1 ડિસે, 2018

आयुर्वेद के पुराने नुस्खे

*आयुर्वेद और सिद्ध योग*

✍🏻 1 *!! जीर्ण प्रवाहिका !!*

सत् ईसबगोल तीन ग्राम,, सफेद जीरा एक ग्राम,, इलायची खुर्द आधा ग्राम,, इंद्रजौ कड़वी दो रत्ती,, कुड़ासक एक ग्राम,, सबको मिलाकर चूर्ण करें, यह एक खुराक दवा है,
इतनी इतनी दवा सुबह शाम पानी के साथ लें,..
यदि पेट में वायु अधिक है तो प्रत्येक खुराक में चार चार रत्ती मस्तगी मिला कर इक्कीस दिन सेवन करें !!

✍🏻2 *!! पेट की गैस !!*

कलई का सूखा चूना, ग्वार पाठे के रस में घोटकर दो दो रत्ती की गोली बनाकर छाया में सुखा लें,, दो दो गोली सुबह दोपहर साम,, दिन मे तीन बार इक्कीस दिन तक प्रयोग करें,, गैस की समस्या से आजीवन छुटकारा मिल जायेगा !!

✍🏻 3 *!! विस्तर गीला करना !!*

उरद की खड़ी दाल, एक मुठ्ठी रात को पानी में भिगो कर रख दें,, सुबह पानी निकाल कर दाल में चीनी मिलाकर चबा चबाकर खायें,, एकत्तिस दिन में रोग समाप्त !!

✍🏻4 *!! पेसाब रुकने पर !!*

शीशम की पत्ती पच्चास ग्राम,, दस ग्राम सांभर नमक,, मिलाकर पीस लें व पेंडू में लेप करें, पंद्रह बीस मिनट में पेसाब खुलकर हो जायेगा,,

=) पांच ग्राम फिटकरी को एक पाव पानी में मिलाकर थोडा थोड़ा पिलाने पर भी पेसाब खुलकर हो जाता है !!    🙏🙏

*योग🧘‍♀की 100 जानकारी जिसका ज्ञान सबको होना चाहिए* :-IMPORTANT 100 TIPS IT MAY HELP YOU ALL IN BIG WAY

1.योग,भोग और रोग ये तीन अवस्थाएं है।
  
2. *लकवा* - सोडियम की कमी के कारण होता है ।

3. *हाई वी पी में* -  स्नान व सोने से पूर्व एक गिलास जल का सेवन करें तथा स्नान करते समय थोड़ा सा नमक पानी मे डालकर स्नान करे ।

4. *लो बी पी* - सेंधा नमक डालकर पानी पीयें ।

5. *कूबड़ निकलना*- फास्फोरस की कमी ।

6. *कफ* - फास्फोरस की कमी से कफ बिगड़ता है , फास्फोरस की पूर्ति हेतु आर्सेनिक की उपस्थिति जरुरी है । गुड व शहद खाएं ।

7. *दमा, अस्थमा* - सल्फर की कमी ।

8. *सिजेरियन आपरेशन* - आयरन , कैल्शियम की कमी ।

9. *सभी क्षारीय वस्तुएं दिन डूबने के बाद खायें* ।

10. *अम्लीय वस्तुएं व फल दिन डूबने से पहले खायें* ।

11. *जम्भाई*- शरीर में आक्सीजन की कमी ।

12. *जुकाम* - जो प्रातः काल जूस पीते हैं वो उस में काला नमक व अदरक डालकर पियें ।

13. *ताम्बे का पानी* - प्रातः खड़े होकर नंगे पाँव पानी ना पियें ।

14.  *किडनी* - भूलकर भी खड़े होकर गिलास का पानी ना पिये ।

15. *गिलास* एक रेखीय होता है तथा इसका सर्फेसटेन्स अधिक होता है । गिलास अंग्रेजो ( पुर्तगाल) की सभ्यता से आयी है अतः लोटे का पानी पियें,  लोटे का कम  सर्फेसटेन्स होता है ।

16. *अस्थमा , मधुमेह , कैसर* से गहरे रंग की वनस्पतियाँ बचाती हैं ।

17. *वास्तु* के अनुसार जिस घर में जितना खुला स्थान होगा उस घर के लोगों का दिमाग व हृदय भी उतना ही खुला होगा ।

18. *परम्परायें* वहीँ विकसित होगीं जहाँ जलवायु के अनुसार व्यवस्थायें विकसित होगीं ।
19. *पथरी* - अर्जुन की छाल से पथरी की समस्यायें ना के बराबर है ।

20. *RO* का पानी कभी ना पियें यह गुणवत्ता को स्थिर नहीं रखता । कुएँ का पानी पियें । बारिस का पानी सबसे अच्छा , पानी की सफाई के लिए *सहिजन* की फली सबसे बेहतर है ।

21. *सोकर उठते समय* हमेशा दायीं करवट से उठें या जिधर का *स्वर* चल रहा हो उधर करवट लेकर उठें ।

