25 સપ્ટે, 2019

વૈદિક અને પૌરાણિક ભારતના પરિમાણો




પૌરાણિક પરિમાણો

સમયના પૌરાણિક પરિમાણો અને કાળચક્ર [શ્રી વિશ્વકર્મા પુરાણ, કલ્યાણ – જ્યોતિષ અંક ]

નિમેષ = આંખનો પલકારો

2 નિમેષ = 1 વિપલ

10 વિપલ = 4 સેકંડ

3 નિમેષ = 1 ક્ષણ

5 નિમેષ = 2.5 ત્રુટિ = 1 સેકંડ

15 નિમેષ = 1 કાષ્ઠા

20 કાષ્ઠા = 3 લવ

15 કાષ્ઠા = 1 દંડ = 1 લઘુ

15 લઘુ = 1 ઘટી = 1 નાડી

30 કાષ્ઠા = 1 કલા

30 કલા = 1 મુહૂર્ત = 48 મિનીટ = 2 ઘટી

1 પ્રહર = 1 યામ

605 કલા = ચાર પ્રહર* = 1 દિવસ

8 પ્રહર = 1 અહોરાત્ર = 60 ઘટી

1 ઘટી = 24 મિનીટ = 60 પળ

1 પળ = 60 વિપળ

7 દિવસ = 1 અઠવાડિયું#

2 અઠવાડીયા = 15 તિથિઓ = 1 પક્ષ@

2 પક્ષ = 1 માસ^

6 માસ = 1 આયન%

2 આયનો = 3 ઋતુઓ

6 ઋતુઓ$ = 1 માનવ વર્ષ (સંવત્સર) = 1 અબ્દ

10 અબ્દ = 1 દશાબ્દ

10 દશાબ્દ = શતાબ્દ

1 કલિયુગ = 4,32,000 માનવ વર્ષો + નિત્ય પ્રલય

1 દ્વાપરયુગ = 8,64,000 માનવ વર્ષો + નિત્ય પ્રલય

1 ત્રેતાયુગ = 12,96,000 માનવ વર્ષો  + નિત્ય પ્રલય

1 સત્યયુગ = 17,28,000 માનવ વર્ષો  + નિત્ય પ્રલય

1 યુગચોકડી અથવા ચતુર્યુગ = ચારેય યુગો + 17,28,000 વર્ષોનો સંધિકાળ

71 ચતુર્યુગ = 1 મન્વન્તર (એક મનુ રાજાનો રાજ્યકાળ) + નૈમિત્તિક પ્રલય

14 મન્વન્તર& = 1 કલ્પ (બ્રહ્માજી નો 1 દિવસ)

એમ સર્વ પ્રકારના કલ્પો** ક્રમશ: એક પછી એક બદલાયા કરે.

વિષ્ણુભગવાનનો 1 નિમેષ કાળ = બ્રહ્માજીના 108 વર્ષો + મહાપ્રલય

આમ અનાદી કાળથી ચાલતું આવતું આ ચક્ર-ભ્રમણ નો અંત કોઈ જોઈ શક્યું નથી

* ચાર પ્રહરપ્રાત:, મધ્યાહન, સાયં, રાત્રી#અઠવાડિયુંચંદ્રવાસર, ભૌમવાસર, સૌમ્યવાસર, બૃહસ્પતિવાસર, ભૃગુવાસર, મંદવાસર, ભાનૂવાસર@પક્ષશુક્લપક્ષ અને કૃષ્ણપક્ષ^12 માસકારતક, માગશર, પોષ, મહા, ફાગણ, ચૈત્ર, વૈશાખ, જેઠ, અષાઢ, શ્રાવણ, ભાદરવો, આસો%બે આયનઉત્તરાયણ અને દક્ષિણાયન~સંવત્સર60 સંવત્સર હોય છે જે ક્રમવાર આવ્યા કરે (જુઓ પંચાંગ સમજ ).$6 ઋતુઓવસંત, ગ્રીષ્મ, વર્ષા, શરદ, હેમન્ત અને શિશિર&14 મનુઓસ્વાય્મ્ભુવ, સ્વારોચીષ, ઉત્તમ, તામસ, રૈવત, ચાક્ષુષ, વૈવસ્વત, સૂર્યસાવરણી, દક્ષસાવરણી, બ્રહ્મસાવરણી, ધર્મસાવરણી, રુદ્રસાવરણી, દેવસાવરણી અને ઇન્દ્રસાવરણી**14 કલ્પોકપિલ, પ્રાજાપત્ય, બ્રાહ્મ, સૌમ્ય, સાવિત્ર, બાર્હસ્પત્ય, પ્રભાસક, માહેન્દ્ર, અગ્નીકલ્પ, જયંત, મારુત, વૈષ્ણવ, બહુરૂપ અને જ્યોતિષ

