતિમ શબ્દ છે. લામ એટલે લ થી શરૂ થતો શેર જોઈએ

લાઝીમ થા કે દેખો મેરા રસ્તા કોઈ દિન ઔર

તન્હા ગયે ક્યૂં અબ રહો તન્હા કોઈ દિન ઔર

રે અંતિમ શબ્દ છે. રે થી શરૂ થતો શેર જોઈએ.

રૂબરૂ મંઝર ન હો તો આઈને કીસ કામ કે

હમ નહી હોંગે તો દુનિયા ગર્દેપા રેહ જાયેગી

યે અંતિમ શબ્દ છે. યે થી શરૂ થતો શેર જોઈએ. ( ગર્દેપા-પગની ધૂળ)

યાદ કે સહેરા મેં કુછ તો ઝીન્દગી આયે નઝર

સોચતા હું અબ બનાલું રેત હી પર કોઈ ઘર

રે અંતિમ શબ્દ છે. રે થી શરૂ થતો શેર જોઈએ.

રેહતા હૈ રાત દિન મુઝે એક મુલાકાત કા ખ્યાલ

હો જાયે ખ્વાબ કાશ ઈસ દિન રાત કા ખ્યાલ

લામ અંતિમ શબ્દ છે. લામ થી શરૂ થતો શેર જોઈએ.

લો ચલ દિયે વો હમકો તસલ્લી દિયે બગૈર

ઈક ચાંદ છિપ ગયા હૈ ઉજાલા કીયે બગૈર

मंदबुद्धि

मंदबुद्धि

विद्यालय में सब उसे  कहते थे । उसके गुरुजन भी उससे नाराज रहते थे क्योंकि वह पढने में बहुत कमजोर था और उसकी बुद्धि का स्तर औसत से भी कम था। कक्षा में उसका प्रदर्शन हमेशा ही खराब रहता था । और बच्चे उसका मजाक उड़ाने से कभी नहीं चूकते थे । पढने जाना तो मानो एक सजा के समान हो गया था , वह जैसे ही कक्षा में घुसता और बच्चे उस पर हंसने लगते , कोई उसे महामूर्ख तो कोई उसे बैलों का राजा कहता , यहाँ तक की कुछ अध्यापक भी उसका मजाक उड़ाने से बाज नहीं आते । इन सबसे परेशान होकर उसने स्कूल जाना ही छोड़ दिया । अब वह दिन भर इधर-उधर भटकता और अपना समय बर्वाद करता । एक दिन इसी तरह कहीं से जा रहा था , घूमते – घूमते उसे प्यास लग गयी । वह इधर-उधर पानी खोजने लगा। अंत में उसे एक कुआं दिखाई दिया। वह वहां गया और कुएं से पानी खींच कर अपनी प्यास बुझाई। अब वह काफी थक चुका था, इसलिए पानी पीने के बाद वहीं बैठ गया। तभी उसकी नज़र पत्थर पर पड़े उस निशान पर गई जिस पर बार-बार कुएं से पानी खींचने की वजह से रस्सी का निशाँ बन गया था । वह मन ही मन सोचने लगा कि जब बार-बार पानी खींचने से इतने कठोर पत्थर पर भी रस्सी का निशान पड़ सकता है तो लगातार मेहनत करने से मुझे भी विद्या आ सकती है। उसने यह बात मन में बैठा ली और फिर से विद्यालय जाना शुरू कर दिया। कुछ दिन तक लोग उसी तरह उसका मजाक उड़ाते रहे पर धीरे-धीरे उसकी लगन देखकर अध्यापकों ने भी उसे सहयोग करना शुरू कर दिया । उसने मन लगाकर अथक परिश्रम किया। कुछ सालों बाद यही विद्यार्थी प्रकांड विद्वान वरदराज के रूप में विख्यात हुआ, जिसने संस्कृत में मुग्धबोध और लघुसिद्धांत कौमुदी जैसे ग्रंथों की रचना की। “ आशय यह है कि हम अपनी किसी भी कमजोरी पर जीत हांसिल कर सकते हैं , बस ज़रुरत है कठिन परिश्रम और धैर्य के साथ अपने लक्ष्य के प्रति स्वयं को समर्पित करने की।

तीन प्रसिद्द ज़ेन कथाएँ

 [ज़िन्दगी बदलने वाली हिंदी कहानियां] ज़ेन बौद्ध धर्म के एक रूप है जो मनुष्य की जागृति पर जोर देता है. इसे जीवन का सही अर्थ खोजने की कोशिश की एक विधि के रूप में प्रयोग किया जाता है. जेन अपने अनुयायियों को सिखाता है कि वे अपनी उम्मीदों, विचारों और यहाँ तक की अपने विश्वास की परतों को भी हटाएं ताकि सच को जान सकें. और आज मैं आपके साथ ऐसी ही कुछ रोचक ज़ेन कथाएँ share कर रहा हूँ जो सत्य को जानने -समझने में आपकी मदद करेंगी . #1 – चोरी की सजा जब ज़ेन मास्टर बनकेइ ने ध्यान करना सिखाने का कैंप लगाया तो पूरे जापान से कई बच्चे उनसे सीखने आये . कैंप के दौरान ही एक दिन किसी छात्र को चोरी करते हुए पकड़ लिया गया . बनकेइ को ये बात बताई गयी , बाकी छात्रों ने अनुरोध किया की चोरी की सजा के रूप में इस छात्र को कैंप से निकाल दिया जाए . पर बनकेइ ने इस पर ध्यान नहीं दिया और उसे और बच्चों के साथ पढने दिया . कुछ दिनों बाद फिर ऐसा ही हुआ , वही छात्र दुबारा चोरी करते हुए पकड़ा गया . एक बार फिर उसे बनकेइ के सामने ले जाया गया , पर सभी की उम्मीदों के विरूद्ध इस बार भी उन्होंने छात्र को कोई सजा नहीं सुनाई . इस वजह से अन्य बच्चे क्रोधित हो उठे और सभी ने मिलकर बनकेइ को पत्र लिखा की यदि उस छात्र को नहीं निकाला जायेगा तो हम सब कैंप छोड़ कर चले जायेंगे . बनकेइ ने पत्र पढ़ा और तुरंत ही सभी छात्रों को इकठ्ठा होने के लिए कहा . .” आप सभी बुद्धिमान हैं .” बनकेइ ने बोलना शुरू किया ,“ आप जानते हैं की क्या सही है और क्या गलत . यदि आप कहीं और पढने जाना चाहते हैं तो जा सकते हैं , पर ये बेचारा यह भी नहीं जानता की क्या सही है और क्या गलत . यदि इसे मैं नहीं पढ़ाऊंगा तो और कौन पढ़ायेगा ? आप सभी चले भी जाएं तो भी मैं इसे यहाँ पढ़ाऊंगा .” यह सुनकर चोरी करने वाला छात्र फूट -फूट कर रोने लगा . अब उसके अन्दर से चोरी करने की इच्छा हमेशा के लिए जा चुकी थी . #2 – एक कप चाय नैन -इन , एक जापानी जेन मास्टर थे . एक बार एक प्रोफ़ेसर उनसे जेन के बारे में कुछ पूछने आये , पर पूछने से ज्यादा वो खुद इस बारे में बताने में मग्न हो गए . मास्टर ने प्रोफ़ेसर के लिए चाय मंगाई , और केतली से कप में चाय डालने लगे , प्रोफ़ेसर अभी भी अपनी बात करते जा रहा था की तभी उसने देखा की कप भर जाने के बाद भी मास्टर उसमे चाय डालते जा रहे हैं , और चाय जमीन पर गिरे जा रही है . “ यह कप भर चुका है , अब इसमें और चाय नहीं आ सकती .”, प्रोफ़ेसर ने मास्टर को रोकते हुए कहा . “इस कप की तरह तुम भी अपने विचारों और ख़यालों से भरे हुए हो . भला जब तक तुम अपना कप खाली नहीं करते मैं तुम्हे जेन कैसे दिखा सकता हूँ ?” , मास्टर ने उत्तर दिया . #3 – दो भिक्षुक शाम के वक्त दो बौद्ध भिक्षुक आश्रम को लौट रहे थे . अभी-अभी बारिश हुई थी और सड़क पर जगह जगह पानी लगा हुआ था . चलते चलते उन्होंने देखा की एक खूबसूरत नवयुवती सड़क पार करने की कोशिश कर रही है पर पानी अधिक होने की वजह से ऐसा नहीं कर पा रही है . दोनों में से बड़ा बौद्ध भिक्षुक युवती के पास गया और उसे उठा कर सड़क की दूसरी और ले आया . इसके बाद वह अपने साथी के साथ आश्रम को चल दिया . शाम को छोटा बौद्ध भिक्षुक बड़े वाले के पास पहुंचा और बोला , “ भाई , भिक्षुक होने के नाते हम किसी औरत को नहीं छू सकते ?” “हाँ ” , बड़े ने उत्तर दिया . तब छोटे ने पुनः पूछा , “ लेकिन आपने तो उस नवयुवती को अपनी गोद में उठाया था ?” यह सुन बड़ा बौद्ध भिक्षुक मुस्कुराते हुए बोला, “ मैंने तो उसे सड़क की दूसरी और छोड़ दिया था , पर तुम अभी भी उसे उठाये हुए हो .”

