25 ઑક્ટો, 2021

सम्राट अशोक की जन्म जयंती क्यों नहीं मनाई जाती

*💥सम्राट अशोक की जन्म जयंती क्यों नहीं मनाई जाती*

*मैं बहुत सोचता हूं पर उत्तर नहीं मिलता! आप भी इन प्रश्नों पर विचार करें!*

*१. जिस सम्राट के नाम के साथ संसार भर के इतिहासकार “महान” शब्द लगाते हैं;*

*२. जिस सम्राट का राज चिन्ह "अशोक चक्र" भारतीय अपने ध्वज में लगते हैंं;*

*३. जिस सम्राट का राज चिन्ह "चारमुखी शेर" को भारतीय राष्ट्रीय प्रतीक मानकर सरकार चलाते हैं, और "सत्यमेव जयते" को अपनाया है;*

*४. जिस देश में सेना का सबसे बड़ा युद्ध सम्मान सम्राट अशोक के नाम पर "अशोक चक्र" दिया जाता है;*

*५. जिस सम्राट से पहले या बाद में कभी कोई ऐसा राजा या सम्राट नहीं हुआ, जिसने अखंड भारत (आज का नेपाल, बांग्लादेश, पूरा भारत, पाकिस्तान, और अफगानिस्तान) जितने बड़े भूभाग पर एक-छत्र राज किया हो;*

*६. सम्राट अशोक के ही समय में २३ विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई, जिसमें तक्षशिला, नालन्दा, विक्रमशिला, कंधार आदि विश्वविद्यालय प्रमुख थे! इन्हीं विश्वविद्यालयों में विदेश से कई छात्र शिक्षा पाने भारत आया करते थे;*

*७. जिस सम्राट के शासन काल को विश्व के बुद्धिजीवी और इतिहासकार भारतीय इतिहास का सबसे स्वर्णिम काल मानते हैं;*

*८. जिस सम्राट के शासन काल में भारत विश्व गुरु था, सोने की चिड़िया था, जनता खुशहाल और भेदभाव-रहित थी;*

*९. जिस सम्राट के शासन काल में सबसे प्रख्यात महामार्ग "ग्रेड ट्रंक रोड" जैसे कई हाईवे बने, २,००० किलोमीटर लंबी पूरी सडक पर दोनों ओर पेड़ लगाये गए, सरायें बनायीं गईं, मानव तो मानव, पशुओं के लिए भी प्रथम बार चिकित्सा घर (हॉस्पिटल) खोले गए, पशुओं को मारना बंद करा दिया गया;*

*१०. ऐसे महान सम्राट अशोक, जिनकी जयंती उनके अपने देश भारत में क्यों नहीं मनायी जाती, न ही कोई छुट्टी घोषित की गई है? अफ़सोस जिन नागरिकों को ये जयंती मनानी चाहिए, वो नागरिक अपना इतिहास ही भुला बैठे हैं, और जो जानते हैं वो ना जाने क्यों मनाना नहीं चाहते;*

*१४ अप्रैल* 
*जन्म वर्ष ३- ०२ ई पू* 
*राजतिलक - २६८ ई पू* 
*देहावसान - २३२ ई पू* 
*पिताजी का नाम - बिन्दुसार* 
*माताजी का नाम - सुभद्राणी*

*११. "जो जीता वही चंद्रगुप्त" ना होकर "जो जीता वही सिकन्दर" कैसे हो गया…?*

*जबकि ये बात सभी जानते हैं कि सिकन्दर की सेना ने चन्द्रगुप्त मौर्य के प्रभाव को देखते हुए ही लड़ने से मना कर दिया था! बहुत ही बुरी तरह से मनोबल टूट गया था! जिस कारण, सिकंदर ने मित्रता के तौर पर अपने सेनापति सेल्यूकस की पुत्री का विवाह चन्द्रगुप्त से रचाया था;*

*कृपया अपने सभी समुहों में भेजने का और उन से उत्तर जानने का कष्ट करें!*
 
*धन्यवाद!*
🙏
*एक सच्चा भारतीय उपरोक्त सभी इतिहास की बातों को मानने से मना नहीं कर सकता!*

*आओ मिल कर इतिहास में गलत तरीके से किए गए इन फेरबदलों को सही रूप में लाने का हर संभव प्रयास करेl

7 ઑક્ટો, 2021

तू कौन और मैं कौन?

तू कौन और मैं कौन?
    