22. *पेट के बल सोने से* हर्निया, प्रोस्टेट, एपेंडिक्स की समस्या आती है ।

23.  *भोजन* के लिए पूर्व दिशा , *पढाई* के लिए उत्तर दिशा बेहतर है ।

24.  *HDL* बढ़ने से मोटापा कम होगा LDL व VLDL कम होगा ।

25. *गैस की समस्या* होने पर भोजन में अजवाइन मिलाना शुरू कर दें ।

26.  *चीनी* के अन्दर सल्फर होता जो कि पटाखों में प्रयोग होता है , यह शरीर में जाने के बाद बाहर नहीं निकलता है। चीनी खाने से *पित्त* बढ़ता है ।

27.  *शुक्रोज* हजम नहीं होता है *फ्रेक्टोज* हजम होता है और भगवान् की हर मीठी चीज में फ्रेक्टोज है ।

28. *वात* के असर में नींद कम आती है ।

29.  *कफ* के प्रभाव में व्यक्ति प्रेम अधिक करता है ।

30. *कफ* के असर में पढाई कम होती है ।

31. *पित्त* के असर में पढाई अधिक होती है ।

33.  *आँखों के रोग* - कैट्रेक्टस, मोतियाविन्द, ग्लूकोमा , आँखों का लाल होना आदि ज्यादातर रोग कफ के कारण होता है ।

34. *शाम को वात*-नाशक चीजें खानी चाहिए ।

35.  *प्रातः 4 बजे जाग जाना चाहिए* ।

36. *सोते समय* रक्त दवाव सामान्य या सामान्य से कम होता है ।

37. *व्यायाम* - *वात रोगियों* के लिए मालिश के बाद व्यायाम , *पित्त वालों* को व्यायाम के बाद मालिश करनी चाहिए । *कफ के लोगों* को स्नान के बाद मालिश करनी चाहिए ।

38. *भारत की जलवायु* वात प्रकृति की है , दौड़ की बजाय सूर्य नमस्कार करना चाहिए ।

39. *जो माताएं* घरेलू कार्य करती हैं उनके लिए व्यायाम जरुरी नहीं ।

40. *निद्रा* से *पित्त* शांत होता है , मालिश से *वायु* शांति होती है , उल्टी से *कफ* शांत होता है तथा *उपवास* ( लंघन ) से बुखार शांत होता है ।

41.  *भारी वस्तुयें* शरीर का रक्तदाब बढाती है , क्योंकि उनका गुरुत्व अधिक होता है ।

42. *दुनियां के महान* वैज्ञानिक का स्कूली शिक्षा का सफ़र अच्छा नहीं रहा, चाहे वह 8 वीं फेल न्यूटन हों या 9 वीं फेल आइस्टीन हों ,

43. *माँस खाने वालों* के शरीर से अम्ल-स्राव करने वाली ग्रंथियाँ प्रभावित होती हैं ।

44. *तेल हमेशा* गाढ़ा खाना चाहिएं सिर्फ लकडी वाली घाणी का , दूध हमेशा पतला पीना चाहिए ।

45. *छिलके वाली दाल-सब्जियों से कोलेस्ट्रोल हमेशा घटता है ।*

46. *कोलेस्ट्रोल की बढ़ी* हुई स्थिति में इन्सुलिन खून में नहीं जा पाता है । ब्लड शुगर का सम्बन्ध ग्लूकोस के साथ नहीं अपितु कोलेस्ट्रोल के साथ है ।

47. *मिर्गी दौरे* में अमोनिया या चूने की गंध सूँघानी चाहिए ।

48. *सिरदर्द* में एक चुटकी नौसादर व अदरक का रस रोगी को सुंघायें ।

49. *भोजन के पहले* मीठा खाने से बाद में खट्टा खाने से शुगर नहीं होता है ।

50. *भोजन* के आधे घंटे पहले सलाद खाएं उसके बाद भोजन करें ।

51. *अवसाद* में आयरन , कैल्शियम , फास्फोरस की कमी हो जाती है । फास्फोरस गुड और अमरुद में अधिक है ।

52.  *पप्रदीप भवर, पाथर्डी-अहमदनगर:
ीले केले* में आयरन कम और कैल्शियम अधिक होता है । हरे केले में कैल्शियम थोडा कम लेकिन फास्फोरस ज्यादा होता है तथा लाल केले में कैल्शियम कम आयरन ज्यादा होता है । हर हरी चीज में भरपूर फास्फोरस होती है, वही हरी चीज पकने के बाद पीली हो जाती है जिसमे कैल्शियम अधिक होता है ।

53.  *छोटे केले* में बड़े केले से ज्यादा कैल्शियम होता है ।

54. *रसौली* की गलाने वाली सारी दवाएँ चूने से बनती हैं ।

55.  हेपेटाइट्स A से E तक के लिए चूना बेहतर है ।

56. *एंटी टिटनेस* के लिए हाईपेरियम 200 की दो-दो बूंद 10-10 मिनट पर तीन बार दे ।

57. *ऐसी चोट* जिसमे खून जम गया हो उसके लिए नैट्रमसल्फ दो-दो बूंद 10-10 मिनट पर तीन बार दें । बच्चो को एक बूंद पानी में डालकर दें ।