मुल्ला नसरुदीन के किस्से

 [ज़िन्दगी बदलने वाली हिंदी कहानियां] माना जाता है कि मुल्ला नसरुदीन तुर्की में रहने वाला एक बुद्धिमान दार्शनिक था जिसे उसके किस्से कहानियों के लिए जाना जाता था. ओशो अक्सर अपने उपदेशों में मुल्ला के कहानी किस्सों का ज़िक्र किया करते थे. 1: मुल्ला का प्रवचन एक बार मुल्ला नसरुदीन को प्रवचन देने के लिए आमंत्रित किया गया . मुल्ला समय से पहुंचे और स्टेज पर चढ़ गए , “ क्या आप जानते हैं मैं क्या बताने वाला हूँ ? मुल्ला ने पूछा . “नहीं ” बैठे हुए लोगों ने जवाब दिया . यह सुन मुल्ला नाराज़ हो गए ,” जिन लोगों को ये भी नहीं पता कि मैं क्या बोलने वाला हूँ मेरी उनके सामने बोलने की कोई इच्छा नहीं है . “ और ऐसा कह कर वो चले गए . उपस्थित लोगों को थोड़ी शर्मिंदगी हुई और उन्होंने अगले दिन फिर से मुल्ला नसरुदीन को बुलावा भेज . इस बार भी मुल्ला ने वही प्रश्न दोहराया , “ क्या आप जानते हैं मैं क्या बताने वाला हूँ ?” “हाँ ”, कोरस में उत्तर आया . “बहुत अच्छे जब आप पहले से ही जानते हैं तो भला दुबारा बता कर मैं आपका समय क्यों बर्वाद करूँ ”, और ऐसा खेते हुए मुल्ला वहां से निकल गए . अब लोग थोडा क्रोधित हो उठे , और उन्होंने एक बार फिर मुल्ला को आमंत्रित किया . इस बार भी मुल्ला ने वही प्रश्न किया , “क्या आप जानते हैं मैं क्या बताने वाला हूँ ?” इस बार सभी ने पहले से योजना बना रखी थी इसलिए आधे लोगों ने “हाँ ” और आधे लोगों ने “ना ” में उत्तर दिया . “ ठीक है जो आधे लोग जानते हैं कि मैं क्या बताने वाला हूँ वो बाकी के आधे लोगों को बता दें .” फिर कभी किसी ने मुल्ला को नहीं बुलाया ! 2: मुल्ला बने कम्युनिस्ट एक बार खबर फैली की मुल्ला नसरुदीन कम्युनिस्ट बन गए हैं . जो भी सुनता उसे आश्चर्य होता क्योंकि सभी जानते थे की मुल्ला अपनी चीजों को लेकर कितने पोजेसिव हैं . जब उनके परम मित्र ने ये खबर सुनी तो वो तुरंत मुल्ला के पास पहुंचा . मित्र : “ मुल्ला क्या तुम जानते हो कम्युनिज्म का मतलब क्या है ?” मुल्ला : “हाँ , मुझे पता है .” मित्र : “ क्या तुम्हे पता है अगर तुम्हारे पास दो कार है और किसी के पास एक भी नहीं तो तुम्हे अपनी एक कार देनी पड़ेगी ” मुल्ला : “ हाँ , और मैं अपनी इच्छा से देने के लिए तैयार हूँ .” मित्र : “ अगर तुम्हारे पास दो बंगले हैं और किसी के पास एक भी नहीं तो तुम्हे अपना एक बंगला देना होगा ?” मुल्ला : “ हाँ , और मैं पूरी तरह से देने को तैयार हूँ .” मित्र :” और तुम जानते हो अगर तुम्हारे पास दो गधे हैं और किसी के पास एक भी नहीं तो तुम्हे अपना एक गधा देना पड़ेगा ?” मुल्ला : “ नहीं , मैं इस बात से मतलब नहीं रखता , मैं नहीं दे सकता , मैं बिलकुल भी ऐसा नहीं कर सकता .” मित्र : “ पर क्यों , यहाँ भी तो वही तर्क लागू होता है ?” मुल्ला : “ क्योंकि मेरे पास कार और बंगले तो नहीं हैं , पर दो गधे ज़रूर हैं .” 3: मुल्ला और पड़ोसी एक पड़ोसी मुल्ला नसरुद्दीन के द्वार पर पहुंचा . मुल्ला उससे मिलने बाहर निकले . “ मुल्ला क्या तुम आज के लिए अपना गधा मुझे दे सकते हो , मुझे कुछ सामान दूसरे शहर पहुंचाना है ? ” मुल्ला उसे अपना गधा नहीं देना चाहते थे , पर साफ़ -साफ़ मन करने से पड़ोसी को ठेस पहुँचती इसलिए उन्होंने झूठ कह दिया , “ मुझे माफ़ करना मैंने तो आज सुबह ही अपना गधा किसी उर को दे दिया है .” मुल्ला ने अभी अपनी बात पूरी भी नहीं की थी कि अन्दर से ढेंचू-ढेंचू की आवाज़ आने लगी . “ लेकिन मुल्ला , गधा तो अन्दर बंधा चिल्ला रहा है .”, पड़ोसी ने चौकते हुए कहा . “ तुम किस पर यकीन करते हो .”, मुल्ला बिना घबराए बोले , “ गधे पर या अपने मुल्ला पर ?” पडोसी चुप – चाप वापस चला गया .