    ब्रह्माजी के ऋभु नामक पुत्र थे. वे बचपन से ही परमार्थ तत्त्व का ज्ञाता थे. महर्षि पुलस्त्य का पुत्र निदाघ उनका शिष्य था. प्राचीन काल में महर्षि ऋभु निदाघ को उपदेश देने के लिए एक नगर में गये. ऋषि ने वहां देखा कि उस देश का राजा भारी सेना के साथ शहर में प्रवेश कर रहा है. ऋभु ने निदाघ से पूछा कि इनमें राजा कौन है? निदाघ ने कहा कि इनमें जो ऊपर बैठा है, वह राजा है और नीचे वाला हाथी.

    तब ऋभु ऋषि ने कहा कि हे विप्र! आप नीचे-ऊपर शब्दों के अर्थ बतलाइये. इनकी क्रियाओं को तो सभी जानते हैं. तब सहसा ही निदाघ ऋभु ऋषि के ऊपर चढ़कर कहने लगा- अब मैं राजा के समान आपके ऊपर हूं और आप हाथी के समान मेरे नीचे हैं. तब महर्षि ऋभु ने कहा कि हे ब्राह्मन. यदि आप राजा और मैं हाथी के समान हूं, तो कृपया यह बतलाइये कि आप कौन हैं और मैं कौन हूं?

    ऋभु के ऐसा कहने पर निदाघ ने ऋभु के चरण पकड़ लिये और कहने लगा कि आप ही मेरे गुरू हैं. आपके समान अद्वैत मन वाला अन्य कोई नहीं है. तब प्रसन्न होकर ऋभु ने कहा- है प्रिय! सब वस्तुओं में अद्वैतभाव रखना ही परमार्थ का सार है.

प्रभु का संरक्षण

प्रभु का संरक्षण
 
एक यहूदी फकीर रेत पर चला जा रहा था. जब वह काफी आगे तक चला आया तो सहसा उसकी नज़र पीछे की ओर चली गयी. उसने पीछे मुड़कर देखा तो यह देखकर हैरान रह गया कि रेत पर तो वह अकेला चल रहा था किंतु पीछे-पीछे चार पैरों के निशान थे. आश्चर्य से यहूदी फकीर इधर-उधर देखने लगा और सोचने लगा. किसी के दर्शन नहीं हुए तो उसने स्वयं से प्रश्न किया, जब मेरे कठिनाई भरे दिन थे, मैं अत्यंत मुसीबत में था, मुझसे कोई बात तक करना पसंद नहीं करता था. तब भी मैं अक्सर इस रेत पर चलता था और तब मुझे कभी भी अपने पीछे चार पैर नज़र नहीं आये. रेत पर केवल मेरे पदचिह्नों की ही छाप होती थी. तो इसका क्या यह अर्थ हुआ कि मुसीबत में ईश्वर भी साथ छोड़ देता है. आज मैं सुखी और प्रसन्न हूं तो वह मेरे साथ-साथ चला आ रहा है. यह विचार आते ही यहूदी फकीर को आकाशवाणी सुनाई दी, ‘नहीं, बेटा नहीं. तुम गलत सोच रहे हो?’ आकाशवाणी की आवाज़ पर यहूदी फकीर बोला, ‘तो फिर सच क्या है? आप ही बताइए.’ फकीर के कानों से आवाज़ टकरायी, ‘जब तू सुख में होता है, मैं तेरे साथ चलता हूं. ऐसे में दो पांव के निशान तुम्हारे और दो मेरे. मुसीबत में जब तुझे सब छोड़ गये थे, मैंने नहीं छोड़ा. उस समय मैं तुम्हें अपनी गोद में लेकर चलता रहा. तुम्हें मां जैसा प्यार और वात्सल्य देता रहा, तुम्हें सुख की छांव देता रहा. उस दुख के समय तुम्हारे पांव के निशान तो रेत पर पड़े ही नहीं. मैं तुझसे कभी विमुख नहीं हुआ, मुसीबत में भी नहीं.’ यह सुनकर उसके कानों से फिर आवाज़ टकरायी, ‘हां लेकिन इतना अवश्य याद रखना कि मुसीबत और पीड़ा में कभी हिम्मत न हारना, यह न कहना कि मेरे साथ कोई नहीं है. मैं हर पल तुम्हारे साथ हूं. दुख और पीड़ा जीवन का हिस्सा हैं, यदि तुम उन्हें धैर्य और शांतिपूर्वक सामान्य तरीके से हल करोगे तो जीवन में सफलता पाओगे और यदि विचिलत होकर गलत मार्ग पर बढ़ोगे तो मेरी गोद से गिर पड़ोगे, फिर तुम्हें मैं नहीं बचा पाऊंगा. मैं तब तक तुम्हारे साथ हूं जब तक तुम नेकी, ईमानदारी और मेहनत से अपना काम करते हो.’ इसके बाद आकाशवाणी की गूंज समाप्त हो गयी.