58. *मोटे लोगों में कैल्शियम* की कमी होती है अतः त्रिफला दें । त्रिकूट ( सोंठ+कालीमिर्च+ मघा पीपली ) भी दे सकते हैं ।

59. *अस्थमा में नारियल दें ।* नारियल फल होते हुए भी क्षारीय है ।दालचीनी + गुड + नारियल दें ।

60. *चूना* बालों को मजबूत करता है तथा आँखों की रोशनी बढाता है ।

61.  *दूध* का सर्फेसटेंसेज कम होने से त्वचा का कचरा बाहर निकाल देता है ।

62.  *गाय की घी सबसे अधिक पित्तनाशक फिर कफ व वायुनाशक है ।*

63.  *जिस भोजन* में सूर्य का प्रकाश व हवा का स्पर्श ना हो उसे नहीं खाना चाहिए ।

64.  *गौ-मूत्र अर्क आँखों में ना डालें ।*

65.  *गाय के दूध* में घी मिलाकर देने से कफ की संभावना कम होती है लेकिन चीनी मिलाकर देने से कफ बढ़ता है ।

66.  *मासिक के दौरान* वायु बढ़ जाता है , 3-4 दिन स्त्रियों को उल्टा सोना चाहिए इससे  गर्भाशय फैलने का खतरा नहीं रहता है । दर्द की स्थति में गर्म पानी में देशी घी दो चम्मच डालकर पियें ।

67. *रात* में आलू खाने से वजन बढ़ता है ।

68. *भोजन के* बाद बज्रासन में बैठने से *वात* नियंत्रित होता है ।

69. *भोजन* के बाद कंघी करें कंघी करते समय आपके बालों में कंघी के दांत चुभने चाहिए । बाल जल्द सफ़ेद नहीं होगा ।

70. *अजवाईन* अपान वायु को बढ़ा देता है जिससे पेट की समस्यायें कम होती है ।

71. *अगर पेट* में मल बंध गया है तो अदरक का रस या सोंठ का प्रयोग करें ।

72. *कब्ज* होने की अवस्था में सुबह पानी पीकर कुछ देर एडियों के बल चलना चाहिए ।

73. *रास्ता चलने*, श्रम कार्य के बाद थकने पर या धातु गर्म होने पर दायीं करवट लेटना चाहिए ।
74. *जो दिन मे दायीं करवट लेता है तथा रात्रि में बायीं करवट लेता है उसे थकान व शारीरिक पीड़ा कम होती है ।*

75.  *बिना कैल्शियम* की उपस्थिति के कोई भी विटामिन व पोषक तत्व पूर्ण कार्य नहीं करते है ।

76. *स्वस्थ्य व्यक्ति* सिर्फ 5 मिनट शौच में लगाता है ।

77. *भोजन* करते समय डकार आपके भोजन को पूर्ण और हाजमे को संतुष्टि का संकेत है ।

78. *सुबह के नाश्ते* में फल , *दोपहर को दही* व *रात्रि को दूध* का सेवन करना चाहिए ।
79. *रात्रि* को कभी भी अधिक प्रोटीन वाली वस्तुयें नहीं खानी चाहिए । जैसे - दाल , पनीर , राजमा , लोबिया आदि ।

80.  *शौच और भोजन* के समय मुंह बंद रखें , भोजन के समय टी वी ना देखें ।

81. *मासिक चक्र* के दौरान स्त्री को ठंडे पानी से स्नान , व आग से दूर रहना चाहिए ।

82. *जो बीमारी जितनी देर से आती है , वह उतनी देर से जाती भी है ।*

83. *जो बीमारी अंदर से आती है , उसका समाधान भी अंदर से ही होना चाहिए ।*

84. *एलोपैथी* ने एक ही चीज दी है , दर्द से राहत । आज एलोपैथी की दवाओं के कारण ही लोगों की किडनी , लीवर , आतें , हृदय ख़राब हो रहे हैं । एलोपैथी एक बिमारी खत्म करती है तो दस बिमारी देकर भी जाती है ।

85. *खाने* की वस्तु में कभी भी ऊपर से नमक नहीं डालना चाहिए , ब्लड-प्रेशर बढ़ता है ।

86 .  *रंगों द्वारा* चिकित्सा करने के लिए इंद्रधनुष को समझ लें , पहले जामुनी , फिर नीला ..... अंत में लाल रंग ।

87 . *छोटे* बच्चों को सबसे अधिक सोना चाहिए , क्योंकि उनमें वह कफ प्रवृति होती है , स्त्री को भी पुरुष से अधिक विश्राम करना चाहिए ।

88. *जो सूर्य निकलने* के बाद उठते हैं , उन्हें पेट की भयंकर बीमारियां होती है , क्योंकि बड़ी आँत मल को चूसने लगती है ।

89.  *बिना शरीर की गंदगी* निकाले स्वास्थ्य शरीर की कल्पना निरर्थक है , मल-मूत्र से 5% , कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ने से 22 %, तथा पसीना निकलने लगभग 70 % शरीर से विजातीय तत्व निकलते हैं ।

