संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32)
अनुच्छेद 32 के अंतर्गत उपरोक्त अधिकारों को लागू करने के लिए न्यायिक रिटों का प्रावधान है,जो निम्न हैं।
*बन्दी प्रत्यक्षीकरण- (Habeas Corpus) जब किसी व्यक्ति को अवैध रूप से बन्दी बनाया जाता है, तो सर्वोच्च न्यायालय उस बन्दी बनाने वाले अधिकारी को आदेश देता है कि वह बन्दी बनाए गए व्यक्ति को 24 घण्टे के भीतर न्यायालय के समक्ष पेश करे। यह आपराधिक जुर्म के मामलों में जारी नहीं किया जा सकता।
*परमादेश- (Mandamus) यह उस समय जारी किया जाता है, जब कोई पदाधिकारी अपने सार्वजनिक कर्तव्य का निर्वाह नहीं करता है।
*प्रतिषेध- (Prohibition) यह निचली अदालत को ऐसा कार्य करने से रोकता है, जो उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है।
*अधिकार-पृच्छा -(Qui-warranto) यह एक व्यक्ति को एक जन कार्यालय में काम करने से मना करता है, जिसका उसे अधिकार नहीं है।
*उत्प्रेषण -(Certiorari) यह भी जारी किया जाता है जब एक अदालत या न्यायालय अपने न्याय क्षेत्र से बाहर कार्य करता है। यह निषेध' से अलग है और यह कार्य सम्पादित होने के बाद ही जारी किया जाता है।
डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने अनुच्छेद 32 (संवैधानिक उपचारों का अधिकार) को संविधान की आत्मा एवं हृदय बताया।
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