ज्ञान-धारा (बोधकथा)

ज्ञान-धारा
बोधकथा

 

 

एक बार भगवान बुद्ध से उनके शिष्य आनंद ने पूछा- ‘भगवन्! जब आप प्रवचन देते हैं तो सुनने वाले नीचे बैठते हैं और आप ऊंचे आसन पर बैठते हैं, ऐसा क्यों?’ भगवान बुद्ध बोले- ‘ये बताओ कि पानी झरने के ऊपर खड़े होकर पिया जाता है या नीचे जाकर?’ आनंद ने उत्तर दिया- ‘झरने का पानी ऊंचाई से गिरता है. अतः उसके नीचे जाकर ही पानी पिया जा सकता है.’ भगवान बुद्ध ने कहा- ‘तो फिर यदि प्यासे को संतुष्ट करना है तो झरने को ऊंचाई से ही बहना होगा न?’ आनंद ने ‘हां में उत्तर दिया.’ यह सुनकर भगवान बुद्ध बोले- ‘आनंद! ठीक इसी तरह यदि तुम्हें किसी से कुछ पाना है तो स्वयं को नीचे लाकर ही प्राप्त कर सकते हो और तुम्हें देने के लिए दाता को भी ऊपर खड़ा होना होगा. यदि तुम समर्पण के लिए तैयार हो तो तुम एक ऐसे सागर में बदल जाओगे, जो ज्ञान की सभी धाराओं को अपने में समेट लेता है.’

पिकासो

पिकासो(Picasso) स्पेन में जन्में एक बहुत मशहूर चित्रकार थे। उनकी पेंटिंग दुनिया भर में करोड़ों और अरबों रुपयों में बिका करती थीं। केवल स्पेन के ही नहीं बल्कि दुनियां भर के लोग उनकी पेंटिंग के दीवाने थे।

एक बार पिकासो किसी काम से कहीं जा रहे थे लेकिन रास्ते में ही शाम हो जाने की वजह से पिकासो ने एक गाँव में ही रुकने का फैसला लिया। उस जगह पिकासो पहली बार आये थे। वहां कोई नहीं जानता था कि ये व्यक्ति मशहूर चित्रकार पिकासो हैं।रास्ते से गुजरते समय एक महिला की नजर पिकासो पर पड़ी और संयोग से उस महिला ने उन्हें पहचान लिया। वो दौड़ी हुई उनके पास आयी और बोली – सर मैं आपकी बहुत बड़ी फैन हूँ। आपकी पेंटिंग्स मुझे बहुत ज्यादा पसंद हैं। क्या आप मेरे लिए भी एक पेंटिंग बनायेंगे ?

पिकासो हँसते हुए बोले – मैं यहाँ खाली हाथ हूँ मेरे पास कुछ नहीं है मैं फिर कभी आपके लिए पेंटिंग बना दूंगा। लेकिन उस महिला ने भी जिद पकड़ दी कि मुझे अभी एक पेंटिंग बना के दो, बाद में पता नहीं आपसे मिल पाऊँगी या नहीं।

पिकासो ने जेब से एक छोटा सा कागज निकाला और अपने पेन से उसपे कुछ बनाने लगे। करीब 10 सेकेण्ड के अंदर पिकासो ने पेंटिंग बनायीं और कहा ये लो ये मिलियन डॉलर की पेंटिंग है।

उस लड़की को बड़ा अजीब लगा कि पिकासो ने बस 10 सेकेण्ड में जल्दी से एक काम चलाऊ पेंटिंग बना दी और बोल रहे हैं कि मिलियन डॉलर की पेंटिग है। उस औरत ने वो पेंटिंग ली और बिना कुछ बोले अपने घर आ गयी।

उसको लगा पिकासो उसका पागल बना रहा है, इसलिए वो मार्किट गयी और उस पेंटिंग की कीमत पता की। और उसे बड़ा आश्चर्य हुआ कि वो पेंटिंग वास्तव में मिलियन डॉलर की थी।

वो भागी भागी एक बार फिर पिकासो के पास आयी और बोली – सर आपने बिलकुल सही कहा था ये तो मिलियन डॉलर की ही पेंटिंग है। पिकासो ने हँसते हुए कहा कि मैंने तो आपसे पहले ही कहा था।