90. *चिंता , क्रोध , ईष्या करने से गलत हार्मोन्स का निर्माण होता है जिससे कब्ज , बबासीर , अजीर्ण , अपच , रक्तचाप , थायरायड की समस्या उतपन्न होती है ।*

91.  *गर्मियों में बेल , गुलकंद , तरबूजा , खरबूजा व सर्दियों में सफ़ेद मूसली , सोंठ का प्रयोग करें ।*

92. *प्रसव* के बाद माँ का पीला दूध बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता को 10 गुना बढ़ा देता है । बच्चो को टीके लगाने की आवश्यकता नहीं होती  है ।

93. *रात को सोते समय* सप्रदीप भवर, पाथर्डी-अहमदनगर:
र्दियों में देशी मधु लगाकर सोयें त्वचा में निखार आएगा ।

94. *दुनिया में कोई चीज व्यर्थ नहीं , हमें उपयोग करना आना चाहिए*।

95. *जो अपने दुखों* को दूर करके दूसरों के भी दुःखों को दूर करता है , वही मोक्ष का अधिकारी है ।

96. *सोने से* आधे घंटे पूर्व जल का सेवन करने से वायु नियंत्रित होती है , लकवा , हार्ट-अटैक का खतरा कम होता है ।

97. *स्नान से पूर्व और भोजन के बाद पेशाब जाने से रक्तचाप नियंत्रित होता है*।

98 . *तेज धूप* में चलने के बाद , शारीरिक श्रम करने के बाद , शौच से आने के तुरंत बाद जल का सेवन निषिद्ध है ।

99. *त्रिफला अमृत है* जिससे *वात, पित्त , कफ* तीनो शांत होते हैं । इसके अतिरिक्त भोजन के बाद पान व चूना ।  देशी गाय का घी , गौ-मूत्र भी त्रिदोष नाश है ।

100. इस विश्व की सबसे मँहगी *दवा। लार* है , जो प्रकृति ने तुम्हें अनमोल दी है ,इसे ना थूके

29 નવે, 2018

Teachers Recruitment: D.EL.Ed और B.Ed. की जगह होगा यह कोर्स, जानिये कैसे मिलेगा दाखिला, कब शुरू होगी आवेदन प्रक्रिया


अब शिक्षक बनने के लिए करना होगा यह कोर्स

Teachers Recruitment:  अगर आप शिक्षक के रूप में अपना करियर बनाना चाहते हैं तो यह खबर आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण है. शिक्षक बनने के लिए अब तक जो दो कोर्स कराए जा रहे थे, वह जल्द ही समाप्त होने वाले हैं. जी हां, डिप्लोमा इन एलिमेंट्री एजुकेशन (D.EL.Ed) और बैचलर ऑफ एजुकेशन (B.Ed.) कोर्स को खत्म कर राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) ने नया कोर्स शुरू किया है, जिसका नाम इंटीग्रेटेड टीचर एजुकेशन प्रोग्राम (ITEP) है. यह कोर्स 4 साल को होगा और इसमें 12वीं के बाद ही सीधे दाखिला लिया जा सकेगा.
इंटीग्रेटड टीचर एजुकेशन प्रोगाम (ITEP) में 8 सेमेस्टर होंगे. इस कोर्स में फील्ड बेस्ट एक्सपीरिएंस, टीचिंग प्रैक्टिस और इंटर्नशिप भी शामिल होंगे. किसी कारण से यदि आईटीईपी में पढ़ने वाला छात्र किसी सेमेस्टर में पास नहीं हो पाता है तो वह इस कोर्स में एडमिशन के 6 सालों तक इसे पास कर सकता है.

ITEP में दाखिले के लिए योग्यता:
1. 12वीं पास करने वाले इस कोर्स में दाखिला ले सकते हैं.
2. लेकिन 12वीं में न्यूनतम 50 फीसदी अंक के साथ पास होने वाले छात्र ही कोर्स के लिए एप्लोई कर सकते हैं.

कहां पढ़ाया जाएगा यह कोर्स:
किसी भी ऐसे संस्थान या कॉलेज में इस कोर्स को पढ़ाया जा सकता है, जहां M.ED. या BA, BSc, BCom, BEd आदि कोर्स की पढ़ाई हो रही है. ITEP कोर्स को सीधे NCTE से मान्यता मिलेगी.

