*पूरा विश्व अभी अमेरिका को जलता देख रहा है,पर आग लगाने वाले कौन हैं अपनी समझ को बढ़ाये ,ये हमारे लिए भी चेतावनी है, अगर नही सम्भले तो हमरा हश्र भी यही होने वाला है...*
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*सिर्फ़ आतंकी-5 !!*
साल 1991 में अफ्रीका के देश सोमालिया में ग्रहयुद्ध छिड़ गया आतंकी गुट सरकार पर हावी पड़ने लगे.... भुखमरी, गरीबी, और तबाही में जीते एक देश को मज़हबी कानून पहले चाहिए थे.... 1994 आते आते सरकार ने अपना नियंत्रण खो दिया और ऐसे में मोगादिशू का एक टीचर अपने आठ बच्चों के साथ देश छोड़ भाग निकला नाम था *नूर ओमर मोहम्मद...*
नूर बेहद उच्च शिक्षित परिवार से था जिसके सभी भाई बंधु उच्च पदों पर थे......
नूर भाग के केन्या पहुंच गया और 1995 में अमेरिका.....
अमेरिका ने इन्ह सब कुछ दिया नूर को शरण के साथ ही..... नौकरी, बच्चों को अच्छी शिक्षा, बेहतरीन सुविधाएं.... नतीजा नूर के बच्चों ने भी अवसरों का खूब लाभ उठाया....
*इन्ही बच्चों में सबसे छोटी थी नूर की बेटी... इल्हान अब्दुलाही ओमर...*
इल्हान ने अमेरिका की तमाम सुविधाएं भोग उच्च शिक्षा पायी, अमेरिकी संस्थानों में उच्च पद पाए फिर राजनीति में उतर पहले एक राज्य की हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव की सदस्य बनी और फिर 2018 में US हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव के लिए चुनी गई..बोले तो वहां की सांसद.... गोरों के बाहुल्य वाले इलाके से उसे 48.5% वोट मिला.....
जानते है इस सोमालिया से अमेरिका पहुंची नंगी भूखी इल्हान अब्दुलाही ओमर को अब क्या चाहिए..... उसे अमेरिका में अपने सोमालियाई लोगों का बेरोकटोक आवागमन चाहिए, उसे हिजाब चाहिए, उसे वहाबी कानून वाली जिंदगी चाहिए....
वर्तमान में अमेरिका में फैले दंगों में सबसे बड़ा हाथ इसी महिला का है.....
ये और इसके समर्थक अफ्रीकी मु स्लि म पूरे अमेरिका को आग लगाने को आतुर हैं...
इसकी बेटी हाथ में माइक लिए दंगों का खुलेआम नेतृत्व कर रही है......
ये बदला मिला है अमेरिका को नूर ओमर मोहम्मद और उसकी आठ नंगी भूखी औलादों पर दया दिखाने का, उन्ह जीवन का हर अवसर देने का....... असिन विराथू सही कहते हैं आप कितने भी दयावान क्यों न हों पागल कुत्ते को साथ नहीं सुला सकते......
और जो मूर्ख ये गलती करते हैं उन्ह इल्हान जैसी बीमारी मिलतीं हैं.....
ये जो दर्द भरी दास्तानें सुन पढ़ तुम पिघल के टपक उठते हो न यही तुम्हारी चिता की पहली लकड़ी होती है.....
*बिच्छू को कितना भी प्यार से सहलाओ वो डंक ही मारेगा फिर वो अफ्रीकन बिच्छू हो, अरबी, हिंदुस्तानी, बांग्लादेशी, या फिर अरकान का रोहिंग्या........*
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