वो महिला बोली – सर आप मुझे अपनी स्टूडेंट बना लीजिये और मुझे भी पेंटिंग बनानी सीखा दीजिये। जैसे आपने 10 सेकेण्ड में मिलियन डॉलर की पेंटिंग बना दी, वैसे मैं भी 10 सेकेण्ड में ना सही 10 मिनट में ही अच्छी पेंटिंग बना सकूँ। मुझे ऐसा बना दीजिये।

पिकासो ने हँसते हुए कहा – ये जो मैंने 10 सेकेण्ड में पेंटिंग बनायीं है इसे सीखने में मुझे 30 साल का समय लगा। मैंने अपने जीवन के 30 साल सीखने में दिए तुम भी दो, सीख जाओगी।

वो महिला अवाक् निःशब्द होकर पिकासो को देखती रह गयी।

दोस्तों जब हम दूसरों को सफल होता देखते हैं तो हमें ये सब बड़ा आसान लगता है। हमको लगता है कि यार ये इंसान को बड़ी जल्दी और बड़ी आसानी से सफल हो गया। लेकिन मेरे दोस्त उस एक सफलता के पीछे ना जाने कितने सालों की मेहनत छिपी है ये कोई नहीं देख पाता।

सफलता तो बड़ी आसानी से मिल जाती है लेकिन सफलता की तैयारी में अपना जीवन कुर्बान करना होता है। जो लोग खुद को तपाकर, संघर्ष करके अनुभव हासिल करते हैं वो कामयाब हो जाते हैं और दूसरों को लगता है कि ये कितनी आसानी से सफल हो गया।

मेरे दोस्त एग्जाम तो केवल 3 घंटे का होता है लेकिन उस 3 घण्टे के लिए पूरी साल तैयारी करनी पड़ती है। तो फिर आप रातों रात सफल होने का सपना कैसे देख सकते हो। सफलता अनुभव और संघर्ष मांगती है और अगर आप देने को तैयार हैं तो आपको आगे जाने से कोई नहीं रोक सकता।


6 ઑક્ટો, 2021

ચંડીપાઠ મહાત્મ્ય

*🙏🏻👏🏻🔱ચંડીપાઠ મહાત્મ્ય-🔱👏🏻🙏🏻*

*ચંડીપાઠ એટલે માતાજીનું પ્રત્યક્ષ વાંગમય સ્વરૂપ*

*ચંડીપાઠ કરવાથી મલિન તત્વોથી રક્ષા થાય છે. ઘરનું વાતાવરણ મંગલમય બને છે. સુંદર વિચારોની પ્રાપ્તિ થાય છે. શ્રદ્ધાથી મા અંબાના કોઇપણ સ્વરૂપની પૂજા કરવાથી તેની સર્વ મનોકામના માતાજી પરિપૂર્ણ કરે છે*

*વાણીથી જેનું વર્ણન થઈ શકે તેને વાંગમય સ્વરૂપ કહેવામાં આવે છે. એટલે જ ભાગવતને શ્રીકૃષ્ણનું પ્રત્યક્ષ વાંગમય સ્વરૂપ માનવામાં આવે છે. તેવી જ રીતે ચંડીપાઠને પણ માતાજીનું વાંગમય પ્રત્યક્ષ સ્વરૂપ માનવામાં આવે છે. માતાજીના યજ્ઞોમાં પણ ચંડીપાઠના શ્લોકો બોલીને આહુતિ આપવામાં આવે છે. ‘માતા પરં દૈવતમ્’ આ જગતમાં માતાને પરમતત્વ અને પરમ દૈવત માનવામાં આવે છે. માતૃશક્તિની ઉપાસના દરેક ધર્મમાં અલગ અલગ નામોથી કરવામાં આવે છે. વૈષ્ણવો યમુનાજી રૂપે, જૈનો પદ્માવતી રૂપે, ખ્રિસ્તીઓ મેરી રૂપે. માતૃશક્તિ વગર જીવન શક્ય નથી*.

*શિવના પરમ ઉપાસક આદિગુરુ શંકરાચાર્ય પણ અંતે શક્તિની આરાધના કરતાં કહે છે, ‘ગતિસ્ત્વં, ગતિસ્ત્વં ત્વમેકા ભવાની’ હે ભવાની! જીવો માટે, ઉપાસકો માટે તું જ પરમ ગતિ છે. આજે આપણે ચંડીપાઠમાં તેર અધ્યાયના મહિમા વિશે જાણકારી મેળવીશું. ચંડીપાઠના લેખક માર્કંડેય મુનિ છે. ચંડીપાઠ કરતાં પહેલાં કવચ, અર્ગલા, કીલક, ન્યાસ, માળા, ધ્યાન, આસનપૂજા વગેરે કરવામાં આવે છે. આમ તો ચંડીપાઠ સમગ્ર વર્ષ દરમિયાન ગમે ત્યારે કરી શકાય છે, પરંતુ નવરાત્રિ દરમિયાન ચંડીપાઠનું ફળ વિશેષ મળે છે*