हर कॉलेज में 50 सीटें:
ITEP का पहला कोर्स ऐसे उम्मीदवारों के लिए होगा जो प्राइमरी स्तर के छात्रों को पढ़ाना चाहते हैं. वहीं दूसरा ITEP कोर्स अपर प्राइमरी से सेकेंडरी स्तर की कक्षाओं के लिए होगा. दोनों कोर्स 4 साल के होंगे और दोनों में 12वीं के बाद दाखिला हो सकता है. इन कोर्स में दाखिले के लिए ग्रेजुएशन महत्वपूर्ण नहीं होगा.
NCTE द्वारा जारी नोटिफिकेशन के अनुसार दोनों ITEP कोर्स में 50 सीटें होंगी. BEd-MED पढ़ाने वाले कॉलेजों को इसके लिए 500 स्क्वेयर मीटर की भूमि और 400 स्क्वेयर मीटर की बिल्डिंग तैयार करनी होगी. यह कोर्स BA, BSc, BCom आदि की तरह ही कॉलेजों में उपलब्ध होगा.
आवेदन की तारीख:
इच्छुक और योग्य उम्मीदवार 3 दिसंबर 2018 से 21 दिसंबर 2018 तक इस कोर्स के लिए आवेदन कर सकते हैं.
कैसे करें आवेदन :
इस कोर्स में आवेदन के लिए उम्मीदवार को सबसे पहले NCTE की ऑफिशियल वेबसाइट http://ncte-india.org पर जाना होगा. वहां जाकर कोर्स के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करें और फॉर्म भरें.
क्या तत्काल बंद हो जाएंगे D.EL.Ed और B.Ed प्रोग्राम:
NCTE की ओर से फिलहाल ऐसी कोई सूचना जारी नहीं की गई है. ITEP कोर्स शैक्षणिक सत्र 2019-20 से शुरू होने वाला है. ऐसे में पहले से यदि किसी ने D.EL.Ed या B.Ed कोर्स में दाखिला लिया है तो वह चलता रहेगा.

अब शिक्षक बनने को B.Ed-D.EL.Ed की जगह अब आईटीईपी कोर्स


सरकारी स्कूल में अध्यापक बनना चाहते हैं तो अब आपको बीएड या डीएलएड जैसे कोर्स करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद(एनसीटीई) ने दो नए कोर्स लॉन्च किए हैं। इंटीग्रेटड टीचर एजुकेशन प्रोगाम (आईटीईपी) कोर्स चार साल का होगा। एनसीटीई ने एक नोटिफिकेशन जारी कर सत्र 2019-23 के लिए आईटीईपी कोर्स संचालित करने के इच्छुक शिक्षण संस्थानों से ऑनलाइन आवेदन मंगाए हैं। संस्थान 3 दिसंबर से लेकर 31 दिसंबर तक आवेदन कर सकते हैं।
अभी तक प्री प्राइमरी से प्राइमरी स्तर तक की कक्षाओं में पढ़ाने के लिए डीएलएड जरूरी था। वहीं, अपर प्राइमरी से सेकेंडरी स्तर तक केो स्कूलों में अध्यापन कार्य के लिए बीएड करना अनिवार्य था। लेकिन अब एनसीटीई चार वर्षीय इंटिग्रेटेड टीचर एजुकेशन प्रोग्राम(आईटीईपी) शुरू करने जा रहा है। इसका मतलब यह है कि प्राइमरी या फिर अपर प्राइमरी और इंटरमीडिएट में पढ़ाने के लिए अभ्यर्थियों को अब बीटीसी, डीएसएड या फिर बीएड का कोर्स नहीं करना पड़ेगा।
अगर कैंडिडेट ने चार साल का इंटीग्रेटेड टीचर एजूकेशन प्रोग्राम पूरा कर लिया है तो उसके लिए टीईटी, एसटीईटी या स्टेट लेवल के अन्य टेस्ट क्लियर करके टीचर बनने का रास्ता साफ हो जाएगा।
दो आईटीईपी कोर्स शुरू होंगे
एक आईटीईपी प्री प्राइमरी से प्राइमरी स्तर तक पढ़ाने के लिए होगा, जबकि दूसरा आईटीईपी कोर्स अपर प्राइमरी से सेकेंडरी स्तर तक पढ़ाने के लिए होगा। दोनों ही पाठ्यक्रमों की अवधि चार वर्ष की होगी और इनमें 12वीं के बाद दाखिला मिलेगा। इन पाठ्यक्रमों के लिए ग्रेजुएशन की जरूरत नहीं होगी।
राज्य सरकार करेगी फैसला कि दाखिला एंट्रेंस टेस्ट से होगा या मेरिट के आधार पर
कोई भी कॉलेज, जिसमें बीएड के साथ एमएड या बीए, बीएससी, बीकॉम जैसे पाठ्यक्रम पढ़ाए जाते हों (कंपोजिट कॉलेज), वे आईटीईपी कोर्स संचालित करने की मान्यता ले सकते हैं। अभी तक डीएलएड की संबद्धता राज्य सरकार के शिक्षा विभाग और बीएड की संबद्धता संबंधित विश्वविद्यालय से मिलती थी लेकिन इन दोनों पाठ्यक्रमों की संबद्धता सीधे विश्वविद्यालय से मिलेगी और मान्यता एनसीटीई की रहेगी। कोर्स में एडमिशन एंट्रेंस टेस्ट या फिर मेरिट के आधार पर होगा, इस बात का फैसला संबंधित राज्य सरकारें करेंगी। .
प्रत्येक कॉलेज में मिलेंगी 50 सीटें
एनसीटीई की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक आईटीईपी के लिए एक यूनिट 50 सीटों की होगी। बीएड-एमएड वाले संस्थान को इस कोर्स के लिए 500 वर्ग मीटर भूमि और 400 वर्ग मीटर बिल्डिंग तैयार करनी होगी। किसी नए संस्थान को यह कोर्स संचालित करने के लिए बीए, बीएससी, बीकॉम जैसे कोर्स के साथ यह कोर्स मिलेगा। इसके लिए उन्हें कम से कम 3000 वर्ग मीटर भूमि खरीदनी होगी। यह मानक केवल 50 सीटों के लिए है। एक कॉलेज इससे अधिक सीटें भी ले सकता है, जिसके हिसाब से भूमि और इमारत की सीमा बढ़ जाएगी।
फिलहाल बीएड-डीएलएड चलता रहेगा
एनसीटीई ने जो दो नए पाठ्यक्रम लांच किए हैं, उनकी संबद्धता सत्र 2019-20 से मिलेगी। लिहाजा, फिलहाल दो वर्षीय बीएड और एक वर्षीय डीएलएड कोर्स चलता रहेगा। अभी एनसीटीई ने इन्हें बंद करने की कोई घोषणा नहीं की है।