સંખ્યાના પૌરાણિક પરિમાણો [શ્રી વિશ્વકર્મા પુરાણ]

1 = એકમ

10 = દશક

100 = શતક

1,000 = સહસ્ત્ર

10,000 = અયુત (દસ હજાર)

1,00,000 = નિયુત (લાખ)

1,00,00,000 = કોટી (કરોડ)

10,00,00,000 = અર્બુદ (દસ કોટી)

1,00,00,00,000 = અબજ (સો કોટી)

1,00,00,00,00,000 = ખર્વ (1 સહસ્ત્ર કોટી)

10,00,00,00,00,000 = નિખર્વ (10 સહસ્ત્ર કોટી)

1,00,00,00,00,00,000 = શંકુ (દસ નિખર્વ)

10,00,00,00,00,00,000 = સમુદ્ર (દસ શંકુ)

1,00,00,00,00,00,00,000 = મધ્ય (દસ સમુદ્ર)

10,00,00,00,00,00,00,000 = અંત્ય (દસ મધ્ય)

કોટીની કોટી અને તેની લાખ ગણી = પરાર્ધ

પરાર્ધથી બમણી = પર

માપના પૌરાણિક પરિમાણો [શ્રી વિશ્વકર્મા પુરાણ, રાજવલ્લભ શિલ્પશાસ્ત્ર]

1 શક્ર-કોશાન્તર = 1000 યોજન

1 યોજન = 2 ગવ્યુતિ (ગાઉ)

1 ગવ્યુતિ = 2000 ધનુષ

1 કોષ = 1000 ધનુષ

1 નલ્વ = 300 ધનુષ

1 ધનુષ-માપ = 4 હસ્ત

1 પુરુષ = 2 કીષ્કુ

1 કીષ્કુ = 2 રતનિ

1 હસ્ત / ગજ / અરત્નિ  = 2 વિતસ્તી (વેંત)

1 દંડ = 106 અન્ગુલ માપ (માત્રા / આંગળી ની જાડાઈ)

1 રત્નિ = 21 અન્ગુલ માપ

1 અનાહપદ = 14 અંગુલ માપ

1 વિતસ્તી = 12 અંગુલ માપ 

1 ગોકર્ણ = 11 અંગુલ માપ

1 સયતાળ = 10 અંગુલ માપ

1 પ્રાદેશ = 9 અંગુલ માપ

1 તૃણી = 8 અંગુલ માપ

1 દ્રષ્ટિ = 7 અંગુલ માપ

1 કરપાદ = 6 અંગુલ માપ

1 તળ = 5 અંગુલ માપ

1 મુષ્ટિ = 4 અંગુલ માપ

1 પર્વ = 3 અંગુલ માપ

1 કળા = 2 અંગુલ માપ

1 અંગુલ માપ = 8 યવ 

1 યવ = 8 યૂકા

1 યૂકા = 8 લીક્ષા

1 લીક્ષા = 8 વાલાગ્ર

1 વાલાગ્ર = 8 રથરેણું 

1 રથરેણું = 8 ત્રસરેણું

1 ત્રસરેણું (પદ્મરાજ) = 18 પરમાણુ

રોજીંદા જીવનમાં, બોલવામાં લખવામાં અને લોક વ્યવહારમાં આ પરિમાણો વાપરો. યુકા, નિખર્વ, શંકુ વગેરે માપોથી પોતે પણ પરિચિત થાવ અને બીજાને પણ કરાવો, વિદ્વતા કેળવો.

13 સપ્ટે, 2019

राष्ट्रीय पशु बाघ

बाघ भारत का राष्ट्रीय पशु है।
यह एक मांसाहारी जानवर है।
बाघ जंगल का राजा है।
बाघ जंगली जानवर है।
उसके शरीर पर पट्टे है ।
वह जंगल में रहता है।
बाघ सभी प्राणियों में सबसे अधिक ताकतवर है ।