*🔱પ્રથમ અધ્યાય : આમાં મહાકાળી માતાનું ધ્યાન ધરવામાં આવ્યું છે. મહાપ્રલય સમયે શેષશૈયા ઉપર પોઢેલા નારાયણની નાભિમાંથી બ્રહ્નાજી પ્રગટ થાય છે. આ સમયે મધુ અને કૈટભ નામના દૈત્યો ઉત્પન્ન થાય છે. બ્રહ્નાજીને ડર લાગવાથી યોગમાયાની સ્તુતિ કરે છે. યોગમાયા નારાયણને જાગૃત કરે છે. પાંચ હજાર વર્ષ સુધી મધુ-કૈટભ નારાયણ સાથે યુદ્ધ કરે છે. અંતે નારાયણ તેમનો વધ કરે છે🔱*

*🔱બીજો અધ્યાય : આમાં મહાલક્ષ્મી માતાનું ધ્યાન ધરવામાં આવ્યું છે. મહિષાસુર દેવોને પરાજિત કરીને ઇન્દ્ર બન્યો. આથી દેવોએ માતાજીની સ્તુતિ કરી. આ દેવી નારાયણની ભ્રૂકુટિમાંથી ઉત્પન્ન થઇ હતી. આ દેવીએ મહિષાસુરની સેનાનો વધ કર્યો🔱*

*🔱ત્રીજો અધ્યાય : આમાં કમલાસન પર બેઠેલાં જગદંબાને વંદન કરી તેમનું ધ્યાન ધરવામાં આવ્યું છે. મહિષાસુર પોતાની સેનાના નાયક ચિક્ષુરને લઇને આવે છે. મહિષાસુર પોતાની માયા વડે પાડાનું, સિંહનું એમ અલગ અલગ સ્વરૂપો લઇને માતાજીની સામે યુદ્ધ કરવા લાગ્યો. માતાજીએ મહિષાસુરનો વધ કર્યો. આ અધ્યાયમાં યુદ્ધનું સુંદર વર્ણન કરવામાં આવ્યું છે🔱*

*🔱ચોથો અધ્યાય : આમાં જયા નામની દુર્ગાનું ધ્યાન ધરવામાં આવ્યું છે. મહિષાસુરના મૃત્યુથી આનંદિત દેવોએ માતાજીની સ્તુતિ કરી. આ સ્તુતિને ‘શક્રાદય સ્તુતિ’ કહેવામાં આવે છે. નવચંડી વગેરે માતાજીના યજ્ઞોમાં પૂણૉહુતિ સમયે બ્રાહ્નણો આ અધ્યાય મોટેથી રાગમાં બોલતા હોય છે. આ અધ્યાયનો નિત્યપાઠ કરવાથી માતાજીની કૃપા પ્રાપ્ત થાય છે🔱*

*🔱પાંચમો અધ્યાય : આમાં પાર્વતીના શરીરમાંથી ઉત્પન્ન થયેલાં સરસ્વતી માતાનું ધ્યાન ધરવામાં આવ્યું છે. પાંચમા અધ્યાયને દેવીસ્તુતિ કહે છે. માતાજીનાં અલગ અલગ સ્વરૂપોને નમસ્કાર કરવામાં આવ્યાં છે. યા દેવી સર્વ ભૂતેષુ માતૃ રૂપેણ સંસ્થિતા, નમસ્તસ્યૈ, નમસ્તસ્યૈ, નમસ્તસ્યૈ નમો નમ: આ પ્રમાણે અનેક સ્વરૂપોનું વર્ણન કરવામાં આવ્યું છે. માતાજી અને શુંભ, નિશુંભ નામના દૂતોનો સુંદર સંવાદ વર્ણવ્યો છે🔱*

*🔱છઠ્ઠો અધ્યાય : આ અધ્યાયમાં પદ્માવતી માતાનું ધ્યાન ધરવામાં આવ્યું છે. આ અધ્યાયમાં માતાજી ધૂમ્રલોચનનો વધ કરે છે🔱*

*🔱સાતમો અધ્યાય : આ અધ્યાયમાં માતંગી, મોઢેશ્વરી માતાનું ધ્યાન ધરવામાં આવ્યું છે. માતાજી ચંડ અને મુંડને મારે છે માટે તેમનું નામ ‘ચામુંડા’ પડે છે. આ અધ્યાયમાં યુદ્ધનું સુંદર વર્ણન કરવામાં આવ્યું છે🔱*