27 નવે, 2018

Gk a1

☣️☸️ જુદી જુદી ચલણી નોટો પાછળ છપાયેલ ચિન્હ / ચિત્ર..☸️☣️

1️⃣ રૂપિયાની નોટ :- સાગર સમ્રાટ તેલ ઓઇલર
5️⃣ રૂપિયાની નોટ :- ટ્રેક્ટર વડે હળ હાકતો ખેડૂત
1️⃣ 0️⃣ રૂપિયાની નોટ :- ગેંડો, હાથી, વાઘ જેવા જંગલી પ્રાણી
2️⃣ 0️⃣ રૂપિયાની નોટ :- MOUNT HARRIET અને PORT BLAIR LIGHT HOUSE
5️⃣ 0️⃣ રૂપિયાની જૂની નોટ :- સંસદ ભવન
5️⃣ 0️⃣ રૂપિયાની નવી નોટ :- રથ સાથે હમ્પી
1️⃣ 0️⃣ 0️⃣ રૂપિયાની નોટ :- ગોલિચા પર્વત (હિમાલય પર્વતશૃંખલામા આવેલ એક પર્વત(સિક્કિમ રાજ્ય))
2️⃣ 0️⃣ 0️⃣ રૂપિયાની નવી નોટ :- સાંચીનો સ્તૂપ
5️⃣ 0️⃣ 0️⃣ રૂપિયાની જૂની નોટ :- દાંડી યાત્રા
5️⃣ 0️⃣ 0️⃣ રૂપિયાની નવી નોટ :- લાલ કિલ્લો
1️⃣ 0️⃣ 0️⃣ 0️⃣ રૂપિયાની જૂની નોટ :- ભારતનું ઉભરી રહેલું અર્થતંત્ર
2️⃣ 0️⃣ 0️⃣ 0️⃣ રૂપિયાની નવી નોટ :- મંગળ યાન
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💠 નવી યોજનાઓના પૂર્ણ નામો 💠

(1) UDAY : Ujwal Discom Assurance Yojana

(2) PMMY : Pradhan Mantri Mudra Yojana

(3) PMJDY: Pradhan Mantri Jan Dhan Yojana

(4) PMJJBY : Pradhan Mantri Jeevan Jyoti Bima Yojana

(5) PMSBY : Pradhan Mantri Suraksha Bima Yojana

(6) APY : Atal Pension Yojana

(7) KVP : Kisan Vikas Patra

(8) SBA : Swachh Bharat Abhiyan

(9) PMSAGY : Pradhan Mantri Sansad Adarsh Gram Yojana

(10) AMRUT : Atal Mission For Rejuvenation & Urban Transformation

(11) NGM : Namami Ganga Yojana

(12) HRIDAY : Heritage City Development & Augmentation Yojana

(13) MUDRA : Micro Units Development & Refinance Agency

(14) SETU : Self Employment & Talent Utilization

(15) NPS : National Pension Scheme

(16) PMKVY : Pradhan Mantri Kaushal Vikas Yojana

(17) PMKSY : Pradhan Mantri Krishi Sinchai Yojana

(18) BBBP YOJANA : Beti Bachao, Beti Padhao Yojana

(19) SSY : Sukanya Samriddhi Yojana

(20) PMFBY : Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana

(21) PMGSY : Pradhan Mantri Gram Sadak Yojana

(22) PMUY: Pradhan Mantri Ujjwala Yojana

(23) PMGKY : Pradhan Mantri Garib Kalyan Yojana

(24) DICGC : Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation

(25) TEC INDIA : Transform Energise And Clean India

(26) PACS : Primary Agriculture Credit Societies

(27) CPI : Consumer Price Index

(28) WPI : Wholesale Price Index

(29) CAD : Current Account Deficit

(30) KVKs : Krishi Vigyan Kendras

(31) MSMEs : Micro, Small and Medium Enterprises

(32) CBS : Core Banking Solution

(33) CORE : Centralized Online Real Time Exchange

(34) LTIG : Long Term Irrigation Fund

(35) MIF : Micro Irrigation Fund

(36) NAM : National Agricultural Market

(37) DIDF : Dairy Processing and Infrastructure Development Fund

(38) MGNREGA : Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act

(39) PMAY : Pradhan Mantri Awaas Yojana

(40) NRDWP : National Rural Drinking Water Programme

(41) SWAYAM : Study Webs of Active Learning for Young Aspiring Minds

(42) PMKK : Pradhan Mantri Kaushal Kendra

(43) SANKALP : Skill Acquisition and Knowledge Awareness For Livelihood
Promotion Programme

