13 ડિસે, 2018

वैदिक गणित

*⚫"वैदिक गणित"⚫*

*भारत का गणित-ज्ञान यूनान और*
*मिस्र से भी पुराना*
*है।*
*निर्विवादित रूप से शून्य, संख्या और दशमलव तो भारत की देन*
*हैं ही,  यूनानी गणितज्ञ*
*पिथागोरस का प्रमेय भी भारत में पहले से ज्ञात था।*
*वैदिक विधि से बड़ी संख्याओं का जोड़-घटाना और गुणा-*
*भाग ही नहीं, वर्ग और वर्गमूल, घन*
*और घनमूल भी ज्ञात किया जाता है साथ ही वैदिक गणित या कहे  कि भारतीय गणित अंकगणित, एलजेब्रा, कैलकुलस, त्रिगोनोमेट्री, ज्योमेट्री आदि के क्षेत्र में भी विशेष खोंजे विश्व को दिन हैं।*
*इस*
*बीच इंग्लैंड, अमेरिका या ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में*
*बच्चों को वैदिक गणित सिखाने वाले स्कूल भी खुल गए*
*हैं।*

*वैदिक गणित हमारी अपनी प्राचीन गणित है जिसके माध्यम से हम मात्र कुछ क्षणों में अपने कठिन से कठिन सवाल का हल पा सकते हैं, लेकिन आज हम किसी भी तरह की गणना के लिए पूरी तरह से कैल्कुलेटर के आदी हो गए हैं ।*
*केलकुलेटर या प्रचलित गणना विधि अंततः हमारे मस्तिष्क में निष्क्रियता को जन्म देता है और इसका अत्यधिक उपयोग हमारे मष्तिष्क क़ो शिथिल कर देता है ।*
*भारत में कम ही लोग* *जानते हैं, पर विदेशों में लोग*
*मानने लगे हैं कि वैदिक विधि से गणनाएं करने से मस्तिष्क की एकाग्रता और सामर्थ्य बढ़ती है बल्कि उससे आत्मविश्वास और* *स्मरणशक्ति*
*भी बढ़ती है।*

*वैदिक वैदिक वांगमय की देन हैं, जिसकी खोंजे हमारे वैदिक ऋषियों ने की थीं।*

*बगदाद के राजा ने उज्जैन के एक विद्वान को अपने यहाँ विज्ञान और गणित पढ़ाने के लिए आमंत्रित किया था। उस राजा ने कई भारतीय पुस्तकों का अरबी में अनुवाद भी करवाया। इसके बाद यही पध्दति ११ वीं शताब्दी में यूरोप जा पहुँची। एक इस्लामिक विद्वान अल-बरुनी भारतीय विज्ञान की शिक्षा प्राप्त करने के लिए भारत आया। भारत में वह तीस साल तक रहा और उसने कई किताबें भी लिखी, जिसमें से हिसाब-ए-हिंदी सबसे प्रसिध्द पुस्तक है।*

*यह दुर्भाग्य की बात है कि भारत में 90 प्रतिशत लोग इस जादुई गणित से परिचित नहीं है।*

*वैदिक गणित उन लोगों को और उन छात्रों को जरुर सीखना चाहिए जो गणित से घबराते हैं। परीक्षा में गणित के पेपर में समय की कमी से अपने सवालों को हल नहीं कर पाते हैं जो अन्य विषयों में तो अच्छी पढ़ाई करते हैं मगर गणित विषय में रुचि पैदा नहीं होती। जो मन ही मन में गणना करने में हमेशा पिछ़ड़ जाते हैं।*

*आज वैदिक गणित इंग्लैंड, आयरलैंड, हॉलैंड, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, न्यू .जीलैंड और अमरीका सहित कई देशों में पढ़ाया जा रहा हैसाथ ही स्वीडन, जर्मनी, ईटली पौलेंड और सिंगापुर में भी इसे स्वीकार किया गया है। हमेशा याद रखें: किसी समस्या का समाधान खोजने का तरीका जितना सरल होगा, आप उतनी ही जल्दी उसे हल कर सकेंगे और इसमें गलती होने की संभावना भी कम से कम होगी।*
*इस लेख का उद्देश्य यही है कि आपके बच्चे गणित के मामले में कैल्कुलेटर पर आश्रित ना रहें और गणित के अंकों के साथ खेलें इससे उनकी बुध्दि भी कुशाग्र होगा।

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