तिरंगा झंडा

तिरंगा स्वतंत्र (आजाद )भारत का झंडा है। तिरंगा हमारा राष्ट्रध्वज है ।
इसमें तीन रंग है।
ऊपर केसरी बीच में सफेद और नीचे हरा। तीन रंगों के कारण ही उसे' तिरंगा' करते हैं।
सफेद रंग के पट्टे में एक नीले रंग का चक्र है ।
उसे 'अशोक चक्र 'कहते है।
केसरी रंग बलिदान, सफेद रंग शांति और हरा रंग विकास का सूचक है।
अशोक चक्र प्रगति की राह पर आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं।
15 अगस्त और 26 जनवरी को हम तिरंगा झंडा फहराते हैं।
हमारा झंडा हमारी मातृभूमि की एकता और सम्मान का प्रतीक है।
तिरंगा हमारे देश की शान है।
हमें अपने झंडे का सम्मान करना चाहिए।
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4 સપ્ટે, 2019

Teacher day

Teacher’s Day Speech: डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन (5 सितंबर) 1962 से भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। 5 अक्टूबर को विश्व  टीचर्स डे के रूप में प्रतिवर्ष मनाया जाता है, जिसे 1994 से अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक दिवस के रूप में भी जाना जाता है। भारत में पारंपरिक रूप से गुरु पूर्णिमा को गुरुओं और शिक्षकों के सम्मान के लिए मनाया जाता है। यह पूरे देश में छात्रों द्वारा बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। बच्चे अपने शिक्षकों के लिए अपने प्यार और सम्मान को दिखाने के लिए प्रस्तुतियों, उपहारों और भाषणों की तैयारी करते हैं। साथ ही अपने शिक्षकों के लिए भाषण भी तैयार करते हैं। बच्चों के साथ-साथ उनके माता-पिता भी इस तैयारी में उनकी मदद करते हैं।

शिक्षक दिवस पर भाषण 1:

सभी शिक्षक, शिक्षिकाएं और मेरे दोस्तो को मेरा नमस्ते।

आज शिक्षक दिवस है और हम सब यहां इस दिन को सेलिब्रेट करने के लिए उपस्थित हुए हैं। शिक्षकों और छात्रों के लिए यह दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस दिन हर छात्र अपने शिक्षक का शुक्रिया अदा करता है। हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मना कर हम अपने शिक्षकों को सम्मान देते हैं। शिक्षक हमारे भविष्य का निर्माण करते हैं। हम बच्चे देश का भविष्य हैं शिक्षक हमारा मार्ग दर्शन कर के हमें आदर्श नागरिक बनाने की महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

शिक्षक वह दीपक है जो हमारे अंदर ज्ञान का उजाला भरते हैं। एक शिक्षक अपना पूरा जीवन हमें ज्ञान और सही रास्ता दिखने में लगा देते हैं। महान कवि कबीरदास जी ने भी कहा है कि यदि शिक्षक और भगवान दोनों सामने हों तो हमें पहले शिक्षक का चरण स्पर्श करना चाहिए क्योंकि एक शिक्षक ही हमें ज्ञान दे कर भगवान तक पहुंचने का रास्ता दिखाता है। शिक्षक बिना किसी भेद- भाव के सभी छात्रों को शिक्षा प्रदान करते हैं। टीचर्स डे सभी छात्रों के लिए बहुत महत्व रखता है।

धन्यवाद

आदरणीय शिक्षकों और मेरे सभी साथियों को सुप्रभात।

आज 5 सितंबर को हम सभी यहां शिक्षक दिवस मनाने के लिए एकत्र हुए हैं। सबसे पहले यहां मौजूद सभी शिक्षकों और शिक्षिकाओं को शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। इस अवसर पर अपने विचार आप सभी के सामने व्यक्त करने का अवसर देने के लिए मैं आप सभी की आभारी हूं।

शिक्षक दिवस हर वर्ष 5 सितंबर को मनाया जाता है। इस दिन देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म हुआ था। डॉ. राधाकृष्णन एक विद्वान और बहुत बड़े शिक्षक थे। उन्होंने अपने जीवन के 40 वर्ष एक शिक्षक के रूप में अपने दायित्वों को पूरा किया। शिक्षा के क्षेत्र में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा है। उनके शिक्षा के प्रति लगन और शिक्षकों के प्रति आदर को देखते हुए उनके जन्म दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

हमारे माता- पिता हमें जन्म देते हैं। लेकिन शिक्षक हमें सही और गलत का फर्क बताकर हमारे चरित्र का निर्माण करते हैं। शिक्षक सही मार्ग दर्शन के साथ हमारे भविष्य को उज्ज्वल बनाते हैं। इसलिए कहा जाता है कि शिक्षकों का स्थान हमारे माता-पिता से भी ऊपर होता है। शिक्षा के बिना हम अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। जिस प्रकार हमारे शरीर को भोजन की आवश्यकता होती है उसी प्रकार हमें जीवन में आगे बढ़ने और ऊंचाइयों को हासिल करने के लिए शिक्षा की जरुरत होती है। सभी छात्रों को निस्वार्थ भाव से एक शिक्षक ही शिक्षा प्रदान कर सकता है। शिक्षक हमारे अंदर की बुराइयों को दूर कर हमें एक बेहतर इंसान बनाते हैं।

आदरणीय शिक्षकों और प्यारे दोस्तो!