(44) STRIVE : Skill Strengthening for Industrial Value Enhancement

(45) MSK : Mahila Shakti Kendra

(46) NHB : NATIONAL HOUSING BANK

(47) RRSK : Rashtriya Rail Sanraksha Kosh

(48) M-SIPS : Modified Special Incentive Package Scheme

(49) EDF : Electronic Development Fund

(50) TIES : Trade Infrastructure for Export Scheme
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🔺અમેરિકાની સ્પેસ એજન્સી નાસાના અવકાશયાન ઇન્સાઇટ લૅન્ડરે ભારતીય સમય મુજબ રાત્રે દોઢ કલાકે મંગળ ગ્રહ પર ઉતરાણ કર્યું હતું. 🔺

➖ 'સેવન મિનિટ ઑફ ટૅરર' બાદ રૉબોટનું મંગળ ગ્રહ પર લૅન્ડિંગ શક્ય બન્યું હતું.

➖ ઇન્સાઇટ યાને મંગળગ્રહની પ્રથમ તસવીર પૃથ્વી પર મોકલી છે.

⚡️👁 નાસાના ઇન્સાઇટ મિશનનો હેતુ મંગળ ગ્રહ ઉપરની જમીન તેના આંતરિક ભાગોનો અભ્યાસ કરવાનો છે. નાસાએ માત્ર મંગળ ગ્રહનો અભ્યાસ હાથ ધર્યો છે.

🚀 યાને તેની ગતિમાં લગભગ વીસ હજાર કિલોમીટર પ્રતિકલાકનો જંગી ઘટાડો કરવાનો હતો, જે પેરાશૂટની મદદથી શક્ય બન્યો હતો.

👀 આ સમયને 'આતંકની સાત મિનિટ' એવું નામ આપવામાં આવે છે.

🛸 બે ક્યુબસેટ (અતિ નાના સેટેલાઇટ) આ લૅન્ડિંગનું નિરીક્ષણ કર્યું હતું અને તેનો ડેટા ધરતી પર મોકલ્યો હતો. તેને આ ડેટા ઇન્સાઇટ લૅન્ડર પાસેથી મળ્યો હતો.

🛬 આ ગાળા દરમિયાન પૃથ્વી પર વિજ્ઞાનીઓના જીવ પડીકે બંધાયા હતા. સફળતાપૂર્વક લૅન્ડિંગ બાદ રૉબોટે વધુ તાકતવર રેડિયો સિગ્નલ મોકલ્યા હતા.

🛩 આ યાનને ઍલિસિયમ પ્લાનિશિયા નામના સપાટ મેદાન પર ઉતારવામાં આવ્યું હતું.

🌓 આ મેદાન મંગળ ગ્રહની ભૂમધ્ય રેખાની નજીક આવેલો વિસ્તાર છે.

🛰 તયાં પહોંચ્યા બાદ યાને ગ્રહની એક તસવીર મોકલી હતી, જેને નાસાએ ટ્વીટ કરી હતી. આગામી સમય દરમિયાન યાન વધુ કેટલીક માહિતી મોકલે તેવી શક્યતા છે.

⭕️ શ છે ઇન્સાઇટ લૅન્ડર ❓

👉 અભિયાન દરમિયાન યાન મંગળ ગ્રહ પર સિસ્મોમીટર સ્થાપિત કરશે જે પેટાળમાં ભૂકંપ જેવી કોઈ હલચલ થાય છે કે કેમ તેનું નિરીક્ષણ કરશે.

✅ ઇન્સાઇટ લૅન્ડર એવું પ્રથમ યાન છે કે જે મંગળના ભૂસ્તરનું ખોદકામ કરીને રહસ્યમય માહિતી મેળવશે. ઉપરાંત યાન સાથે મોકલવામાં આવેલું જર્મન ઉપકરણ જમીનની પાંચ મીટર નીચે જઈને તાપમાન વિશે માહિતી મેળવશે.

💯 જના આધારે માલૂમ પડશે કે મંગળ ગ્રહ હજુ કેટલો સક્રિય છે. પ્રયોગના ત્રીજા તબક્કામાં રેડિયો ટ્રાન્સમિશન મારફત પરીક્ષણ કરવામાં આવશે અને એ ચકાસવાનો પ્રયાસ થશે કે આ ગ્રહ તેની ધરી ઉપર કેવી રીતે પરિભ્રમણ કરે છે તથા શા માટે ડગે છે?