साधु की सीख

 [ज़िन्दगी बदलने वाली हिंदी कहानियां] किसी गाँव मे एक साधु रहा करता था ,वो जब भी नाचता तो बारिस होती थी . अतः गाव के लोगों को जब भी बारिस की जरूरत होती थी ,तो वे लोग साधु के पास जाते और उनसे अनुरोध करते की वे नाचे , और जब वो नाचने लगता तो बारिस ज़रूर होती. कुछ दिनों बाद चार लड़के शहर से गाँव में घूमने आये, जब उन्हें यह बात मालूम हुई की किसी साधू के नाचने से बारिस होती है तो उन्हें यकीन नहीं हुआ . शहरी पढाई लिखाई के घमंड में उन्होंने गाँव वालों को चुनौती दे दी कि हम भी नाचेंगे तो बारिस होगी और अगर हमारे नाचने से नहीं हुई तो उस साधु के नाचने से भी नहीं होगी.फिर क्या था अगले दिन सुबह-सुबह ही गाँव वाले उन लड़कों को लेकर साधु की कुटिया पर पहुंचे. साधु को सारी बात बताई गयी , फिर लड़कों ने नाचना शुरू किया , आधे घंटे बीते और पहला लड़का थक कर बैठ गया पर बादल नहीं दिखे , कुछ देर में दूसरे ने भी यही किया और एक घंटा बीतते-बीतते बाकी दोनों लड़के भी थक कर बैठ गए, पर बारिश नहीं हुई. अब साधु की बारी थी , उसने नाचना शुरू किया, एक घंटा बीता, बारिश नहीं हुई, साधु नाचता रहा …दो घंटा बीता बारिश नहीं हुई….पर साधु तो रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था ,धीरे-धीरे शाम ढलने लगी कि तभी बादलों की गड़गडाहत सुनाई दी और ज़ोरों की बारिश होने लगी . लड़के दंग रह गए और तुरंत साधु से क्षमा मांगी और पूछा- ” बाबा भला ऐसा क्यों हुआ कि हमारे नाचने से बारिस नहीं हुई और आपके नाचने से हो गयी ?” साधु ने उत्तर दिया – ” जब मैं नाचता हूँ तो दो बातों का ध्यान रखता हूँ , पहली बात मैं ये सोचता हूँ कि अगर मैं नाचूँगा तो बारिस को होना ही पड़ेगा और दूसरी ये कि मैं तब तक नाचूँगा जब तक कि बारिस न हो जाये .” Friends सफलता पाने वालों में यही गुण विद्यमान होता है वो जिस चीज को करते हैं उसमे उन्हें सफल होने का पूरा यकीन होता है और वे तब तक उस चीज को करते हैं जब तक कि उसमे सफल ना हो जाएं. इसलिए यदि हमें सफलता हांसिल करनी है तो उस साधु की तरह ही अपने लक्ष्य को प्राप्त करना होगा.

डरो मत ! स्वामी विवेकानंद प्रेरक प्रसंग

 [ज़िन्दगी बदलने वाली हिंदी कहानियां] स्वामी विवेकानंद बचपन से ही निडर थे , जब वह लगभग 8 साल के थे तभी से अपने एक मित्र के यहाँ खेलने जाया करते थे , उस मित्र के घर में एक चम्पक पेड़ लगा हुआ था . वह स्वामी जी का पसंदीदा पेड़ था और उन्हें उसपर लटक कर खेलना बहुत प्रिय था . रोज की तरह एक दिन वह उसी पेड़ को पकड़ कर झूल रहे थे की तभी मित्र के दादा जी उनके पास पहुंचे , उन्हें डर था कि कहीं स्वामी जी उसपर से गिर न जाए या कहीं पेड़ की डाल ही ना टूट जाए , इसलिए उन्होंने स्वामी जी को समझाते हुआ कहा , “ नरेन्द्र ( स्वामी जी का नाम ) , तुम इस पेड़ से दूर रहो , अब दुबारा इसपर मत चढना ” “क्यों ?” , नरेन्द्र ने पूछा . “ क्योंकि इस पेड़ पर एक ब्रह्म्दैत्य रहता है , वो रात में सफ़ेद कपडे पहने घूमता है , और देखने में बड़ा ही भयानक है .” उत्तर आया . नरेन्द्र को ये सब सुनकर थोडा अचरज हुआ , उसने दादा जी से दैत्य के बारे में और भी कुछ बताने का आग्रह किया . दादा जी बोले ,” वह पेड़ पर चढ़ने वाले लोगों की गर्दन तोड़ देता है .” नरेन्द्र ने ये सब ध्यान से सुना और बिना कुछ कहे आगे बढ़ गया . दादा जी भी मुस्कुराते हुए आगे बढ़ गए , उन्हें लगा कि बच्चा डर गया है . पर जैसे ही वे कुछ आगे बढे नरेन्द्र पुनः पेड़ पर चढ़ गया और डाल पर झूलने लगा . यह देख मित्र जोर से चीखा , “ अरे तुमने दादा जी की बात नहीं सुनी , वो दैत्य तुम्हारी गर्दन तोड़ देगा .” बालक नरेन्द्र जोर से हंसा और बोला , “मित्र डरो मत ! तुम भी कितने भोले हो ! सिर्फ इसलिए कि किसी ने तुमसे कुछ कहा है उसपर यकीन मत करो ; खुद ही सोचो अगर दादा जी की बात सच होती तो मेरी गर्दन कब की टूट चुकी होती .” सचमुच स्वामी विवेकानंद बचपन से ही निडर और तीक्ष्ण बुद्धि के स्वामी थे .

समस्या का दूसरा पहलु

 [ज़िन्दगी बदलने वाली हिंदी कहानियां] पिताजी कोई किताब पढने में व्यस्त थे , पर उनका बेटा बार-बार आता और उल्टे-सीधे सवाल पूछ कर उन्हें डिस्टर्ब कर देता . पिता के समझाने और डांटने का भी उस पर कोई असर नहीं पड़ता. तब उन्होंने सोचा कि अगर बच्चे को किसी और काम में उलझा दिया जाए तो बात बन सकती है. उन्होंने पास ही पड़ी एक पुरानी किताब उठाई और उसके पन्ने पलटने लगे. तभी उन्हें विश्व मानचित्र छपा दिखा , उन्होंने तेजी से वो पेज फाड़ा और बच्चे को बुलाया – ” देखो ये वर्ल्ड मैप है , अब मैं इसे कई पार्ट्स में कट कर देता हूँ , तुम्हे इन टुकड़ों को फिर से जोड़ कर वर्ल्ड मैप तैयार करना होगा.” और ऐसा कहते हुए उन्होंने ये काम बेटे को दे दिया. बेटा तुरंत मैप बनाने में लग गया और पिता यह सोच कर खुश होने लगे की अब वो आराम से दो-तीन घंटे किताब पढ़ सकेंगे . लेकिन ये क्या, अभी पांच मिनट ही बीते थे कि बेटा दौड़ता हुआ आया और बोला , ” ये देखिये पिताजी मैंने मैप तैयार कर लिया है .” पिता ने आश्चर्य से देखा , मैप बिलकुल सही था, – ” तुमने इतनी जल्दी मैप कैसे जोड़ दिया , ये तो बहुत मुश्किल काम था ?” ” कहाँ पापा, ये तो बिलकुल आसान था , आपने जो पेज दिया था उसके पिछले हिस्से में एक कार्टून बना था , मैंने बस वो कार्टून कम्प्लीट कर दिया और मैप अपने आप ही तैयार हो गया.”, और ऐसा कहते हुए वो बाहर खेलने के लिए भाग गया और पिताजी सोचते रह गए . Friends , कई बार life की problems भी ऐसी ही होती हैं, सामने से देखने पर वो बड़ी भारी-भरकम लगती हैं , मानो उनसे पार पान असंभव ही हो , लेकिन जब हम उनका दूसरा पहलु देखते हैं तो वही problems आसान बन जाती हैं, इसलिए जब कभी आपके सामने कोई समस्या आये तो उसे सिर्फ एक नजरिये से देखने की बजाये अलग-अलग दृष्टिकोण से देखिये , क्या पता वो बिलकुल आसान बन जाएं !