आप सभी को सुप्रभात। हम सभी जानते हैं कि हम इस खास दिन पर यहां क्यों एकत्रित हुए हैं। हमारे शिक्षकों के लिए इस दिन को मनाने का हमें गर्व महसूस हो रहा है। शिक्षक दिवस के शुभ अवसर पर सभी शिक्षकों और शिक्षिकाओं को हार्दिक बधाई।

शिक्षक दिवस 5 सितंबर को बहुत खुशी और उत्साह के साथ मनाया जाता है। 5 सितंबर को डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती है, जो एक महान विद्वान शिक्षक थे। वह हमारे देश के दूसरे राष्ट्रपति भी थे। देश भर के छात्र इस दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाते हैं ताकि वे अपने शिक्षकों का सम्मान कर सकें। शिक्षत निस्संदेह समाज की रीढ़ होते हैं। वे छात्रों के चरित्र के निर्माण में एक बड़ी भूमिका निभाते हैं।

यह कहना गलत नहीं होगा कि शिक्षक हमारे माता-पिता के बराबर होते हैं। वे हमें निस्वार्थ सिखाते हैं और हमें अपने बच्चों के रूप में मानते हैं। माता-पिता एक बच्चे को जन्म देते हैं, जबकि शिक्षक उस बच्चे के व्यक्तित्व को आकार देता है। शिक्षक बच्चे को एक अच्छा इंसान बनाने की कोशिश में लगा रहता है। इसलिए हमें हमेशा उनका सम्मान करना चाहिए। शिक्षक प्रेरणा के स्रोत हैं जो हमें सफलता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करते हैं। वे हमें ताकत देते हैं और जीवन में आने वाली बाधाओं या चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करते हैं।

धन्यवाद!

आदरणीय प्रधानाचार्य, शिक्षक और मेरे प्यारे दोस्तों!

हम यहां शिक्षक दिवस मनाने के लिए एकत्र हुए हैं। मुझे यह अवसर शिक्षक दिवस पर भाषण देने के लिए दिया गया था।

मैं अपने भाषण को एक कोट्स के साथ शुरू करूंगा। ब्रैड हेनरी के शब्दों में, “एक अच्छा शिक्षक आशा को प्रेरित कर सकता है, कल्पना को प्रज्वलित कर सकता है और सीखने के लिए आगे बढ़ा सकता है।”

यह अद्भुत विचार हमारे जीवन में शिक्षकों के महत्व को दर्शाता है। शिक्षक दिवस के अवसर पर भाषण देना मेरा सम्मान है। डॉ. राधाकृष्णन की जयंती पर भारत में हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। वह एक विद्वान शिक्षक थे। वह भारत के दूसरे राष्ट्रपति भी थे। 1962 से, उनके जन्मदिन को भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।

हमारे दिल में शिक्षकों का एक विशेष स्थान है। यद्यपि माता-पिता हमें सही तरीके से ऊपर लाने में बहुत योगदान देते हैं, लेकिन यह शिक्षक हैं जो ज्ञान की रोशनी से हमारे दिलों को जागृत करते हैं और अज्ञानता के अंधेरे को दूर करते हैं। शिक्षक हमें अपने बेहतर भविष्य के बारे में सोचने के लिए प्रेरित करते हैं और हमें जीवन में आने वाली बाधाओं का सामना करने के बारे में सिखाते हैं। वे छिपी प्रतिभाओं और रचनात्मकता को बाहर लाते हैं और अपार ज्ञान भी प्रदान करते हैं।

शिक्षक प्रत्येक बच्चे के जीवन में ज्ञान और शिक्षा की नींव रखते हैं। इसलिए वे उन सभी चीजों के लिए आभार और सम्मान डिसर्व करते हैं।

एकमेवाक्षरं यस्तु गुरुः शिष्यं प्रबोधयेत् ।
पृथिव्यां नास्ति तद्द्रव्यं यद् दत्त्वा चाऽनृणी भवेत् ॥

जो गुरु शिष्य को एक अक्षर का भी ज्ञान देताहै, उसके ऋण से मुक्त होने के लिए, उसे देने योग्य पृथ्वी में कोई पदार्थ नहीं है।