👨‍🚀 સમગ્ર અભિયાન સાથે જોડાયેલા વૈજ્ઞાનિક સુઝેન સ્મ્રેકર કહે છે, "આપ એક કાચું ઈંડુ લો અને એક પાક્કું ઈંડું લો. બાદમાં તેને ફેરવશો તો તે અલગઅલગ રીતે ફરશે. કારણ કે તેની અંદર રહેલા તરલ પદાર્થ અલગ-અલગ છે.

🤷‍♂️ આપણે એ નથી જાણતા કે મંગળ ગ્રહના પેટાળમાં કશું નક્કર છે કે કેમ ? તેનો અંદરનો ભાગ કેટલો વિશાળ છે, તે અંગે પણ આપણને જાણ નથી. આ તમામ માહિતી આપણને ઇન્સાઇટ દ્વારા મળશે." 💁‍♂️

🗞 Source ⚡️ BBC GUJARATI

25 નવે, 2018

श्री गणेश संकट चौथ व्रत | Ganesh Sankat Chauth Vrat


श्री गणेश संकट चौथ व्रत | Ganesh Sankat Chauth Vrat  | Ganesh Sankat Chauth Festival 

श्री गणेश चतुर्थी के दिन श्री विध्नहर्ता की पूजा- अर्चना और व्रत करने से व्यक्ति के समस्त संकट दूर होते है. यह व्रत  को रखा जाना है. माघ माह के कृष्ण पक्ष चतुर्थी के दिन को संकट चौथ के नाम से भी जाना जाता है. इस तिथि समय रात्री को चंद्र उदय होने के पश्च्यात चंद्र उदित होने के बाद भोजन करे तो अति उत्तम रहता है. तथा रात में चन्द्र को अर्ध्य देते हैं.
हिन्दू धर्म शास्त्रों में के अनुसार भगवान श्री गणेश कई रुपों में अवतार लेकर प्राणीजनों के दुखों को दूर करते हैं. श्री गणेश मंगलमूर्ति है, सभी देवों में सबसे पहले श्री गणेश का पूजन किया जाता है. श्री गणेश क्योकि शुभता के प्रतीक है. पंचतत्वों में श्री गणेश को जल का स्थान दिया गया है. बिना गणेश का पूजन किए बिना कोई भी इच्छा पूरी नहीं होती है. विनायक भगवान का ही एक नाम अष्टविनायक भी है.
इनका पूजन व दर्शन का विशेष महत्व है.  इनके अस्त्रों में अंकुश एवं पाश है, चारों दिशाओं में सर्वव्यापकता की प्रतीक उनकी चार भुजाएँ हैं, उनका लंबोदर रूप "समस्त सृष्टि उनके उदर में विचरती है" का भाव है बड़े-बडे़ कान अधिक ग्राह्यशक्ति का तथा आँखें सूक्ष्म तीक्ष्ण दृष्टि की सूचक हैं, उनकी लंबी सूंड महाबुद्धित्व का प्रतीक है.

गणेश संकट चौथ व्रत का महत्व | Importance of Ganesha Sankat Chauth Fast

श्री गणेश चतुर्थी का उपवास जो भी भक्त संपूर्ण श्रद्धा व विश्वास के साथ करता है, उसकी बुद्धि और ऋषि-सिद्धि की प्राप्ति होने के साथ-साथ जीवन में आने वाली विध्न बाधाओं का भी नाश होता है. सभी तिथियों में चतुर्थी तिथि श्री गणेश को सबसे अधिक प्रिय होती है.

श्री गणेश संकट चतुर्थी पूजन | Sri Ganesha Sankat Chaturthi Worship

संतान की कुशलता की कामना व लंबी आयु हेतु भगवान गणेश और माता पार्वती की विधिवत पूजा अर्चना करनी चाहिए, व्रत का आरंभ तारों की छांव में करना चाहिए व्रतधारी को पूरा दिन अन्न, जल ग्रहण किए बिना मंदिरों में पूजा अर्चना करनी चाहिए और बच्चों की दीर्घायु के लिए कामना करनी चाहिए. इसके बाद संध्या समय पूजा की तैयारी के लिए गुड़, तिल, गन्ने और मूली को उपयोग करना चाहिए. व्रत में यह सामग्री विशेष महत्व रखती है, देर शाम चंद्रोदय के समय व्रतधारी को तिल, गुड़ आदि का अ‌र्घ्य देकर भगवान चंद्र देव से व्रत की सफलता की कामना करनी चाहिए.
माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी का व्रत लोक प्रचलित भाषा में इसे सकट चौथ कहा जाता है. इस दिन संकट हरण गणेशजी तथा चंद्रमा का पूजन किया जाता है, यह व्रत संकटों तथा दुखों को दूर करने वाला तथा सभी इच्छाएं व मनोकामनाएं पूरी करने वाला है. इस दिन स्त्रियां निर्जल व्रत करती हैं गणेशजी की पूजा की जाती है और कथा सुनने के बाद चंद्रमा को अर्ध्य देकर ही व्रत खोला जाता है।