*🔱આઠમો અધ્યાય : આ અધ્યાયમાં સર્વ પ્રકારની સિદ્ધિઓ આપનારી ભવાની માતાજીનું ધ્યાન ધરવામાં આવ્યું છે. રક્તબીજ નામનો દૈત્ય કોઇનાથી મરતો નહોતો. વરદાન પ્રમાણે તેના શરીરમાંથી જેટલાં લોહીનાં ટપકાં પડે તેટલા દૈત્યો ઉત્પન્ન થાય. આને મારવા ચામુંડાદેવી આ દૈત્યને પોતાના મુખમાં લઇને તેનું લોહી ગટગટાવી તેનો વધ કર્યો🔱*

*🔱નવમો અધ્યાય : આ અધ્યાયમાં શ્રીમૂર્તિ એવા અર્ધચંદ્રને ધારણ કરતાં અને ત્રણ નેત્રવાળાં અંબાનું ધ્યાન ધર્યું છે. આ અધ્યાયમાં પણ યુદ્ધનું સુંદર વર્ણન છે. અનેક પ્રકારનાં આયુધોને ધારણ કરનારી અંબાદેવી નિશુંભ નામના બળવાન દૈત્યનો વધ કરે છે🔱*

*🔱દસમો અધ્યાય : આ અધ્યાયમાં શિવની શક્તિ એવી કામેશ્વરી નામની અંબાનું ધ્યાન ધરવામાં આવ્યું છે. આ અધ્યાયમાં પણ યુદ્ધનું સુંદર વર્ણન છે. માતાજી શુંભ નામના દૈત્યનો વધ કરે છે. દેવો અને ગંધર્વો પુષ્પવૃષ્ટિ કરીને માતાજીની સ્તુતિ કરે છે🔱*

*🔱અગિયારમો અધ્યાય : આ અધ્યાયમાં ભક્તોને અભય આપનાર ભુવનેશ્વરી દેવીનું ધ્યાન ધરવામાં આવ્યું છે. આમાં માતાજીનું વર્ણન કરતા સુંદર શ્લોકો આપેલા છે. દેવો સાથે મળીને માતાજીને વંદન કરે છે. પોતાના મનોભાવો માતાજીને અર્પણ કરે છે. આ અધ્યાયમાં નારાયણી, ગૌરી, બ્રહ્નાણી, બહુચરાજી, કૌમારી, વૈષ્ણવી, વારાહી, ઇન્દ્રાણી, ચામુંડા, લક્ષ્મી, સરસ્વતી જેવી અનેક દેવીઓનાં વાહનો તથા સ્વરૂપોનું વર્ણન કરવામાં આવ્યું છે🔱*

*🔱બારમો અધ્યાય : આમાં ચંદ્રને ધારણ કરનારી મા દુગૉનું સુંદર વર્ણન છે. આ અધ્યાયમાં માતાજી સ્વમુખે ચંડીપાઠના મહિમાનું વર્ણન કરે છે. માતાજીની ભક્તિથી કઇ કઇ શક્તિઓ પ્રાપ્તિ થાય છે તેનું સુંદર વર્ણન માતાજીએ કર્યું છે. આ અધ્યાયને ચંડીપાઠની ફલસ્તુતિ કહેવામાં આવે છે. માતાજી કહે છે કે જે નિત્ય મારી ભક્તિ કરે છે તેને ધન, કુલદીપક, ધાર્મિક બુદ્ધિ, શુભ વિચારો તથા મુક્તિની પ્રાપ્તિ થાય છે. હું લક્ષ્મી બનીને તેના ઘરને પાવન કરું છું. પાપીઓને કુબુદ્ધિ ને દરિદ્રતા આપું છું🔱*

*🔱તેરમો અધ્યાય : આ અધ્યાયમાં શિવા નામની દેવીનું ધ્યાન ધર્યું છે. સૂરથ નામના રાજા અને વૈશ્ય નામના ભક્તને માતાજી અલગ અલગ વરદાનો આપે છે. માર્કંડેય મુનિ સાતસો શ્લોકોમાં માતાજીના સંપૂર્ણ ચરિત્રને વર્ણવે છે🔱*