सन्यासी की जड़ी-बूटी

 [ज़िन्दगी बदलने वाली हिंदी कहानियां] बहुत समय पहले की बात है , एक वृद्ध सन्यासी हिमालय की पहाड़ियों में कहीं रहता था. वह बड़ा ज्ञानी था और उसकी बुद्धिमत्ता की ख्याति दूर -दूर तक फैली थी. एक दिन एक औरत उसके पास पहुंची और अपना दुखड़ा रोने लगी , ” बाबा, मेरा पति मुझसे बहुत प्रेम करता था , लेकिन वह जबसे युद्ध से लौटा है ठीक से बात तक नहीं करता .” ” युद्ध लोगों के साथ ऐसा ही करता है.” , सन्यासी बोला. ” लोग कहते हैं कि आपकी दी हुई जड़ी-बूटी इंसान में फिर से प्रेम उत्पन्न कर सकती है , कृपया आप मुझे वो जड़ी-बूटी दे दें.” , महिला ने विनती की. सन्यासी ने कुछ सोचा और फिर बोला ,” देवी मैं तुम्हे वह जड़ी-बूटी ज़रूर दे देता लेकिन उसे बनाने के लिए एक ऐसी चीज चाहिए जो मेरे पास नहीं है .” ” आपको क्या चाहिए मुझे बताइए मैं लेकर आउंगी .”, महिला बोली. ” मुझे बाघ की मूंछ का एक बाल चाहिए .”, सन्यासी बोला. अगले ही दिन महिला बाघ की तलाश में जंगल में निकल पड़ी , बहुत खोजने के बाद उसे नदी के किनारे एक बाघ दिखा , बाघ उसे देखते ही दहाड़ा , महिला सहम गयी और तेजी से वापस चली गयी. अगले कुछ दिनों तक यही हुआ , महिला हिम्मत कर के उस बाघ के पास पहुँचती और डर कर वापस चली जाती. महीना बीतते-बीतते बाघ को महिला की मौजूदगी की आदत पड़ गयी, और अब वह उसे देख कर सामान्य ही रहता. अब तो महिला बाघ के लिए मांस भी लाने लगी , और बाघ बड़े चाव से उसे खाता. उनकी दोस्ती बढ़ने लाफि और अब महिला बाघ को थपथपाने भी लगी. और देखते देखते एक दिन वो भी आ गया जब उसने हिम्मत दिखाते हुए बाघ की मूंछ का एक बाल भी निकाल लिया. फिर क्या था , वह बिना देरी किये सन्यासी के पास पहुंची , और बोली ” मैं बाल ले आई बाबा .” “बहुत अच्छे .” और ऐसा कहते हुए सन्यासी ने बाल को जलती हुई आग में फ़ेंक दिया ” अरे ये क्या बाबा , आप नहीं जानते इस बाल को लाने के लिए मैंने कितने प्रयत्न किये और आपने इसे जला दिया ……अब मेरी जड़ी-बूटी कैसे बनेगी ?” महिला घबराते हुए बोली. ” अब तुम्हे किसी जड़ी-बूटी की ज़रुरत नहीं है .” सन्यासी बोला . ” जरा सोचो , तुमने बाघ को किस तरह अपने वश में किया….जब एक हिंसक पशु को धैर्य और प्रेम से जीता जा सकता है तो क्या एक इंसान को नहीं ? जाओ जिस तरह तुमने बाघ को अपना मित्र बना लिया उसी तरह अपने पति के अन्दर प्रेम भाव जागृत करो.” महिला सन्यासी की बात समझ गयी , अब उसे उसकी जड़ी-बूटी मिल चुकी थी.

समुराई की समस्या

 [ज़िन्दगी बदलने वाली हिंदी कहानियां] एक समुराई जिसे उसके शौर्य ,इमानदारी और सज्जनता के लिए जाना जाता था , एक जेन सन्यासी से सलाह लेने पहुंचा . जब सन्यासी ने ध्यान पूर्ण कर लिया तब समुराई ने उससे पूछा , “ मैं इतना हीन क्यों महसूस करता हूँ ? मैंने कितनी ही लड़ाइयाँ जीती हैं , कितने ही असहाय लोगों की मदद की है . पर जब मैं और लोगों को देखता हूँ तो लगता है कि मैं उनके सामने कुछ नहीं हूँ , मेरे जीवन का कोई महत्त्व ही नहीं है .” “रुको ; जब मैं पहले से एकत्रित हुए लोगों के प्रश्नों का उत्तर दे लूँगा तब तुमसे बात करूँगा .” , सन्यासी ने जवाब दिया . समुराई इंतज़ार करता रहा , शाम ढलने लगी और धीरे -धीरे सभी लोग वापस चले गए . “ क्या अब आपके पास मेरे लिए समय है ?” , समुराई ने सन्यासी से पूछा . सन्यासी ने इशारे से उसे अपने पीछे आने को कहा , चाँद की रौशनी में सबकुछ बड़ा शांत और सौम्य था , सारा वातावरण बड़ा ही मोहक प्रतीत हो रहा था . “ तुम चाँद को देख रहे हो , वो कितना खूबसूरत है ! वो सारी रात इसी तरह चमकता रहेगा , हमें शीतलता पहुंचाएगा , लेकिन कल सुबह फिर सूरज निकल जायेगा , और सूरज की रौशनी तो कहीं अधिक तेज होती है , उसी की वजह से हम दिन में खूबसूरत पेड़ों , पहाड़ों और पूरी प्रकृति को साफ़ –साफ़ देख पाते हैं , मैं तो कहूँगा कि चाँद की कोई ज़रुरत ही नहीं है….उसका अस्तित्व ही बेकार है !!” “ अरे ! ये आप क्या कह रहे हैं, ऐसा बिलकुल नहीं है ”- समुराई बोला, “ चाँद और सूरज बिलकुल अलग -अलग हैं , दोनों की अपनी-अपनी उपयोगिता है , आप इस तरह दोनों की तुलना नहीं कर सकते हैं .”, समुराई बोला. “तो इसका मतलब तुम्हे अपनी समस्या का हल पता है . हर इंसान दूसरे से अलग होता है , हर किसी की अपनी -अपनी खूबियाँ होती हैं , और वो अपने -अपने तरीके से इस दुनिया को लाभ पहुंचाता है ; बस यही प्रमुख है बाकि सब गौड़ है “, सन्यासी ने अपनी बात पूरी की. Friends, हमें भी खुद को दूसरों से compare नहीं करना चाहिए , अगर औरों के अन्दर कुछ qualities हैं तो हमारे अन्दर भी कई गुण हैं , पर शायद हम अपने गुणों को कम और दूसरों के गुणों को अधिक आंकते हैं , हकीकत तो ये है की हम सब unique हैं और सभी किसी न किसी रूप में special हैं .

किसान और चट्टान

 [ज़िन्दगी बदलने वाली हिंदी कहानियां] एक किसान था. वह एक बड़े से खेत में खेती किया करता था. उस खेत के बीचो-बीच पत्थर का एक हिस्सा ज़मीन से ऊपर निकला हुआ था जिससे ठोकर खाकर वह कई बार गिर चुका था और ना जाने कितनी ही बार उससे टकराकर खेती के औजार भी टूट चुके थे. रोजाना की तरह आज भी वह सुबह-सुबह खेती करने पहुंचा पर जो सालों से होता आ रहा था एक वही हुआ , एक बार फिर किसान का हल पत्थर से टकराकर टूट गया. किसान बिल्कुल क्रोधित हो उठा , और उसने मन ही मन सोचा की आज जो भी हो जाए वह इस चट्टान को ज़मीन से निकाल कर इस खेत के बाहर फ़ेंक देगा. वह तुरंत भागा और गाँव से ४-५ लोगों को बुला लाया और सभी को लेकर वह उस पत्त्थर के पास पहुंचा . ” मित्रों “, किसान बोला , ” ये देखो ज़मीन से निकले चट्टान के इस हिस्से ने मेरा बहुत नुक्सान किया है, और आज हम सभी को मिलकर इसे जड़ से निकालना है और खेत के बाहर फ़ेंक देना है.” और ऐसा कहते ही वह फावड़े से पत्थर के किनार वार करने लगा, पर ये क्या ! अभी उसने एक-दो बार ही मारा था की पूरा-का पूरा पत्थर ज़मीन से बाहर निकल आया. साथ खड़े लोग भी अचरज में पड़ गए और उन्ही में से एक ने हँसते हुए पूछा ,” क्यों भाई , तुम तो कहते थे कि तुम्हारे खेत के बीच में एक बड़ी सी चट्टान दबी हुई है , पर ये तो एक मामूली सा पत्थर निकला ??” किसान भी आश्चर्य में पड़ गया सालों से जिसे वह एक भारी-भरकम चट्टान समझ रहा था दरअसल वह बस एक छोटा सा पत्थर था !! उसे पछतावा हुआ कि काश उसने पहले ही इसे निकालने का प्रयास किया होता तो ना उसे इतना नुक्सान उठाना पड़ता और ना ही दोस्तों के सामने उसका मज़ाक बनता . Friends, इस किसान की तरह ही हम भी कई बार ज़िन्दगी में आने वाली छोटी-छोटी बाधाओं को बहुत बड़ा समझ लेते हैं और उनसे निपटने की बजाये तकलीफ उठाते रहते हैं. ज़रुरत इस बात की है कि हम बिना समय गंवाएं उन मुसीबतों से लडें , और जब हम ऐसा करेंगे तो कुछ ही समय में चट्टान सी दिखने वाली समस्या एक छोटे से पत्थर के समान दिखने लगेगी जिसे हम आसानी से ठोकर मार कर आगे बढ़ सकते हैं.