*🔱🔥ચંડીપાઠ કરવાથી અથવા કોઇ વિદ્વાન બ્રાહ્નણ પાસે કરાવવાથી મિલન તત્વોથી રક્ષા થાય છે. ઘરનું વાતાવરણ મંગલમય બને છે. સુંદર વિચારોની પ્રાપ્તિ થાય છે. માતાજી ભવસાગર પાર કરાવનાર છે. જે ભક્ત શ્રદ્ધાથી મા અંબાના કોઇપણ સ્વરૂપની પૂજા કરે છે તેની સર્વ મનોકામના માતાજી પરિપૂર્ણ કરે છે. ચંડીપાઠ સંસ્કૃતમાં ન આવડે તો ગુજરાતીમાં તેનું ભાષાંતર વાંચવાથી પણ મા પ્રસન્ન થાય છે. ચંડીપાઠનું પુસ્તક માત્ર ચોપડી નથી પરંતુ મા અંબાનું પ્રત્યક્ષ વાંગમય સ્વરૂપ છે🔥🔱*

*🙏🏻👏🏻મા જઞદંબા આપ સૌ ઉપર કૃપા કરે એવા સદભાવ સાથે જય અંબે👏🏻🙏🏻*

       *🙏🏻🙏🏻🙏🏻જય અંબે 🙏🏻🙏🏻🙏🏻*

मृत्यु के बाद भी पुण्य कमाने के 7 (सात) आसान उपाय

*मृत्यु के बाद भी पुण्य कमाने के 7 (सात) आसान उपाय ।*
.🔜 (1)= किसी को धार्मिक ग्रन्थ भैंट करे जब भी कोई उसका पाठ करेगा आप को पुण्य मिलेगा ।
🔜(2)= एक व्हीलचेयर किसी अस्पताल मे दान करे जब भी कोई मरीज उसका उपयोग करेगा पुण्य आपको मिलेगा।
श🔜(3)= किसी अन्नक्षेत्र के लिये मासिक ब्याज वाली एफ. डी बनवादे जब भी उसकी ब्याज से कोई भोजन करेगा आपको पुण्य मिलेगा
🔜 (4)=किसी पब्लिक प्लेस पर वाटर कूलर लगवाएँ हमेशा पुण्य मिलेगा।
🔜(5)= किसी अनाथ को शिक्षित करो वह और उसकी पीढ़ियाँ भी आपको दुआ देगी तो आपको पुण्य मिलेगा।
🔜(6)= अपनी औलाद को परोपकारी बना सके तो सदैव पुण्य मिलता रहेगा।
🔜( 7)= सबसे आसान है कि आप ये बाते औरों को बताये, किसी एक ने भी अमल किया तो आपको पुण्य मिलेगा...! 

*सबसे पहले सेंड करदो, क्यूंकि जबतक कोई यह MSG पढ़ता रहेगा,*
*आप के नाम के पुण्य के, पेड़ लगते रहेगे, और आपको ...,*
 *फल मिलते रहेंगे इसलिये रुकिये नही निरंतर लगे रहिये ....!* 🙏(सुसंक)

3 ઑક્ટો, 2021

विराथू

ना चलाओ *गोली,* ना चलाओ *तलवार*
सिर्फ करो *उनका आर्थिक बहिष्कार...*

 *#विराथू.......* 

👉 जो काम अमेरिका फ्रांस भारत रूस कोई नहीं कर पाया, *वो बर्मा के विराथूजी ने कर दिखाया!*
👉 आज बर्मा में करोडो रुपये के बने मस्जिद वीरान पड़े हैं, क्यूंकि उस आज देश मे मुसलमान देखने को नहीं है। जो की वहां जाए और देखे मस्जिदों को और जो है वहां, उसकी तबीयत से ठुकाई हो रही है! *विराथु* जिसके बाद ही लोग जान पाए कि ये महान इंसान कौन है और इन्होने क्या कर डाला है? 
👉 क्या भारत को भी एक ऐसे आसीन विराथू की जरुरत है? *कौन इस सन्त की तरह भूमिका निभा सकता भारत मे?*  मित्रो *आसीन विराथु*- वो भगवा संत जिसके नाम से काँपते हैं मुसलमान। *विराथु* जी हाँ, बस ये शब्द ही काफी है म्यांमार में, *इस शब्द को सुनकर मुस्लिमों में कंपकपी मच जाती है!*
  👉 बर्मा के बौद्ध गुरु *विराथु जी* ने आखिर किस तरीके से मुस्लिम को भगाया या कमज़ोर किया समझो। *जैसे मुसलमानों का '७८६' का नंबर लकी माना जाता है, वैसे ही विराथु ने '"९६९"' का नंबर निकाला और उन्होंने पुरे देश के लोगों से आह्वान किया कि जो भी राष्ट्रभक्त बौद्ध है वो इस स्टीकर को अपने अपनी जगह पर लगायें!*
  👉 इसके बाद टैक्सी चलाने वालों ने टैक्सी पर, दूकान वालों ने दूकान पर इसको लगाना शुरू किया! *लेकिन "विराथु" का सन्देश साफ़ था कि हर (हम) बौद्ध अपनी सारी खरीदारी और व्यापार वहीँ करेंगे जहां ये स्टीकर लगा होगा। किसी को टैक्सी में चढ़ना हो तो उसी टैक्सी में चढ़ेंगे जिसके ऊपर ये स्टीकर होगा। उसी रेस्टोरेंट में खायेंगे जहां ये स्टीकर होगा।*
👉 उन्होंने ये भी कहा कि हो सकता है ऐसी हालत में मुस्लिम सऊदी से आये पैसों के दम पर अपने माल को कम कीमत पर बेच कर आपको आकर्षित करे, *लेकिन आप ध्यान रखना! आप दो पैसा ज्यादा देना और सोचना कि आपने अपने देश के लिए पैसा लगाया है! दो पैसे कम में खरीद कर मातृभूमि से गद्दारी मत करना।* वो आपके पैसे आपको ही मिटाने में लगाते हैं, *ये मुर्खता मत करना!*
👉 दोस्तों, हालत ये हो गए कि मुस्लिम के व्यापार ठप्प पड़ गए! मुस्लिम इतने आतंकित हुए कि इस स्टीकर लगी टैक्सी को चढ़ना तो दूर, किनारे से कन्नी काटने लगे, पुरे देश में मुसलमानों के होश ठिकाने आ गए और *फिर ये स्टीकर एक तरह से देशभक्ति का प्रमाण बन गया! उनके जिहाद का जवाब बन गया और इस अनोखे आईडिया का प्रभाव आप देख सकते हैं कि आज बर्मा से मुस्लिम भाग चुके हैं!*
 👉विराथु वो संत हैं जिन्होंने *आतंक के खिलाफ पूरे म्यांमार को खड़ा कर दिया गया और फिर वहां से लोगों ने अवैध मुस्लिमों को खदेड़ डाला!*
👉 लोग जो भगवान बुद्ध की बातों पर अमल करते आ रहे थे *उन लोगों ने देश की रक्षा के लिए बुद्ध की बातों को छोड़ संत विराथु की बातों पर अमल किया!*
👉विराथु ने कहा:- *चाहे आप कितने भी दयावान और शांतिप्रिय हो पर आप एक पागल कुत्ते के साथ नहीं सो सकते अन्यथा आपकी शांति वहां कोई काम नहीं आएगी और आप बर्बरता से ख़त्म कर दिए जाओगे!* उन्होंने कहा:- *शांति स्थापित करने के लिए हथियार उठाना होगा, शांति के लिए युद्ध जरुरी है।* ये सारी बातें विराथु ने गीता से ली और *फिर आतंक की बीमारी झेल रहे म्यांमार के लोग एकजुट हो गए वो विराथु के लिए जान लेने और देने को तैयार हो गए और पूरे म्यांमार से अवैध मुसलमानो को खदेड़ा जाने लगा!*
 👉 विराथू के प्रवचनों को अगर कोई सुने तो उसे लग सकता है कि शांत स्वरों में मोक्षप्राप्ति की बात चल रही है!
👉 म्यांमार में हुई हिंसक घटनाओं के बाद से अब प्राय: पूरी दुनिया में बौद्धों और मुस्लिमों में भारी तनातनी पैदा हो गई है! *जिनमें अशीन विराथु बौद्ध दुनिया के एक नायक एवं जेहादी दुनिया के लिए एक बड़े खलनायक बन कर उभरे हैं।* म्यांमार में हुए कई सर्वेक्षणों के बाद ये प्रमाणित हो चुका है कि जनता एवं बौद्ध भिक्षु विराथु के साथ है। *विराथु* का स्वयं भी कहना है कि वह न तो घृणा फैलाने में विश्वास रखते हैं और न हिंसा के समर्थक हैं। लेकिन हम कब तक मौन रहकर सारी हिंसा और अत्याचार को झेलते रह सकते हैं?
 👉 इसलिए वह अब पूरे देश में घूम-घूम कर भिक्षुओं तथा सामान्यजनों को उपदेश दे रहे हैं कि *यदि हम आज कमजोर पड़े तो अपने ही देश में हम शरणार्थी हो जाएंगे!*

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*आइये हम सब हिंदू भी इस क्रिया को अपनायें और सिर्फ उसी का साथ दें जहाँ  '1008' का स्टिकर लगा हो।* #मुसलमानों का बहिष्कार *हर स्तर पर* 

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