कितने सेब हैं ?

[ज़िन्दगी बदलने वाली हिंदी कहानियां] एक 7 साल की लड़की को मैथ्स पढ़ा रहे टीचर ने पूछा ,” अगर मैं तुम्हे एक सेब दूं , फिर एक और सेब दूं , और फिर एक और सेब दूं , तो तुम्हारे पास कितने सेब हो जायेंगे ?” लड़की ने कुछ देर सोचा और , और अपनी ऊँगली पर जोड़ने लगी … ” चार ” , लड़की का उत्तर आया . टीचर थोड़ा निराश हो गया, उसे लगा कि ये तो कोई भी बता सकता था. “शायद बच्चे ने ठीक से सुना नहीं .” – टीचर ने मन ही मन सोचा . उसने पुनः प्रश्न दोहराया ; ” ध्यान से सुनो – अगर मैं तुम्हे एक सेब दूं , फिर एक और सेब दूं , और फिर एक और सेब दूं , तो तुम्हारे पास कितने सेब हो जायेंगे ?” लड़की टीचर का चेहरा देख कर समझ चुकी थी कि वो खुश नहीं है, वह पुनः अपनी उँगलियों पर जोड़ने लगी, और सोचने लगी कि ऐसा क्या उत्तर बताऊँ जिससे टीचेर खुश हो जाए . अब उसके दिमाग में ये नहीं था कि उत्तर सही हो , बल्कि ये था कि टीचर खुश हो जाये. पर बहुत सोचने के बाद भी उसने संकोच करते हुए कहा , ” चार “ टीचर फिर निराश हो गया , उसे याद आया कि लड़की को स्ट्रॉबेरी बहुत पसंद हैं , हो सकता है सेब पसनद न होने के कारण वो अपना फोकस लूज़ कर दे रही हो. इस बार उसने बड़े प्यार और जोश के साथ पूछा ,” अगर मैं तुम्हे एक स्ट्रॉबेरी दूं , फिर एक और स्ट्रॉबेरी दूं , और फिर एक और स्ट्रॉबेरी दूं , तो तुम्हारे पास कितने स्ट्रॉबेरी हो जायेंगे ?” टीचर को खुश देख कर , लड़की भी खुश हो गयी और अपने उँगलियों पर जोड़ने लगी …अब उसके ऊपर कोई दबाव नहीं था बल्कि टीचर को ही चिंता थी कि उसका नया तरीका काम कर जाये . उत्तर देते समय लड़की फिर थोड़ा झिझकी और बोली , ” तीन !!!” टीचर खुश हो गया , उसका तरीका काम कर गया था . उसे लगा कि अब लड़की समझ चुकी है है ,और अब वो इस तरह के किसी भी प्रश्न का उत्तर दे सकती है . “अच्छा बेटा तो बताओ , अगर मैं तुम्हे एक सेब दूं , फिर एक और सेब दूं , और फिर एक और सेब दूं , तो तुम्हारे पास कितने सेब हो जायेंगे ?” पिछला जवाब सही होने से लड़की का आत्मविश्वास बढ़ चुका था , उसने बिना समय गँवाए उत्तर दिया , ” चार .” टीचर क्रोधित हो उठा , ” तुम्हारे पास दिमाग नहीं है क्या , ज़रा मुझे भी समझाओ कि चार सेब कैसे हो जायेंगे .” लड़की डर गयी और टूटते हुए शब्दों में बोली , ” क्योंकि मेरे बैग में पहले से ही एक सेब है .” Friends, कई बार ऐसा होता ही कि सामने वाले का जवाब हमारे अनुकूल नहीं होता है तो हम अपना temper loose कर देते हैं, पर ज़रुरत इस बात की है कि हम उसके जवाब के पीछे का logic समझें . विभिन्न माहौल और cultures में पले -बढे होने के कारण एक ही चीज को अलग-अलग तरीकों से देख-समझ सकते हैं , इसलिए जब अगली बार आपको कोई अटपटा जवाब मिले तो एक बार ज़रूर सोच लीजियेगा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि आप भी छुपे हुए सेब को नहीं देख पा रहे हैं.

મધુપ્રમેહ નો ઈલાજ

વધારે પડતો ચરબીવાળો ખોરાક અને બેઠાડુ જીવન ડાયાબિટીસને નિમંત્રણ આપે છે. (1) દરરોજ 70-80 ગ્રામ સારાં પાકાં જાંબુ લઇ ચારગણા ઉકળતા પાણીમાં નાખી 15 મિનિટ સુધી ઢાંકમ ઢાંકી રાઈ, પછી હાથ વડે મસળી, કપડાથી ગાળી, તેના ત્રણ ભાગ કરી દિવસમાં ત્રણ વાર થોડા દિવસ સુધી પીવાથી પેશાબમાં જતી સાકરનું પ્રમાણ ઘટે ઢે, લીવર કાર્યક્ષમ બને છે અને મધુપ્રમેહમાં ઉત્તમ ફાયદો થાય છે. (2) સારાં પાકાં જાંબુ સકવી, બારીક ખાંડી, ચૂર્ણ કરી દરરોજ 20-20 ગ્રામ 15 દિવસ સુધી લેવાથી મધુપ્રમેહમાંફાયદો થાય છે. (3) જાંબુના ઠળિયાના ગર્ભનું 1-1 ગ્રામ ચૂર્ણ મધમાં અથવા પાણી સાથે દિવસમાં બે વાર 10-15 દિવસ સુધી લેવાથી મધુપ્રમેહ મટે છે. (4) જાંબુના ઠળિયા 200 ગ્રામ, લીમડાની ગળો 50 ગ્રામ, હળદર 50 ગ્રામ અને મરી 50 ગ્રામ ખાંડી, વસ્ત્રગાળ ચર્ણ કરી, તેને જાંબુના રસમાં ખૂબ ધૂંટી, સૂકવી, શીશામાં ભરી રાખવું. 3-4 ગ્રામ આ ચૂર્ણ સવાર-સાંજ પાણી સાથે લાંબા સમય સુધી લેવાથી મધુપ્રમેહમાં ચોક્કસ ફાયદો થાય છે. (5) કુમળાં કારેલાનાં કકડા કરી, છાંયે સૂકવી, બારીક ખાંડી 10-10 ગ્રામ સવાર-સાંજ ચાર મહિના સુધી લેવાથી પેશાબ માર્ગે જતી સાકર સદંતર બંધ થાય છે અને મધુપ્રમેહ મટે છે. (6) કોળાનો રસ ડાયાબિટીસમાં લાભ કરે છે. (7) રોજ રાત્રે 15 થી 20 ગ્રામ મેથી પાણીમાં પલાળી રાખી, સવારે ખૂબ મસળી, ગાળી એકાદ માસ સુધી પીવાથી ડાયાબીટીસના રોગીની લોહીમાં જતી સાકર છી થાય છે. (8) હરડે, બહેડાં, આમળાં, લીમડાની અંતરછાલ, મામેજવો અને જાંબુના ઠળિયા સરખે ભાગે લઇ, ચૂર્ણ કરી સવાર-સાંજ લેવાથી મધુપ્રમેહ મટે છે. (9) ડાયાબીટીસમાં જવની રોટલી હિતાવહ છે. એનાથી લોહીમાં સાકરનું પ્રમાણ વધતું નથી. વળી એમાં સિંગ અને સિંગતેલ બંને જો અન્ય પ્રકારે હાનિકારક ન હોય તો દરરોજ એકાદ મુઠ્ઠી કાચી સિંગ ખાવી અને આહારમાં કાચું સિંગતેલ વાપરવું. (10) મીઠો લીમડો લોહીમાં ખાંડના પ્રમાણને નિયંત્રીત રાખવામાં મદદરૂપ થાય છે. આથી ડાયાબીટીસના દર્દીઓને એના સેવનથી લાભ થાય છે. (11) ઊંડા અને ખૂબ જ શ્રમ પહોંચાડે તેવા શ્ર્વાસોચ્છશ્ર્વાસ મધુપ્રમેહની અમોઘ ઔષધિ છે. ઊંડા શ્ર્વાસોચ્છવાસથઈ લોહીમાંની સાકર ફેફસાં દ્વારા બહાર નકળી જાય છે. (12) હળદરના ગાંઠિયાને પીસી ઘીમાં શેકી, સાકર મેળવી થોડા દિવસ સુધી દરરોજ ખાવાથી મધુપ્રમેહ અને બીજા પ્રમેહોમાં ફાયદો થાય છે. (13) વડની છાલનું બારીક ચૂર્ણ 1 ચમચી રાત્રે પાણીમાં પલાળી રાખવું. સવારે તેને ગાળીને પી જવું. તેનાથી પેશાબ અને લોહીની ખાંડ ઓછી થાય છે. પેશાબમાં વીર્ય જતું હોય, પેશાબ કર્યા પછી ચીકણો પદાર્થ નીકળતો હોય તેને માટે વડની કૂણી કૂંપળો અને વડવાઇનો અગ્ર ભાગ સૂકવી ચૂર્ણ બનાવી સેવન કરવાથી જરૂર લાભ થાય છે. (14) આમલીના કચકા શેકી 50 ગ્રામ જેટલા રોજ ખાવાથી મધુપ્રમેહ મટે છે. (15) વડની તાજી છાલનો ચતુર્થાશ ઉકાળો અથવા તાજી ન હોય તો સૂકી છાલ 24 કલાક ભીંજવી રાખી તે જ પાણીમાં બનાવેલો ચતુર્થાશ ઉકાળો પીવાથી તે કુદરતી ઇન્સ્યુલીન જેવું જ કામ આપે છે અને ડાયાબીટીસને કાબુમાં રાખે છે. (16) આમળાં અને વરિયાળીનો સમભાગે પાઉડર દરરોજ સવાર-સાંજ 1-1 મોટો ચમચો પાણી સાથે ફાકવાથી ડાયાબીટીસ મટે છે. (17) આંબાનાં સૂકાં પાનનો એક એક ચમચી પાઉડરસવાર-સ જ પાણી સાથે લેવાથી મધુપ્રમેહમાં સારો લાભ થાય છે. (18) સ્વાદહીન સફેદ રંગનું ગળોસત્વ 1-1 ચમચી દિવસમાં ચારેક વખત પાણી સાથે લેવાથી મધુપ્રમેહ મટે છે. (19) આંબાના કોમળ પાન સુકવી, ચૂર્ણ બનાવી ભોજન બાદ 1-1 ચમચી પાણી સાથે લેવાથી મધુપ્રમેહ કાબૂમાં રહે છે. (20) સીતાફળના પાનના ઉકાળાનું નિયમિત સેવન કરવાથી ડાયાબીટીસ મટે છે. (21) ખોરાકમાં કેલ્શિયમનું પ્રમાણ 800 થી 1200 મિ.લિ. ગ્રામ રાખવાથી અને વહેલી સવારે કૂણા તડકામાં 20 થી 25 મિનિટ ફરવાનું રાખવાથી ડાયાબીટીસ ફક્ત બે માસમાં કાબૂમાં લાવી શકાય છે. (22) ટાઇપ-2 ડાયાબીટીસમાં ઓમેગા-3 ફેટ્સ હૃદયની સુરક્ષા માટે જરૂરી હોય છે. ઓમેગા-3 ફેટ્સ મેળવવાનો સૌથી સરળ ઉપાય છે અખરોટ. ઓમેગા-3 મકરેલ અને ટ્યુના માછલીમાં પણ હોય છે. પરંતુ શાકાહીરી માટે અખરોટ આશીર્વાદરૂપ છે. (23) શુદ્ધ કેસરના ચાંર-પાંચ તાંતણા એકાદ ચમચી ઘીમાં બરાબર મસળી સવાર-સાંજ સેવન કરવાથી મધુપ્રમેહ કાબૂમાં રહે છે. ડાયાબીટીસમાં બહુમૂત્ર મધુપ્રમેહમાં વારંવાર પેશાબ કરવાની તકલીફ હોય છે. એ દૂર કરવા દરરોજ સવાર-સાંજ 1-1 નાની ચમચી હળદરનો પાઉડર સાદા પાણી સાથે ફાકવો. એનાથી બહુમત્રતાની ફરિયાદ કદાપી રહેવા પામતી નથી.

🌼मेथी में galactomannan होता है जो कि एक बहुत जरुरी फाइबर कम्‍पाउंड है। इससे रक्‍त में शक्‍कर बड़ी ही धीमी गति से घुलती है। इस कारण से मधुमेह नहीं होता।

2 જાન્યુ, 2020

Success Mantra : सफलता के लिए थोड़ा जुनून होना भी जरूरी, जानें शतरंज मास्टर विश्वनाथन आनंद का नजरिया*

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Success Mantra : सफलता के लिए थोड़ा जुनून होना भी जरूरी, जानें शतरंज मास्टर विश्वनाथन आनंद का नजरिया* 

बहुत कम लोग होंगे, जिन्हें शतरंज मास्टर विश्वनाथन आनंद के समान सफलता और शोहरत मिली होगी। वह पांच बार विश्व चैंपियन रह चुके हैं। उनकी इस सफलता के पीछे जिस लगन और अनुशासन का हाथ रहा है, उसको जानना अपने भविष्य को संवारने में जुटे किसी भी व्यक्ति के लिए जरूरी सबक हो सकता है। हाल में प्रकाशित अपनी आत्मकथा में उन्होंने अपने अनुभवों के हवाले से व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन के लिए कई जरूरी सूत्र दिए हैं।
अनुभवों का विश्लेषण : आनंद बचपन में खेल के बाद उसके अनुभव तुरंत लिख लेते थे। उन्हें मां ने ऐसा करने को कहा था। इससे उन्हें उन चीजों को समझने में मदद मिली, जो हार का कारण बनती थीं। जैसे, प्रतिद्वंद्वियों के संकेत और वे चीजें, जो खेल के पूर्व या उसके दौरान उन्हें विचलित करती थीं।

खेल से मिले सबक : शतरंज से उन्होंने दो चीजें सीखीं। पहली, निरंतर और वस्तुनिष्ठ विश्लेषण, जिसमें अपनी ताकत और कमजोरियों को पहचानना भी शामिल है। दूसरी, अपने सुरक्षित दायरे से बाहर निकलने की दृढ़ता और जोखिम उठाने की क्षमता, जिनके बिना आगे बढ़ना कठिन है।

लक्ष्य पर निगाह : आनंद का मानना है कि जीवन के बड़े लक्ष्यों को पाने के लिए कुछ हद तक जुनूनी होना जरूरी है। आपको अपने लक्ष्य पर लगातार नजर रखनी होगी। यह लंबे समय का काम है। इसके बिना आदमी आसानी से रास्ता भटक जाता है।

बेहतरी की रणनीति : भूलना काम करने और बेहतर नेतृत्व करने का प्रभावी तरीका माना जाता है। इस संबंध में आनंद का कहना है कि नई जानकारियों से वाकिफ रहने के लिए भूलना और सीखना (अनलर्निंग और लर्निंग) महत्वपूर्ण प्रक्रिया है।

संघर्ष पर ध्यान : आनंद का कहना है कि भविष्य में सफलता की कल्पना हमेशा अच्छी बात नहीं होती। खेल के दौरान हमेशा जीत की संभावना देखना आपको आराम की स्थिति में ला सकता है, जिससे गलतियां हो सकती हैं। लक्ष्य और सफलता की राह की कल्पना करना महत्वपूर्ण है। लेकिन वहां पहुंचने का सपना देखने की बजाय इस बात पर ध्यान देना जरूरी है कि वहां पहुंचने का कठिन संघर्ष किस प्रकार करें।

काम की बात : आनंद के अनुसार, किसी रणनीति को प्रभावी बनाने के लिए तैयारी जरूरी है। पर सही तैयारी वही होती है, जिसमें संभावित स्थितियों का अभ्यास आपको अप्रत्याशित स्थितियों में भी सटीक प्रतिक्रिया देने के लिए तैयार करता है।
सबसे अहम यह है कि आप कड़ी मेहनत और सचेत प्रयास सुनिश्चित करें, ताकि आपके पास जो कु़छ है, उसे बेहतर बना सकें।
⭐⭐⭐⭐⭐

29 ડિસે, 2019

हिन्दी की गिनती



हिन्दी की गिनती, संस्कृत की गिनती से अपभ्रंश होकर पैदा हुई है। उदाहरण के लिये हिन्दी का 'साठ' संस्कृत के 'षष्ठि' से उत्पन्न है; 'अस्सी' संस्कृत के 'असीति' से। इसी प्रकार देख सकते हैं कि हिन्दी की गिनती के सभी शब्द संस्कृत से व्युत्पन्न हैं।
० - शून्य
१ - एक
२ - दो
३ - तीन
४ - चार
५ - पाँच
६ - छः / छह
७ - सात
८ - आठ
९ - नौ
१० - दस
११ - ग्यारह
१२ - बारह
१३ - तेरह
१४ - चौदह
१५ - पन्द्रह
१६ - सोलह
१७ - सत्रह
१८ - अठारह
१९ - उन्नीस
२० - बीस
२१ - इक्कीस
२२ - बाईस
२३ - तेईस
२४ - चौबीस
२५ - पच्चीस
२६ - छब्बीस
२७ - सत्ताईस
२८ - अट्ठाईस
२९ - उनतीस
३० - तीस
३१ - इकतीस
३२ - बत्तीस
३३ - तैंतीस
३४ - चौंतीस
३५ - पैंतीस
३६ - छत्तीस
३७ - सैंतीस
३८ - अड़तीस
३९ - उनतालीस
४० - चालीस
४१ - इकतालीस
४२ - बयालीस
४३ - तैंतालीस
४४ - चौवालीस
४५ - पैंतालीस
४६ - छियालीस
४७ - सैंतालीस
४८ - अड़तालीस
४९ - उन्नचास
५० - पचास
५१ - इक्यावन
५२ - बावन
५३ - तिरपन
५४ - चौवन
५५ - पचपन
५६ - छप्पन
५७ - सत्तावन
५८ - अट्ठावन
५९ - उनसठ
६० - साठ
६१ - इकसठ
६२ - बासठ
६३ - तिरसठ
६४ - चौंसठ
६५ - पैंसठ
६६ - छियासठ
६७ - सड़सठ
६८ - अड़सठ
६९ - उनहत्तर
७० - सत्तर
७१ - इकहत्तर
७२ - बहत्तर
७३ - तिहत्तर
७४ - चौहत्तर
७५ - पचहत्तर
७६ - छिहत्तर
७७ - सतहत्तर
७८ - अठहत्तर
७९ - उन्यासी
८० - अस्सी
८१ - इक्यासी
८२ - बयासी
८३ - तिरासी
८४ - चौरासी
८५ - पचासी
८६ - छियासी
८७ - सत्तासी
८८ - अट्ठासी
८९ - नवासी
९० - नब्बे
९१ - इक्यानबे
९२ - बानबे
९३ - तिरानबे
९४ - चौरानबे
९५ - पंचानबे
९६ - छियानबे
९७ - सत्तानबे
९८ - अट्ठानबे
९९ - निन्यान्बे
१०० - सौ (एक सौ)
१२० - एक सौ बीस
१३४० - एक हजार तीन सौ चालीस
१०००० - दस हजार
१००००० - एक लाख
१०००००० - दस लाख
१००००००० - एक करोड़
१०००००००० - दस करोड़
१००००००००० - एक अरब
१०००००००००० - दस अरब
१००००००००००० - एक खरब
१०००००००००००० - दस खरब
१००००००००००००० - एक नील
१०००००००००००००० - दस नील
१००००००००००००००० - एक पद्म
१०००००००००००००००० - दस पद्म
१००००००००००००००००० - एक शंख
१०००००००००००००००००० - दस शंख
अनन्त - infinite, infinty
असंख्य, अनगिनत - innuberable, uncountable
नगण्य - negligible
१/२ - एक बटा दो ; आधा
१/३ - एक बटा तीन ; तिहाई ; एक तिहाई
१/४ - एक बटा चार ; चौथाई ; एक चौथाई ; एक पाव ;
३/४ - तीन बटा चार ; तीन चौथाई ; पौन
२/३ - दो तिहाई
क/ख - क बटा ख
१०% - दस प्रतिशत
१+१/४ - सवा (सवा एक, नहीं)
१+१/२ - डेढ़ (साढे़ एक, नहीं)
१+३/४ - पौने दो
२+१/४ - सवा दो
२+१/२ - ढाई (साढे़ दो, नहीं)
३+१/२ - साढे़ (सार्ध) तीन
४+१/२ - साढे़ (सार्ध) चार
१२.५७ - बारह दशमलव पाँच सात
५८७.७५९ पाँच सौ सत्तासी दशमलव सात पाँच नौ


Hindi ginati


हिंदी की गिनती 1 से 100 तक

1- एक11- ग्यारह21- इक्कीस31- इकतीस41- इकतालीस51- इक्याबन61- इकसठ71- इकहत्तर81- इक्यासी91- इक्यानबे
2- दो12- बारह22- बाईस32- बत्तीस42- बयालीस52- बावन62- बासठ72- बहत्तर82- बयासी92- बानवे
3- तीन13- तेरह23- तेईस33- तैंतीस43- तैंतालीस53- तिरेपन63- तिरसठ73- तिहत्तर83- तिरासी93- तिरानवे
4- चार14- चौदह24- चौबीस34- चौंतीस44- चौंतालीस54- चौबन64- चौंसठ74- चौहत्तर84- चौरासी94- चौरानवे
5- पांच15- पंद्रह25- पच्चीस35- पैंतीस45- पैंतालीस55- पचपन65- पैंसठ75- पचहत्तर85- पचासी95- पचानवे
6- छः16- सोलह26- छब्बीस36- छ्त्तीस46- छियालीस56- छप्पन66- छियासठ76- छिहत्तर86- छियासी96- छियानवे
7- सात17- सत्रह27- सत्ताईस37- सैंतीस47- सैंतालीस57- सत्तावन67- सड़सठ77- सतहत्तर87- सतासी97- सत्तानवे
8- आठ18- अट्ठारह28- अट्ठाईस38- अड़तीस48- अड़तालीस58- अट्ठावन68- अड़सठ78- अठहत्तर88- अठासी98- अट्ठानवे
9- नौ19- उन्निस29- उनतीस39- उनतालीस49- उनचास59- उनसठ69- उनहत्तर79- उनासी89- नवासी99- निन्यानवे
10- दस20- बीस30- तीस40- चालीस50- पचास60- साठ70- सत्तर80- अस्सी90- नब्बे100- सौ

20 ડિસે, 2019

शेर और सियार

 [ज़िन्दगी बदलने वाली हिंदी कहानियां] बहुत समय पहले की बात है हिमालय के जंगलों में एक बहुत ताकतवर शेर रहता था . एक दिन उसने बारासिंघे का शिकार किया और खाने के बाद अपनी गुफा को लौटने लगा. अभी उसने चलना शुरू ही किया था कि एक सियार उसके सामने दंडवत करता हुआ उसके गुणगान करने लगा . उसे देख शेर ने पूछा , ” अरे ! तुम ये क्या कर रहे हो ?” ” हे जंगल के राजा, मैं आपका सेवक बन कर अपना जीवन धन्य करना चाहता हूँ, कृपया मुझे अपनी शरण में ले लीजिये और अपनी सेवा करने का अवसर प्रदान कीजिये .” , सियार बोला. शेर जानता था कि सियार का असल मकसद उसके द्वारा छोड़ा गया शिकार खाना है पर उसने सोचा कि चलो इसके साथ रहने से मेरे क्या जाता है, नहीं कुछ तो छोटे-मोटे काम ही कर दिया करेगा. और उसने सियार को अपने साथ रहने की अनुमति दे दी. उस दिन के बाद से जब भी शेर शिकार करता , सियार भी भर पेट भोजन करता. समय बीतता गया और रोज मांसाहार करने से सियार की ताकत भी बढ़ गयी , इसी घमंड में अब वह जंगल के बाकी जानवरों पर रौब भी झाड़ने लगा. और एक दिन तो उसने हद्द ही कर दी . उसने शेर से कहा, ” आज तुम आराम करो , शिकार मैं करूँगा और तुम मेरा छोड़ा हुआ मांस खाओगे.” शेर यह सुन बहुत क्रोधित हुआ, पर उसने अपने क्रोध पर काबू करते हुए सियार को सबक सिखाना चाहा. शेर बोला ,” यह तो बड़ी अच्छी बात है, आज मुझे भैंसा खाने का मन है , तुम उसी का शिकार करो !” सियार तुरंत भैंसों के झुण्ड की तरफ निकल पड़ा , और दौड़ते हुए एक बड़े से भैंसे पर झपटा, भैंसा सतर्क था उसने तुरंत अपनी सींघ घुमाई और सियार को दूर झटक दिया. सियार की कमर टूट गयी और वह किसी तरह घिसटते हुए शेर के पास वापस पहुंचा . ” क्या हुआ ; भैंसा कहाँ है ? “, शेर बोला . ” हुजूर , मुझे क्षमा कीजिये ,मैं बहक गया था और खुद को आपके बराबर समझने लगा था …”, सियार गिडगिडाते हुए बोला. “धूर्त , तेरे जैसे एहसानफरामोश का यही हस्र होता है, मैंने तेरे ऊपर दया कर के तुझे अपने साथ रखा और तू मेरे ऊपर ही धौंस जमाने लगा, ” और ऐसा कहते हुए शेर ने अपने एक ही प्रहार से सियार को ढेर कर दिया. किसी के किये गए उपकार को भूल उसे ही नीचा दिखाने वाले लोगों का वही हस्र होता है जो इस कहानी में सियार का हुआ. हमें हमेशा अपनी वर्तमान योग्यताओं का सही आंकलन करना चाहिए और घमंड में आकर किसी तरह का मूर्खतापूर्ण कार्य नहीं करना चाहिए.

पत्थर की कीमत

 [ज़िन्दगी बदलने वाली हिंदी कहानियां] एक हीरा व्यापारी था जो हीरे का बहुत बड़ा विशेषज्ञ माना जाता था, किन्तु गंभीर बीमारी के चलते अल्प आयु में ही उसकी मृत्यु हो गयी। अपने पीछे वह अपनी पत्नी और बेटा छोड़ गया। जब बेटा बड़ा हुआ तो उसकी माँ ने कहा- “बेटा, मरने से पहले तुम्हारे पिताजी ये पत्थर छोड़ गए थे, तुम इसे लेकर बाज़ार जाओ और इसकी कीमत का पता लगा, ध्यान रहे कि तुम्हे केवल कीमत पता करनी है, इसे बेचना नहीं है।” युवक पत्थर लेकर निकला, सबसे पहले उसे एक सब्जी बेचने वाली महिला मिली।” अम्मा, तुम इस पत्थर के बदले मुझे क्या दे सकती हो ?”, युवक ने पूछा। “देना ही है तो दो गाजरों के बदले मुझे ये दे दो… तौलने के काम आएगा।” सब्जी वाली बोली। युवक आगे बढ़ गया। इस बार वो एक दुकानदार के पास गया और उससे पत्थर की कीमत जानना चाही। दुकानदार बोला- “इसके बदले मैं अधिक से अधिक 500 रूपये दे सकता हूँ… देना हो तो दो नहीं तो आगे बढ़ जाओ।” युवक इस बार एक सुनार के पास गया। सुनार ने पत्थर के बदले 20 हज़ार देने की बात की। फिर वह हीरे की एक प्रतिष्ठित दुकान पर गया वहां उसे पत्थर के बदले 1 लाख रूपये का प्रस्ताव मिला और अंत में युवक शहर के सबसे बड़े हीरा विशेषज्ञ के पास पहुंचा और बोला- “श्रीमान, कृपया इस पत्थर की कीमत बताने का कष्ट करें।” विशेषज्ञ ने ध्यान से पत्थर का निरीक्षण किया और आश्चर्य से युवक की तरफ देखते हुए बोला- “यह तो एक अमूल्य हीरा है, करोड़ों रूपये देकर भी ऐसा हीरा मिलना मुश्किल है।” ……… मित्रों, यदि हम गहराई से सोचें तो ऐसा ही मूल्यवान हमारा मानव जीवन भी है। यह अलग बात है कि हममें से बहुत से लोग इसकी कीमत नहीं जानते और सब्जी बेचने वाली महिला की तरह इसे मामूली समझा तुच्छ कामो में लगा देते हैं। आइये हम प्रार्थना करें कि ईश्वर हमें इस मूल्यवान जीवन को समझने की सद्बुद्धि दे और हम हीरे के विशेषज्ञ की तरह इस जीवन का मूल्य आंक सकें।

बुढ़िया की सुई ज़िन्दगी बदलने वाली हिंदी कहानियां

 एक बार किसी गाँव में एक बुढ़िया रात के अँधेरे में अपनी झोपडी के बहार कुछ खोज रही थी .तभी गाँव के ही एक व्यक्ति की नजर उस पर पड़ी , “अम्मा इतनी रात में रोड लाइट के नीचे क्या ढूंढ रही हो ?” , व्यक्ति ने पूछा. ” कुछ नहीं मेरी सुई गम हो गयी है बस वही खोज रही हूँ .”, बुढ़िया ने उत्तर दिया. फिर क्या था, वो व्यक्ति भी महिला की मदद करने के लिए रुक गया और साथ में सुई खोजने लगा. कुछ देर में और भी लोग इस खोज अभियान में शामिल हो गए और देखते- देखते लगभग पूरा गाँव ही इकठ्ठा हो गया. सभी बड़े ध्यान से सुई खोजने में लगे हुए थे कि तभी किसी ने बुढ़िया से पूछा ,” अरे अम्मा ! ज़रा ये तो बताओ कि सुई गिरी कहाँ थी?” ” बेटा , सुई तो झोपड़ी के अन्दर गिरी थी .”, बुढ़िया ने ज़वाब दिया . ये सुनते ही सभी बड़े क्रोधित हो गए और भीड़ में से किसी ने ऊँची आवाज में कहा , ” कमाल करती हो अम्मा ,हम इतनी देर से सुई यहाँ ढूंढ रहे हैं जबकि सुई अन्दर झोपड़े में गिरी थी , आखिर सुई वहां खोजने की बजाये यहाँ बाहर क्यों खोज रही हो ?” ” क्योंकि रोड पर लाइट जल रही है…इसलिए .”, बुढ़िया बोली. मित्रों, शायद ऐसा ही आज के युवा अपने भविष्य को लेकर सोचते हैं कि लाइट कहाँ जल रही है वो ये नहीं सोचते कि हमारा दिल क्या कह रहा है ; हमारी सुई कहाँ गिरी है . हमें चाहिए कि हम ये जानने की कोशिश करें कि हम किस फील्ड में अच्छा कर सकते हैं और उसी में अपना करीयर बनाएं ना कि भेड़ चाल चलते हुए किसी ऐसी फील्ड में घुस जाएं जिसमे बाकी लोग जा रहे हों या जिसमे हमें अधिक पैसा नज़र आ रहा हो .